Monday, June 16, 2025
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देहरादून : चल रहा था प्रेम प्रसंग, पति को नींद की गाेलियांं खिलाकर सुलाया मौत की नींद, म‍ह‍िला और प्रेमी को किया गिरफ्तार

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देहरादून, कहते हैं प्यार अंधा होता है तभी तो प्यार करने वाला व्यक्ति अपने पराये का भेद भूल बस अपने प्यार की खातिर कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाता है, देहरादून के रायपुर क्षेत्र में एक महिला एक युवक के प्यार में इतनी अंधी हो गई कि उसने रात को अपने पति को नींद की गोलियां खिलाकर मौत की नींद सुला दिया। रायपुर थाना पुलिस ने महिला व उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया है।

एसओ दिलबर सिंह नेगी ने बताया कि 28 मई को अस्पताल से सूचना मिली थी कि पंकज भट्ट निवासी राज राजेश्वरी एनक्लेव नथुआवाला की संदिग्ध हालातों में मृत्यु हो गई है। प्रकरण के संबंध में 29 मई को मृतक की मां पुष्पा भट्ट की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया। मामले की जांच शुरू करते हुए सबसे पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया गया व मृतक की मां पुष्पा भट्ट से पूछताछ की गई। मृतक की मां पुष्पा भट्ट ने बताया गया कि पंकज की शादी वर्ष 2006 में विजयलक्ष्मी से हुई थी लेकिन शादी के बाद से ही विजयलक्ष्मी एवं पंकज में आपसी झगड़े होते रहते थे। विजयलक्ष्मी उर्फ विजया का किसी दीपक नाम के लड़के के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था। पंकज भट्ट ने अपनी पत्नी के पास दो मोबाइल भी पकड़े थे जिनमें दीपक के साथ विजया की कई फोटो थी। पुष्पा देवी ने बताया कि उसके बेटे पंकज की पत्नी विजयलक्ष्मी ने ही अपने प्रेमी दीपक के साथ मिलकर इसको कुछ खिलाया है।

पंकज की पत्नी विजयलक्ष्मी से उनके घर पर जाकर पूछताछ की गई। महिला ने आरोपों से इनकार किया बताया कि घटना के दिन रात को अचानक एक बजे पंकज को देखा तो वह बेहोश पड़े हुए थे, जिसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मृत्यु हो गई। पुलिस को मृतक की पत्नी के बयानों में विरोधाभास नजर आया। पुलिस टीम ने विजयलक्ष्मी व उसके प्रेमी की कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच की। पुलिस टीम ने 29 मई रात को ही पूछताछ के लिए दीपक निवासी आमवाला तरला रायपुर को थाने बुलाया। पूछताछ में दीपक ने अपना जुर्म कबूल किया। दीपक ने पूछताछ में बताया कि वह जिम ट्रेनर है व उसका व विजयलक्ष्मी का वर्ष 2018 से मिलना जुलना था। 2018 में ही उसकी मुलाकात विजय लक्ष्मी से बॉडी टेंपल जिम में हुई थी तभी से दोनों की दोस्ती हो गई थी। कुछ दिन पहले ही विजयलक्ष्मी ने दीपक को बताया कि उसके पति को उनके अफेयर के बारे में पता चल गया है। विजयलक्ष्मी दीपक से बार बार मिलना चाहती थी और अपने घर बुलाती थी।

26 मई को दीपक का जन्मदिन था। विजयलक्ष्मी ने दीपक से नींद की गोली मंगवाई। 27 मई की रात विजयलक्ष्मी ने योजनानुसार दीपक से बात कर अपने पति पंकज भट्ट को अत्यधिक नींद की गोली खिला दी, जिसके कारण पंकज की मृत्यु हो गई। पुलिस ने दीपक को गिरफ्तार कर रविवार को विजयलक्ष्मी को पूछताछ के लिए थाने बुलाया। पुलिस ने विजयलक्ष्मी से पूछताछ की तो उसने बताया कि उससे गलती हो गई है। उसने अपने पति को अधिक नींद की गोलियां दी थी जिससे उसकी मृत्यु हो गई।

