Saturday, May 10, 2025
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सर्वे भवन्तु सुखेन की भावना हमारे संस्कारों में रही है: प्रो0 त्रिपाठी

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हरिद्वार, 3 जनवरी (कुल भूषण) उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय एवं मानव अधिकार संरक्षण समिति मुख्यालय हरिद्वार के संयुक्त तत्वाधान मे मानव अधिकारों के संरक्षण में संस्कारों की भूमिकाष् विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयीद्य सर्वप्रथम वेद विभाग के डॉ अरुण कुमार मिश्रा ने मंत्रोचारण से वेबिनार का शुभारंभ किया । न्यायमूर्ति यू0सी0 ध्यानी;सेवानिवृत्तिद्ध अध्यक्ष उत्तराखण्ड लोक सेवा अभिकरण ने मुख्य अतिथि बतौर कहा कि श्माता.पिता के संस्कार बच्चे को भविष्य का मार्ग दिखाते हैं माता पिता युवाओं को संस्कारों की शिक्षा देने वाले प्रथम गुरु होते है। संस्कार के बिना मर्यादा वाला जीवन नहीं बन सकता।

उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कहा कि मानव अधिकार की रक्षा हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। हमारी परम्पराओं में हमेशा व्यक्ति के जीवन निमित समताए समानता उसकी गरिमा के प्रति सम्मानए इसको स्वीकृति मिली हुई है। उन्होने कहा दृ ष्सर्वोभवन्तु सुखेनष् की भावना हमारे संस्कारों में रही है। मानव अधिकारों में आर्थिकए सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के समक्ष समानता का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार आदि नागरिक और राजनीतिक अधिकार भी सम्मिलित हैं।

मानव अधिकार संरक्षण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष इं0 मधुसूदन आर्य ने कहा कि मानवाधिकार का सम्बन्ध समस्त मानव जाति से है। जितना प्राचीन मानव हैए उतने ही पुरातन उसके अधिकार भी हैं। इन अधिकारों की चर्चा भी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में प्रारम्भ से ही होती आई हैए भले ही वर्तमान रूप में मानवाधिकारों को स्वीकृति उतनी प्राचीन न हो किन्तु साहित्य तथा समाज में मनुष्यों के सदा से ही कुछ सर्वमान्य तथा कुछ सीमित स्थितियों में मान्य अधिकार रहे हैं।
उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालयए हरिद्वार के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी धन्यवाद ज्ञापित करते हुये कहा कि कि मानव अधिकार और शिक्षा एक दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़े हैं। मानव अधिकारों को समाज में स्थापित करने के लिए यह जरूरी है कि मानवीय गरिमा और प्रतिष्ठा के बारे में जन.जागरूकता लाई जाए।

मानव अधिकार संरक्षण समिति की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष डा0 सपना बंसलए दिल्ली विश्वविद्यालयए दिल्ली ने कहा कि मनुष्य के रूप में जन्म लेते ही हम सभी सार्वभौमिक मानव अधिकारों के स्वतः अधिकारी हो जाते हैं। यह एक ऐसा अधिकार हे जो जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त सम्मानजनक तरीके से सभी को मिलना चाहिये। मानवाधिकार मनुष्य के वे मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्लए जातिए राष्ट्रीयताए धर्मए लिंग आदि किसी भी दूसरे कारक के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता।

संगोष्ठी का संचालन डा0 लक्ष्मी नारायण जोशी ने किया। वेबिनार में लायन्स एस आर गुप्ताए राजीव रायए अनिल कंसल, कमला जोशी, नीलम रावत, शोभा शर्मा, हेमंत सिंह नेगी, रेखा नेगी, नेहा, ज्योति कल्पना शर्मा, निवेदिता सिंह, पीयूष गोयलए समीक्षा अग्रवाल,सतीश शेखर, शैली शर्मा, स्वीटि चौहान, बन्दना मिश्रा, विनोद बहुगुणा, रचना शास्त्री, यज्ञ शर्मा, सुभद्रा देवी, अरुण कुमार मिश्रा, अनु चौधरी,अनुपम कोठारी, राकेश कुमार गर्ग, पिंकी रावतए तरुण कुमार पांडे, प्रेमा श्रीवास्तवए डॉ अभिजीत, मोनु मीना इत्यादि उपस्थित रहे ।

