Wednesday, May 1, 2024
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चमोली : टनल में फंसे लोगों को निकालने की जद्दोजहद जारी

भारतीय सेना के साथ ITBP, NDRF, SDRF और उत्तराखंड पुलिस मजदूरों को निकालने में लगी

चमोली, रविवार को उत्तराखंड के चमोली में ऋषिगंगा में बाढ़ से मची तबाही के बाद अब जिंदगी बचाने की जद्दोजहद जारी है, तबाही के सैलाब में तपोवन स्थित हाइड्रोपावर प्रॉजेक्ट में फिलहाल 40 से 50 मजदूरों के फंसे होने की आशंका है। वहीं भारतीय सेना के साथ ITBP, एनडीआरएफ, SDRF और उत्तराखंड पुलिस मजदूरों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर डटी हैं। मिली जानकारी के अनुसार यह सुरंग ढाई किमी लंबी है और अभी केवल 70-80 मीटर तक ही साफ हो गई है। सिल्ट और मलबे की वजह से रेस्क्यू में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

अब तक 27 लोगों को बाहर निकाला जा चुका है। वहीं अलग-अलग इलाकों से 19 शव बरामद हो चुके हैं और 203 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
बाढ़ के कारण रैनी पुल बह गया है जिससे 9 गांव पूरी तरह कट चुके हैं। आईटीबीपी जवान इन गांवों में फंसे लोगों को चॉपर की मदद से राहत सामग्री भेज रहे हैं। इस बारे में एनडीआरएफ के डीजी एसएन प्रधान ने बताया, ‘ढाई किमी लंबी सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। मलबे की वजह से समस्या हो रही है जिसे अब धीरे-धीरे साफ किया जा रहा है। 27 लोग जिंदा बचाए गए हैं जबकि 11 की मौत हो चुकी है। इनमें 40 से 50 लोग टनल में फंसे हैं। जबकि बाकी लापता लोगों के बाढ़ में बह जाने की आशंका है। यहां जटिल क्षेत्र होने की वजह से पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं। सड़क मार्ग से सिर्फ दो टीमें जोशीमठ पहुंच सकी हैं जबकि बाकी टीमों को एयरलिफ्ट किया गया। अभी कहना मुश्किल है लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन में संभवत: 24 घंटे ज्यादा समय लग सकता हैं।

उत्तराखंड में पावर प्रॉजेक्ट में कार्यरत यूपी के लखीमपुर खीरी के 30 मजदूर भी लापता बताए जा रहे हैं। इनके परिवार में कोहराम मचा हुआ है। ये मजदूर जिले के बाबूपुरवा, भेरामपुर, मांझा और कडिया गांव से थे और तपोवन प्रॉजेक्ट पर काम कर रहे थे। उत्तराखंड डीजीपी ने बताया, ‘लापता मजदूरों में से अधिकतर बिहार और यूपी से होंगे। यह भी जानकारी मिल रही है कि इनमें से 30 लोग लखीमपुर खीरी के हैं। इस आपदा में ‘रैनी स्थित ऋषिगंगा प्रोजेक्ट पूरी तरह से बह चुका है। यहां से 5 किमी दूर तपोवन प्रोजेक्ट है जो अंडर कंट्रक्शन था। फिलहाल 203 लोग लापता हैं। 11 शव बरामद हुए है। तपोवन में 24-25 लोगों की एक सहायक कंपनी थी जिनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।’ चमोली में ऋषिगंगा में आई बाढ़ की वजह असली वजह क्या थी यह पता लगाने के लिए DRDO-SASE के वैज्ञानिकों की टीम रविवार रात देहरादून रवाना हो चुकी है।

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