Tuesday, May 21, 2024
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राजधानी में आपदा प्रबंधन की व्यवस्था की पोल खुली : धस्माना

“खुड़बड़ा छबील बाग अग्निकांड में लोगों की मदद के लिए मौके पर पहुंचे प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना”

देहरादून, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आपदा प्रबंधन के बड़े बड़े दावों के बावजूद उत्तराखंड राज्य में व राज्य की राजधानी देहरादून में आपदा प्रबंधन की हालात दयनीय बनी हुई है , प्रदेश भर में पिछले सालों के मुकाबले व्नाग्नि के मामले पांच गुणा होना और राजधानी देहरादून में आज राजपुर विधानसभा क्षेत्र में कांवली रोड पर छबील बाग में लगी आग को काबू करने के लिए फायर ब्रिगेड का डेढ़ घंटे देर से पहुंचना राज्य की आपदा प्रबंधन मशीनरी के हाल बयां कर रहा है यह बात आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। छबील बाग अग्निकांड में मौके पर लोगों की सहयता करने पहुंचे धस्माना ने पत्रकारों को बताया की आज की अग्निकांड की सूचना मिलते ही उन्होंने जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व सी एम ओ देहरा दून को फोन से सूचित किया व स्वयं मौके पर लोगों की सह्यता करने पहुंचे जहां लगभग तीस कच्चे मकान जल कर राख हो गए । श्री धस्माना ने बताया कि लोग इस बात से काफी आक्रोशित थे कि अग्निकांड के स्थल पर फायर ब्रिगेड लगभग एक घंटे देर से पहुंची जब तक सारे मकान जल कर राख हो चुके थे और मकान समेत लोगों का सारा सामन भी जल कर राख हो चुका था।धस्माना ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान अपने उत्तराखंड़ दौरे वाले दिन एक अखबार को दिए साक्षात्कार में दवा किया था कि पिछले दस सालों के उनके प्रधानमंत्रित्व काल में उत्तराखंड में आपदाओं से निपटने का एक बड़ा प्रभावी तंत्र विकसित किया गया है, श्री धस्माना ने कहा कि वो कितना प्रभावी तंत्र है यह उत्तराखंड में इस वर्ष अप्रैल के महीने में ही पता चल गया जब गर्मियां शुरू होते ही पूरे राज्य के जंगल धू धू कर के दहक रहे हैं और व्नाग्नी की घटनाएं पिछले वर्ष के सापेक्ष पांच गुणा अभी तक घट गई हैं। उन्होंने कहा कि नैनीताल अल्मोड़ा चम्पावत पिथौरागड़ व पौड़ी में व्नागनी बेकाबू हो रखी है। धस्माना ने कहा कि व्नाग्नि की घटनाओं से निपटने के लिए तैयारी सितंबर महीने से शुरू करनी होती है किंतु उत्तराखंड की सरकारी मशीनरी व आपदा प्रबंधन विभाग यह तयारी आग लगने पर शुरू करता है जिसका नतीजा आज पूरे राज्य को भुगतना पड़ रहा है। धस्माना ने कहा कि राजधानी देहरा दून में आज की आग की घटना व उससे निपटने के लिए आपदा प्रबंधन मशीनरी का रिस्पॉन्स निराशाजनक है। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा की राज्य में ट्रिपल इंजिन की सरकार होने के बावजूद घटना के तीन घंटों बाद भी राजपुर या कैंट दोनों क्षेत्रों से यह इलाका जुड़ा हुआ है और दोनों ही विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक हैं, महानगर के निवर्तमान मेयर भी और टिहरी के सांसद भी भाजपा के हैं और मात्र चंद कदम की दूरी पर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष का घर है लेकिन भाजपा का कोई भी जन प्रतिनिधि मौके पर लोगों की मदद की बात तो दूर पीड़ित परिवारों की सुध तक लेने नहीं पहुंचे। धस्माना ने कहा कि आज पूरे देहरादून महानगर में भयंकर पीने के पानी का संकट खड़ा हो रखा है। देहरादून के सभी सौ वार्डों में लगभग एक सौ बीस कालोनियों में पेयजल संकट शुरू हो गया है और अभी गर्मियां शुरू भी नहीं हुई हैं । उन्होंने कहा कि जल संस्थान के पास पीने के पानी के संकट से निपटने का कोई रास्ता नहीं है क्योंकि उनके पास तैयार जल स्रोत ही उपलब्ध नहीं हैं। श्री धस्माना ने कहा कि यह सब सरकारी उदासीनता व जन प्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण हुआ है और अब कांग्रेस पार्टी इन जन सरोकारों के मुद्दों पर शांत बैठने वाली नहीं है।
उन्होंने ऐलान किया कि वे शीघ्र ही सड़कों पर उतरेंगे व लापरवाह अधिकारियों एवी निक्कम्मे मंत्रियों का घिराव करेंगे।

