भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने लगातार बढ़ रही महंगाई से निपटने के लिए रिजर्व बैंक के तरीके का बचाव किया है. दास ने बैंकरों के वार्षिक एफआईबीएसी सम्मेलन (FIBAC) में कहा कि समय से पहले सख्त कदम उठाने से अर्थव्यवस्था और नागरिकों को भारी कीमत चुकानी पड़ती. यह स्वीकार करते हुए कि मुद्रास्फीति का लक्ष्य चूक गया है, दास ने कहा कि आरबीआई ने महंगाई दर में वृद्धि के कारण ब्याज दरों में आक्रामक रूप से वृद्धि नहीं करके अर्थव्यवस्था का समर्थन करने का फैसला किया.
लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ती
उन्होंने कहा, ‘हमने ब्याज दरों को आक्रामक रूप नहीं बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से प्रभावित होने से रोका और समय से पहले सख्त कदम उठाने से दूर रहे.’ दास ने कहा कि जल्दी सख्त या आक्रामक रुख अपनाने से अर्थव्यवस्था और लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ती. उन्होंने कहा कि सरकार को जवाब तैयार करने के लिए ब्याज दर तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) बृहस्पतिवार को बैठक कर रही है.
घरेलू मुद्रा ने व्यवस्थित तरीके से प्रदर्शन किया
आरबीआई गवर्नर ने साथ ही सरकार को लिखे जाने वाले पत्र को सार्वजनिक न करने के आरबीआई (RBI) के कदम का भी बचाव किया. वहीं, रुपये में गिरावट पर चल रही बहस के बीच दास ने सभी से स्थिति को भावनात्मक रूप से नहीं देखने को कहा और जोर दिया कि घरेलू मुद्रा ने व्यवस्थित तरीके से प्रदर्शन किया है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) की शुरुआत देश की मुद्रा के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण है और यह व्यापार करने के तरीके को बदल देगा.
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