श्मशान घाट की छत गिरने से 18 लोगों की मौत, दो की हालत गंभीर

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मुरादनगर। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में बड़ा हादसा हुआ है। मुरादनगर के श्मशान घाट परिसर में गैलरी की छत गिर गई। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई है जबकि दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। छत गिरने से 50 से अधिक लोग दब गए थे। सूचना पर पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम ने लोगों को रेस्क्यू कर गाजियाबाद जिला अस्पताल में भर्ती कराया।

कई लोग अभी भी दबे हुए हैं, जबकि कई लोगों को मलबे से निकालकर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। राहत टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। हादसे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया संज्ञान है। योगी ने डीएम और एसएसपी को प्रभावी ढंग से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के निर्देश हैं।

हादसे का शिकार हुए सभी लोग मुरादनगर के डिफेंस कॉलोनी निवासी फल विक्रेता जयराम (उम्र करीब-65) की अंत्येष्टि में आए थे। उनके अंतिम संस्कार में 100 से ज्यादा मोहल्लेवासी व रिश्तेदार शामिल हुए थे। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चल रही थी। पुजारी के आह्वान पर सभी लोग श्मशान घाट परिसर में बने भवन के अंदर खड़े होकर आत्म शांति पाठ कर रहे थे। इसी दौरान एक तरफ की जमीन अचानक धंस गई। परिणाम स्वरूप दीवार नीचे बैठ गई और लेंटर गिर गया।

हादसे में किसी को भागने तक का मौका नहीं मिला। चीखपुकार के बीच कुछ लोग उसके अंदर ही मलबे में दब गए जबकि कुछ ने बमुश्किल दौड़कर अपनी जान बचाई। पुलिस तत्काल मौके पर पहुंच गई। भवन ज्यादा पुराना नहीं था। आशंका है कि भराव की जमीन में बने भवन की अधिक बारिश में मिट्टी बैठ गई और यह घटना घटी।

फिलहाल पुलिस प्रशासन ने बचाव अभियान चला रखा हैं। मौके पर भारी भीड़ जमा है। बारिश के कारण बचाव अभियान में दिक्कत आ रही है।गाजियाबाद के जिलाधिकारी और एसएसपी मौके पर पहुंचे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद गाजियाबाद के मुरादनगर में छत गिरने की घटना में लोगों की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है।उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने इस हादसे में मृतकों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मण्डलायुक्त, मेरठ एवं एडीजी, मेरठ जोन को घटना के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं।

 

एंबुलेंस सेवा 108 का बेड़ा होगा दोगुना, आपातकालीन सेवा में कम होगा रिस्पान्स टाइम

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देहरादून, स्वास्थ्य और चिकित्सा में तत्काल सेवा उपलब्ध होने के सकारात्मक रूप में प्रदेश में आपातकालीन सेवा के दौरान घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 एंबुलेंस का बेड़ा दोगुना किया जाएगा। एंबुलेंस की संख्या बढ़ने से आपातकालीन सेवा में रिस्पान्स टाइम कम होगा। वर्तमान में 108 सेवा के तहत 139 एंबुलेंस संचालित हो रही हैं।
राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जाता है। वहीं, सड़क दुर्घटना में घायलों को कम से कम समय में अस्पताल पहुंचाने के लिए सरकार एंबुलेंस सेवा 108 के बेड़े को दोगुना करने जा रही है। इसके लिए लगभग 132 नई एंबुलेंस खरीदी जाएंगी। वर्तमान में 108 आपातकालीन सेवा के तहत 139 एंबुुलेंस का संचालन किया जाएगा। इन्हें मिलाकर प्रदेश में कुल 360 से अधिक एंबुुलेंस हैं।

 

