Tuesday, May 13, 2025
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उत्तराखंड में 15 सितंबर से शुरू होगा खेल महाकुंभ, खेल दिवस पर क्रिकेट खिलाड़ियों को सम्मानित करेंगे मुख्यमंत्री

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देहरादून, प्रदेश में 15 सितंबर से खेल महाकुंभ आयोजित कराने के खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने
निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 29 अगस्त को खेल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के सहयोग से क्रिकेट खिलाड़ियों को सम्मानित करेंगे। यह सम्मान उन खिलाड़ियों को दिया जाएगा, जिन्होंने बीसीसीआइ द्वारा विभिन्न प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है।

खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने शनिवार को खेल एवं युवा कल्याण विभाग की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने खेल विभाग को जनजातीय खिलाड़ियों के उत्साहवर्द्धन के लिए ऊधमसिंह नगर में जनजातीय खेल महोत्सव का आयोजन कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके तहत राज्य स्तरीय वालीबाल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाए। जिसमें राज्य की सभी जनजातीय समूहों की टीमों को आमंत्रित किया जाए। उन्होंने बालक व बालिकाओं की राज्य स्तरीय वालीबाल प्रतियोगिता आयोजित करने के भी निर्देश दिए।

खेल मंत्री ने युवा कल्याण अधिकारियों को 15 सितंबर से खेल महोत्सव आयोजित करने के निर्देश देते हुए कहा कि इसकी तैयारियां अभी से शुरू की जाएं। उन्होंने युवक मंगल एवं महिला मंगल दलों को प्रोत्साहन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए शीघ्र कार्ययोजना बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि 23 अगस्त को दोपहर एक बजे नवोदय विद्यालय स्थित वर्चुअल स्टूडियो के माध्यम से वह संवाद भी करेंगे। उन्होंने शीघ्र ही राज्य की खेल नीति का यथाशीघ्र लागू करने के भी निर्देश दिए।

चर्चा में ‘प्यारी पहाड़न’ रेस्टोरेंट : नाम पर विवाद और समर्थन, अब पक्ष में उतरे पूर्व सीएम हरीश और आप नेता जुगरान

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देहरादून, पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के नारे को साकार करता ‘प्यारी पहाड़न’ रेस्टोरेंट आजकल खूब चर्चा में है, देहरादून के कारगी चौक के निकट खुला यह रेस्टोरेंट ‘प्यारी पहाड़न’ नाम पर विवाद और समर्थन के चलते यह इंटरनेट मीडिया पर काफी वायरल हो चुका है। अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और आम आदमी पार्टी नेता रविंद्र जुगरान भी प्यारी पहाड़न रेस्टोरेंट के पक्ष में उतर आए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से रेस्टोरेंट की संचालिका प्रीति मेंदोलिया को आशीर्वाद दिया और आम जन से एक बार परिवार के साथ इस रेस्टोरेंट में आने की अपील की।

प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि इस रेस्टारेंट में उत्तराखंडी उत्पाद से बने भोजन की चर्चा हो रही है। फूड सेक्टर में उत्तराखंड की बेटी व बहनें आगे आएं, इसलिए हमने भी प्रयास किया था। जिसके तहत इंदिरा अम्मा कैंटीन खोली थी। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि सड़क किनारे बने कई ढाबों में उत्तराखंड का भोजन परोसा जा रहा है। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इंटनेट मीडिया के माध्यम से प्रीति को बधाई दी और आगे बढ़ने को समर्थन किया। आम आदमी पार्टी नेता रविंद्र आनंद प्यारी पहाड़न रेस्तरां पहुंचे और संचालक प्रीति मेंदोलिया से मिले। कहा कि वह उनके साथ हैं।

पहाड़ी संस्कृति और खानपान को बढ़ावा देने की कोशिश
प्रीति मैंदोलिया ने कहा कि मैंने पहाड़ी संस्कृति और पहाड़ के खानपान को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए ‘प्यारी पहाड़न’ रेस्टोरेंट की शुरुआत की है. प्रीति ने बताया कि मैं पौड़ी जिले से हूं और क्योंकि मैं खुद पहाड़ी हूं तो मैंने अपनी संस्कृति से जुड़ा नाम रखने का सोचा. लेकिन 1 अगस्त को रेस्तरां खुलने के एक घंटे के अंदर ही खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए सुरेंद्र रावत नाम का एक व्यक्ति आया और रेस्टोरेंट के नाम को लेकर आपत्ति जताने लगा. उसने रेस्टोरेंट के बाहर से ही फेसबुक लाइव किया और रेस्टोरेंट के नाम ‘प्यारी पहाड़न’ को लेकर आपत्तिजनक बताया |

एक फरवरी को कारगी चौक के निकट एकता एन्क्लेव में प्यारी पहाड़न रेस्टोरेंट खुला। जिसके नाम पर विवाद हो गया था। रेस्टोरेंट संचालिका को पीटने और जान से मारने की धमकी के मामले में पटेलनगर कोतवाली पुलिस ने तीन व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर एक आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

