Monday, June 23, 2025
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साईं इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप ने की ‘साईं थॉट लीडरशिप’ की मेजबानी

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देहरादून,  ‘साईं थॉट लीडरशिप’ का पहला अधिवेशन श्री सुब्रतो बागची के मार्गदर्शक अभिभाषण के साथ आरम्भ हुआ जिसमे उन्होंने उस एक्शन प्लैन पर बल दिया जिसके द्वारा किसी शैक्षिक संस्था या अन्य संस्थान का नेतृत्व आज के परिदृश्य में अघोषित तथा अचिंतनीय संकट का निर्भीक हो सामना कर सके

भारत के अग्रदूत विद्यालयों में अन्यतम साईं इंटर नेशनल स्कूल की मेजबानी में साईं थॉट लीडरशिप’ जैसी चर्चा-शृंखला का आयोजन किया गया जिसका लक्ष है देश का विकाश प् श्री सुब्रतो बागची (चेयरमैन, ओडिशा स्किल डेवलपमेंट ऑथोरिटी, मुख्य प्रवक्ता, कोविड-19, ओडिशा सरकार, सह-संस्थापक-माइंड ट्री तथा बेस्ट सेलिंग पुस्तकों के लेखक) तथा डाक्टर विजय कुमार साहू ( उपदेष्टा व कार्यकारी अध्यक्ष-ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन, ओडिशा सरकार तथा संस्थापक व सलाहकार, साईं इंटरनेश्नल एजुकाशन ग्रुप ने मिलकर इस अवसर का आगाज किया

साई थॉट लीडरशिप एक शैक्षिक मंच है जहां अपने-अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध व मार्ग निर्माता व्यक्ति देश की सर्वांगीण उन्नति का लक्ष्य लेकर ज्वलंत सामाजिक विषयों पर चर्चा करते हैं। ये विज्ञ वक्ता अपने समृद्ध वक्तव्य से न केवल नागरिक क्षमताओं का विकास करेंगे बल्कि जनसाधारण की चिंतन प्रक्रिया को संचालित करते हुए समाज के लिए मार्ग-अन्वेषक तथा समस्या- निवारक बनेंगे। प्रत्येक अधिवेशन के बाद मुख्य वक्ता व डॉ विजय कुमार साहू, उपदेष्टा व कार्यकारी अध्यक्ष-ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन, ओडिशा सरकार तथा संस्थापक व सलाहकार, साईं इंटरनेश्नल एजुकाशन ग्रुप के मध्य एक भावोद्दीपक वार्तालाप का आयोजन भी किया जाएगा।

साईं थॉट लीडरशिप’ के प्रथम अधिवेशन का विषय था श्मूविंग द माउंटेन्स रू मैनेजिंग क्राइसिसश्। इस विषय पर अपना वक्तव्य रखते हुए डॉक्टर सुब्रतो बागची ने एक्शन प्लान पर बल देते हुए कहा कि कैसे किसी शैक्षिक संस्था या अन्य संस्था का नेतृत्व वर्तमान काल के परिदृश्य में संकट से सामना कर सकेगा ’ श्री सुब्रतो बागची ने संकटकाल से निबटने के लिए एक 20 सूत्री रणनीति का जिक्र किया। तीन बिंदुओं पर खास तवज्जो देते हुए उन्होंने कहा कि संकट के समय किसी भी नेतृत्व को इनका परिपालन करना आवश्यक है–1. सावधानी व सतर्कता 2. तात्कालिकता तथा 3. आशा की स्थापना ’ यह पूछने पर कि संकट का सामना करते समय किसी नेतृत्व को श्री राम की तरह विधि-पालक होना चाहिए या विधि-विरोधी, उन्होंने कहा, यह एक ट्रिकी क्वेश्चन है लेकिन श्री राम और श्री कृष्ण दोनों ही ईश्वर के अवतार हैं। पुराणों में ऐसी परिस्थितियों का निर्माण सिर्फ इसलिए किया गया है ताकि पाठक यह समझ सकें कि सत्य हमेशा अंतर्विरोधों से ही उद्घाटित होता है। यह आप पर निर्भर है कि आप सत्य को खोजते हुए खो जाएंगे या अंतर्विरोधों का सामना करते हुए उनमें से सत्य को खोज निकालेंगे। पुराणों में इस तरह की कठिन परिस्थितियों का निर्माण इसीलिए किया गया है ताकि पाठक अपने आप से गहन प्रश्न पूछ सकें । हमें याद रखना है कि श्रीकृष्ण में श्रीराम समाहित हैं और श्रीराम में श्रीकृष्ण ’

