Sunday, May 11, 2025
Home Blog

कांग्रेस का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन 12 सेःअमन

0

हरिद्वार  (कुलभूषण)अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा पूरे देश में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं जिसके परिपेक्ष में उत्तराखंड कांग्रेस द्वारा प्रथम चरण में जिलाध्यक्ष व महानगर अध्यक्षों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। अब दूसरे चरण में जिला स्तरीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें ब्लॉक अध्यक्ष व मण्डल अध्यक्षों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है। 12 और 13 मई को गंगा स्वरूप आश्रम में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा। उक्त जानकारी कांग्रेस के हरिद्वार जनपद के जिलाध्यक्ष गणों ने देवपुरा स्थित यूनियन भवन में पत्रकारों को दी।
पत्रकार वार्ता में हरिद्वार महानगर अध्यक्ष अमन गर्ग, ग्रामीण जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी, रुड़की जिलाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी, उत्तराखंड स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष मुरली मनोहर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनोज सैनी, एनएसयूआई के अध्यक्ष याज्ञिक वर्मा आदि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बनबसा की सीमा चौकी पर एस.एस.बी. अधिकारियों व जवानों से की मुलाकात

0

   – सीमाओं की सुरक्षा में तैनात हमारे जवान देश की शान: सीएम धामी
देहरादून(आरएनएस)।   मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को भारत-नेपाल सीमा पर स्थित 57 वाहिनी, सशस्त्र सीमा बनबसा का दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने सीमा सुरक्षा बल (एस.एस.बी.) के अधिकारियों एवं जवानों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने एस.एस.बी. जवानों के अदम्य साहस, कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन की सराहना करते हुए कहा कि सीमाओं की सुरक्षा में तैनात हमारे जवान देश की शान हैं। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल सीमा पर सतर्कता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए राज्य सरकार, केंद्र सरकार एवं सुरक्षा एजेंसियों के साथ पूर्ण समन्वय में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सीमाएं, हमारे सुरक्षाबलों की सहायता से पूरी तरह अभेद हैं, और इनकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री धामी ने सीमा चौकियों की अवस्थापना सुविधाओं, संचार व्यवस्था और जवानों के लिए उपलब्ध अन्य सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की और आवश्यक सुधारों हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने माणा जैसे सीमावर्ती गांवों को “प्रथम गांव” की संज्ञा दी है, जो राष्ट्र की सीमाओं और संस्कृति की पहली पहचान हैं। इन गांवों और सीमाओं की रक्षा में जुटे सभी जवानों को उन्होंने धन्यवाद दिया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने जवानों से वार्ता भी की, उनकी समस्याओं, अनुभवों और ज़मीनी परिस्थितियों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की।
मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की निंदा करते हुए हाल ही में हुए पहलगाम हमले को कायरतापूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इसका मुँहतोड़ जवाब हमारी सेना और सुरक्षाबलों ने दिया है। उन्होंने कहा कि इस समय देशवासियों ने सामूहिक एकता और राष्ट्रवाद का परिचय दिया है – जो किसी भी हथियार से अधिक शक्तिशाली है।
मुख्यमंत्री ने सभी सशस्त्र बलों और सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए राष्ट्र सेवा में उनके समर्पण को नमन किया।
इस दौरान डीआईजी एसएसबी अमित शर्मा, जिलाधिकारी चंपावत नवनीत पांडे, जिलाधिकारी उधम सिंह नगर नितिन भदोरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधम सिंह नगर मणिकांत मिश्रा, पुलिस अधीक्षक चंपावत अजय गणपति सहित एसएसबी के अधिकारी सहित अन्य उपस्थित रहे।

