Wednesday, May 8, 2024
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खास खबर : उत्तराखंड में ‘ई मोबाइल कोर्ट’ का कल से (15 अगस्त) होगा शुभारंभ

नैनीताल, उत्तराखण्ड में मोबाइल ई-कोर्ट का होगा शुभारंभ, न्याय जनता के द्वार अवधारणा होगी साकार उत्तराखण्ड़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल धनन्जय चतुर्वेदी ने शुक्रवार को हाईकोर्ट परिसर नैनीताल में पत्रकार वार्ता में कहा कि मोबाईल ई-कोर्ट का शुभांरभ 15 अगस्त को उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान द्वारा किया जायेगा।

उत्तराखंड मोबाइल ई कोर्ट सुविधा वाला देश का होगा पहला राज्य: धनंजय  चतुर्वेदी | NAINITAL | NYOOOZ HINDI
प्रेसवार्ता में श्री चतुर्वेदी ने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए वादों के त्वरित निस्तारण हेतु यह योजना संचालित की जा रही है। ई-मोबाइल कोर्ट का उद्देश्य जनता को उनके द्वार जाकर त्वरित न्याय देना है। उन्होंने बताया कि मोबाइल ई-कोर्ट प्रथम चरण में उत्तराखण्ड के पॉच जनपदों-पिथौरागढ़, चम्पावत, उत्तरकाशी, टिहरी व चमोली जिलों में प्रारंभ होगी। आगामी 15 अगस्त को माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा ई-कोर्ट मोबाइल वैन को हाईकोर्ट परिसर से रवाना किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे और वाहन उपलब्ध होंगे वैंसे-वैसे उत्तराखण्ड के सभी जनपदों में मोबाइल ई-कोट प्रारंभ किया जायेगा। उन्होंने कहा कि अदालतों के मुकदमों के त्वरित निस्तारण में यह अहम कदम साबित होगा।

उन्होंने कहा कि दहेज, छेड़-छाड़, दुष्कर्म व अन्य वादो में महिला, बच्चे, वृद्ध साक्षी, चिकित्सक, अन्वेषण अधिकारी (आईओ) को अदालत पहुॅचने में आने वाली व्यवहारिक कठिनाईयों की वजह से न्याय मिलने में अधिक समय लग जाता है। त्वरित न्याय के सिद्धान्त को हकीकत में बदलने के लिए मोबाइल ई-कोर्ट का संचालन मुख्य न्यायाधीश की विशेष पहल है। इससे गवाहों के साथ ही न्यायालय का भी समय बचेगा। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में पहला प्रदेश है जहॉ मोबाइल ई-कोर्ट का संचालन किया जा रहा है। मोबाईल ई-कोर्ट पूरी सुविधाओं से लेस होगी। इसमें कोर्ट रूम से लेकर इन्टरनेट, कम्प्यूटर, प्रिन्टर, अन्य उपकरण सहित सहित न्यायालय समन्वयक भी होंगे। दूरस्थ क्षेत्रों के गवाहों, आईओ, चिकित्सकों को उनके क्षेत्र में ही वैन में बैठाकर उनको वीसी के माध्यम से सीधे कोर्ट से जोड़ा जायेगा व उनके बयान अभिलिखित किये जायेंगे।

रजिस्ट्रार जनरल ने बताया कि दूरस्थ क्षेत्रों की जो महिलाऐं, बच्चे, वृद्ध गवाह न्यायालय आने में किसी वजह से असमर्थ हैं, वे सम्मन तामिली व्यक्ति के साथ ही राजस्व कर्मी, पीएलवी, ग्राम विकास अधिकारी, न्यायालय समन्वयक आदि को अपना प्रार्थना पत्र लिखित रूप में दे सकते हैं। मोबाइल ई-कोर्ट वैन जनपद न्यायालयों के लिए होगी तथा ई-कोर्ट वैन जिला जज सत्र न्यायाधीश के नियंत्रण में संचालित की जाएंगी।

उत्तराखंड़ : अब एक चिट्ठी से मिलेगी ई-कोर्ट की सुविधा, दूर-दराज में रहने वाले लोगों को मिलेगी सुविधा और फायदा

नैनीताल, उत्तराखंड़ में पर्वतीय भूभाग होने के कारण न्यायिक कार्यो के लिये पहाड़ी जनमानस को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, राज्य में त्वरित और सरल न्याय प्रक्रिया की सुविधा बस एक चिट्ठी से मिल जाएगी। अदालत गवाह के आग्रह पर एक मोबाइल ई-कोर्ट वैन भेजेगी। इसी के माध्यम से गवाह ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अदालत में जज के सामने पेश होकर अपने बयान दर्ज कराएगा। अदालत की मोबाइल ई-कोर्ट न्याय व्यवस्था से दूर-दराज में रहने वाले लोगों को सुविधा मिलेगी।

यह होगी प्रक्रिया : मोबाइन ई-कोर्ट वैन हर गवाह को मिल सकेगी। बस इसके लिए गवाह को समन तामील करने के दौरान ही एक चिट्ठी अदालत को लिखनी होगी। ये चिट्ठी वकील व पैरालीगल वॉलंटियर के जरिए कोर्ट पहुंचेगी। अदालत गवाह को तय दिन व समय पर मोबाइल ई-कोर्ट वैन की सुविधा देगा। वैन से समन्वयक गवाह को ऑनलाइन अदालत में पेशी कराएगा।

 

डॉक्टर और जांच अधिकारी को भी रहेगी सुविधा
महिला एवं बाल अपराधों में मेडिकल जांच व जांच अधिकारी की अहम भूमिका होती है। अपने बयान दर्ज करवाने कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना होता है। कई बार पुलिस के जांच अधिकारियों व डॉक्टरों का तबादला दूसरे जिले में हो जाता है, लेकिन यह लोग भी मोबाइल ई-कोर्ट वैन से अपने बयान दर्ज करा पाएंगे।

महिला और बाल अपराध का ग्राफ बढ़ा

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार प्रदेश में महिला एवं बाल अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। 2019 प्रदेश में बाल अपराध के 620 मामले दर्ज किए गए थे. जबकि 706 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया। वहीं अगस्त 2020 तक पूरे प्रदेश में 360 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय श्री धनंजय चतुर्वेदी के मुताबिक मोबाइल ई-कोर्ट योजना का उद्देश्य ही त्वरित न्याय दिलाना है। महिला एवं बाल अपराधों के मामलों को जल्द से जल्द निस्तारित करने में यह एक अहम कड़ी साबित होगी। इससे जांच अधिकारी, डॉक्टरों एवं केस से जुड़े अन्य गवाहों को भी अपने बयान दर्ज कराने में सहुलियत होगी। प्रदेश के सभी जिलों तक इसे बढ़ाया जाएगा।

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