Wednesday, May 21, 2025
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मेहलचौंरी लोक संस्कृति एवं कृषि विकास मेले का हुआ रंगारंग आगाज

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चमोली। मेहलचौरी (गैरसैंण) में चार दिवसीय लोक सांस्कृतिक एवं कृषि विकास मेले का गुरूवार को आगाज हो गया। मा.मंत्री पशुपालन, दुग्ध, मत्स्य, गन्ना एवं चीनी उद्योग मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मेले का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने मा.मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर मेले के सफल आयोजन के लिए समिति को दो लाख देने की घोषणा भी की। मा.मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि मेले हमारी समृद्व सभ्यता व संस्कृति का प्रतीक है। मेलों के माध्यम से आपसी प्रेम और सौहार्द्व तो बढता ही है, साथ ही हमारी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में भी मेले अहम भूमिका निभाते है। उन्होंने क्षेत्रवासियों से मेलों के इस प्राचीन परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखने का आवाहन करते हुए मेले के सफल आयोजन के लिए मेला समिति व क्षेत्रवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मा.मंत्री श्री बहुगुणा ने मेले के दौरान शहीद परिवारों को भी सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि मा.मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में आज उन्हें इस मेले में प्रतिभाग करने और शहीद परिवारों को सम्मानित करने का मौका मिला है। इसके लिए वे मुख्यमंत्री के आभारी है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका को सशक्त बनाने का काम किया जा रहा है। पशुपालकों को दुग्ध का उचित मूल्य दिलाया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका को सशक्त बनाने के लिए जल्द ही सरकार दो नए प्रोजेक्ट भी शुरू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र वासियों ने जो भी समस्याएं उनके समक्ष रखी है, उनको मा.मुख्यमंत्री जी के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने सभी को भैया दूज की हार्दिक शुभकामनाएं भी दी।
मेले में बाल विकास, पशुपालन विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, उद्यान विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग, एनसीसी तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के स्टॉल लगााए गए थे। इस दौरान कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल, जिला पंचायत सदस्य बलबीर रावत, अध्यक्ष मेला समिति सुरेश कुमार विष्ट, व्यापार संघ अध्यक्ष मोहन नेगी, उपाध्यक्ष जीतेन्द्र मेहरा, जगमोहन कठैत, प्रेम संगेला, मंगल सिंह, दर्शन मढवाल आदि सहित बडी संख्या में मेलार्थी मौजूद रहे।

आईआईटी रुड़की ने 9वें अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम का आयोजन किया

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रुड़की  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने इंटरनेशनल एसोसिएशनफॉर हाइड्रो एनवायरनमेटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (आईएएचआर) के सहयोग से 24 से 27 अक्टूबर 2022 तक अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम का आयोजन किया है।
1935 में स्थापित वैश्विक संगठन इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर हाइड्रो एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्व (आईएएचआर) हाइड्रोलिक अनुसंधान और इसके उपयोग को उत्प्रेरित और उत्साहित करता है। आईएएचआर की हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर समिति हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर पर द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम का आयोजन नी करती है। आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने यह आयोजन कर इस क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को उनके कार्य प्रस्तुत करने और हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के क्षेत्र में हाल की प्रगति साझा करने का विशिष्ट अवसर दिया है।सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो जैड अहमद ने कहा कि बार-बार बाढ़, सूखा और जल संसाधनों में तेजी से बदलाय को देखते हुए हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर तैयार कर जल संचय, जल प्रवाह को सही दिशा देना एवं नियंत्रण रखना जरूरी है। हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के विश्लेषण और डिजाइन में हाल में हुई प्रगति से कम लागत पर पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ स्ट्रक्चर बनाने में मदद मिली है।
यह सिम्पोजियम हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर का ज्ञान साझा करने के लिए जान (आईएसएचएस2018), पोर्टलैंड (आईएसएचएस2010). ब्रिस्बेन (आईएसएमएस2014) पोटों और पुर्तगाल (आईएसएचएस2012) में इससे पूर्व के सफल आयोजनों की श्रृंखला में नई कड़ी है। इस अवसर पर 10 देशों के शोधकर्ता लेखक अपना शोध निबंध प्रस्तुत करेंगे।सम्मेलन में समाज के लिए इंजीनियरिंग के महत्व पर अपनी बात रखते हुए कार्यक्रम के पूर्व उप निदेशक और मुख्य अतिथि प्रोफेसर के जी रंगा राजू ने कहा, हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के आधुनिक अध्ययन और शोधकर्ताओं को आपस में मिलने और इस क्षेत्र में सबसे हाल की प्रगति के बारे में ज्ञान साझा करने का अवसर देने में ऐसे सम्मेलनों का बहुत महत्व है। उन्होंने ऊपरी गंगा नहर पर शुरुआती दौर में कर्मल प्रोबी कॉली के कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि इस निर्माण के समय संबंधित सिद्धांतों की प्रचुरता नहीं थी और अन्य सुचारू स्ट्रक्चरों को देखने से आए विचारों के आधार पर नए स्ट्रक्चर डिजाइन किए गए थे मुझे यह जानकर खुशी है कि इस बार यह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत में और वह भी आईआईटी रुड़की में हो रहा है।