सर्वधर्म गोष्ठी का आयोजन, सीएम और राज्यपाल ने दिया राष्ट्रीय एकता का संदेश

0

देहरादून, राजभवन में सर्वधर्म गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें राज्य के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस गोष्ठी का उद्देश्य देश की एकता, अखंडता एवं सामाजिक समरसता को मजबूत करना रहा।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि यह गोष्ठी राष्ट्र के प्रति हमारे साझा उत्तरदायित्व की अभिव्यक्ति है। उन्होंने सभी धर्मों की शिक्षाओं को एकजुटता, शांति और करुणा से जोड़ा और कहा कि भारत की आत्मा हमारी एकता में बसती है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए सेना और विशेष रूप से देश की बेटियों की भूमिका की सराहना की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जब भी देश पर संकट आता है, तब सभी धर्म, पंथ और समुदाय एकजुट होकर राष्ट्रहित में खड़े होते हैं। उन्होंने धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टांतों से यह समझाया कि धर्म का मूल उद्देश्य सत्य, प्रेम और समरसता की स्थापना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत ने सदैव धर्म और न्याय का पक्ष लिया है और उत्तराखंड की वीर भूमि ने हर संघर्ष में अपनी भूमिका निभाई है।
परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स, बौद्ध धर्मावलंबी सोनम चोग्याल, ब्रदर जोसेफ एम. जोसेफ, सरदार गुरबक्श सिंह राजन सहित अन्य वक्ताओं ने भी भारत की एकता और अखंडता बनाए रखने की कामना की।
इस अवसर पर सचिव राज्यपाल रविनाथ रामन, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी तथा विभिन्न समुदायों के अनुयायी और समाजसेवी भी उपस्थित रहे।

स्लम वासी भी अपने लोग, उन्हें गौरवमय जीवन देना भी हमारा ही दायित्व : जिलाधिकारी

0

“2016 से पहले व 2016 के बाद बसी बस्तियों का 5 दिन के भीतर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश”