यह पूछने पर कि एक पाठक आपकी किस पुस्तक को पहले पढ़ना चाहेगा, उन्होंने बताया- मुझे लगता है कि जहां काफी लोगों ने मेरी किताब श्गो किस द वर्ल्डश् को सराहा वहीं अनेक पाठकों ने श्प्रोफेशनलश् की प्रशंसा की है। मैं समझता हूं कि श्प्रोफेशनलश् आधुनिक दौर में बड़ा ही प्रासंगिक है। श्गो किस द वर्ल्डश् इसलिए अधिक चर्चित हुई क्योंकि यह प्रत्येक परिवार की कहानी है। जहां तक नए प्रोफेशनल्स का संबंध है, उन्हें मेरी किताब श्प्रोफेशनलश् को अवश्य पढ़ना चाहिए ।

उड़ीसा में कोविड-19 परिचालन पर जब उनसे चर्चा की गई, उन्होंने बताया कि संकटकाल दरअसल नवोन्मेष का समय होता है, सामान्य व्यवसाय का नहीं । उन्होंने आगे बताया, इस दौरान उड़ीसा सरकार ने कुछ अद्भुत कदम उठाए थे– पहला तो यह कि सरकार ने पेंडामिक के दौरान प्रत्येक सरपंच को कलेक्टर की क्षमता दे दी ताकि वे अपने क्षेत्र में आने वाले प्रवासी मजदूरों से उत्पन्न स्थिति से निपट सकें प् दूसरा महत्वपूर्ण कार्य सरकार ने यह किया कि गांव में प्रवास से लौटने वाले मजदूरों के भोजन के लिए गांव की ही मां-बहनों को जिम्मेदारी सौंप दी। इसके लिए स्थानीय सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के कंधों पर इन बेसहारा लोगों को खिलाने का उत्तरदायित्व डाला गया। यह एक सार्थक कदम था । इस एहसास को साकार करने के लिए गांव की सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को आर्थिक सहायता दी गई । सरकार ने यह अनुभव किया कि यह एक ऐसा दौर है जिससे सेक्रेटेरिएट में बैठकर निपटना मुमकिन नहीं, इससे गांव तथा ग्रामीणों के स्तर पर ही निपटा जा सकेगा । प्रत्येक नेतृत्व के लिए यह महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा का संरक्षण हो ताकि संकटकाल का सामना किया जा सके प् अपने अनुभव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हमें सामाजिक स्मृति का जागरण करना पड़ेगा ताकि भविष्य में जब भी इस प्रकार कोई संकट आए तो अपनी सामाजिक स्मृति के आधार पर हम उसका मुकाबला कर सकें। हमने उड़ीसा में आए सुपर साइक्लोन का मुकाबला साधन से नहीं बल्कि सामाजिक स्मृति से किया। अतः संकट वह समय है जिसके माध्यम से हम सामाजिक संबंध और सामाजिक स्मृति कायम कर सकते हैं ।

साईं थॉट लीडरशिप’ के प्रथम अधिवेशन में बोलते हुए डॉ विजय कुमार साहू ने श्री बागची से अनुरोध किया कि वे उड़ीसा के स्टार्टअप्स के बारे में अपना सुचिंतित मत रखते हुए राज्य के युवा उद्यमियों को उत्साहित करें ताकि वे क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकें ।

भारत का अग्रणी शैक्षिक संस्थान होने के नाते साईं इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप चाहता है कि शिक्षा को अधिक प्रासंगिक बनाते हुए राज्य के शिक्षकों, अभिभावकों तथा छात्रों को साथ लेकर प्रांत के शिक्षा-क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सके प् इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर ही साईं थॉट लीडरशिप’ का उदय हुआ, इस उद्देश्य के साथ कि प्रांत के विभिन्न क्षेत्रों के नेतृत्व को अनुप्राणित किया जा सके जो समय के तकाजे पर खरे उतरे हैं और जो उच्च समभाव-संपन्न है । साईं थॉट लीडरशिप’ एक बेहतरीन मौका है जब इसके मंच से समाज के प्रमुख आधार स्तंभ माने जाने वाले मुख्य वक्ता गण समाज को कुछ देने तथा समाज के साथ अपनी एकात्मता के जज्बे को बयान करते हुए श्रोताओं तथा दर्शकों को समृद्ध कर सकेंगे।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर धाद ने किया लोकभाषा की 15 पुस्तकों का लोकार्पण