प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में एंबुलेंस सेवा एक लाइफ लाइन की तरह है। गर्भवती महिला हो या अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीज और दुर्घटनाओं में घायलों को एंबुलेंस के जरिये अस्पताल पहुंचाया जाता है। कई बार एंबुलेंस उपलब्ध न होने से आपातकालीन समय में मरीज को एंबुलेंस नहीं मिलती है। इसे देखते हुए सरकार अब एंबुलेंस के बेड़े को दोगुना करना जा रही है।

इससे आपातकालीन सेवा के दौरान रिस्पान्स टाइम कम होगा। कॉल करने के कुछ ही मिनट में मरीज को एंबुलेंस उपलब्ध हो सकेगी। अपर सचिव एवं निदेशक चिकित्सा शिक्षा युगल किशोर पंत का कहना है कि प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बुनियादी ढांचे में कई सुधार किए जा रहे हैं। प्रदेेश में एंबुलेंस का बेड़ा बढ़ा कर दोगुना किया जा रहा है। इसके लिए नई एंबुलेंस खरीदी जा रही है।

उत्तराखंड़ : श्रीराम जन्म भूमि मन्दिर निर्माण निधि समर्पण अभियान, जगत मर्तोलिया बने प्रदेश उपाध्यक्ष

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मुनस्यारी, 3 जनवरी। उत्तराखंड के लिए बनी श्रीराम जन्म भूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान के लिए जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है। क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियो व सामाजिक संगठनो ने नये पदभार मिलने पर खुशी जाहिर की है।

प्रदेश स्तर पर जूना अखाडे के महन्त देवानन्द सरस्वती को अध्यक्ष बनाया गया है। इस कार्यकारिणी में जिपं सदस्य जगत मर्तोलिया को प्रमुख पद सौपा गया है। पिथौरागढ जिले से मर्तोलिया को यह जिम्मेदारी मिलने पर जिले के सामाजिक संगठनो, पंचायत प्रतिनिधियो ने कहा कि इससे मर्तोलिया को प्रदेश में सामाजिक व धर्मिक कार्य करने के लिए नयी पहचान मिलेगी।

मर्तोलिया ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन से ही वे सामाजिक क्षेत्र में आए थे। एक बार फिर प्रभु राम की सेवा का अवसर मिला है, उसे वे हर हाल में पूरा करेंगे।

अच्छी खबर : भारत की अपनी कोरोना वैक्सीन, ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ को DCGI ने दी मंजूरी, जानिए बोर्ड ने क्या कहा ..

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नई दिल्ली, वैश्विक कोरोना महामारी से निपटने के लिए भारत में वैक्सीन का इंतजार अब खत्म हो गया है, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भारत में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दे दी है | सीरम इंस्टीट्यूट की ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है, एक दिन पहले ही सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने डीसीजीआई के पास भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोरोना वैक्सीन को अनुमति देने की सिफारिश की थी |

DCGI का बड़ा ऐलान, दो कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी’

डीसीजीआई के आला अधिकारियों के मुताबिक, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया जब किसी दवा या ड्रग को अनुमति देता है तो उस कंपनी को CT23 यानी अनुमति मिलती है.

इसके मिलने के बाद दवा कंपनी की जिस राज्य में फैक्ट्री होती है वहां स्टेट ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी से जाकर ड्रग एंडोर्समेंट की मांग करती है | इसके बाद वो दवा या वैक्सीन रोल आउट होती है, जानकारों के मुताबिक इस प्रक्रिया में 4 से 5 दिन लग सकते है |

पीएम मोदी ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, ”देश के नागरिकों के लिए गर्व की बात है कि जिन दोनों वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है उनका निर्माण भारत में ही हुआ है। यह दिखाता है कि आत्मनिर्भर भारत बनाने की मुहिम में देश के वैज्ञानिक कितनी मेहनत कर रहे हैं।”

 

 