कोविड जागरूकता में बेहतर कार्य करने वालों की मुख्यमंत्री ने थपथपाई पीठ

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देहरादूनः मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी ने आज बीजापुर सेफ हाउस से कोविड की स्थितियों के बारे में वर्चुअली जानकारियां ली। इस मौके पर उन्होंने सेवाहि संगठन पार्ट 2 कार्यक्रम के अंतर्गत महामारी में मदद कर रहे पौड़ी व अल्मोड़ा के कार्यकर्ताओं व क्षेत्रवासियों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में प्रदेश में चहुंमुखी विकास हुआ है। और कोरोना के हालात भी नियंत्रित हुए हैं।

अपने वर्चुअली संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड वैश्विक महामारी है। इसके खिलाफ सभी संगठित हो कर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में पिछले दिनों के अपेक्षा अब स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है। प्रदेश में चल रहे कोविड कर्फ्यू के साथ ही गाइड लाइन का भी लोगों ने पालन किया। इसी का नतीजा है कि आज हम बेहतर स्थिति में आए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में डेढ गुना से अधिक टेस्टिंग हो रही है ताकि बीमारी का समय रहते पता चल सके। इसके लिए शहरों से लेकर गांवों तक किसी को भी कोई परेशानी ना हो सरकार ने इसके लिए पूरी व्यवस्थाएं की हैं। गांवों में चिकित्सकीय टीमें काम कर रही हैं। वहां दवा से लेकर राशन तक की व्यवस्था की गई है। प्रयास रहेगा के प्रदेश में जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी तक आक्सीजन प्लांट लगाए जाएं, ताकि कहीं भी आक्सीजन संबंधी दिक्कत ना हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 45 वर्ष से अधिक आयुवर्ग में अधिकांश का टीकाकरण किया जा चुका है। बच्चों की सुरक्षा के लिए भी प्रदेश में समुचित व्यवस्थाएं की गई हैं। किसी भी स्थिति में परेशानी वाली कोई बात नहीं है।

उन्होंने कहा कि कोविड की विकट स्थितियों का हम सबने डटकर मुकाबला किया है। कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही आमजनमानस ने भी एक दूसरे सहयोग व मदद में जिस मनोयोग से काम किया है, उसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं।

बड़े टेंडर जारी होने से संकट में छोटे ठेकेदार

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उत्तराखंड , प्रदेश में बड़े ठेकेदारो को टेंडरों का एक्त्रितकर्ण कर लाभ देने के कारण छोटे ठेकेदारों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है, प्रदेश में छोटे टेंडर निकालने के लिये आज लोक निर्माण विभाग ठेकेदार एसोसिएशन के पदाधिकारी अध्यक्ष मनोज पंवार के नेतृत्व में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी  से मिले एवं उन्हें एक ज्ञापन सौंपकर प्रदेश के सरकारी विभाग में पंजीकृत ठेकेदारो की समस्याओं से अवगत कराया गया।

प्रदेश के सभी ठेकेदारो को विभाग में कार्य मिल सके इस विषय पर बड़े टेंडरों की जगह छोटे छोटे टेंडर लगाए जाने का भी अनुरोध किया गया। इस पर माननीय मंत्री जी द्वारा संज्ञान लेते हुए शीघ्र ही उचित समाधान करने का आश्वासन दिया गया।

संघ को उम्मीद है की जल्दी ही इस पर कोई सकारात्मक कार्यवाही देखने को मिलेगी तथा छोटे ठेकेदारों को भी अपने पारिवारिक दायित्व निभाने के लिये कार्य मिल सकेगा !
इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष दीपक पुंडीर, लोक निर्माण विभाग ठेकेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज पंवार, महामंत्री नवल वासुदेव, प्रेम सिंह पंवार, लक्ष्मण सिंह रावत, सुनील चंदेल, मोहम्मद यूसुफ, युद्धवीर सिंह नेगी, अनुराग, सापेक्ष शर्मा, सोनू चौधरी, संदीप सेमवाल, जितेंद्र सिंह बिष्ट, महेंद्र सिंह पुंडीर, जीत सिंह ठाकुर एवं वीरेंद्र प्रसाद रतूड़ी आदि सदस्य उपस्थित रहे।