वन्दना कटारिया ने किया प्रदेश का नाम रौशन : अरविन्द पाण्डेय

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हरिद्वार 8 अगस्त (कुलभूषण)  विद्यालयी शिक्षा;बेसिक एवं माध्यमिकद्ध खेल युवा कल्याणए पंचायती राज संस्कृत शिक्षा अरविन्द पाण्डेय  ने रविवार को भारतीय हाकी टीम की सदस्य कु वन्दना कटारिया के परिजनों.माता सौरण कटारिया भाईयों  चन्द्रशेखर कटारिया  लाखन कटारिया  पंकज कटारिया सौरभ कटारिया से रोशना बाद ग्राम स्थित उनके निवास  पर मुलाकात की तथा हार्दिक बधाई देते हुये पूरे परिवार को पुष्पगुच्छ भेंटकर एवं शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।

इस अवसर पर अरविन्द पाण्डेय   ने वन्दना कटारिया को अन्तर्राष्ट्रीय महिला हाकी में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के फलस्वरूप शिक्षा विभाग द्वारा जनपद हरिद्वार की बेटी बचाओ.बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम की वर्ष 2020.21 की ब्राण्ड एम्बैसडर घोषित कियाए जिसका प्रमाण पत्र वन्दना कटारिया की माता सौरण कटारिया को प्रदान किया।

इस मौके पर बोलते हुये अरविन्द पाण्डेय ने कहा कि सुश्री वन्दना कटारिया ने पूरे विश्व में देश व उत्तराखण्ड का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि वन्दना को आगे बढ़ाने में उनके परिजनों ने जो हर कदम पर सहयोग व योगदान दिया हैए वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इस देश के अन्दर एक से एक उदीयमान खिलाड़ी हैं। बन्दना कटारिया ने अभाव के बीच संघर्ष करते हुये आज पूरे विश्व में देशए प्रदेश तथा अपना नाम रोशन किया है।

अरविन्द पाण्डे ने टोक्यो ओलम्पिक में वन्दना कटारिया नीरज चोपड़ा आदि खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन का उल्लेख करते हुये कहा कि खेल के क्षेत्र में इन बच्चों ने अच्छी शुरूआत की है तथा नये बच्चों के लिये रास्ता खोला है। उन्होंने उत्तराखण्ड खेल नीति का उल्लेख करते हुये कहा कि हमने बड़े मन से खेल नीति बनाई है। इस खेल नीति में हमने बच्चों को आकर्षित करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीयए राष्ट्रीय प्रदेश आदि स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर सरकारी सेवाओं में उन्हें अवसर देने की व्यवस्था की है।
आदेश चैहान विधायक रानीपुर ने इस मौके पर वन्दना कटारिया के परिजनों को बधाई दी
इस अवसर पर के0 के0 मिश्रा अपर जिलाधिकारी;वित्त एवं राजस्वद्धए डा आनन्द भारद्वारए मुख्य शिक्षा अधिकारी सन्तोष कुमार चमोलाए जिला सन्दर्भ व्यक्ति समग्र शिक्षा सुनील डोभाल जिला क्रीड़ा अधिकारी सहायक क्रीड़ाधिकारीए राकेश यादव सीओ बुग्गावाला शिक्षक नेहा जोशी सुनील सैनी विभिन्न खेलों के खिलाड़ी सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण तथा पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

अमरीश विचार मंच के माध्यम से उनकी विचार धारा को आगे बढ़ाने का काम करेंगे  : मुरली

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हरिद्वार 8 अगस्त (कुलभूषण)  पूर्व विद्यायक स्व0 अमरीष कुमार की राजनीति विरासत को आगे बढाने का काम उनके पांच दषक तक के साथी रहे श्रमिक नेता मुरली मनोहर अमरीष कुमार विचार मंच के माध्यम से करेगें इस बारे में जानकारी देते हुए मुरली मनोहर ने बताया कि अमरीष कुमार ने हमेषा से समाज के आम पिछडे व कमजोर वर्ग की आवाज बनकर उनके अधिकारों की लडाई को लडने का काम अपनी लम्बे राजनैतिक जीवन में गाधीवादी विचार धारा पर चलकर किया

मुरली मनोहर ने कहा की अमरीष कुमार के सभी साथियो ने आम राय से यह तय किया की आने वाले समय में सभी मुरली मनोहर के नेतृत्व में अमरीष कुमार के विचारो को जिन्दा रखने का काम करते हुए गाधीवादी विचार धारा के साथ कंाग्रेस की आमजनता व कमजोर वर्ग के हीतो की लडाई लडने की नीति का समर्थन करने का काम करेगे
उन्होने कहा की अमरीष कुमार ने जीवन भर फिरकापरस्त राजनीति का विरोध कर देष को जोडने व सभी को साथ लेकर जनहीत के लिए संघर्श करने का काम किया उसी दिषा पर हम सभी मिलकर चल आम जादमी के अधिकारो के लिए संघर्श करने का काम करेगें

विदित हो की अमरीष कुमार के लम्बे राजनैतिक सफर में श्रमिक नेता मुरली मनोहर ने हमेषा से उनके कन्धे से कन्धा मिलाकर चलने का काम किया एक समय में राजनैतिक गलियारो में मुरली अमरीष को एक ही व्यक्ति का नाम समझा जाता था

गौरवपूर्ण विरासत का सफरनामा : दून के प्रसिद्ध ब्रांड ‘आनंदम’ ने पूरे किये 120 साल