कोरोना का नया स्ट्रेन, काबू करना हो जाएगा मुश्किल, अध्ययन में हुआ खुलासा

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नई दिल्ली, पूरा विश्व जहां एक तरफ कोविड19 के कहर से जूझ रहा है जहां महीनेभर के लॉकडाउन के बावजूद इंग्लैंड के कुछ हिस्सों में कोरोना का नया वेरिएंट लगातार फैल रहा है, जबकि कोरोना का पुराना रूप इस लॉकडाउन से नियंत्रण में आ गया। यूके में संक्रमण के ट्रेंड्स को देखते हुए किए अध्ययन के बाद यह चिंता जाहिर की गई है कि अगर यह नया रूप ऐसे ही पकड़ बनाता रहा तो दुनिया के लिए कोरोना महामारी को काबू करना बहुत मुश्किल हो सकता है।

यह नया वेरिएंट B.1.1.7 पहली बार बीते साल सितंबर मध्य में यूके में मिला था और तब से अब तक यह ब्रिटेन के कई हिस्सों में फैल गया है और अब यह कई देशों तक भी पहुंच गया है। इस वेरिएंट के जेनेटिक कोड में 23 बदलाव हुए हैं, जिनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो बहुत तेजी से फैल सकते हैं। इस नए वेरिएंट के तेजी से फैलने की वजह से ही कई देशों को ब्रिटेन की यात्रा पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।

 

अभी तक भारत सहित कुल 33 देशों ने यह पुष्टि की है कि कोरोना का नया स्ट्रेन उनके देश में भी पाया गया है। दुनियाभर में स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस नए स्ट्रेन की जिनोमिक सर्विलांस शुरू कर दी है और साथ ही कई देशों में टीकाकरण भी शुरू किया जा चुका है ताकि इस नए स्ट्रेन पर काबू किया जा सके।

नए अध्ययन से यह भी पता लगा है कि कोरोना का नया वेरिएंट न सिर्फ तेजी से फैलता है बल्कि यह युवा लोगों में ज्यादा असर करता है, जबकि अब तक कोरोना वायरस बुजुर्गों में ज्यादा तेजी से फैल रहा था।

इस रिपोर्ट को गुरुवार को जारी किया गया। रिपोर्ट को तैयार करने वालों के मुताबिक, ‘हमें ऐसे सबूत मिले हैं कि नवंबर 2020 में लॉकडाउन जैसी नीतियां कोरोना के पुराने रूप को काबू करने में सफल रही लेकिन इसी दौरान लॉकडाउन जैसे अन्य प्रतिबंध नए वेरिएंट को रोकने में असफल रहे।’

यह अध्ययन इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड, द वेलकम संगर इंस्टिट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंगम और कोविड-19 जीनोमिक्स यूके कंजोर्टियम ने मिलकर की है।

इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वाइस डीन नील फर्ग्यूसन ने बताया, ‘इस अध्ययन से पता लगा है कि नया वेरिएंट बहुत तेजी से फैलता है और इस पर काबू पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। इसलिए हमें जल्द से जल्द वैक्सीन शुरू करनी होगी।’

उत्तराखण्ड़ : एमबीबीएस के नए सत्र की कक्षाएं फरवरी माह से, एमसीआई गाइडलाइन्स का पालन जरूरी

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देहरादून, राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के नए सत्र की कक्षाएं फरवरी माह से शुरू होंगी। एमसीआई की ओर से ऐसे दिशा-निर्देश मेडिकल कॉलेजों को मिल गए हैं। कोरोना के चलते में मेडिकल कॉलेजों में ऑनलाइन कक्षाएं चलीं। पिछले माह ही फाइनल और प्रथम वर्ष की कॉलेज में कक्षाएं शुरू हुई हैं। वहीं जनवरी में पुराने सभी बैच की कक्षाएं शुरू हो जाएंगी।

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि मेडिकल कॉलेजों में दाखिलों की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। एमसीआई की ओर से कक्षाएं शुरू करने के लिए दिशा-निर्देश मिल गए हैं। कहा गया है कि फरवरी माह के प्रथम सप्ताह से नए सत्र के छात्र-छात्राओं को बुलाया जाएगा। कॉलेज अपनी तरफ से पूरी तरह से तैयार हैं। छात्र का कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट देनी होगी।