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“देश की 22 भाषाओं में गढ़वाली और कुमाऊंनी को शामिल करने की वकालत”
देहरादून,  गढ़रत्न और प्रख्यात लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि युवा पीढ़ी लोकभाषा से विमुख होती जा रही है। ऐसे में लोकभाषा के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने जरूरी हो गए हैं, हालांकि अब मातृभाषा के प्रति लोग जागरूक हो रहे हैं। उन्होंने गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा को देश की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की वकालत की। इस मौके पर लोकभाषाओं पर आधारित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।
नेगी रविवार को मालदेवता स्थित स्मृति वन में धाद लोकभाषा एकांश की ओर से अंतर्राष्ट्रीय लोकभाषा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के समापन समारोह में बोल रहे थे। लोकगायक नेगी ने सेंसेक्स में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषाओं पर आए संकट का जिक्र करते हुए इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यदि हमने मातृभाषा के कालम में गढ़वाली या कुमाऊंनी लिखा होता तो यह आंकड़े झूटे साबित होते, क्योंकि लाखों लोग इन भाषाओं को बोलते हैं। कहा कि जब उन्होंने गढ़वाली गीत गाने शुरू किए तो लोकभाषा ने उन्हें ऐसा जकड़ा कि वह आज तक उससे छूट नहीं पाए। उन्होंने धाद के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सरकारों से लोकभाषा को बचाने की उम्मीद नहीं की जा सकती, इसलिए गढ़वाली भाषा को जिंदा रखने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है।
       धाद के केंद्रीय अध्यक्ष लोकेश नवानी ने कहा कि दुनिया में साढ़े तीन हजार से ज्यादा भाषाएं हैं, जिनमें से कई भाषाएं अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष  कर रही हैं। उन्होंने कहा कि लोकभाषा हमको आपस में जोड़ने का काम करती है। कहा कि भूमंडलीकरण के कारण अंग्रेजी भाषा हावी हो गई, जिससे गढ़वाली समेत तमाम भाषाओं पर संकट आ गया, जिसे संरक्षण देने की जरूरत है। भाषाई विविधता के बीच अपनी भाषा को बचाने की जरूरत है।
   इस मौके पर नंदकिशोर हटवाल ने बाल साहित्य में लोकभाषा के प्रयोग पर जोर दिया। डायट प्राचार्य राकेश जुगरान ने कहा कि एक से ज्यादा भाषा सीखना बुरा नहीं है, लेकिन अपनी लोकभाषा को बचाना जरूरी है, जिसके लिए निरंतर काम किया जाना जरूरी है और इसे स्कूल स्तर पर शुरू करने की जरूरत है।
       इस मौके पर पुष्पलता रावत, मुकेश नौटियाल, प्रदीप बहुगुणा दर्पण ने भी विचार व्यक्त किए। दो सत्रों में हुए इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी और अन्य लोकभाषाओं में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। पहले सत्र का संचालन संस्था के केंद्रीय महासचिव तन्मय ममगाईं जबकि दूसरे सत्र का संचालन शांति बैंजोला ने किया। कार्यक्रम में डा. कमला पंत, डा. आशा रावत, हर्ष मणि ब्यास, डा. राकेश बलूनी, मणि भारती, धूम सिंह, गोपाल बिष्ट, शोभा रतूड़ी आदि मौजूद थे।
                        
लोकभाषा की पन्द्रह पुस्तकों का लोकार्पण 
अंतरराष्ट्रीय लोकभाषा दिवस पर आयोजित नौ दिवसीय कार्यक्रम के प्रभारी शांति प्रकाश जिज्ञासू ने कहा कि कार्यक्रम के अंतिम दिन रूम टू रीड के तहत चार भाषाओं गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी और हिंदी में 15-15 कहानियों के सेट की पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इन पुस्तकों के लेखकों ने अपने विचार साझा किए।

(बड़ी खबर): पूर्व छात्र संघ महासंघ उपाध्यक्ष ने की आत्महत्या, प्रेमिका के घर जाकर खाया जहर