हिंदी पत्रकारिता के समक्ष आर्थिक से ज्यादा है भाषायी और बौद्धिक संंकट

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प्रो. संजय द्विवेदी

समाज जीवन के सभी क्षेत्रों की तरह मीडिया भी इन दिनों सवालों के घेरे में है। उसकी विश्सनीयता, प्रमाणिकता पर उठते हुए सवाल बताते हैं कि कहीं कुछ चूक हो रही है। ऐसे में हमें अपनी उजली विरासत को सहेजने का समय आ गया है। 30 मई, 1826 को कोलकाता से जब पं. युगुल किशोर शुक्ल ने उदंत मार्तंण्ड का प्रकाशन प्रारंभ किया था तो उन्होंने उसका उद्देश्य बताया था- ‘हिंदुस्तानियों के हित के हेत।’ उद्देश्य आज भी यही है और पत्रकारिता की मुक्ति इसी में है। लोगों की ढेरों अपेक्षाओं बीच उम्मीद की लौ कभी नहीं बुझती। उम्मीद है कि भारतीय मीडिया आजादी के आंदोलन में छिपी अपनी गर्भनाल से एक बार फिर वह रिश्ता जोड़ेगा।

एक पाठक और एक दर्शक के नाते हमें तो श्रेष्ठ ही चाहिए, मिलावट नहीं। वह मिलावट खबरों की हो या विचारों की। लेकिन आज के दौर में ऐसी परिशुद्धता की अपेक्षा क्या उचित है? क्या बदले हुए समय में मिलावट को युगधर्म नहीं मान लेना चाहिए? आखिर मीडिया के सामने रास्ता क्या है? किन उपायों और रास्तों से वह अपनी शुचिता, पवित्रता, विश्वसनीयता और प्रामणिकता को कायम रख सकता है, यह सवाल आज सबको मथ रहा है। जो मीडिया के भीतर हैं उन्हें भी, जो बाहर हैं उन्हें भी। सबसे बड़ी चुनौती खबरों में मिलावट की है। खबरें परिशुद्धता के साथ कैसे प्रस्तुत हों, कैसे लिखी जाएं, बिना झुकाव, बिना आग्रह कैसे वे सत्य को अपने पाठकों तक संप्रेषित करें। क्या विचारधारा रखते हुए एक पत्रकार इस तरह की साफ-सुथरी खबरें लिख सकता है? ऐसे सवाल हमारे सामने हैं। सवाल यह भी है कि एक विचारवान पत्रकार और संपादक विचार निरपेक्ष कैसे हो सकता है? संभव हो उसके पास विचारधारा हो, मूल्य हों और गहरी सैंद्धांतिकता का उसके जीवन और मन पर असर हो। ऐसे में खबरें लिखता हुआ वह अपने वैचारिक आग्रहों से कैसे बचेगा ? अगर नहीं बचेगा तो मीडिया की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता का क्या होगा? उत्पादन के कारखानों में ‘क्वालिटी कंट्रोल’ के विभाग होते हैं। मीडिया में यह काम संपादक और रिर्पोटर के अलावा कौन करेगा? तथ्य और सत्य का संघर्ष भी यहां सामने आता है। कई बार तथ्य गढ़ने की सुविधा होती है और सत्य किनारे पड़ा रह जाता है।

पत्रकार ऐसा करते हुए खबरों में मिलावट कर सकता है। वह सुविधा से तथ्यों को चुन सकता है, सुविधा से परोस सकता है। इन सबके बीच भी खबरों को प्रस्तुत करने के आधार बताए गए हैं, वे अकादमिक भी हैं और सैद्धांतिक भी। हम खबर देते हुए न्यायपूर्ण हो सकते हैं। ईमान की बात कर सकते हैं। परीक्षण की अनेक कसौटियां हैं। उस पर कसकर खबरें की जाती रही हैं और की जाती रहेंगी। विचारधारा के साथ गहरी लोकतांत्रिकता भी जरूरी है, जिसमें आप असहमति और अकेली आवाजों को भी जगह देते हैं, उनका स्वागत करते हैं।