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देहरादून, उत्तराखण्ड़ की राजधानी देहरादून के सुप्रसिद्ध ब्रांड ‘आनंदम’ ने हाल ही में अपनी 120 साल की विरासत पूरी की । वर्ष 1901 में घी के कारोबार से शुरू हुआ यह सफर आज भी निर्बाध गति से जारी है, आनंदम की विरासत की शुरुआत सुमित के परदादा गद्दारमल गणेशी लाल से हुई बाद मेंउनके दादा लाला प्रह्लाद स्वरूप गुप्ता, जिन्हें प्रह्लाद रेवाड़ी वाले के नाम से भी जाना जाता है, वे बेहतरीन रेवाड़ी और गजक बनाने के लिए प्रसिद्ध थे।

वर्ष1974 में सुमित के पिता आनंद स्वरूप गुप्ता ने ‘गुप्ता स्वीट्स’ की नींव रखी। गुप्ता परिवार की चौथी और वर्तमान पीढ़ी सुमित खंडेलवाल ने अपने परिवार के नक्शेकदम पर चलते हुए इस विरासत को आगे बढ़ाया। उन्होंने दिन रात मेहनत कर 2009 में आनंदम के रूप में अपने सपने को आकार दिया।

वर्षों से आनंदम अपने ग्राहकों को अतुलनीय गुणवत्ता की पेशकश देता आया है और देखते ही देखते देहरादून शहर में सबसे लोकप्रिय आउटलेट में से एक के रूप में उभरा है। बेजोड़ विरासत के 120 साल पूरे करने के अवसर पर, आनंदम को चलाने वाली वर्तमान पीढ़ी के मुखिया सुमित खंडेलवाल ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे यह ब्रांड पूरे देश में खुशियां की लहर फैलता आ रहा है। वीडियो के बारे में बताते हुए, सुमित ने कहा, “आनंदम के अस्तित्व के 120 साल पूरे होने पर हम एक ऐसा वीडियो जारी करना चाहते थे, जिसमें आनंदम को इस मुकाम पर पहुंचाने के पीछे उन सभी महारथियों की कहानी दर्शायी जा सके। हम उत्तराखंड और पूरे देश भर के उन सभी वासियों के तहे दिल से आभारी हैं जिन्होंने हमें इतना प्यार दिया और इस मुकाम तक पहुंचाया।”

जब से आनंदम का वीडियो ऑनलाइन जारी किया गया है, यह काफी चर्चित हो गया है और इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपार मान्यता मिली है। वीडियो के माध्यम से दर्शकों को देहरादून शहर के खूबसूरती और गुप्ता स्वीट्स को आनंदम में तब्दील होने के अंतर्दृष्टिपूर्ण सफर के बारे में बताया गया है, इस गौरवपूर्ण क्षण के वीडियो को 10 दिनों में सोशल मीडिया पर 3.5 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है।

जज्बा – ईएमटी प्रेरणा के जज्बे ने राखी को दिया नया जीवन

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” प्रसव पीड़ा से जूझ रही राखी को रैफरल सेंटर बने जिला अस्पताल का भी नहीं मिल सका सहारा। ईएमटी प्रेरणा विष्ट की सूझ बूझ व जज्बे ने जंगल में सड़क किनारे राखी का सुरझित प्रसव करा कर पहाड़ की चुनौतियों व बदहाल स्वास्थ्य ब्यवस्था को बौना साबित कर दिया”।

(देवेन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग- पहाड़ की पहाड़ जैसी समस्याओं व सरकारी तंत्र की उदासीनता के चलते होने वाली परेशानियों के किस्से आये दिन सुनने को मिलते हैं। पर जब इन तमाम परिस्थितियों को अपनी जिम्मेदारी व जज्बे से कोई बोना साबित कर दे तो निश्चित ही ऐसा ब्यक्तित्व सलामी का हकदार हो जाता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया रुद्रप्रयाग की बेटी 108 सेवा में कार्यरत ईएमटी प्रेरणा विष्ट ने।

मामला खांकरा – डुंगरी पंथ मोटर मार्ग का है जब दो- दो अस्पतालों के विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा प्रसव बेदना से कराह रही एक महिला को राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने के बाबजूद भी हायर सेंटर को रैफर कर दिया तब 108 मे सेवा दे रही इमरजेंसी मेडिकल टैक्नीसियन महिला का सहारा बनी।

नागनाथ पोखरी के जौरासी गाँव की राखी देवी पत्नी रंजीत को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों द्वारा उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पोखरी लाया गया जहाँ डॉक्टरों ने महिला में हीमोग्लोबिन की कमी होने कारण डिलवरी करवाना उचित नहीं समझा व जिला अस्पताल रूद्रप्रयाग रेफर कर दिया। 108 सेवा के माध्यम से महिला को जिला अस्पताल रूद्रप्रयाग पहुँचाया गया लेकिन यहाँ भी तमाम सुविधाओं उपलब्ध होने के बाबजूद राखी देवी को श्रीनगर के लिए रेफर कर दिया। जबकि श्री नगर व रुद्रप्रयाग के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग लैंड स्लाइड के चलते बंद पड़ा था। कहते है “मरता क्या नहीं करता” प्रसव वेदना से कराह रही राखी देवी को परिजन 108 सेवा के माध्यम से श्रीनगर के लिये चल पड़े । राखी देवी की गम्भीर स्थिति को देखते हुये

