हरीश कण्डवाल ‘मनखी’
टपरी की चाय का स्वाद अलग ही होता है, घर में बनी चाय और टपरी की बनी चाय में अंतर होता है, टपरी की बनी चाय की चुस्कियों में आनंद अलग इसलिए होता है कि वहां पर सभी प्रकार की जानकारी मिल जाती है, मसलन देश विदेश के संबंध, विश्व में चलने वाले यु़द्ध से लेकर देश की अर्थव्यस्था से लेकर राजनीति तक के विचार और सुझाव आसानी से आदान प्रदान हो जाते हैं। जब भी देश में किसी भी प्रकार के चुनाव हो तो टपरी की चाय में आनन्द दोगुना हो जाता है।
उत्तराखण्ड़ में पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में टपरी की चाय का स्वाद और बढ़ जाता है। चायपत्ती और दूध किसी भी ब्राण्ड का हो या ना हो उसमें राजनीति का स्वाद चाय को कड़क बना देता है। चाय की टपरी में बैठकर ही वार्ड मेंम्बर से लेकर ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत विधायक सांसद और मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तक बन जाते हैं।
टपरी में बैठकर टपरी की चाय के साथ जो मतदाताओं के गणीतीय समीकरण बनते और बिगड़ते हैं, वह भी बड़े ही रोचक होते हैं। टपरी में बैठकर सारी रणनीति तैयार होती है। उम्मीदवार भी इन्ही टपरियों में बैठकर अपने समर्थकों के साथ चाय पीते हैं, और फिर उन्हें एक नई उर्जा मिलती है।
टपरी में रखी केतली या भगोना जिसमें चाय बनती है, उसमें जितनी चाय की पत्तियॉ सुबह से शाम तक पकती हैं, और उसमें दिन भर की जो मिठास रहती है, साथ ही गॉव में लकड़ी के चूल्हे पर बनने वाली चाय पर जो धुयंड़ा स्वाद आता है, उसका आनंद ही अलग होता है, चाय की चुस्कियों के साथ जो आकलन और जो चर्चा होती है, वह चाय का रस्वादन को दोगुना बढ़ा देती है। टपरी की चाय वाला पंच से लेकर प्रधान और प्रधानमंत्री तक बना देता है। आप भी चाय का आनंद लीजिए और गॉव के प्रधान से लेकर जिला पंचायत को चुनने के लिए अपने सभी बीजगणीतीय सूत्रों को याद कर लीजिए।
वैसे भी हमारे पहाड़ में इस समय रोपाई और खेतो में हल लगाया जाता है, जिसमें बीच के समय में मरसू और प्याज की भुज्जी के साथ चाय का आनंद ही कुछ और होता है, लेकिन अब यह आंनद कम हो गया है, उसकी जगह पर धार खाळों और बाजारों, दुकानों में टपरी की चाय ने जगह ले ली है, यहीं पर बैठकर सारी पंचायतेंं होती हैं, जो कि पंचायत चुनावों में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाती हैं, इसलिए पंचायत चुनावों का मजा लेना है तो टपरी की चाय पीना ना भूलें और चाय वाले को भी ना भूलें क्योंकि चायवाला ही आपके लिए प्रेरणा स्त्रोत का काम करता है, आज पंच से प्रधान बनकर आगे चलकर देश और वैश्विक नीति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हो। इसलिए टपरी की चाय का स्वाद लेते रहो।
हरीश कण्डवाल मनखी की कलम से।
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