देहरादून, जिलाधिकारी सविन बसंल की अध्यक्षता में ऋषिपर्णा सभागार में मलिन बस्तियों के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गई। जिलाधिकारी ने बिंदाल एवं रिस्पना किनारे रिवर फ्रंट पर बसी बस्तियों विस्थापन प्लान को नगर निगम, एमडीडीए के अधिकारियों को प्रभावी प्लान के तहत् कार्य करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वर्ष 2016 से पहले एवं बाद बसी बस्तियों का चिन्हिकरण करते हुए अद्यतन सूची बनाई जाए। उन्होंने मुख्य नगर आयुक्त को निर्देशित किया कि वर्ष 2016 से पहले तथा 2016 के बाद बसी बस्तियों का 05 दिन के भीतर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री का जनभाव सभी नागरिकों को दिलाना है क्वालिटी ऑफ लाईफ का मौलिक अधिकार है। जिसके परिपेक्ष्य में डीएम ने सम्बन्धित रेखीय विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया कि राजधानी को मलिन बस्तीमुक्त कराते हुए, बस्तियों का पुनर्वास किया करने लिए प्रभावी योजना पर कार्य करना है। इसके डीएम ने नगर निगम एवं एमडीडीए के अधिकारियों को मलिन बस्तियों में निवासरत परिवारों के विस्थापन के लिए भूमि चिन्हित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री का जनभाव से प्रेरित डीएम ने स्लम एरियास को दुरूस्त करन की कवायद शुरू कर दी है डीएम ने कहा कि झुग्गी-झोपड़ी मुक्त, स्वच्छ जल; किफायती आवास; बुनियादी नागरिक समुदाय किसी भी महानगर का प्रधान सूचकांक होता हैं । उन्होंने कहा मा0 मुख्यमत्रंी के निर्देशन में सरकार द्वारा बस्तियों में निवासरत नागरिकों गुणवत्तापूर्वक जीवन जीने के लिए संकल्पबद्ध है तथा राजधानी को स्लम, आपद दरिद्रता विहीन लिए किसी को आगे आना ही है इसके लिए प्रशासन प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अधिकारियों को धरातल पर कार्यवाही शुरू करने सख्त निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि गुणवत्तायुक्त जीवन सभी का मौलिक अधिकार, मलिन बस्तिवासियोें को सुरक्षित माहौल देने को प्रशासन प्रतिबद्ध है। डीएम ने कहा कि बहुत जल्द कराउंगा उच्च स्तरीय समीक्षा की जाएगी। उन्होंने सख्त शब्दो में कहा कि कानून के दाव पेंच, जमीन, कार्यक्षेत्र कोई बहाना नही सुनेंगे सम्बन्धित विभाग आ जाएं एक्शन मोड में आने को कहा हैं जिल को स्लममुक्त करने कमिटमेंट कर ली फिर तो यह होना तय है। उन्होंने कहा कि राजधानी को बनाना है स्लम फ्री, बस्तियों के पुनर्वास को प्रभावी कार्ययोजना बनेगी। उन्होंने एमएनए से 05 दिन के भीतर मांगी 2016 से पूर्व एवं बाद की बस्तियों की अद्यतन सूची तलब की है। शहर के नदियों, पृष्टस्थलि पर्यावरणीय स्वास्थ्य सौन्दर्यीकरण की कवायद तेज, डीएम ने मोर्चा संभाल लिया है। डीएम ने कहा स्लमवासी भी अपने लोग, उन्हें गौरवमय जीवन देना भी हमारा ही दायित्व है। इसलिए अधिकारी मैन्टल ब्लॉक को दूर करें, इस थिंकिंग माइंडसेट से निकले बाहर, कि यह इम्पोसिबल टास्क है। स्लम हमारी लापरवाही, असवेंदना से उद्धम होता है, हमें ही इसे ठीक करना है।
जिलाधिकारी ने कहा कि न्यायालय के आदेशों का परिपालन करते हुए मलिन बस्तियों के निवासियों को पुनर्वास नीति बनाते हुए नदी किनारे से अतिक्रमण एवं मलिन बस्तियों को हटाने की कार्यवाही की जानी हैं। हमारा दायत्वि है मलिन बस्ती के लोगों को व्यवसाय से जोड़ते हुए सुरक्षित स्थलों पर पुनवार्सित किया जाना है ताकि बस्तियों की नई पीढी के लिए एक सुरक्षित अच्छा जीवन जीने तथा नदी, नालों को प्रदूषण मुक्त करते हुए उनके बहाव में बाधा न आए। जिले में एलिवेटेड कॉरिडोर रिस्पना नदी पर 11 किमी एवं बिंदाल नदी पर 15 किमी लम्बे चार लेन एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण कार्य प्रस्तावित है। जिसके लिए इन नदियों के भीतर विद्युत लाईन, हाईटेंशन लाईन, सीवर लाईन इत्यादि का नदी से बाहर विस्थापन किया जाना है। एलिवेटेड रोड के साथ नदी के दोनो किनारों पर रिटेनिंग वॉल निर्माण, एवं बाढ सुरक्षा कार्य के साथ ही नदी के पर्यावरणीय स्वास्थ्य सुधार एवं सौन्दर्यीकरण आदि कार्य किये जाने है।
बैठक में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के.के मिश्रा, अपर नगर आयुक्त हेमंत कुमार वर्मा, नगर मजिस्टेªट प्रत्युष सिहं, उप नगर आयुक्त गोपाल राम बिनवाल, अधीक्षण अभियंता सिंचाई शरद श्रीावस्तव च पुरूषोतम, डीजीसी नितिन विशिष्ट, एमडीडीए से अतुल गुप्ता, नीतिन गुप्ता, ईडीएम हरेन्दर शर्मा सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

गूगल क्रोम में आया नया AI ‘सुरक्षा कवच’ Gemini Nano, अब स्कैम वेबसाइटों से मिलेगा छुटकारा