108 सेवा में तैनात ईएमटी प्रेरणा विष्ट व चालक मनोज रावत ने वैकल्पिक मार्ग खांकरा-खेड़ाखाल-डुंगरीपंत से जाने का निश्चिय किया। उधर प्रसव पीड़ा से जूझ रही राखी देवी की स्थिति लगातार गम्भीर होती जा रही थी। उबड़ खाबड़ व संकरा मोटर मार्ग होने के कारण सबकी चिन्ताएं बड़ रही थी असहनीय दर्द से कराह रही राखी देवी की स्थिति को देखते हुए ईएमटी प्रेरणा ने सूझबूझ व जज्बे का परिचय देते हुए पोखरी-चौराकंडी के बीच 108 रूकवाकर कार्यकुशलता का परिचय देते हुए अल्प संसाधनों में महिला राखी देवी का सुरक्षित प्रसव करवा दिया। जहां एक ओर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने के बाद भी जिम्मेदारियों से किनारा कर संसाधन युक्त जिला अस्पताल से प्रसव पीड़ा से जूझ रही राखी देवी को रेफर किया गया वहाँ अपनी जिम्मेदारी व जज्बे के दम पर ईएमटी प्रेरणा विष्ट ने राखी देवी का सुरझित प्रसव करा कर गैर जिम्मेदार व मानवीय मूल्यों को न समझने वाले सरकारी तंत्र व उनके नुमाइंदों को झकझोरने को मजबूर कर दिया।

मूल रूप से रुद्रप्रयाग बनियाड़ी गॉव की इस बेटी की सभी भूरि भूरि प्रशंसा कर रहे है। छैत्र पंचायत प्रमुख अगस्त्यमुनि जो कि राखी देवी के साथ थी प्रेरण के इस जज्बे से वेहद खुश थी उनका कहना है कि जिस कार्य को करने में कुशल डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिये उसे प्रेरणा ने विषम परिस्थितियों के बीच सूझबूझ के साथ सफलता पूर्वक कर दिखाया।
प्रसूता राखी देवी व उनके परिजनों ने ईएमडी प्रेरणा व चालक मनोज रावत का धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी जिम्मेदारियों का कुशलता पूर्वक निर्वहन किया जिसके चलते राखी देवी को नया जीवन मिला।

सरहद पर खङे रखवालों को दिल से सलाम: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

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देहरादून, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आईटीबीपी एकेडमी, मसूरी में आई०टी०बी०पी० के 42 सहायक सेनानी (जी.डी.) एवं 11 सहायक सेनानी ( अभियन्ता ) की पासिंग आउट परेड समारोह में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने सभी 53 प्रशिक्षणार्थी अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें आईटीबीपी जैसे उत्कृष्ट बल में सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है। जिसके हिमवीर लद्दाख के कराकोरम पास से अरुणाचल प्रदेश के जेचप ला तक 3488 कि०मी० की अति दुर्गम सीमा की सुरक्षा पूरी मुस्तैदी के साथ कर रहे है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश के वीर सैनिकों ने आजादी के बाद हर संघर्ष में अप्रतिम शौर्य का परिचय दिया है। मुख्यमंत्री ने बल के शहीदों को नमन करते हुए कहा कि शहीदों की शहादत के कारण ही आज हम सुरक्षित हैं।

“ये देश चैन से सोता है, वो पहरे पर जब होता है,
जो आँख उठाता है दुश्मन तो अपनी जान वो खोता है, उनकी वजह से आज सुरक्षित ये सारी आवाम है,
सरहद पर खड़े रखवालों को दिल से मेरा सलाम है।”

*आईटीबीपी के हिमवीरों का सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान*

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं एक पूर्व सैनिक के पुत्र हैं और इस कार्यक्रम में प्रतिभाग कर उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है, ‘वीर भोग्या वसुन्धरा’। हमारे आईटीबीपी के हिमवीर हमेशा मातृभूमि की सुरक्षा, अपने ध्येय वाक्य “शौर्य दृढता, कर्म निष्ठा के साथ करते है। हिमालय में माउन्टेन क्लाईमबिंग हो या रीवर राफ्टिंग जैसे साहसिक खेल-कूद या फिर सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों के लिये कल्याणकारी गतिविधियों का आयोजन, प्रत्येक क्षेत्र में इस बल ने न केवल अमिट छाप छोड़ी है, बल्कि अन्य बलों के लिए उदाहरण भी प्रस्तुत किये है।

*मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में आपदा के दौरान सहायता के लिए आईटीबीपी का आभार व्यक्त किया*

मुख्यमंत्री ने कहा कि बल द्वारा आपदा प्रबंधन में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। बल के हिमवीरों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं एवं दुर्घटनाओं के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों को बेहद तत्परता एवं कुशलता के साथ किया है।  2013 की केदारनाथ आपदा तथा 2021 में तपोवन आपदा के समय आईटीबीपी के द्वारा आपदा प्रबंधन हेतु किये गये प्रयासों से जान माल की क्षति को काफी हद तक कम किया जा सका। इस बल द्वारा हमारे राज्य में कैलाश मानसरोवर यात्रा, चार धाम यात्रा तथा राज्य के सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों में यात्रियों एवं आमजनमानस को सुरक्षा एवं मेडिकल कवर प्रदान करवाने की जिम्मेदारी को लगातार कई वर्षों से सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने राज्य की समस्त जनता की ओर से बल कर्मियों के इस अमूल्य योगदान के लिए आभार व्यक्त  किया।

