Wednesday, May 1, 2024
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उत्तराखण्ड़ : राज्य के 11वें मुख्यमंत्री पद की कल लेंगे पुष्कर सिंह धामी शपथ

देहरादून, ऊधमसिंह नगर जिले की खटीमा सीट से लगातार दो बार विधायक चुने गए पुष्कर सिंह धामी राज्य 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे । वह उत्तराखंड में अब तक के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनेंगे। धामी रविवार को शपथ लेंगे। संभावना जताई जा रही है कि वह अपने साथ मं‍त्रिमंडल को भी शपथ दिलवाएंगे। राज्यपाल के सचिव ने इसकी पुष्टि की।

राज्य के 11वें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी :

उत्तराखंड़ के जनपद पिथौरागढ़ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडीहाट में 16.09.1975 को
जन्में पुष्कर सिंह धामी एक साधारण परिवार से आते हैं। उनकी शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई है। स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने
मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक में मास्टर डिग्री प्राप्त की | उन्होंने 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों में रहकर विद्यार्थी परिषद में कार्य किया। कुशल नेतृत्व क्षमता, संधर्षशीलता की वजह से वह दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2002 से 2008 तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगार को संगठित कर उन्होंने कई विशाल रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किये। तत्कालीन प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को राज्य के उद्योगों में 70 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में सफलता प्राप्त की। इसी क्रम में उन्हाेंने दिनांक 11 जनवरी 2005 को प्रदेश के 90 युवाओं के साथ विधानसभा का घेराव करने के लिए ऐतिहासिक रैली आयोजित की । जिसे युवा शक्ति प्रदर्शन के रूप में उदाहरण स्वरूप आज भी याद किया जाता है। भाजपा सरकार में 2010 से 2012 तक शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यशील रहते हुए उन्होंने क्षेत्र की जनता की समस्याओं का समाधान किया। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। वर्तमान में वह खटीमा विधानसभा सीट से विधायक हैं।

आखिर संवैधानिक संकट, गवानी पड़ी सीएम की कुर्सी :

राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार में सिर्फ 114 दिन में ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की विदाई हो गई। खुद तीरथ ने अपनी विदाई की के पीछे संवैधानिक संकट बताया है और कई अवसरों पर सरकार और संगठन पर उनके विवादित बयान भारी पड़ गए। संविधान के अनुच्छेद 164(4) के तहत मुख्यमंत्री को छह महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी है। इसके लिए उन्हें 10 सितंबर से पहले उपचुनाव में जाना था। लेकिन कोविड महामारी की वजह से सभी चुनावों पर आयोग की रोक है। ऐसे में अभी उत्तराखंड की दो खाली सीटों गंगोत्री व हल्द्वानी में उपचुनाव की संभावना नहीं है। सियासी जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी चुनाव लड़ना है। सियासी जानकार तीरथ की विदाई में ममता बनर्जी के उपचुनाव का कनेक्शन भी मान रहे हैं। हालांकि पार्टी सूत्रों की एक राय और भी है। उनका कहना है कि पार्टी ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल को लेकर जो सर्वे कराया है, उसके नतीजे भाजपा के लिए सुखद नहीं हैं।

महंगा पड़ सकता है तीन मुख्यमंत्रियों का दांव

अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा को पांच साल में तीन मुख्यमंत्रियों का दांव महंगा पड़ सकता है। पार्टी इससे पहले भी वर्ष 2007 में यह प्रयोग कर चुकी है। वर्ष 2007 से 2012 के बीच पांच सालों में भाजपा ने तीन बार मुख्यमंत्री बदले। 8 मार्च 2007 को भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन वह 23 जून 2009 तक ही इस पद रह सके। इसके बाद बीजेपी ने खंडूड़ी की जगह रमेश पोखरियाल निशंक को सत्ता की कमान सौंपी। इसके बाद हुये चुनाव में परिणाम सुखद नहीं आये और सत्ता हाथ से चली गयी |

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