हिंदी पत्रकारिता पर आरोप लग रहे हैं कि वह अपने समय के सवालों से कट रही है। उन पर बौद्धिक विमर्श छेड़ना तो दूर, वह उन मुद्दों की वास्तविक तस्वीर सूचनात्मक ढंग से भी रखने में विफल पा रही है तो यह सवाल भी उठने लगा है कि आखिर ऐसा क्यों है? 1990 के बाद के उदारीकरण के सालों में अखबारों का सुदर्शन कलेवर, उनकी शानदार प्रिटिंग और प्रस्तुति सारा कुछ बदला है। वे अब पढ़े जाने के साथ-साथ देखे जाने लायक भी बने हैं। किंतु क्या कारण है उनकी पठनीयता बहुत प्रभावित हो रही है। वे अब पढ़े जाने के बजाए पलटे ज्यादा जा रहे हैं। पाठक एक स्टेट्स सिंबल के चलते घरों में अखबार तो बुलाने लगा है, किंतु वह इन अखबारों पर वक्त नहीं दे रहा है। क्या कारण है कि ज्वलंत सवालों पर बौद्धिकता और विमर्शों का सारा काम अब अंग्रेजी अखबारों के भरोसे छोड़ दिया गया है? हिंदी अखबारों में अंग्रेजी के जो लेखक अनूदित होकर छप रहे हैं वह भी सेलिब्रेटीज ज्यादा हैं, बौद्धिक दुनिया के लोग कम।

हिंदी के पाठकों, लेखकों, संपादकों और समाचारपत्र संचालकों को मिलकर अपनी भाषा और उसकी पत्रकारिता के सामने आ रहे संकटों पर बात करनी ही चाहिए। यह देखना रोचक है कि हिंदी की पत्रकारिता के सामने आर्थिक संकट उस तरह से नहीं है, जैसा कि भाषायी या बौद्धिक संकट। हमारे समाचारपत्र अगर समाज में चल रही हलचलों, आंदोलनों और झंझावातों की अभिव्यक्ति करने में विफल हैं और वे बौद्धिक दुनिया में चल रहे विमर्शों का छींटा भी अपने पाठकों पर नहीं पड़ने दे रहे हैं तो हमें सोचना होगा कि आखिर हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी अपने पाठकों का रूचि परिष्कार भी रही है। साथ ही हमारा काम अपने पाठक का उसकी भाषा और समाज के साथ एक रिश्ता बनाना भी है।

आखिर हमारे हिंदी अखबारों के पाठक को क्यों नहीं पता होना चाहिए कि उसके आसपास के परिवेश में क्या घट रहा है। हमारे पाठक के पास चीजों के होने और घटने की प्रक्रिया के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक पहलुओं पर विश्लेषण क्यों नहीं होने चाहिए? क्यों वह गंभीर विमर्शों के लिए अंग्रेजी या अन्य भाषाओं पर निर्भर हो? हिंदी क्या सिर्फ सूचना और मनोरंजन की भाषा बनकर रह जाएगी? अपने बौद्धिक विश्लेषणों, सार्थक विमर्शों के आधार पर नहीं, सिर्फ चमकदार कागज पर शानदार प्रस्तुति के कारण ही कोई पत्रकारिता लोकस्वीकृति पा सकती है? पठनीयता का संकट, सोशल मीडिया का बढ़ता असर, मीडिया के कंटेट में तेजी से आ रहे बदलाव, निजी नैतिकता और व्यावसायिक नैतिकता के सवाल, मोबाइल संस्कृति से उपजी चुनौतियों के बीच मूल्यों की बहस को देखा जाना चाहिए। इस समूचे परिवेश में आदर्श, मूल्य और सिद्धांतों की बातचीत भी बेमानी लगने लगी है। यह समय गहरी सांस्कृतिक निरक्षता और संवेदनहीनता का समय है। इसमें सबके बीच मीडिया भी गहरे असमंजस में है। लोक के साथ साहचर्य और समाज में कम होते संवाद ने उसे भ्रमित किया है। चमकती स्क्रीनों, रंगीन अखबारों और स्मार्ट हो चुके मोबाइल उसके मानस और कृतित्व को बदलने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में मूल्यों की बात कई बार नक्कारखाने में तूती की तरह लगती है। लाख मीडिया क्रांति के बाद भी ‘भरोसा’ वह शब्द है जो आसानी से अर्जित नहीं होता। लाखों का प्रसार आपके प्राणवान और सच के साथ होने की गारंटी नहीं है। ‘विचारों के अनुकूलन’ के समय में भी लोग सच को पकड़ लेते हैं। मीडिया का काम सूचनाओं का सत्यान्वेषण ही है, वरना वे सिर्फ सूचनाएं होंगी- खबर या समाचार नहीं बन पाएंगी।