सिम्पोजियम का एक मुख्य आकर्षण टिहरी बाघ और ऊपरी गंगा नहर का टेक्निकल दूर है। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में अहम् भूमिका निभाने वाले हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर का अध्ययन करना था।सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए प्रो. के.के. पंत निदेशक, आईआईटी रुड़की ने कहा, “भारत में पहली बार आईआईटी रुड़की अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम का आयोजन कर रहा है जो हमारे लिए गर्व की बात है यह संस्थान के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों से संवाद करने का बड़ा अवसर है। हमें विश्वास है कि इस सम्मेलन से प्राप्त परिणाम हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के अध्ययन में बड़ा योगदान देंगे। यह सिम्पोजियम इस क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को उनके कार्य प्रस्तुत करने और हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति साझा करने का विशिष्ट अवसर देगा।”
प्रो. के. के. पंत ने इस अवर पर चार पूर्व प्रोफेसरी प्रो. के.जी. रंगा राजू प्रो. पी.के. पांडे, प्रो. एम. के. मित्तल और प्रो. जी. एल. असावा को शिक्षा के साथ-साथ अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया।अपने स्वागत संबोधन में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो प्रवीण कुमार ने कहा, ‘आईआईटी रुड़की का सिविल इंजीनियरिंग विभाग देश में सबसे पुराना और सबसे बढ़ा है और सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए देश में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है इसकी स्थापना 19 अक्टूबर, 1847 को रुड़की कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के रूप में की गई और 1854 में इसका नया नाम पठा थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग। इस विभाग से बढ़ी संख्या में इंजीनियर बन कर आज बहुत प्रतिष्ठित है भारत और पूरी दुनिया में सिविल इंजीनियरिंग परियोजनाओं की योजना बनाने और काम पूरा करने में उनके उल्लेखनीय योगदान रहे हैं। इस अवसर पर प्रस्तुति और कार्यवाही में शामिल करने के लिए 60 शोध पत्र स्वीकार किए गए। इससे पहले, उनकी सहकर्मी समीक्षा की गई। सम्मेलन में कुल 16 देशों के शोधपत्र लेखक शामिल थे।सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर जुल्फीकार अहमद, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की, प्रो. सेबेस्टियन किम, लीज युनिवर्सिटी, बेल्जियम और अन्य प्रतिष्ठित विशेषज्ञ इस अवसर के प्रमुख वक्ता थे।

इस अवसर पर 24 अक्टूबर को ऊपरी गंगा नहर का टेक्निकल टूर आयोजित किया गया और 25 अक्टूबर 2022 को नॉन- लीनियर वियर के सस्टेनेबल डिजाइन और निर्माण पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रो. सेबेस्टियन एपिंकम लीज यूनिवर्सिटी, बेल्जियम और प्रो. ब्रायन एम. कुकस्टम यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए ने सिम्पोजियम का संचालन किया। कार्यशाला के बाद सिविल इंजीनियरिंग विभाग की हाइड्रोलिक प्रयोगशाला पर एक व्यावहारिक प्रयोग किया गया जिसका संचालन प्रो. जेठ अहमद और अनुसंधान विद्वानों ने किया।

सम्मेलन के मुख्य प्रतिभागी संगठन:-
केंद्रीय जल आयोग
टिहरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन > उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड
श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट कोलकाता
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण
असम पावर जनरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड एनसीसी प्राइवेट लिमिटेड
एक्वाग्रीन इंजीनियरिंग मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड
ट्रैक्टवेल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड इष्टिसा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में चारधाम यात्रा से नए उत्तराखण्ड के नए युग की शुरुआत हो चुकी है- मुख्यमंत्री

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रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा अपने आख़िरी पड़ाव पर है। बाबा केदार के कपाट गुरुवार 27 अक्टूबर को विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए, इसके अलावा यमनोत्री के कपाट भी विधिविधान से बंद कर दिए गए। इधर सरकार के प्रयासों से कोरोना काल के बाद चार धाम यात्रा की रौनक़ पुनः पटरी पर लौटती हुई नज़र आई। चारधाम यात्रा ने इस वर्ष तमाम रिकॉर्ड तोड़ कर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस बार केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा में सिर्फ़ घोड़ा खच्चरों, हेली टिकट और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े से लगभग 211 करोड़ के आस- पास कारोबार हुआ है।

*मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के सफल संचालन को लेकर ख़ुशी जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी के कथनानुसार आने वाला दशक उत्तराखण्ड है उसकी शुरूआत आज से ही हो चुकी है। इस बार की चार धाम यात्रा बहुत उत्साह वर्धक रही है।प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है।प्रधानमंत्री जी द्वारा धार्मिक स्थलों पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को स्थानीय उत्पादों को ख़रीद पर पाँच प्रतिशत खर्च करने के लिए अपील की गई है।आने वाले समय में हम स्थानीय उत्पादों के बिक्री की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। मानस खंड कारीडोर के मास्टर प्लान का काम भी शीघ्र प्रारम्भ किया जाएगा।हमारी सरकार का उद्देश्य समस्त पौराणिक मंदिरों को संवारने का है और उसको पर्यटन से जोड़ना है।

केदारनाथ और यमनोत्री में घोड़ा-खच्चर, हेली और डंडी-कंडी से 211 करोड़ का कारोबार

केदारनाथ में घोड़ा-खच्चर से हुआ 101.34 करोड़ का कारोबार

यमुनोत्री धाम में घोड़े खच्चरों से हुआ 21 करोड़ का कारोबार

यात्राकाल में GMVN की भी ₹50 करोड़ के क़रीब आय का अनुमान

उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों व कुशल यात्रा प्रबंधन की बदौलत 46 लाख यात्रियों ने इस वर्ष चार धाम यात्रा की। पिछले दो दशक में यह सबसे अधिक आँकड़ा है वहीं श्री केदारनाथ धाम की अकेले बात की जाए तो यहाँ 15 लाख 36 हजार * तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए। आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को भी यात्रा साकार करती है। चारधाम यात्रा प्रदेश की आर्थिकी की लाईफ लाईन है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित किया है। प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप केदारनाथ व बदरीनाथ धाम का पुनर्विकास किया जा रहा है।

केदारनाथ में हुआ ₹190 करोड़ से अधिक का कारोबार

इस वर्ष केदारनाथ यात्रा स्थानीय व्यवसाइयों के लिहाज़ से भी काफ़ी बेहतर रही। सिर्फ़ यात्रा के टिकट, घोड़ा खच्चरों और हेली और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े की बात करें तो लगभग 190 करोड़ के आस- पास यह कारोबार हुआ है। केदारनाथ धाम इस बार घोड़े खच्चर व्यवसाइयों ने क़रीब 1 अरब 9 करोड़ 28 लाख रुपए का रिकॉर्ड कारोबार किया। जिससे सरकार को भी 8 करोड रुपए से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ। यात्रा सुगम बनाने को लेकर प्रशासन ने 4302 घोड़ा मालिकों के 8664 घोड़े खच्चर पंजीकृत किए थे इस सीजन में 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने घोड़े खच्चरों की सवारी कर केदारनाथ धाम तक यात्रा की। वही डंडी-कंडी वालों ने 86 लाख रुपए की कमाई की और हेली कंपनियों ने 75 करोड़ 40 लाख रुपए का कारोबार किया। इधर सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से लगभग 75 लाख का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ।

यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों वालों का हुआ 21 करोड़ का कारोबार

इधर यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों वालों का लगभग 21 करोड़ का कारोबार इस साल हुआ है। यमनोत्री धाम में लगभग 2900 घोड़े खच्चर पंजीकृत हैं , ज़िला पंचायत के अनुसार इस साल यात्रा काल में 21 करोड़ 75 लाख का कारोबार हुआ है। यह आँकड़ा भी रिकॉर्ड तोड़ है।

GMVN की अनुमानित आय भी ₹50 करोड़ के क़रीब

इसके अलावा चारधाम यात्रा में यात्रा मार्ग के सभी होटल / होमस्टे, लाज और धर्मशालाएं भी पिछले छः माह तक बुक रही। पिछले सालों तक GMVN जहां आर्थिक नुक़सान झेल रहा था इस साल अगस्त तक 40 करोड़ की आय कर चुका है। GMVN के प्रबंध निदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि यह आँकड़ा 50 करोड़ के क़रीब जाने का अनुमान है। इसके अलावा चारधाम यात्रा से जुड़े टैक्सी व्यवसायों ने भी पिछले सालों की औसत आय से तीन गुना अधिक का कारोबार किया है।