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(चन्दन सिंह बिष्ट)

हल्द्वानी (भीमताल), कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र महासंघ के वर्ष 2017-18 में उपाध्यक्ष रहे सुंदर लाल आर्य द्वारा आत्महत्या किए जाने का समाचार है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि 24 वर्षीय सुंदर का पिछले चार-पांच वर्षों से किसी युवती से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती के परिजन दोनों की शादी के खिलाफ थे। इधर युवती का विवाह अन्यत्र तय हो गया था। इस कारण ही उसने जहर पीकर आत्महत्या कर ली।

बताया गया है कि सुंदर ने मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे अपनी प्रेमिका के लामाचौड़ स्थित घर के पास ही नुवान नाम का कीटनाशक पी लिया। उन्हें बचाने की कोशिश में सेंट्रल हॉस्पिटल लाया गया, लेकिन अस्पताल पहंचने से पूर्व ही उसकी मौत हो गई। उसके घर वालों को करीब दो बजे इसकी जानकारी लगी। उसके शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार के अनुसार मूलतः ढोलीगांव ओखलकांडा निवासी सुंदर पढ़ने में काफी मेधावी था। उसने हाल ही में एमए की परीक्षा पूरी की थी। वह एनसीसी कैडेट भी रहा था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभाग संयोजक का दायित्व भी निभाया था। अंतिम संस्कार सुंदर आर्य के पैतृक गांव ढोलीगांव में बुधवार को होगा।

जानिए किन पांच राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्सों में कम करेगी कटौती

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नई दिल्ली, एजेंसियां। देशभर में बढ़ते पेट्रोल और डीजल के दामों से जनता परेशान है। कई राज्यों में पेट्रोल का दाम सौ रुपये प्रति लीटर से भी ज्यादा हो गया है। राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां पेट्रोल 90 रुपये से ज्यादा दाम में बिक रहा है और डीजल भी 81 रुपये के ऊपर ही है। बढ़ते तेल के दामों के बीच पांच राज्यों ने अपने यहां की जनता को राहत देने के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम कम किए है। देश में लगातार बढ़ती पेट्रोल और डीजल की कीमतों के बीच इन पांच राज्यों ने राहत की खबर दी है। इन सभी पांचों राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) को घटा दिया है। जिसके बाद इन राज्यों में बिक रहा पेट्रोल और डीजल बाकी राज्यों के मुकाबले सस्ता मिल रहा है और इससे जनता को काफी फायदा हो रहा है।

सस्ते दामों में पेट्रोल और डीजल देने वाले राज्य राजस्थान, असम, पश्चिम बंगाल, नागालैंड और मेघालय हैं। इन सभी राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) घटा दिए हैं। पश्चिम बंगाल ने रविवार को टैक्स घटाया है। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक रुपये वैट कम किया है। इसके पेट्रोल और डीजल पर वैट (VAT) सबसे पहले राजस्थान ने पिछले महीने जनवरी में घटाया था। वहीं, नागालैंड और मेघालय सरकार ने भी अपने यहां पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती की है।

नागालैंड और मेघालय में पेट्रोल और डीजल के टैक्सों में कटौती से लोगों को राहत

देश में ईंधन की कीमतों में वृद्धि के बीच, नागालैंड सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल के टैक्सों में कटौती की है। संशोधित टैक्सों की दर 22 फरवरी की मध्यरात्रि से लागू हो गईं हैं। सरकारी अधिसूचना के अनुसार नागालैंड में पेट्रोल और अन्य ईंधनों पर टैक्स की दर को 29.80 फीसद प्रति लीटर से घटाकर 25 फीसद प्रति लीटर या 18.26 रुपये से घटाकर 16.04 रुपये (दोनों में से जो अधिक हो) कर दिया गया है।

इसके साथ ही अधिसूचना में कहा गया है कि डीजल पर टैक्सी की दर 11.08 रुपये से घटाकर 10.51 रुपये प्रति लीटर या 17.50 फीसद से घटाकर 16.50 फीसद प्रति लीटर (दोनों में से जो अधिक हो) किया गया है।

मेघालय की सरकार ने अपने यहां की जनता को राहत देते हुए पेट्रोल पर टैक्स में 7.4 रुपये और डीजल पर 7.1 रुपये प्रतक की कटौती की है।