*सैनिकों के परिजनों के दर्द को महसूस किया है: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी*

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सैनिक की वीरता तो बाल्यकाल से देखी ही है पर उनके परिजनों का संघर्ष भी देखा है।  उस माँ बाप का दर्द देखा है जिसका बेटा सीमा पर देश की आन, बान शान के लिये लड़ रहा है। उस पत्नी के आँखों की विकलता देखी है जो पति के आने की बाट जोहते-जोहते कब बूढी व बीमार हो जाती है पता ही नही चलता।  उन बच्चों की सिसकती हुई किलकारियों को सुना है जो अपने पिता से गले मिलने को व्याकुल हों। कितना संघर्ष है एक सैनिक के जीवन में परन्तु इसके बावजूद भी वो दृढता पूर्वक अपने देश के स्वाभीमान को बचाने के लिये हमेशा तत्पर रहता है। मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षणार्थी अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे पूरे समर्पण के साथ कार्य करेंगे और हमेशा अपने मातहतों के कल्याण को ध्यान में रखेंगे। एक कुशल और योग्य लीडर के रूप में अपने आपको साबित करेंगे। मुख्यमंत्री ने अकादमी के प्रशिक्षण स्टाफ को भी उत्कृष्ठ स्तर का प्रशिक्षण देने के लिए बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी इसी प्रकार का बेहतरीन प्रशिक्षण प्रदान करते रहेंगे।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी, श्री सुरजीत सिंह देसवाल, (IPS) महानिदेशक, भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल, उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार, एडीजी श्री अभिनव कुमार ,श्री दलजीत सिंह चौधरी, श्री मनोज रावत एडीजी आईटीबीपी,  श्री निलाभ किशोर, (IPS) महानिरीक्षक / निदेशक, भारत तिब्बत सीमा पुलिस अकादमी, श्री अजयपाल सिंह, ब्रिगेडियर डाॅ रामनिवास, सहित अन्य विशिष्ट जन उपस्थित थे।

टोक्यो ओलंपिक : पहली बार भारत को मिले 7 मेडल, जानें इतिहास बदलने वाले हर एक की कहानी..!

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(अभिनय आकाश)

टोक्यो, जापान के टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू हुए ओलंपिक खेलों के आयोजन का 8 अगस्त यानी रविवार के दिन समापन हो जाएगा। लेकिन भारत के लिहाजे से देखें तो आज ही उसके सारे मैच खत्म हो गए। इस बार के टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत ने कुल 7 मेडल जीते। भारत का अब तक तक इससे पहले सबसे अच्छा प्रदर्शन लंदन के 2012 ओलंपिक में रहा था जहां उसके खाते में 6 पदक आए थे।

वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने खोला खाता

ओलंपिक में मीराबाई चानू से पदक की उम्मीद तो की जा ही रही थी और इसमें उन्होने देश को निराश नहीं किया। टोक्यो ओलंपिक में मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में भारत का सिल्वर मेडल से खाता खोला। वेटलिफ्टिंग के 49 किलोग्राम वर्ग में चानू को सिल्वर मेडल मिला। मीराबाई ने रजत पदक जीतने के बाद कहा कि उनका सपना साकार हो गया है लेकिन इसे साकार करने के लिए उन्हें दिन-प्रतिदिन एक के बाद एक बाधाओं को पार करना पड़ा। इम्फाल से लगभग 20 किमी दूर नोंगपोक काकजिंग गांव की रहने वाले मीराबाई छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। उनका बचपन पास की पहाड़ियों में लकड़ियां काटते और एकत्रित करते तथा दूसरे के पाउडर के डब्बे में पास के तालाब से पानी लाते हुए बीता। मीराबाई के जज्बे का अंदाजा इस बात से लगता है कि एक बार जब उनका भाई लकड़ियां नहीं उठा पाया तो वह 12 साल की उम्र में दो किलोमीटर चलकर लकड़ियां उठाकर लाई। चानू ने अपने जीवन में काफी पहले फैसला कर लिया था कि वह खेलों से जुड़ेंगी। अपने की राज्य मणिपुर की दिग्गज भारोत्तोलक कुंजरानी देवी के बारे में पढ़ने के बाद वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी उपलब्धियों से प्रभावित हुई। मीराबाई ने अपना पहला राष्ट्रीय पदक 2009 में जीता। वह इसके बाद काफी जल्दी आगे बढ़ी और उन्होंने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक हासिल किया। रियो ओलंपिक 2016 में पदक की प्रबल दावेदार तब 21 बरस की मीराबाई का दिल उस समय टूट गया जब वह क्लीन एवं जर्क में अपने तीनों प्रयासों में नाकाम रही और इसके कारण उनका कुल वजन रिकॉर्ड नहीं हुआ। मणिपुर की इस खिलाड़ी ने इस निराशा से उबरते हुए अगले साल 2017 विश्व चैंपियनशिप में खिताब जीता। वह इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में दो दशक से अधिक समय में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक बनीं। कुछ महीनों बाद मीराबाई ने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक हासिल किया।