दून मेडिकल कॉलेज में सत्र 2017 के छात्रों को 11 जनवरी से पढ़ाई के लिए बुलाया जाएगा। सत्र 2018 के छात्रों को 18 जनवरी से बुलाया जाएगा। प्राचार्य डॉ. सयाना ने बताया कि कुछ छात्र पॉजिटिव पाए गए थे, इसलिए दूसरे सत्र के छात्रों को बुलाने से परहेज किया गया। अब स्थिति सामान्य होने लगी है तो अन्य सत्रों के छात्रों को भी बुलाया जाएगा। जबकि सत्र 2019 और 2016 बैच के छात्रों की कक्षाएं भी अभी चल रही हैं।

प्राधिकरणों में प्री-एप्रुव मैप सिस्टम, विरोध के स्वर हुये मुखर, आर्किटेक्टों को आपत्ति, सिस्टम का करेंगे बहिष्कार

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देहरादून, उत्तराखंड़ सरकार का राज्य के जिला विकास प्राधिकरणों में लागू होने जा रहे प्री एप्रुव मैप सिस्टम का विरोध होना शुरू हो गया, इस सिस्टम के लागू होने से प्रदेशभर आर्किटेक्ट, ड्राफ्समैन व इंजीनियर की रोजी पर असर पड़ेगा और कई हद तक उनके पास काम कम हो जायेगा, नई व्यवस्था लागू होने से पहले ही आर्किटेक्ट इसके विरोध में आने लगे हैं। मामले में क्षेत्र के इंजीनियरों व आर्टिटेक्ट ने विरोध में प्राधिकरण में चल रही आनलाइन मानचित्र स्वीकृति प्रणाली का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।

उल्लेखनीय है कि शासन स्तर पर राज्य में घर का नक्शा बिना आर्किटेक्ट के चुनने की व्यवस्था लागू करने की कवायद शुरू हो चुकी है। इस व्यवस्था के तहत घर का नक्शा बनाने और इसे प्राधिकरण से पास कराने के लिए आर्किटेक्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस दौरान लोग प्लाट साइज के हिसाब से पहले से तैयार नक्शे को आनलाइन अपलोड कर फाइल प्राधिकरण में प्रस्तुत कर सकते हैं। यह नक्शा सीएससी के जरिए आनलाइन प्राधिकरण में जमा किया जा सकेगा।

प्रदेश में यह व्यवस्था लागू होने से करीब 3 हजार आर्किटेक्ट बेरोजगार हो जायेंगे और आर्किटेक्ट, ड्राफ्समैन व इंजीनियरों का काम छीन जाएगा। इसीलिए नई व्यवस्था लागू होने से पहले ही देहरादून और हल्द्वानी इसके विरोध में स्वर मुखर होने लगे हैं। उत्तराखंड लाइसेंस्ड इजीनियर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।

कांग्रेसियों ने किया दून चिकित्सालय का घेराव, लगाया स्‍वास्‍थ्‍य व्यवस्था में ढिलाई का आरोप, सीएम को प्रेषित किया ज्ञापन

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देहरादून, अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक राजकुमार ने दून चिकित्सालय स्थित नवीन चिकित्सालय का निर्माण कार्य पूर्ण ना होने तथा स्वास्थ्य व्यवस्था में ढिलाई के कारण दून चिकित्सालय का घेराव किया तथा प्राचार्य डॉ. शयाना के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया l