0

नई दिल्ली, अगर आप गूगल क्रोम ब्राउज़र का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। गूगल क्रोम ने अपने यूज़र्स की सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए एक नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) फीचर को लाने का ऐलान किया है। यह नया फीचर यूज़र्स को ऑनलाइन स्कैम और संदिग्ध वेबसाइटों से बचाने में मदद करेगा।
यह नया AI फीचर एक ‘सुरक्षा गार्ड’ की तरह काम करेगा। यदि यूज़र किसी संभावित धोखाधड़ी वाली या गलत वेबसाइट पर जाने की कोशिश करता है, तो उसे पहले ही अलर्ट मिल जाएगा। इस फीचर को क्रोम ब्राउज़र के वर्जन 137 में जोड़ा गया है और उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में इसे बीटा वर्जन में यूज़र्स के लिए रोलआउट किया जाएगा।

क्या है Gemini Nano…?
यह नया फीचर Gemini Nano के नाम से जाना जाएगा। गूगल के अनुसार, Gemini Nano को विशेष रूप से इंटरनेट यूज़र्स की ऑनलाइन सुरक्षा बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह यूज़र्स को नकली और धोखेबाज वेबसाइटों से सावधान करने में मदद करेगा, जिससे इंटरनेट पर खोज करते समय किसी वेबसाइट पर क्लिक करने से जुड़ा डर खत्म होगा।

ऐसे काम करेगा ‘सुरक्षा गार्ड’ :
जब भी आप किसी संदिग्ध वेबसाइट पर जाने की कोशिश करेंगे, तो Gemini Nano फीचर आपको एक ‘फुल पेज वॉर्निंग’ देगा। इसका मतलब है कि आपकी स्क्रीन पर एक चेतावनी वाला पूरा पेज खुल जाएगा, जो आपको स्पष्ट रूप से बताएगा कि आप किसी संदिग्ध या फर्जी वेबसाइट पर जा रहे हैं। इस चेतावनी के बाद, आप खुद यह तय कर सकेंगे कि उस वेबसाइट पर आगे बढ़ना है या सुरक्षित रूप से वापस लौटना है।

फीचर को ऐसे करें एक्टिवेट :
इस नए सुरक्षा फीचर को अपने लैपटॉप या PC पर इस्तेमाल करने के लिए आपको क्रोम की सेटिंग्स में जाना होगा। सेटिंग्स में आपको ‘Enhanced Protection’ (बेहतर सुरक्षा) का विकल्प दिखाई देगा। इस विकल्प को ऑन करते ही आपके ब्राउज़र पर एक अतिरिक्त सुरक्षा परत जुड़ जाएगी। यदि आपको अभी तक यह फीचर नहीं मिला है, तो कुछ दिनों का इंतजार करें। जल्द ही यह फीचर सभी यूज़र्स के लिए उपलब्ध होना शुरू हो जाएगा(साभार उत्तम हिन्दू न्यूज)।

हैवानियत : सड़क दौड़ाते रहे कार, नोचते रहे शरीर, विरोध करने पर सहेली को फेंका बाहर