लवलीना ने अपने पंच से भारत के लिए मेडल किया पक्का

बचपन में मोहम्मद अली की कहानी सुनकर बॉक्सिंग की ओर कदम बढ़ाने वाली लवलीना बॉरगोहेन ने टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। अपना पहला ओलंपिक खेल रही लवलीना बोरगोहेन (69 किलो) ने पूर्व विश्व चैम्पियन चीनी ताइपै की नियेन चिन चेन को हराकर मुक्केबाजी स्पर्धा में भारत का पदक पक्का कर दिया। असम के गोलाघाट में 2 अक्टूबर 1997 को टिकेन और मामोनी बॉरगोहेन के घर लवलीना का जन्म हुआ। उनके पिता टिकेन एक छोटे व्यापारी थे और 1300 रुपये महीना कमाते थे। लवलीना की दो बड़ी जुड़वां बहनों लिचा और लीमा ने भी राष्ट्रीय स्तर पर किक बॉक्सिंग स्पर्धा में भाग लिया, लेकिन दोनों इसके आगे नहीं बढ़ सकीं। इधर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने लवलीना की दक्षता का अंदाजा लगातार नौंवी कक्षी में ही उसे परंपरागत करने का बीड़ा उठाया। लवलीना का बॉक्सिंग सफर 2012 से शुरू हो गया। पांच साल के भीतर ही वो एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज तक पहुंच गई। असम से ओलंपिक की राह इतनी आसान नहीं थी। विश्व व्यापी मुकाबले में जहां हर कोई जी-तोड़ कोशिश और अभ्यास में लगा था लेकिन इन सब से इतर लवलीना अपनी मां के स्वास्थ्य को लेकर संघर्षर्त थीं। उनकी मां का किडनी ट्रांसफ्लांट होना था। जिसकी वजह से वे बॉक्सिंग से दूर और मां के करीब थीं। मां की सफल सर्जरी के बाद ही लवलीना वापस अभ्यास के लिए गईं। कोरोना की सेंकेंड वेब की वजह से बंद कमरे में ही लवलीना ने वीडियो का सहारा लेकर ट्रेनिंग किया।

हर दांव को धता बताते हुए रवि दाहिया ने दिलाया दूसरा सिल्वर

कुश्ती रवि दहिया के कमाल और धमाल ने पूरी दुनिया में हिंदुस्तान का ढंका बजाया और भारत को दूसरा सिल्वर मेडल भी दिलवाया। रवि ने सेमीफाइनल मैच में हार के मुंह से जीत को निकालते हुए भारतीय टीम को उसका चौथा मेडल दिलवाया था जिसके बाद से उनसे गोल्ड मेडल की आस बढ़ गई थी। लेकिन फाइनल में दहिया रूसी ओलंपिक समिति के मौजूदा विश्व चैंपियन जावुर युगुएवसे 4-7 से हार गये। रवि कुमार दहिया ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले भारत के दूसरे पहलवान हैं और इससे पहले सुशील कुमार ने 2012 के ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। रवि दहिया ने 2015 में अंडर-23 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था जिससे उनकी प्रतिभा की झलक दिखी थी। उन्होंने प्रो कुश्ती लीग में अंडर-23 यूरोपीय चैम्पियन और संदीप तोमर को हराकर खुद को साबित किया। दहिया के आने से पहले तोमर का 57 किग्रा वर्ग में दबदबा था। 019 विश्व चैम्पियनशिप में उन्होंने सभी आलोचकों को चुप कर दिया। उन्होंने 2020 में दिल्ली में एशियाई चैम्पियनशिप जीती और अलमाटी में इसी साल खिताब का बचाव किया।

41 साल बाद हॉकी की खोई चमक आई वापस

41 साल बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम को पदक मिलने के बाद ओलंपिक में भारतीय हॉकी में सूखे के दौर पर विराम लग गया। बहुत दिन बाद हुआ है कि हॉकी चर्चा में लौटी बल्कि ओलंपिक जैसे प्रतिष्ठित खेल उत्सव में बढ़िया प्रदर्शन किया है। मेडल तो आया ही है लेकिन ये बात तथ्य है कि हॉकी अब निराशा के अंधेरे से बाहर आकर चमक रही है। हॉकी में भारत को आखिरी गोल्ड मेडल मास्को के ओलंपिक में मिला था। उसके बाद फिर दोबारा हमारी टीम पोडियम तक नहीं पहुंच सकी। कांस्य हमारी आखिरी उम्मीद थी, अगर हम ये हार जाते तो दुनिया हॉकी के लिए भारत को याद नहीं करती। हॉकी के खेल में हुआ एक बदलाव भी था। तब तक हॉकी का खेल घास के मैदान से आर्टिफिशियल ग्रास पर शिफ्ट हो गया था। 1976 में पहली बार जब इन बदलावों के साथ खेल हुए तो भारत सातवें स्थान पर रहा। वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक में तो हॉकी में हमारा देश क्वालिफाई ही नहीं कर पाया। लेकिन ये भारतीय हॉकी टीम का कमाल ही था जिसके बाद जिस देश में खेल का मतलब सिर्फ क्रिकेट होता है उस देश में आज हॉकी की कितनी चर्चा हो रही है।

दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पीवी सिंधु

भारत की पीवी सिंधु ने चीन की ही बिंग जियाओ को 21-13, 21-15 से हराकर टोक्यो ओलंपिक में बैडमिंटन महिला एकल का ब्रॉन्ज़ मेडल जीता। इसके साथ ही सिंधु दो ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। दुनिया की सातवें नंबर की खिलाड़ी सिंधू ने मुसाहिनो फॉरेस्ट स्पोर्ट्स प्लाजा में 53 मिनट चले कांस्य पदक के मुकाबले में चीन की दुनिया की नौवें नंबर की बायें हाथ की खिलाड़ी बिंग जियाओ को 21-13, 21-15 से शिकस्त दी। सिंधू को सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 18-21, 12-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। पीवी सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 को आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में हुआ। उनके माता-पिता राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। उनके पिता पीवी रमाना ने 1986 के सियोल एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। बैडमिंटन में पुलेला गोपीचंद के प्रदर्शन को देखकर पीवी सिंधु ने अपने हाथ में बैडमिंटन थाम लिया और आठ साल की उम्र में ही वो इस खेल को नियमित रूप से खेलने लगीं। पहले रियो ओलंपिक में सिल्वर, फिर चीन ओलंपिक में गोल्ड, जापान बैडमिंटन चैपिंयनशिप में गोल्ड और अब वर्ल्ड चैंपियन का खिताब। सिंधु के कदम हर अग्निपथ को पार करते हुए हर कदम पर चुनौतियों को चूमते गए। लेकिन मजबूत हौसले ने कभी उन्हें हारने नहीं दिया। साल 2017 में फाइनल में पहुंचकर विश्व खिताब के नजदीक जाकर भी सिंधू चूक गईं। लेकिन दो सालों में सिंधु ने खुद को फिर तैयार किया और नए जंग के लिए वो चल पड़ी। आखिर में जीत को अपने कदमों में खींच लिया।

कड़ी मेहनत और त्याग के बाद मिला बजरंग को सिल्वर

भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया भले ही स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाये हों लेकिन उन्होंने आज कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से हराकर टोक्यो ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता में पुरुषों के 65 किग्रा भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया। बजरंग पूनिया को यह सफलता वर्षों की कड़ी मेहनत और त्याग के बाद मिली है। बजरंग 2008 में जब 34 किलो के थे तब मछरोली गांव के एक दंगल में उन्होंने लगभग 60 किग्रा के पहलवान के खिलाफ कुश्ती करने की अनुमति मांगी। 2008 में उनके पिता बलवान सिंह ने उनका नामांकन प्रसिद्ध छत्रसाल स्टेडियम में कराया। बजरंग दो साल में एशियाई कैडेट चैंपियन बन गए और 2011 में उन्होंने खिताब का बचाव किया। उन्हें सबसे बड़ी सफलता तब मिली जब उन्होंने 2018 विश्व चैम्पियनशिप रजत पदक जीता। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीता था। उन्होंने 2019 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक कोटा हासिल किया।

टूटी कलाई नहीं तोड़ पाई नीरज का हौंसला

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत ने इतिहास रच दिया। 13 साल बाद भारत में एक बार फिर ओलंपिक का गोल्ड मेडल आ गया है। तेरह सालों के लंबे इंतजार के बाद इसे भारत के सुपर जेवलियन थ्रोअर नीरज चोपड़ा लेकर आए हैं। ओलंपिक खेलों के इतिहास में पहली बार भारत का कोई खिलाड़ी एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब हुआ है। नीरज से पहले साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने निशानेबाजी में गोल्ड मेडल जीता था। इन दोनों के अलावा भारत मेन्स हॉकी ने आठ गोल्ड मेडल जीते हैं। लेकिन ओलंपिक खत्म होते-होते नीरज का गोल्ड भारतीयों के लिए गर्व का पल है। हरियाणा के खांद्रा गांव के एक किसान के बेटे 23 वर्षीय नीरज ने टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक के फाइनल में अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंककर दुनिया को स्तब्ध कर दिया और भारतीयों को जश्न में डुबा दिया। अनुभवी भाला फेंक खिलाड़ी जयवीर चौधरी ने 2011 में नीरज की प्रतिभा को पहचाना था। नीरज इसके बाद बेहतर सुविधाओं की तलाश में पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में आ गये। बास्केटबॉल खेलने के दौरान एक बार नीरज की कलाई की हड्डी टूट गई थी। जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें छह महीने आराम की सलाह दी थी। लेकिन नीरज ने हार नहीं मानी। इस दौरान उनका वजन 82 किलो तक बढ़ गया था। कलाई ठीक होने के बाद लगातार 4 महीेने तक एक्सरसाइज कर उन्होंने अपने वजन को मेंटेन किया।

2012 के आखिर में वह अंडर-16 राष्ट्रीय चैंपियन बन गए थे। उन्हें इस खेल में अगले स्तर पर पहुंचने के लिए वित्तीय मदद की जरूरत थी जिसमें बेहतर उपकरण और बेहतर आहार की आवश्यकता थी। ऐसे में उनके संयुक्त किसान परिवार ने उनकी मदद की और 2015 में नीरज राष्ट्रीय शिविर में शामिल हो गए। वह 2016 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर के अंडर-20 विश्व रिकॉर्ड के साथ एक ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद सुर्खियों में आये और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