बता दें कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले 10 दिनों से लगातार बढ़ रही हैं और कुछ राज्यों में, पेट्रोल की कीमत 100 रुपये से भी अधिक हो गई है। विपक्षी दलों ने भी डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया है।

दिल्ली में 90.83 रुपये में मिल रहा पेट्रोल

देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमतें मंगलवार को फिर से बढ़ गईं हैं। दिल्ली में पेट्रोल 90.83 और डीजल 81.32 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। पेट्रोल की कीमत में 25 डीजल में 35 पैसे की बढ़ोतरी हुई है।

गौरतलब है कि इससे पहले अपने बजट भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर के कृषि सेस और डेवलपमेंट (एआईडीसी) लगाने की घोषणा की थी। 14 फरवरी को दिल्ली में 14.2 किलो के घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में भी 50 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी, जिससे अब रसोई गैस की कीमत 769 रुपये प्रति सिलेंडर हो गई है।

महिला क्रिकेट: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच मुकाबले सात मार्च से, लखनऊ में आयोजन

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नई दिल्ली. भारत और दक्षिण अफ्रीका की महिला टीमों के बीच 7 मार्च से सीरीज होने जा रही है. सीरीज में 5 वनडे और 3 टी20 के मुकाबले खेले जाएंगे. वनडे सीरीज की शुरुआत 7 मार्च से होगी जबकि टी20 के मुकाबले 20 मार्च से शुरू हाेंगे. सभी मुकाबले लखनऊ के एकाना स्टेडियम में खेले जाएंगे. उप्र क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव युद्धवीर सिंह ने मैच की तारीख और वेन्यू की पुष्टि कर दी है. दोनों टीमें 25 फरवरी काे लखनऊ पहुंचेंगी. यह सीरीज बायो बबल में खेली जाएगी.

भारतीय महिला टीम ने अंतिम इंटरनेशनल मुकाबला टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल खेला था. फाइनल में उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार मिली थी. यह मैच 8 मार्च 2020 को मेलबर्न स्टेडियम में खेला गया था और लगभग 90 हजार फैंस भी पहुंचे थे. यानी टीम पूरे एक साल बाद इंटरनेशनल मैच खेलेगी. दोनों टीमों छह दिन क्वारेंटाइन में रहेंगी. इसके बाद ही उन्हें ट्रेनिंग की इजाजत मिलेगी. भारत के अलावा पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका की टीमें कोरोना के बीच इंटरनेशनल मुकाबला खेल चुकी हैं.

नवंबर 2019 से हमने नहीं खेला है कोई वनडे मैच

भारतीय महिला टीम की बात करें तो हमने 6 नवंबर 2019 के बाद से कोई वनडे मैच नहीं खेला है. यानी टीम 16 महीने बाद वनडे मुकाबला खेलने उतरेगी. यह सीरीज इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि अगले साल वनडे वर्ल्ड कप प्रस्तावित है. वर्ल्ड कप के मुकाबले न्यूजीलैंड में होने हैं. महिला टीम का प्रदर्शन पिछले कुछ समय से काफी अच्छा रहा है. पिछले साल टीम टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी. वहीं 2017 में हुए वनडे वर्ल्ड कप के खिताबी मुकाबले में भी टीम पहुंची थी. वनडे टीम की कप्तान मिताली राज सिर्फ वनडे के मुकाबले खेलती हैं. ऐसे में उनके लिए यह अच्छा मौका होगा. पिछले साल आईपीएल के दौरान महिला टी20 चैलेंज के मुकाबले यूएई में कराए गए थे. इस दौरान चार मुकाबले हुए थे और देश की सभी प्रमुख खिलाड़ी इसमें उतरी थीं.

Academic Session: अप्रैल से पटरी पर लौटेगी पढ़ाई, पहले जैसी स्थिति में लाने की ये है तैयारी

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 नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के खत्म होते प्रभाव के बीच स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों के लड़खड़ाए शैक्षणिक सत्र को फिर से पटरी पर लाने की तैयारी शुरू हो गई है। शिक्षा मंत्रालय ने इसके लिए संबंधित एजेंसियों को सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। खासकर स्कूलों से 10वीं और 12वीं की बोर्ड को छोड़कर बाकी सभी कक्षाओं की परीक्षाएं कराने और उनके परिणाम घोषित करने का काम 31 मार्च तक पूरा करने को कहा है, ताकि एक अप्रैल से नई कक्षाएं शुरू हो सकें। इसी तरह विश्वविद्यालयों सहित दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों से भी नई कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया से जुड़ी तैयारी करने के लिए कहा गया है।

