Saturday, May 4, 2024
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लंबित बिलों का भुगतान न होने पर नाराज कंपनियों ने दी चेतावनी, अब नहीं करेंगे काम, सफाई व्यवस्था पर खड़ा हो सकता है संकट

देहरादून, नगर निगम द्वारा स्वच्छता एवं सफाई में लगी कंपनियों का पिछले कई माह से भुगतान नहीं हुआ जिसके कारण शहर की सफाई व्यवस्था पर जल्द बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। पिछले आठ महीने से लंबित बिलों का भुगतान न होने से नाराज शहर में स्वच्छता कार्य संभाल रही सभी कंपनियों ने काम छोडऩे की चेतावनी दे दी है।

कंपनियों का आरोप है कि नगर आयुक्त मनुज गोयल भुगतान करने के बजाए फाइलों पर बेवजह आपत्ति लगाकर फाइलें लौटा दे रहे। रैमकी कंपनी व चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी ने काम छोडऩे का नोटिस थमा दिया है जबकि शेष दो कंपनी मैसर्स सनलाइट व मैसर्स भार्गव भी इसकी तैयारी कर रहीं। महापौर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि कंपनियों की जो समस्या है, वह जायज है। इसे लेकर नगर आयुक्त से बात की जाएगी।

शहर में नगर निगम के अंतर्गत इस समय पांच कंपनियां स्वच्छता व कूड़ा उठान कार्य से जुड़ी हुई हैं। इनमें रैमकी कंपनी के पास शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट संचालित करने की जिम्मेदारी है। चेन्नई एमएसडब्लू, मैसर्स सनलाइट एवं मैसर्स भार्गव को शहर में 99 वार्डों से डोर-टू-डोर कूड़ा उठान कर कूड़े को हरिद्वार बाइपास ट्रांसफर स्टेशन ले जाने की जिम्मेदारी है।
चेन्नई एमएसडब्लू के पास 69 वार्ड जबकि सनलाइट कंपनी व भार्गव कंपनी के पास 15-15 वार्ड की जिम्मेदारी है। शेष एक वार्ड को स्वयंसेवी संस्था संभाल रही। इसके अलावा निगम ने कूड़ा उठान के लिए 45 ट्रैक्टर का अनुबंध एक और कंपनी से किया हुआ। इन समस्त कंपनियों का भुगतान छह से आठ माह तक का रुका हुआ है। किसी को पिछले नवंबर से तो किसी को जनवरी से भुगतान ही नहीं हुआ है, जबकि नियमानुसार हर माह बिल का भुगतान किया जाना चाहिए,
कंपनियों के अधिकारियों का तर्क है कि हर माह उनके करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं और नगर निगम एक रुपये का भी भुगतान नहीं कर रहा। इससे कंपनियों के लिए अब अपने कर्मचारियों को वेतन देने और वाहन के डीजल व अन्य खर्च निकालने का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। रैमकी कंपनी और चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी ने गत नवंबर से भुगतान लंबित होने पर चार दिन पूर्व नगर आयुक्त को काम छोडऩे का नोटिस दे दिया है। कंपनियों ने 30 दिन में भुगतान की मांग की है। निगम ने रैमकी कंपनी का दो माह नवंबर व दिसंबर का भुगतान कर दिया है, लेकिन जनवरी से मई तक का भुगतान अब भी लंबित है। शेष कंपनियों का नवंबर से भुगतान लंबित है।

उधर रैमकी कंपनी व चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी की चेतावनी को दरकिनार कर नगर आयुक्त मनुज गोयल ने दोनों कंपनियों का बीता पूरा रिकार्ड तलब कर लिया है। आयुक्त ने नगर स्वास्थ्य अनुभाग से कंपनियों के वाहनों के संचालन व यूजर चार्ज के संबंध का रिकार्ड मांगा है।

रैमकी कंपनी प्लांट में कितने कूड़े का नियमित निस्तारण कर रही है एवं चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी के वाहन डोर-टू-डोर में कितना कूड़ा रोज उठा रहे, इसकी जानकारी मांगी गई है। कूड़ा उठान नहीं होने पर नगर निगम ने कंपनियों पर क्या कार्रवाई की और कितना चालान किया, इसकी जानकारी तक मांगी गई है। यही नहीं, दो सफाई निरीक्षक को कंपनियों के वाहन की निगरानी करने व दैनिक रिपोर्ट देने को भी कहा है।
रैमकी व चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर एहसान सैफी ने कहा कि
नगर निगम बीते सात से आठ माह का भुगतान नहीं कर रहा है। कंपनियां अपना खर्च कैसे निकालें। हमने काम छोडऩे का नोटिस दे दिया है। हमारे करार की शर्त के अनुसार हम भुगतान के लिए हाईकोर्ट भी जा सकते हैं।
अगर यही स्थिति रही तो हम भी काम नहीं कर पाएंगे। नगर निगम के अधिकारियों से मुलाकात कर हम थक चुके हैं, लेकिन वह भुगतान करने को राजी नहीं। नवंबर से भुगतान रुका हुआ है, जबकि कंपनी अपना काम लगातार कर रही। भुगतान नहीं किया जा रहा, ऊपर से हमें करार से अलग काम करने का दबाव बनाया जा रहा। ऐसा रहा तो हम भी काम छोडऩे का निर्णय लेंगे।

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