0

बुलंदशहर, यूपी के बुलंदशहर से मानवता को शर्मसार कर देने वाला एक जघन्य अपराध सामने आया है। मेरठ नेशनल हाईवे पर चलती कार में तीन आरोपियों ने एक नाबालिग युवती के साथ गैंगरेप किया, जबकि विरोध करने पर उसकी सहेली को चलती कार से बाहर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना 6 मई की है। आरोपियों ने दो सहेलियों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर अगवा कर लिया था। इसके बाद, बुलंदशहर में मेरठ नेशनल हाईवे पर चलती कार में एक नाबालिग युवती के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया।
बताया गया है कि जब दूसरी युवती ने इस घटना का विरोध किया और आरोपियों को थप्पड़ मारा, तो उन्होंने उसे चलती कार से लात मारकर नीचे फेंक दिया। पीछे से आ रहे एक अज्ञात वाहन ने युवती को कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। शुरुआती तौर पर जानी पुलिस ने सड़क पर पड़े युवती के शव को एक सामान्य सड़क हादसा माना और उसे मोर्चरी में रखवा दिया था, बिना उसकी पहचान सुनिश्चित करने का प्रयास किए।
बाद में खुलासा हुआ कि मृतका बिहार की रहने वाली थी और गौतमबुद्ध नगर के सूरजपुर क्षेत्र में रहती थी, जहां वह एक होटल में काम करती थी। वहीं, जिस नाबालिग पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ, उसने खुर्जा में कार से कूदकर अपनी जान बचाई। पीड़िता ने इसके बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी और पूरी आपबीती सुनाई।
पीड़िता, जो प्रतापगढ़ जिले के चिलबिला की निवासी है और गौतमबुद्ध नगर के सूरजपुर क्षेत्र में रहती है, ने पुलिस को बताया कि 6 मई को उसके परिचित अमित नामक युवक ने उसे नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। अमित ने उसे अपनी सहेली के साथ बताई गई जगह पर पहुंचने को कहा। वहां अमित अपने दोस्त संदीप के साथ मौजूद था। अमित ने दोनों लड़कियों को कार में बैठा लिया और देर रात एक और साथी को भी कार में साथ ले लिया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि कार में आरोपियों ने उन्हें जबरदस्ती शराब पिलाई, मारपीट की और उसके साथ गैंगरेप किया। जब उसकी सहेली ने विरोध किया, तो आरोपियों ने उसे लात मारकर चलती कार से नीचे फेंक दिया।
पीड़िता ने बताया कि वह खुर्जा में किसी तरह आरोपियों के चंगुल से बचकर भाग निकली। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। तीनों आरोपियों के खिलाफ खुर्जा कोतवाली में अपहरण, हत्या और गैंगरेप की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। मृतका का पोस्टमार्टम भी कराया गया है, जिसमें उसके चेहरे, माथे, हाथ और पैर पर चोटों के 12 निशान मिले हैं। मामले की विस्तृत जांच जारी है(साभार उत्तम हिन्दू न्यूज)।

उत्तराखंड में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 25 आईएएस और 13 पीसीएस अधिकारियों के ट्रांसफर..आदेश जारी,.

0

उत्तराखंड में   25 आईएएस और 13 पीसीएस अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया गया है।

सात निजी अस्पतालों ने उठाया कदम, गोल्डन कार्ड पर इलाज बंद

0

देहरादून, आयुष्मान और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत गोल्डन कार्ड पर इलाज देने वाले सात निजी अस्पतालों ने इलाज बंद कर दिया है। इससे सेवारत कर्मचारियों और पेंशनरों को मिलने वाली कैशलेस इलाज सुविधा पर संकट खड़ा हो गया है। अस्पतालों का कहना है कि उनका बकाया भुगतान 130 करोड़ तक पहुंच चुका है, और इस बकाए का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के पास वर्तमान में इस भुगतान के लिए बजट नहीं है, जिससे समस्या और जटिल हो गई है। अब इस मुद्दे पर कैबिनेट में फैसला लिया जाएगा। अगर समस्या का समाधान नहीं होता है, तो बड़ी संख्या में लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा।
प्रदेश सरकार ने गोल्डन कार्ड योजना के तहत राजकीय कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की है। इस सुविधा के तहत कर्मचारियों और पेंशनरों से प्रति माह अंशदान लिया जाता है, जो उनकी पद की श्रेणी के अनुसार होता है। इस अंशदान से ही इलाज पर होने वाले खर्च का भुगतान किया जाता है। लेकिन अंशदान की राशि इलाज पर होने वाले खर्च के मुकाबले कम साबित हो रही है, जिसके कारण अस्पतालों का 130 करोड़ रुपये तक का भुगतान फंसा हुआ है। इस समस्या के चलते हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट, कैलाश, कनिष्क, मेदांता, नारायण हास्पिटल, धर्मशिला और ग्राफिक एरा हॉस्पिटल जैसे अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड पर इलाज देना बंद कर दिया है। यह स्थिति राज्य सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती बन गई है, और इसे हल करने के लिए कैबिनेट में जल्द ही फैसला लिया जाएगा।

चार लाख से अधिक कर्मचारियों व पेंशनरों के बने गोल्डन कार्ड :