शैक्षणिक सत्र को पटरी पर लाने की यह कवायद

शैक्षणिक सत्र को पटरी पर लाने की यह कवायद तब शुरू की गई है, जब स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक को खोल दिया गया है। हालांकि अभी इनमें अभी पहले जैसी शैक्षणिक गतिविधियां नहीं शुरू हो पाई हैं। स्कूलों में अभी सिर्फ नौवीं से 12वीं तक के छात्रों को बुलाया जा रहा है। इनमें भी उन्हें प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट जैसी गतिविधियों तक ही सीमित रखा गया है। इसी तरह विश्वविद्यालयों में भी शोध सहित अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे छात्रों को ही बुलाया जा रहा है। हालांकि पिछले कुछ महीनों में परिस्थितियां जिस तरह से सामान्य हो रही हैं, उनमें पढ़ाई लिखाई को फिर से ट्रैक पर लाने की कोशिशें तेज हुई हैं।

नए शैक्षणिक सत्र से सब कुछ सामान्य रूप में लाने का प्रयास

फिलहाल शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई लिखाई के पुराने माहौल को वापस लाने के लिए यूजीसी और सीबीएसई आदि अपने-अपने स्तर पर जुटे हुए हैं। सभी का जोर इस बात को लेकर है कि आने वाले नए शैक्षणिक सत्र से सब कुछ सामान्य रूप में लाया जाए। वैसे भी कोरोना के खतरे को देखते हुए शैक्षणिक संस्थानों को बंद हुए करीब एक साल होने वाला है। कोरोना दस्तक के बीच वर्ष 2020 के मार्च में ही शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया था। तभी से छात्र घरों में कैद हैं। हालांकि इन दौरान उन्हें आनलाइन पढ़ाया गया है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो छात्रों को कक्षाओं में लाए बगैर उन्हें बेहतर शिक्षा नहीं दी जा सकती है। कोरोना संकट के चलते लड़खड़ाए शैक्षणिक सत्र का असर यह था कि पिछले साल विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं नवंबर तक हुई हैं।

कोरोना के देश में बढ़ते मामले, पंजाब सरकार ने एक मार्च से लागू किये नये नियम

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चंडीगढ़: देश में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए पंजाब सरकार ने 1 मार्च से नए नियम लागू कर दिए हैं. इसके तहत अब इंडोर जगहों पर 100 सेज्यादा लोगों के जुटने पर रोक लगा दी गई है, जबकि आउटडोर जगहों पर ये रोक 200 लोगों पर लगेगी. यही नहीं, सरकार ने सभी डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर को आदेश दिए हैं कि वो अपने अपने जिलों में हॉटस्पॉट्स की पहचान करें और जरूरी हो तो नाइट कर्फ्यू भी लगा सकते हैं.

पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने दिए निर्देश

पंजाब सरकार की हाई-लेवल वर्चुअल मीटिंग में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी (Coronavirus) फिर से तेजी से पैर पसार रही है. पंजाब में हर दिन 30 हजार से ज्यादा टेस्टिंग हो रही है. उन्होंने सभी डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर को आदेश दिए हैं कि वो जरूरत पड़ने पर कोरोना हॉटस्पॉट वाले इलाकों में नाइट कर्फ्यू लगा सकते हैं. आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के मुताबिक स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वो मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के आदेश को कड़ाई से लागू करें. सिनेमा हाल पर 1 मार्च को फैसला

अमरिंदर सिंह ने कहा कि स्थानीय प्रशासन कोरोना के मामलों पर नजर रखे और सिनेमा हाल में पाबंदियों को लेकर फैसला 1 मार्च को किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्राइवेट ऑफिस और रेस्टोरेंट्स को सभी कर्मचारियों की कोरोना टेस्टिंग करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने हर कोरोना पॉजिटिव मामलों में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए कम से कम 15 लोगों की कोरोना टेस्टिंग अनिवार्य कर दी है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों को 100 प्रतिशत तक कोरोना वैक्सीन लगाई जाए. इसके लिए प्रचार अभियान भी चलाने के लिए उन्होंने मंजूरी दी. यही नहीं, मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों तक कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को योजनाएं बनाने का निर्देश भी दिया है. इस दौरान मुख्य सचिव विन्नी महाजन ने कहा कि स्कूलों को बंद करने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि स्कूल खुले रहेंगे, क्योंकि हर स्कूल में शिक्षकों को ही कोरोना मामलों का नोडल ऑफीसर बनाया गया है, जो अपने स्कूलों में मास्क लगाने और कोरोना गाइडलाइन्स का पालन कराने के लिए जिम्मेदार होंगे.