एक समय में प्रिंट मीडिया ही सूचनाओं का वाहक था, वही विचारों की जगह भी था। 1990 के बाद टीवी घर-घर पहुंचा और उदारीकरण के बाद निजी चैनलों की बाढ़ आ गयी। इसमें तमाम न्यूज चैनल भी आए। जल्दी सूचना देने की होड़ और टीआरपी की जंग ने माहौल को गंदला दिया। इसके बाद शुरू हुई टीवी बहसों ने तो हद ही कर दी। टीवी पर भाषा की भ्रष्टता, विवादों को बढ़ाने और अंतहीन बहसों की एक ऐसी दुनिया बनी जिसने टीवी स्क्रीन को चीख-चिल्लाहटों और शोरगुल से भर दिया। इसने हमारे एंकर्स, पत्रकारों और विशेषज्ञों को भी जगहंसाई का पात्र बना दिया। उनकी अनावश्यक पक्षधरता भी लोगों से सामने उजागर हुयी। ऐसे में भरोसा टूटना ही था। इसमें पाठक और दर्शक भी बंट गए। हालात यह हैं कि दलों के हिसाब से विशेषज्ञ हैं जो दलों के चैनल भी हैं। पक्षधरता का ऐसा नग्न तांडव कभी देखा नहीं गया। आज हालात यह हैं कि टीवी म्यूट (शांत) रखकर भी अनेक विशेषज्ञों के बारे में यह बताया जा सकता है कि वे क्या बोल रहे होंगे। इस समय का संकट यह है कि पत्रकार या विशेषज्ञ तथ्यपरक विश्लेषण नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे अपनी पक्षधरता को पूरी नग्नता के साथ व्यक्त करने में लगे हैं। ऐसे में सत्य और तथ्य सहमे खड़े रह जाते हैं। दर्शक अवाक रह जाता है कि आखिर क्या हो रहा है। कहने में संकोच नहीं है कि अनेक पत्रकार, संपादक और विषय विशेषज्ञ दल विशेष के प्रवक्ताओं को मात देते हुए दिखते हैं। ऐसे में इस पूरी बौद्धिक जमात को वही आदर मिलेगा जो आप किसी दल के प्रवक्ता को देते हैं।

कोई भी मीडिया सत्यान्वेषण की अपनी भूख से ही सार्थक बनता है, लोक में आदर का पात्र बनता है। सच से साथ खड़े रहना कभी आसान नहीं था। हर समय अपने नायक खोज ही लेता है। इस कठिन समय में भी कुछ चमकते चेहरे हमें इसलिए दिखते हैं, क्योंकि वे मूल्यों के साथ, आदर्शों की दिखाई राह पर अपने सिद्धांतों के साथ डटे हैं। समय ऐसे ही नायकों को इतिहास में दर्ज करता है और उन्हें ही मान देता है। हर समय अपने साथ कुछ चुनौतियां लेकर सामने आता है, उन सवालों से जूझकर ही नायक अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं। नए समय ने अनेक संकट खड़े किए हैं तो अपार अवसर भी दिए भी हैं। भरोसे का बचाना जरूरी है, क्योंकि यही हमारी ताकत है। भरोसे का नाम ही पत्रकारिता है, सभी तंत्रों से निराश लोग अगर आज भी मीडिया की तरफ आस से देख रहे हैं तो तय मानिए मीडिया और लोकतंत्र एक दूसरे के पूरक ही हैं। गहरी लोकतांत्रिकता में रचा-बसा समाज ही एक अच्छे मीडिया का भी पात्र होता है। हिंदी पत्रकारिता दिवस के हमारे सद् संकल्प ही हमारे मीडिया को ज्यादा लोकतांत्रिक, ज्यादा विचारवान, ज्यादा संवेदनशील और ज्यादा मानवीय बनाएंगे |
(लेखक भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक)

हल्द्वानी : केन्द्र में मोदी सरकार के सात साल पूरे, भाजपा ने बांटी राहत सामग्री और कोरोना किट

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हल्द्वानी, भाजपा सत्तारूढ़ केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के सात वर्ष पूरे होने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिले में सेवा ही संगठन अभियान चलाया। क्षेत्र में जाकर जरूरतमंद लोगों को राशन से लेकर मास्क, सैनिटाइजर भी वितरित किया। कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने भी लामाचौड़ समेत कई क्षेत्रों में राहत सामग्री के साथ ही कोरोना रक्षा किट भी वितरित की। इस अवसर पर कैबिने मंत्री भगत ने कहा कि मोदी सरकार के सात साल पूरे होने को लेकर कार्यकर्ता जनता की सेवा में भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। युवा मोर्चा का रक्तदान शिविर सराहनीय है।

उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए मोदी सरकार ने पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना संचालित की है। इससे अनाथ बच्चों का भविष्य सुरक्षित होगा। इसके लिए उन्होंने पीएम का आभार व्यक्त किया। इस दौरान भगत ने ग्राम लामाचौड़ खास, रामड़ी जसवा में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ गरीबों को खाद्य सामग्री, सैनिटाइजर और आयुर्वेदिक कोरोना किट वितरित की। साथ ही लोगों को टीकाकरण के लिए भी प्रेरित किया |

इस दौरान भाजपा मंडल अध्यक्ष नवीन भट्ट, महामंत्री कमल पांडे, प्रधान जसवंत सिंह, रवि जीना, गणेश शाह, प्रताप सिंह चौरसिया, चंदन सिंह किरौला, पान सिंह बिष्ट, शंकर किरौला, गोविंद पांडे, हरीश पांडेय, हरक सिंह बिष्ट, दीवान सिंह बिष्ट, संदीप सनवाल, कुबेर बोरा मौजूद रहे। नगर मंडल हल्द्वानी उत्तरी के अध्यक्ष नवीन पंत के नेतृत्व में 20 जगहों पर गरीबों को भोजन व गायों को चारा खिलाया गया। इसमें जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, मंडल प्रभारी संजीव शर्मा, दिशांत टंडन, ज्ञानेंद्र जोशी, अंशुल पांडे, पनराम आदि शामिल रहे।

अल्मोड़ा : धरने पर बैठे कांग्रेसियों ने कहा, महामारी से निपटने में नाकाम साबित हुई सरकार

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अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड़ कोरोना संक्रमण ने हड़कंप मचा रखा है और राज्य की सत्तारूढ़ सरकार मात्र बयानबाजी करने में ही लगी है, कोरोना के वैश्विक महासंकट में स्वास्थ्य सेवा की बदहाली, महंगाई व बेरोजगारी पर विपक्ष का धैर्य जवाब दे गया। जिलेभर में कांग्रेसियों ने राज्य व केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ उपवास रखा। धरना भी दिया। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि महामारी से निपटने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। रही सही कसर पेट्रो पदार्थों की मूल्यवृद्धि ने पूरी कर डाली है।

जिला मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष पीतांबर पांडे की अगुवाई में कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय में उपवास पर बैठे। जिलाध्यक्ष पांडे ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई हैं। संक्रमण से मौतों का ग्राफ थम नहीं रहा। कोरोनाकाल में बढ़ती महंगाई ने गरीबों का जीना दूभर कर दिया है। कहा कि सब्जियों के दाम तक आसमान छू रहे हैं। मगर सरकार महंगाई कम करने के बजाय आमजन की जेबों पर डाका डाल रही।

पूर्व विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार के सात साल का कार्यकाल निराशाजनक व बेरोजगारी बढ़ाने वाला रहा। डबल इंजन की सरकार हर मोर्चे पर विफल हो गई है। नगर अध्यक्ष पूरन सिंह रौतेला ने कहा कि कांग्रेसराज में गैस सिलिंडर 400 रुपये में मिलता था। डबल इंजन सरकार में यह दूने से ज्यादा 900 रुपये में बिकने लगा है।

 

आरोप लगाया कि सरकार आपदा में भी कमाने का मौका तलाश रही है। यह भी आरोप लगाया कि ऑक्सीजन के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं। 18 से 44 आयुवर्ग को वैक्सीजन नहीं लग पा रही हैं। उपवास पर महिला इकाई जिलाध्यक्ष लता तिवारी, अमित बिष्ट, पारितोष जोशी, वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष तारा चंद्र जोशी, रॉबिन भंडारी, शेखर पांडे, संजय दुर्गापाल, महेंद्र सिंह बिष्ट, कुलदीप मेहर आदि बैठे।