योजना के तहत अब तक चार लाख से अधिक कर्मचारियों, पेंशनरों व उनके आश्रितों के गोल्डन कार्ड बने हैं। इस योजना में कर्मचारियों के आश्रितों को कैशलेस इलाज की सुविधा है। लेकिन अंशदान के रूप में कर्मचारियों व पेंशनरों से पद श्रेणी के हिसाब से 250 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक अंशदान लिया जाता है। कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए गोल्डन कार्ड योजना में अंशदान से ज्यादा इलाज पर खर्च हो रहा है। इस योजना को किस तरह संचालित करना है जल्द ही इसका प्रस्ताव कैबिनेट रखा जाएगा। वर्तमान में गोल्डन कार्ड से होने वाले इलाज के लिए सरकार की ओर से कोई बजट नहीं दिया जाता है। यह योजना अंशदान से चल रही है।

जून से बायोमीट्रिक ई-पॉस सिस्टम से राशन वितरण, पांच जिलों में हो रही शुरुआत

0

देहरादून, प्रदेश में जून से राशन वितरण की नई व्यवस्था लागू की जाएगी, जिसमें बायोमीट्रिक ई-पॉस मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत राज्य के पांच जिलों में ई-पॉस के जरिए राशन वितरण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसके साथ ही इन मशीनों का वितरण भी लगातार किया जा रहा है, और कर्मचारियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से इस प्रणाली के उपयोग में निपुण बनाया जा रहा है। खाद्य आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों के अनुसार जून से बाकी आठ जिलों में भी इस नई व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। यह कदम राशन वितरण में पारदर्शिता, सटीकता और अनुशासन लाने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि लाभार्थियों को सही समय पर और सही मात्रा में राशन मिल सके।
खाद्य आयुक्त हरिचंद्र सेमवाल ने राशन विक्रेताओं की मांगों को ध्यान में रखते हुए ई-पॉस मशीनों के इस्तेमाल में कुछ रियायतें दी हैं। उनका कहना हैं कि राशन वितरण में आने वाली परेशानियों और सरकारी राशन विक्रेताओं के ई-पॉस मशीनों के इस्तेमाल में अभ्यस्त होने की उम्मीद में ऑनलाइन राशन वितरण व्यवस्था को 30 सितंबर तक प्रभावी रखने का निर्णय लिया गया है। इस अवधि के दौरान ऑफलाइन या मैनुअल खाद्यान्न वितरण की अनुमति नहीं होगी, ताकि राशन वितरण की प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी हो सके। खाद्य आयुक्त ने कहा कि बीते अप्रैल से जनपद हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में ई-पॉस मशीनों के माध्यम से ऑनलाइन राशन वितरण किया जा रहा है। दूसरे चरण में मई से रूद्रप्रयाग, देहरादून और बागेश्वर में ई-पॉस मशीनें दी जा रही हैं। अब तीसरा और अंतिम चरण जून से निर्धारित है, जब शेष जनपदों को शामिल करके समस्त राज्य में शतप्रतिशत ई-पॉस के माध्यम से राशन वितरण किया जाएगा।यह कदम खाद्यान्न वितरण में सुधार और सटीकता लाने के उद्देश्य से उठाया गया है, साथ ही राशन विक्रेताओं को ई-पॉस सिस्टम में पूरी तरह से प्रशिक्षित होने का समय भी मिल सके।