 

बिना अध्यक्ष और विधि सलाहकार के एक सदस्य नियामक आयोग ने बिजली की दरें बढ़ाने का फैसला कैसे लिया : शीशपाल सिंह बिष्ट*

देहरादून, उत्तराखण्ड़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने आज देहरादून में बयान जारी करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग समाप्त होते ही प्रदेश में बिजली की दरों में की गई भारी वृद्धि नियमा अनुसार नहीं की गई है मनमाने तरीके से बिजली के दाम बढ़ाए गए हैं, क्योंकि विद्युत नियामक आयोग तीन सदस्यों वाली संस्था है जिसमें अध्यक्ष पद खाली है और विधि विशेषज्ञ का सदस्य का पद भी रिक्त चल रहा है केवल तकनीकि विशेषज्ञ के पद पर एक सदस्य ही विद्युत नियामक आयोग में है । एक सदस्य के दम पर किस तरीके से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के भाग्य का फैसला कर दिया गया और मनमाने तरीके से विद्युत की दरें बढ़ा दी गई यह समझ से परे हैं ,आखिर चुनाव आचार संहिता के बीच मनमाने तरीके से अचानक बिजली की दरें बढ़ाने की ऐसी क्या मजबूरी थी कि दो सदस्यों की नियुक्ति का भी इंतजार नहीं किया गया और अब जानकार सवाल खड़े कर रहे हैं की विद्युत नियामक आयोग बिना अध्यक्ष और विधि विशेषज्ञ के कैसे इतना बड़ा फैसला ले सकता है । ऐसे फैसले व्यापक विचार विमर्श और सर्वसमती के आधार पर होने चाहिए । जिसका पालन नहीं किया गया और केवल तकनीकि सदस्य ने ही मनमाने तरीके से बिजली की दरें बढ़ाने का फैसला ले लिया आखिर ऐसा क्यों किया गया और किसके दबाव में किया गया यह बड़ा सवाल है ।
प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने केवल एक सदस्य के दम पर बिजली की दरों को बढ़ाने के लिए लिए गए मनमाने फैसले पर आक्रोश प्रकट करते हुए इसे ,पहले से ही महंगाई के बोझ से दबी जनता के सिर पर और मंहगाई का बोझ डालने वाला फैसला बताया।
विद्युत नियामक आयोग ने लोकसभा चुनाव के परिणाम आने का भी इंतजार नहीं किया जबकि इस समय पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू है और बिना चुनाव आयोग की अनुमति लिए बिना कोई नीतिगत निर्णय नही लिया जा सकता है मगर फिर भी जल्दबाजी में इतना बड़ा फैसला एक सदस्य के दम पर ले लिया गया जो कई सवाल खड़े करता है पहले से ही ।उत्तराखंड के विद्युत उपभोक्ता अघोषित बिजली कटौती की मार झेल रहे हैं चाहे उद्योग धंधे हो चाहे किसान हो सभी बिजली कटौती से परेशान है पहले सरकार को प्रदेश की जनता को 24 घंटे बिजली उपलब्ध करानी चाहिए और बिजली कटौती की समस्या का समाधान निकालना चाहिए तब जाकर के इस प्रकार के फैसलों पर विचार होना चाहिए लेकिन सरकार अपनी गलतियों को सुधारने की जगह महंगाई बढ़ाने वाले मनमाने फेसले कर रही है जो सरासर गलत व जन विरोधी निर्णय है।
प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने सरकार से बिजली की दरों में की गई वृद्धि पर पुनर्विचार करने व इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की है । और सरकार से पूछा कि क्या एकल सदस्य विद्युत नियामक आयोग बिना अध्यक्ष और विधि सलाहकार के इस तरह का फैसला लेने में सक्षम है ।और क्या यह फैसला एक सदस्य आयोग ले सकता था इसका जवाब भी सरकार को प्रदेश की जनता को देना चाहिए।

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