टूलकिट मामला : कोर्ट ने दिशा रवि को दी जमानत

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नयी दिल्ली, टूलकिट मामले में दिल्ली की एक अदालत ने 21 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को जमानत दे दी है। दिशा रवि को दिल्ली पुलिस ने 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दिशा रवि पर सोशल मीडिया के जरिए किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित टूलकिट साझा करने का आरोप है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने रवि को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत भरने पर यह राहत दी। रवि को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ की एक टीम बेंगलुरु से गिरफ्तार कर दिल्ली लाई। वह वर्तमान में पुलिस हिरासत में है।

पॉजिटिव न्यूज : देहरादून का लच्छीवाला टोल टैक्स स्थानीय जनता के लिए फ्री करने का निर्णय

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देहरादून, डोईवाला के लच्छीवाला हरिद्वार-देहरादून हाईवे पर बने टोल टैक्स बैरियर पर 18 फरवरी से टोल टैक्स लेना शुरू हो गया, जिसको लेकर विपक्षी पार्टी आये दिन धरना प्रदर्शन कर रहे थे। जिसमें कांग्रेस और उक्रांद सहित अन्य विपक्षी पार्टियों की मुख्य मांग थी कि लोकल वाहनों को टोल टैक्स में रिहायत दी जाए।

विपक्षी पार्टियों का आरोप था कि लच्छीवाला टोल प्लाजा को नजदीकी रहने वाले लोगों को इस प्लाजा से दिन में कई बार आना जाना लगा रहता है। जिसके चलते लोकल वाहन स्वामी काफी परेशान व चिंतित थे और क्षेत्रीय जनता भी चाहती थी कि लोकल वाहनों को टोल मुक्त किया जाए। जिसको लेकर विपक्षी पार्टियों औल स्थानीय संगठन आए दिन टोल प्लाजा पर अपना रोष व्यक्त करते आ रहे हैं साथ ही लोकल में संचालित वाहन यूनियन भी इस को लेकर प्रशासन ज्ञापन सौंप चुके हैं और क्षेत्रीय जनता भी टोल टैक्स में छूट के पिछले दिनों से संघर्षरत थी।

इन सब के बीच टोल टैक्स को लेकर अच्छी खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री आवास कार्यालय पर चली मीटिंग में लच्छीवाला टोल टैक्स स्थानीय जनता के लिए फ्री करने का निर्णय लिया गया है। बैठक में टोल संचालन कर रही कंपनी के प्रतिनिधि और डोईवाला के स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकल वाहनों पर टोल टैक्स में राहत दी है। जिससे क्षेत्रीय लोगों में खुशी का माहौल है और लोगों ने राहत की सांस ली है। जिसके लिए लोगों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का तहे दिल से धन्यवाद किया है। सभी टोल टैक्स में छूट प्राप्त करने वाले स्थानीय व्यक्तियों को अपने वाहन का फास्टटैग लगवाना अनिवार्य होगा।

लच्छीवाला टोल संचालन कर रही कंपनी के द्वारा आधार कार्ड से इसको लिंक कर स्थानीय व्यक्ति को टोल फ्री का लाभ अपडेट किया जायेगा। टोल कंपनी के द्वारा इस पूरी प्रक्रिया में अगले दस से पंद्रह दिन का समय लग सकता है। इन स्थानीय लोगों को मिलेगी टोल टैक्स में छूट जिनमे में डोईवाला नगर पालिका के अंतर्गत सभी 20 वार्ड, मार्खमग्रांट, बुल्लावाला, झबरावाला, दुधली, जीवनवाला, कालूवाला, बड़ोवाला, बालावाला, तुनवाला, नकरौंदा, रानीपोखरी, भानियावाला, जॉलीग्रांट सहित नजदीकी क्षेत्रों को राहत मिलेगी। मुख्यमंत्री आवास पर चली मीटिंग में सीएम के ओएसडी धीरेन्द्र पंवार, लच्छीवाला टोल का संचालन कर रही श्री रिद्धि-सिद्धि कंपनी के प्रतिनिधि दीपक, भाजपा मंडल अध्यक्ष विनय कंडवाल, जिला उपाध्यक्ष विक्रम नेगी, सभासद ईश्वर सिंह रौथाण, अवतार सिंह सैनी, अमित कुमार, राकेश डोभाल, परमिंदर सिंह बाउ, नरेंद्र सिंह नेगी आदि उपस्थित रहे |