ज्ञापन में पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि दून चिकित्सालय/राजकीया दून मेडिकल काॅलेज स्थित एक नवीन चिकित्सालय जिसका निर्माण कांग्रेस सरकार ने 5 वर्ष पूर्व शुरू किया था परन्तु वर्तमान सरकार द्वारा 5 वर्ष बाद भी चिकित्सालय का निर्माण पूर्ण नहीं हो पाया है जो सरकार की विफलता दर्शाता है और उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते जब प्रदेश में हजारों लोगों की मृत्यु हो चुकी है और अभी भी कोरोना मृत्यु दर बढ़ता जा रहा है अगर आज चिकित्सालय का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ होता तो राजकिया दून चिकित्सालय भी एम्स की तरह एक बहतर चिकित्सालय होता और यह चिकित्सालय इमरजेंसी वार्ड, ट्रामा वार्ड, बर्न यूनिट, आई.सी.यू, ओ.टी व अन्य चिकित्सा सुविधाओं के लिए बनाया जा रहा था परन्तु वर्तमान सरकार द्वारा निर्माण कार्य रूकवाने से कुछ भी सफल नहीं हो पाया और कोरोना से ग्रसित व अन्य बीमारियों से गरीब व असहाय जनता को दर दर भठकना पड़ा और आज भी भठकना पड़ रहा है । चिकित्सालय का निर्माण कार्य जल्द पूर्ण किया जाए ताकि जनता को इसका लाभ मिल सके ।

और पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि दिन-प्रतिदिन कोरोना ग्रसित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है और जहां लग रहा था कि अब स्थिति काबु में आने वाली है वहीं अब कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है और माना जा रहा है कि यह नया स्ट्रेन ओर ज्यादा घातक है। इस समय में अगर चिकित्सालय का कार्य पूर्ण हो चुका होता तो हजारों की संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकती थी ।

और उन्होंने कहा कि इसके अलावा दून चिकित्सालय में एम्स की तरह सामन्य मरिजों की भरती व कोरोना ग्रसित मरिजों की भरती को अलग अलग करवाया जाए ताकि कोरोना संक्रमण सीमित रहे और ओरों तक ना फैले और जिस प्रकार कोरोना काल में कार्यरत सफाईकर्मियों ने दिन-रात मेहनत कर अपना पूर्ण योगदान दिया वह सराहनीय है परन्तु उन्हें ठेका प्रथा के माध्यम से निकाला जा रहा है जो कि गलत है । ठेका प्रथा को खत्म किया जाए और सभी सफाईकर्मियों को पक्का किया जाए ।
और उन्होंने कहा कि पूर्व में भी कई बार स्वास्थ्य संबंधिक मशीनों को ठीक करवाने के लिए कहा गया है परन्तु अभी तक भी कई मशीनें जैसे की एम.आर.आई व अन्य मशीनें खराब पड़ी है जिनसे जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है इन्हें जल्द ठीक किया जाए और दून चिकित्सालय में डाक्टर एवं स्टाफ कि कमी होने के कारण बुजुर्ग, बच्चों एवं कोरोना मरीजों कि सही देखभाल नहीं हो पा रही है और जो नए चिकित्सकों व स्टाफ को अस्थायी रूप से कार्य पर रखा गया है उनमें भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है

जिस कारण वह काम करने से कतरा रहें हैं उन्हें पूर्ण रूप से स्थायी किया जाए और कोरोना मरीजों कों पर्याप्त वार्ड/बेड व उपयुक्त मेडिकल केयर नहीं मिल पा रहा है जिस कारण उनको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और कई कोरोना मरीजों की आए दिन मृत्यु हो रही है, अगर समय पर नए चिकित्सालय का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका होता तो आज हजारों कोरोना मरीजों की जान बचाई जा सकती थी ।
और पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि अगर उपरोक्त समस्याओं पर गम्भीरता से विचार कर तत्काल इसका समाधान नहीं किया गया और नए चिकित्सालय के रूके हुए निर्माण कार्य को पूर्ण नहीं किया गया तो हमें जनहित में दून मेडिकल काॅलेज व सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा तथा इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी ।

इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, पार्षद व नेता प्रतिपक्ष डॉ बिजेंद्र पाल सिंह, अर्जुन सोनकर, अनिल छेत्री, राजेन्द्र बिष्ट, सोम प्रकाश वाल्मिकी, देविका रानी, अशोक कोहली, रीता रानी, राजेन्द्र खन्ना, उदय वीर मल, तरुण मारवा, तारा नागपाल, वसीम अहमद, मालती देवी, विनोद कुमार, अनिल सिंह, देवेन्द्र सिंह, देवेन्द्र कौर, गुलशन सिंह, इमराना परवीन, शाहीन परवीन, विवेक चौहान, शिव कुमार, रवि फुकेला, संदीप वाल्मिकी, सुनील बांगा, योगेश भटनागर, मोनू, शेखर कपूर, विकास नेगी, मनमीत सिंह, भूपेन्द्र सिंह, कमलजीत सिंह, अमरजीत सिंह, नरेंद्र सिंह, संतोष थापा, सरोज, कौशल, मुकुंद कुमारी, भूसरा, समजीश, शहाना तरवीन तथा अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे l

LIC की खास पॉलिसी! एक बार पैसा जमा करें, जीवन भर पेंशन की गारंटी लें…

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नई दिल्ली. भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने नई जीवन शांति योजना की शुरुआत की है. इस पॉलिसी की खासियत इसमें मिलने वाली पेंशन है. इस पॉलिसी में निवेश कर व्यक्ति जीवन भर मासिक पेंशन की व्यवस्था कर सकता है. इससे व्यक्ति अपने रिटायरमेंट के बाद के खर्च आसानी से पूरे कर सकता है. यह एक सिंगल प्रीमियम प्लान है. जीवन शांति पॉलिसी में ग्राहक दो विकल्प चुन सकते हैं. पहला है इमीडिएट एन्युटी और दूसरा है डेफ्फर्ड एन्युटी.

क्या है स्कीम- इमीडिएट एन्युटी के विकल्प में पॉलिसी लेने के तुरंत बाद ही पेंशन की सुविधा मिल जाती है. वहीं, डेफ्फर्ड एन्युटी के विकल्प में पॉलिसी लेने के 5,10,15 या 20 साल बाद पेंशन की सुविधा दी जाती है. आप चाहें तो तुरंत अपनी पेंशन शुरू करा सकते हैं और चाहें तो बाद में भी इसे शुरू करा सकते हैं. मान लीजिए आपकी उम्र 40 साल है, आप एक योजना में एक मुश्त 10 लाख का निवेश करें, तो आपके पास तुरंत या फिर 5, 10, 15 या फिर 20 साल बाद पेंशन शुरू कराने का विकल्प होगा.

कितनी मिलेगी पेंशन- इस योजना के तहत पेंशन की रकम निश्चित नहीं है. यह आपके निवेश, उम्र और डिफरमेंट पीरियड पर डिपेंड करता है. यहां दो चीजें गौर करने वाली हैं. डिफरमेंट पीरियड (निवेश और पेंशन शुरू होने के बीच की अवधि) जितनी ज्यादा होगी या उम्र जितनी ज्यादा होगी, आपको पेंशन उतनी ही मिलेगी. एलआईसी इसके लिए आपके निवेश पर फीसदी के हिसाब से पेंशन देती है. जैसे अगर आप 10 लाख के निवेश पर 5 साल बाद पेंशन शुरू कराते हैं तो इस पर 9.18 फीसदी रिटर्न के हिसाब से सालाना 91800 रुपए की पेंशन मिलती है.इस उम्र के लोग ले सकते हैं इस योजना का फायदा- LIC की इस योजना को न्यूनतम 30 वर्ष तथा अधिकतम 85 वर्ष तक के व्यक्ति ले सकते हैं. जीवन शांति प्लान में लोन, पेंशन शुरू होने के 1 वर्ष बाद तथा इसे सरेंडर, पेंशन शुरू होने के 3 महीने बाद किया जा सकता है.

तत्काल और स्थगित वार्षिकी दोनों विकल्पों के लिए पॉलिसी को लेते समय सालाना दरों की गारंटी दी जाएगी. योजना के तहत विभिन्न वार्षिकी विकल्प और वार्षिकी भुगतान के मोड उपलब्ध है. एक बार चुने गए विकल्प को बदला नहीं जा सकता है. इस योजना को ऑफलाइन और साथ ही ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है. यह योजना LIC के पुराने प्लान जीवन अक्षय जैसा ही है.