हरिद्वार : जन समस्याओं की सुनवाई एवं समय से निस्तारण शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता : जिलाधिकारी

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‘प्रत्येक माह में पड़ने वाले प्रथम एवं तृतीय मंगलवार को संबंधित उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तहसील दिवस का आयोजन किया जाएगा’

हरिद्वार (कुलभूषण), जिलाधिकारी हरिद्वार श्री विनय शंकर पाण्डेय ने अवगत कराया कि स्थानीय जन समस्याओं की सुनवाई एवं उनका समय से निस्तारण कराया जाना शासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है, इसलिए स्थानीय जन शिकायतों एवं जन समस्याओं की सुनवाई एवं उनके त्वरित निस्तारण हेतु प्रत्येक माह में पड़ने वाले प्रथम एवं तृतीय मंगलवार को संबंधित उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तहसील दिवस का आयोजन किया जाएगा। इन तहसील दिवसों में सभी संबंधित क्षेत्राधिकारी, तहसीलदार एवं खण्ड विकास अधिकारी को अनिवार्य रूप से उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।

जनपद में प्रत्येक माह में प्रथम एवं तृतीय मंगलवार को तहसील मुख्यालय पर संबंधित उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में प्रातः दस बजे से दोपहर एक बजे तक ‘‘तहसील दिवस’’ का आयोजन किया जाएगा। ये तहसील दिवस दिनांक 17 अगस्त 2021 तृतीय मंगलवार, 07 सितम्बर 2021 प्रथम मंगलवार, 21 सितम्बर 2021 तृतीय मंगलवार, 05 अक्टूबर 2021 प्रथम मंगलवार, 19 अक्टूबर 2021 तृतीय मंगलवार, 02 नवम्बर 2021 प्रथम मंगलवार, 16 नवम्बर 2021 तृतीय मंगलवार, 07 दिसम्बर 2021 प्रथम मंगलवार तथा 21 दिसम्बर 2021 तृतीय मंगलवार को तहसील हरिद्वार/रूड़की/लक्सर एवं भगवानपुर तहसीलों में आयोजित किये जाएंगे।

जिलाधिकारी तहसील दिवसों के कार्यकलापों का पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण करने हेतु रेंडम आधार पर किसी भी तहसील के तहसील दिवस में प्रतिभाग करते हुए अध्यक्षता करेंगे, जिसमें स्वास्थ्य, सेवायोजन, समाज कल्याण (पेंशन आदि), विकासखण्ड, पशुपालन, कृषि, उद्यान एवं तहसील (आय, जाति, स्थाई निवास प्रमाण पत्र आदि) से संबंधित स्टाॅल अनिवार्य रूप से लगाये जाएंगे, जिससे कि आम जनता को अधिकतम लाभ हो सके।

चमोली : बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर भूस्खलन के कारण भरभराकर गिरा 20 कमरों का होटल

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‘देखते ही देखते तीन मंजिला इमारत ताश के पत्तों की तरह खाई में समाई’

चमोली, जनपद के बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर झड़कुला के समीप करीब 200 मीटर तक खतरे की जद में आ गया है। यहां 25 जुलाई को एक 20 कमरों के होटल के नीचे से भूस्खलन हो गया था। आज दोपहर में होटल का एक बढ़ा हिस्सा भरभराकर टूट गया। खतरे को देखते हुए पुलिस और एसडीआरएफ की टीम की ओर से होटल को पूर्व में ही खाली करवा दिया गया था। जिससे कोई जनहानि नहीं हुई। होटल के टूटने की प्रत्यक्षदर्शियों ने फोटो और वीडियो बनाई।

बता दें कि 25 जुलाई को भारी बारिश के दौरान तपोवन-घर विष्णु गाड जल विद्युत परियोजना की सुरंग के आगे से भारी मात्रा में भूस्खलन हो गया था, जिससे बदरीनाथ हाईवे भी झड़कुला के समीप भूस्खलन की जद में आ गया। यहां एक निजी होटल के नीचे से भूस्खलन होने के कारण इसकी कभी भी ढहने की संभावना बनी हुई थी, जिसे देखते हुए जोशीमठ थाना पुलिस ने होटल को खाली करवा दिया था। शनिवार को अचानक दोपहर में होटल भरभराकर चट्टान की ओर ढह गया।

25 जुलाई को तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के सेलंग स्थित टीवीएम साइट के प्रवेश द्वार के ऊपरी हिस्से में भारी भूस्खलन होने से सुरंग का प्रवेश द्वार क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे कंपनी को करोड़ो का नुकसान हुआ था। इससे सुरंग में आवाजाही के लिए टनल के द्वार पूर्ण रूप से बंद हो गया था। भूस्खलन इतना भीषण था कि एक होटल, एक गौशाला क्षतिग्रस्त होने की कगार पर पहुंच गया था। आज प्रसाशन, पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके गयी और वस्तु स्थिति का जायजा लिया | राहत की बात ये रही की जब यह होटल गिरा उस समय कोई कोई भी इस होटल में मौजूद नहीं था। यानी किसी भी तरह के जान माल नहीं हुआ।