उपनल कर्मियों का दो दिवसीय कार्य बहिष्कार, दून अस्पताल में व्यवस्थाएं हुई ठप

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देहरादून, उपनल के संविदा कर्मी सरकार से इस बार आरपार लड़ाई के मूड़ में हैं, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मी सरकार के खिलाफ आंदोलित हो गये। प्रदेशभर में चल रही उनकी दो दिवसीय कार्यबहिष्कार के पहले दिन दून मेडिकल कालेज अस्पताल में मरीजों को कई स्तर पर परेशानी झेलनी पड़ी। सुबह काफी देर रजिस्ट्रेशन काउंटर ठप रहा।

उपनल संविदा कर्मी समान कार्य समान वेतन और नियमितीकरण की मांग को लेकर उपनल कर्मचारी महासंघ ने 22 और 23 फरवरी को प्रदेशभर में कार्य बहिष्कार का एलान किया है। उपनल कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के कारण मरीजों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। दून अस्पताल में काफी देर तक रजिस्ट्रेशन काउंटर ठप रहा। फिर मरीजों की परेशानी को देखते हुए काउंटर पर स्थाई स्टाफ तैनात किया गया। मरीजों को हस्तलिखित पर्चे दिए गए।

वक्त ज्यादा लगने से मरीजों को काफी देर लाइन में लगना पड़ रहा है। अस्पताल में बिलिंग भी बंद है। साथ ही पैथोलाजी भी ठप है। इसके चलते मरीज जांच भी नहीं करा पा रहे हैं। यही हाल आयुष्मान काउंटर का है। यहां भी उपनल कर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन वह भी कार्य बहिष्कार पर हैं। ऐसे में अटल आयुष्मान के तहत मरीज भर्ती व डिस्चार्ज करने में दिक्कत आ रही है।

यही नहीं उपनल कर्मियों के कार्य बहिष्कार के कारण कोरोना जांच के लिए सैंपल भी नहीं लिए जा सके हैं। इधर, कोरोनाकाल में दून मेडिकल कालेज अस्पताल में उपनल और पीआरडी के माध्यम से रखे गए नर्सिंग, पैरामेडिकल और अन्य स्टाफ ने भी नौकरी से हटाए जाने के खिलाफ सोमवार से बेमियादी कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। ऐसे में व्यवस्थाएं बुरी तरह लडखडा गई हैं। गौरतलब हो कि कोरोनाकाल में पीआरडी और उपनल के माध्यम से नर्सिंग, लैब तकनीशियन, वार्ड ब्वाय, चालक समेत अन्य कई पदों पर 250 से अधिक कर्मचारी रखे गए थे। अब 28 फरवरी एवं 31 मार्च को उनकी सेवा समाप्त हो रही है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने कोरोना में जान जोखिम में डालकर घर-परिवार छोड़कर कार्य किया, लेकिन अब उन्हें निकाला जा रहा है।

 

पौड़ी में भी उपनल कर्मियों को कार्य बहिष्कार आज से

पौड़ी में भी उपनल कर्मी समान कार्य, समान वेतन और नियमितीकरण की मांग को लेकर सोमवार से दो दिवसीय कार्य बहिष्कार शुरू पर हैं। संघ के जिलाध्यक्ष भारतेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि 22 और 23 फरवरी को दो दिवसीय कार्य बहिष्कार किया जाएगा।

उन्होंने सभी उपनल कर्मचारियों से कार्य बहिष्कार करते हुए देहरादून में होने वाले प्रदर्शन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील की है। नेगी ने बताया कि पिछले लंबे समय से समान कार्य के लिए समान वेतन देने व नियमितीकरण की मांग की जा रही है, लेकिन प्रदेश सरकार कर्मचारियों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।