कोरोना संक्रमण के सालभर बाद भी नहीं सुधरी स्वास्थ्य सेवायें

उपमंडल में भी कांग्रेसियों ने महंगाई, बेरोजगारी व लचर स्वास्थ्य सेवा के लिए भाजपा सरकार पर तीखे प्रहार किए। नौतपा की दोपहर कांग्रेसी उपवास लेकर गांधी पार्क में धरने पर बैठे। राज्य व केंद्र सरकार पर गुबार निकाला। वैश्विक महामारी के सालभर बाद भी चिकित्सालयों की बदहाल व्यवस्था में सुधार न होने पर कोसा। वहीं राशन, सब्जी व पेट्रो पदार्थों की आसमान छूती कीमतों के लिए सत्तापक्ष पर भड़ास निकाली। इस दौरान जिला अध्यक्ष महेश आर्या, नगर अध्यक्ष उमेश भट्ट, चिलियानौला नगर अध्यक्ष कमलेश बोरा, ब्लॉक अध्यक्ष गोपाल सिंह देव, अजय बबली, चंदन बिष्ट, हेमंत मेहरा, दीप उपाध्याय, संदीप बंसल, विनीत चौरसिया, चरन जसवाल, कुलदीप कुमार, सोनू सिद्दीकी, सोनू आर्या आदि मौजूद रहे।

बाबा रामदेव और एलोपैथी विवाद : नहीं ले रहा थमने का नाम, आमिर खान का वीडियो शेयर कर रामदेव ने फिर खोला मोर्चा

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हरिद्वार, योगगुरू रामदेव और एलोपैथी के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा दोनों तरफ से एक दूसरे हमले जारी हैं | इधर आईएमए ने भी रामदेव को कोरोना की तीसरी लहर में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं का जिम्मा संभालने की चुनौती दी है तो रामदेव ने इस बार अभिनेता आमीर खान का एक वीडियो साझा कर हमला बोला है

स्वामी रामदेव ने कहा कि मेडिकल माफिया की हिम्मत है तो वह आमिर खान के खिलाफ मोर्चा खोलकर दिखाएं। उन्होंने स्टार प्लस के आमिर खान के उस कार्यक्रम का वीडियो अपने फेसबुक पर साझा किया है।
जिसमें राजस्थान में एक व्यक्ति ने मेडिकल स्टोर से 2151 रुपये की दवा ली थी, जेनरिक मेडिकल स्टोर से वही दवा 354 रुपये में मिली थी। कीमत के इस अंतर को लेकर बाबा ने सवाल उठाया है।

वहीं योग गुरु स्वामी रामदेव ने दावा किया है कि देश का हर दूसरा व्यक्ति कोरोना की चपेट में आकर निकल गया। अधिकतर लोगों को इसका पता भी नहीं चला। आधी आबादी की जान उनके योग और कोरोनिल ने बचाई है। नेचुरोपैथी में पहुंचे लोगों से बातचीत के दौरान रामदेव ने कहा कि वैश्विक महामारी दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी है। जिसके सामने दुनिया के बड़े-बड़े देेश लाचार और धराशायी हो गए। इलाज में एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्याणा बनकर अस्पताल पहुंचे और मर गए। मेडिकल से जुड़े कई लोग भी मर गए, लेकिन पतंजलि का सेंटर चलाने वाला कोई भी नहीं मरा। बाबा ने कहा कि आने वाले पांच सालों में शोध होगा, आखिर अस्पताल जाने वाले कोरोना से क्यों मरे।

जिन लोगों ने घरों में योग किया और कोरोनिल ली, वो कैसे बच गए। उन्होंने कहा कि हर बीमारी का योग और नेचुरोपैथी में इलाज है। इसका वह प्रमाण देने को भी तैयार हैं, लेकिन फिर भी चारों तरफ षड्यंत्र है। चारों तरफ अंधविश्वास है।

बीमारी 2019 में आई, किट 2017 में कैसे खरीद ली स्वामी रामदेव ने अपने फेसबुक पर एमबीबीस एमडी डॉ. तरुण कोठारी का एक वीडियो शेयर किया है। इसमें डॉ. कोठारी ने रामदेव के विचारों को सही ठहराते हुए आईएमए अध्यक्ष डॉ. जयालाल से दस सवाल पूछे हैं।

जिसमें सबसे बड़ा सवाल है कि कोविड 2019 में आई। दावा किया कि कोविड की डायग्नोस्टिक किट भारत समेत दुनिया के कई देशों ने 2017-18 में कैसे खरीद ली। बीमारी बाद में आई और पहले ही किट खरीद ली गई। ऐसे ही कई सवाल पूछे हैं।