हिमालयी वनों में कार्बन स्टॉक मापन चुनौतियों पर गोलमेज सम्मलेन

0

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में शनिवार एक विशेष गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया. यह सम्मलेन एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती पर केंद्रित था. इसमें पारिस्थितिकी तंत्र सेवा मूल्यांकन और कार्बन वित्त के लिए कार्बन स्टॉक माप में अनिश्चितताओं को कम करने पर विचार रखे गए. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र तथा ‘सिडार’ संस्था द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में अकादमिक, तकनीकी और नीतिगत पृष्ठभूमि के 18 विशेषज्ञ शामिल हुए।
सिडार के डॉ. विशाल सिंह ने सेवाओं की संभावनाओं और विश्वसनीय तंत्रों के बारे में बोलते हुए सत्र की शुरुआत की, जिसके माध्यम से कार्बन स्टॉक का उचित मापन किया जा सकता है और समाधान-संचालित संवाद के लिए आधार तैयार किया।
आईईईई के वरिष्ठ निदेशक श्री चंद्रशेखरन ने संगठन की विरासत पर प्रकाश डाला कहा कि हमने वाईफाई मानक विकसित किए – आईईईई प्रौद्योगिकी-उन्मुख है और प्रौद्योगिकी के सामाजिक प्रभाव और समाज के प्रति जिम्मेदारी पर ध्यान देता है।
प्रतिष्ठित पारिस्थितिकीविद् प्रो. एस.पी. सिंह ने एक गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि हिमालय जितना कार्बन को ठीक करता है, उससे कहीं ज़्यादा कार्बन छोड़ता है। सवाल यह है कि इसे कैसे बहाल किया जाना चाहिए ? उन्होंने पारंपरिक ज्ञान के महत्व पर जोर देते हुए समझाया, महिलाओं द्वारा पेड़ों की छंटाई करना पूरे पेड़ को काटने से बेहतर क्यों है और सामाजिक बदलावों की ओर इशारा किया जैसे कि रिक्शा चालकों ने कार्बन उत्सर्जन को धीमा कर दिया है। उन्होंने पलायन के रुझानों के बारे में भी बात की, उन्होंने कहा, लोग पहाड़ों को छोड़ रहे हैं और खेती छोड़ रहे हैं इस दिशा में पर्यटन और शहद उत्पादन जैसे प्रोत्साहन कार्य लोगों को वापस ला सकते हैं। रितेश शर्मा ने एक तकनीकी कमी का मुद्दा उठाया और कहा भारत में विशिष्ट मानक उपलब्ध नहीं हैं. जबकि लारैब अहमद ने उन्नत कार्यप्रणाली और क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप जीआईएस मॉडल की मांग पर जोर दिया।
डॉ. गजेन्द्र सिंह ने पारिस्थितिकी बदलावों और राज्य स्तरीय चुनौतियों पर जोर देते हुए कहा कि पहाड़ों से लोगों के पलायन के परिणामस्वरूप बांज के जंगल बहाल हो रहे हैं, उन्होंने चीड़ और साल जैसी आम तौर पर चर्चित प्रजातियों से परे देखने की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित किया। अनिल गौतम ने एक मुख्य प्रश्न उठाया कि हमें यह जानना होगा कि इस कार्बन को संचित करने के लिए कितना वनरोपण आवश्यक है. डॉ. विशाल ने कहा, पेड़ केवल कार्बन के तने नहीं हैं – हमें पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर भी ध्यान देना होगा।
प्रो. सिंह ने भी मौजूदा प्रगति को स्वीकार किया कहा कि पहले, पहाड़ी ढलानों पर मवेशियों के पदचिह्न आसानी से दिखाई देते थे, लेकिन अब हम उन्हें मुश्किल से ही देख पाते हैं। रितेश शर्मा ने कहा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ और मूल्यांकन दो अलग-अलग चीजें हैं। स्थानीय प्रथाओं के अनुसार योजनाएँ बनाई जानी चाहिए।चर्चा के अंतिम चरण में वक्ताओं का मत रहा कि लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है।
सत्र का समापन करते हुए सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी एस.एस. रसायली ने जन-केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया व कहा पर्यावरण संरक्षण और कार्बन स्टॉक से निपटने के साथ-साथ हमें स्थानीय लोगों और जमीनी स्तर के हितधारकों तक भी पहुंचना चाहिए ताकि उनके जीवन में मूल्यवान प्रभाव डाला जा सके।
कुल मिलाकर यह विमर्श भारतीय हिमालय के लिए मानकीकृत, समुदाय-आधारित कार्बन मापन ढांचे की दिशा में एक सार्थक कदम रहा जो विज्ञान, नीति और जीवंत वास्तविकताओं को एकजुट करने की दिशा में एक पहल थी ।