Saturday, May 11, 2024
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एससी, एसटी सम्मेलन भाजपा के ढोंग से अधिक कुछ नहीं : गरिमा दसौनी

भाजपा के मन में कभी ना अंबेडकर के लिए सम्मान था, ना संविधान के लिए और ना ही अनुसूचित जाति जनजाति के लिए : दसौनी

देहरादून, उत्तराखंड भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आने वाले दिनों में विभिन्न स्तर पर एससी, एसटी सम्मेलन आयोजित किए जाने को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कटाक्ष किया है। दसौनी ने कहा जब अल्मोड़ा जिले के सल्ट में अंतर्जातीय विवाह करने की वजह से दलित समाज के जगदीश की 27 हड्डियां तोड़कर और सर हथौड़े से मार कर हत्या की जा रही थी, उस वक्त सरकार और संगठन दोनों मौन क्यों थे।
कांग्रेस नेत्री दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड भाजपा संगठन उस वक्त भी चुप्पी साधे रहा, जब उत्तरकाशी के मोरी जिले में 19 वर्षीय दलित समुदाय के आयुष को रात भर कोयले से मात्र इसलिए जलाया गया कि उसने दलित समाज में जन्म लेने के बावजूद एक मंदिर में प्रवेश कर दिया था। दसौनी ने कहा आज बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की ओर से निर्मित भारत के संविधान के साथ जिस तरह से भाजपा छेड़छाड़ कर रही है। प्रस्तावना एवं समस्त अध्ययन की किताबों में भी इंडिया की जगह पर भारत शब्द जोड़ने का निर्णय ले चुकी है, वह इस बात का द्योतक है कि भाजपा के मन में कभी ना अंबेडकर के लिए सम्मान था, ना संविधान के लिए और ना ही अनुसूचित जाति जनजाति के लिए।
उन्होंने कहा कि यह बात दलित समाज भी जानता है कि उन्हें भाजपा सिर्फ वोट बैंक की दृष्टि से देखती रही है। दसौनी ने कहा कि जिस तरह से जोर-शोर से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कांग्रेस की ओर से प्रस्तावित जाति जनगणना का विरोध कर रहा है। वह भी इस बात का प्रतीक है कि भाजपा दलित समाज को अग्रणी भूमिका में या मुख्य धारा में देखना ही नहीं चाहता। दसौनी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है उत्तराखंड भाजपा लोकसभा चुनाव में पार्टी की होने वाली हार से बुरी तरह घबरा गई है। इसीलिए कभी पंच महेश्वर सम्मेलन तो कभी महिला मोर्चा के द्वारा मातृशक्ति का सम्मान, तो कभी हारी हुई 23 विधानसभाओं में सांसदों को प्रवास पर भेजने का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। तो कभी 75000 युवाओं को पार्टी से जोड़ने का संकल्प लिया जा रहा।

कांग्रेस नेत्री गरिमा दसौनी ने कहा कि भाजपा की यह कसरत तो यही बताती है की पार्टी का बुरी तरह से लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ होने वाला है। इसीलिए घबराकर अब उसे कभी महिलाओं की याद आ रही है। कभी युवाओं की। अब अनुसूचित जाति जनजाति की। दसौनी ने कहा कि शायद भाजपा संगठन भूल गया है कि जिस वक्त युवा सड़कों पर नौकरी मांगने के लिए उतरे, उस वक्त बीजेपी की प्रदेश सरकार ने उनके ऊपर लाठियां भांजने का काम किया। आज वह 75000 युवाओं को पार्टी से जोड़ने का मुंगेरीलाल का सपना देख रही है। जो कभी पूरा नहीं होगा। दासौनी ने कहा कि भाजपा संगठन को चाहिए कि वह इस तरह के आडंबर और प्रपंच की राजनीति से बाहर निकले। धरातल पर समाज के सभी वर्गों के लिए कार्य करें।

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