 

 

कोरोना अपडेट : मिलने लगी रही राहत, राज्य में आज मिले 1226 कोरोना संक्रमित, 32 की हुई मौत

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देहरादून, उत्तराखंड राज्य अब कोरोना से राहत मिलने लगी है, आज राज्य में 1226 नए मरीज मिले हैं जबकि 32 लोगों की इस संक्रमण से मौत हुई है अभी भी विभिन्न अस्पतालों में 30357 लोग अपना इलाज करा रहे हैं जबकि आज 1927 लोग डिस्चार्ज हुए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार अल्मोड़ा में 21 बागेश्वर में 4 चमोली में 87 चंपावत में 22 देहरादून में 241 हरिद्वार में 159 नैनीताल में 59 पौड़ी गढ़वाल में सौ पिथौरागढ़ में 276 रुद्रप्रयाग में 50 टिहरी गढ़वाल में 94 उधम सिंह नगर में 89 उत्तरकाशी में 24 संक्रमित मरीज मिले हैं इस तरह आज 1226 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है |

पिथौरागढ़ : कोरोना काल में स्वच्छता का रखा ख्याल, युवक मंगल दल को सौंपे 150 साबुन

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पिथौरागढ़, सामाजिक कार्यकर्त्ता जुगल किशोर पाण्डे कि पहल पर हुडेती ग्राम के युवक मंगल दल के सदस्य सुनील उप्रेती को 150 साबुन सौंपे। जरूरत मंदों के लिए यह साबुन इफ्को के सीनियर मैनेजर रामसिंह बिष्ट द्वारा उपलब्ध कराये गये। युवक मंगल दल के सदस्य सुनील उप्रेती ने बिष्ट व पाण्डे का आभार जताते हुये कहा कि उक्त साबुन जरूरतमंदों तक पहुचायेे जायेगे।

 

उत्तराखंड : भयंकर बारिश के बीच पौड़ी में तड़के फटा बादल, मलबा आने से बदरीनाथ हाईवे बंद

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देहरादून/पौड़ी, उत्तराखंड़ में रविवार की सुबह मौसम ने करवट लिया और तेज बारिश और हवाओं ने कई स्थानों पर कहल बरपाया, शनिवार देर रात व रविवार तड़के राज्य में भारी बारिश हुई। इस भयंकर बारिश के दौरान पौड़ी जिले के श्रीनगर रोड पर बैंग्वाड़ी गांव में रविवार तड़के बादल फट गया। बादल फटने की घटना से पौड़ी-श्रीनगर रोड पर यातायात भी पूरी तरह बाधित हो गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक तड़के करीब साढ़े तीन बजे यह घटना हुई।

हालांकि किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। एक दो दुपहिया वाहन लापता हैं। वहीं एक गोशाला में फंसे तीन जानवरों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। बादल फटने की सूचना पर पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम राहत-बचाव कार्य में लगी हुई है। क्षेत्र के राजस्व उपनिरीक्षक के सुबह 7:30 बजे तक घटनास्थल पर न पहुंचने पर ग्रामीणों ने कड़ा आक्रोश जताया है। कहा कि राजस्व उपनिरीक्षक इससे पहले भी कई मौकों पर गैर-जिम्मेदारी दिखा चुके हैं। प्रधान ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की।

राज्य के अन्य जिलों के साथ देहरादून में शनिवार देर रात डेढ़ बजे तेज बारिश हुई। ये लगातार दूसरी बार था जब देर रात बारिश हुई। तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू होने से कई इलाकों में बिजली गुल हो गई।
हरिद्वार में रात डेढ़ बजे बारिश हुई थी। लेकिन रविवार सुबह से धूप है। पिथौरागढ़ में काले घने बादल छाए हैं, हल्की बूंदाबांदी हो रही है, जनपद चमोली जिले में तड़के तीन बजे तक भारी बारिश हुई। जिस कारण घिंघराण क्षेत्र में सड़क मलबे में तब्दील हो गई है। यहां कई पैदल रास्ते बह गए हैं। बारिश से बदरीनाथ हाईवे पागलनाला में अवरुद्ध हो गया है। यहां भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर हाईवे पर आ गए हैं।