प्रधानमंत्री ने यात्रा खर्चे का 5% स्थानीय उत्पादों पर खर्च करने का आह्वान किया

प्रधानमंत्री ने बीते 21 अक्टूबर को बदरीनाथ धाम स्थित माणा गाँव में वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि जहां भी जाएं एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं उसका कम से कम 5 प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें। इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जायेगी, आप कल्पना भी नही कर सकते। ऐसे में अब भविष्य को देखते हुए चारधाम यात्रा में स्थानीय उत्पादों को भी बड़ा मार्केट मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

इस मायने में भी खास रही यात्रा

गौरीकुण्ड-केदारनाथ व गोविंदघाट-हेमकुण्ट साहित्य रोपवे परियोजनाओं का भी प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया था। इनके बनने से श्रद्धालुओं की घंटों की यात्रा मिनटों में पूरी होगी।

डबल इंजन सरकार की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि : सीएम

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 देहरादून, भारत सरकार द्वारा एचएमटी की 45.33 एकङ जमीन उत्तराखण्ड सरकार को हस्तांतरित कर दी गई है। इस संबंध में भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है। इसके अनुसार रानीबाग और हल्द्वानी स्थित एचएमटी की 45.33 एकङ भूमि उत्तराखण्ड सरकार को 72 करोड़ 02 लाख 10 हजार रूपये की रिजर्व प्राईस पर हस्तांतरित की गई है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एचएमटी की भूमि उत्तराखण्ड सरकार को हस्तांतरित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह डबल इंजन सरकार की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उत्तराखंड की बहुप्रतीक्षित माँग को पूरा किया गया है।यह मामला काफ़ी लम्बे समय से लम्बित था।अब प्रदेश सरकार को भूमि हस्तांतरित हो गई है।इसका उपयोग प्रदेश के हित में और प्रदेश के विकास हेतु किया जाएगा।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इसके लिये अनुरोध किया था। साथ ही अगस्त माह में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय के साथ बैठक में भी इस बात को उठाते हुए एचएमटी की उक्त भूमि उत्तराखण्ड सरकार को हस्तांतरित किये जाने का अनुरोध किया था।

दूसरे पक्ष की तहरीर पर भी सात के खिलाफ पर मुकदमा दर्ज

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रामनगर(सलीम मलिक )। निकटवर्ती थारी गांव में हुए विवाद के मामले में एक पक्ष की तहरीर पर मुकदमे के बाद दूसरे पक्ष की तहरीर पर तीन महिलाओं सहित सात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। घटना 12 अक्टूबर की है, जिसकी सूचना पर पुलिस ने एक पक्ष की तीन महिलाओं सहित आठ लोगों के खिलाफ पहले ही मुकदमा दर्ज कर लिया था। जिसमें कुलवन्त कौर पत्नी सुखवन्त सिंह निवासी ग्राम थारी ने गांव की ही कमलेश कौर पत्नी स्व. हरनाम सिंह, सोनू सिंह पुत्र स्व. हरनाम सिंह, गुरमीत सिंह पुत्र स्व. हरनाम सिंह, कमला कौर पत्नी स्व. जीतसिंह, हरवंस सिंह पुत्र स्व. जीत सिंह, नानक सिंह पुत्र दिलीप सिंह, छिंदी बाई पत्नी दलीप सिंह, मोनिका देवी पत्नी नानक सिंह आदि के खिलाफ अपने घर में ले जाकर मारपीट का मुकदमा दर्ज करवाया था। अब इसी मामले में कमलेश कौर पत्नी स्व. हरनाम सिंह ने दीवान सिंह पुत्र रेशम सिंह, जोगेंद्र सिंह पुत्र अमीर सिंह, जसवंत सिंह, सुखवंत सिंह, सरजीत कौर, कुलविंदर कौर, रीना कौर आदि पर एक राय होकर उसके घर में घुसकर मारपीट करने के आरोप में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 323, 452 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया है। मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने इसकी जांच एसआई राजेश जोशी को सौंपी है।

12 ग्राम स्मैक के साथ दो गिरफ्तार

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रामनगर(सलीम मलिक )। कोतवाली पुलिस ने नशे के खिलाफ अभियान चलाते हुए दो लोगों को 12 ग्राम स्मैक के साथ गिरफ्तार किया है। छोटा बैराज के सामने ट्रांसपोर्ट नगर रामनगर से चैकिंग के दौरान गिरफ्तार किए गए मौ. जावेद पुत्र मोहम्मद अली निवासी होली चौक बंबाघेर व हिमांशु पुत्र हरीश निवासी छोटा बैराज बम्बाघेर के कब्जे से पुलिस ने 12 ग्राम स्मैक बरामद कर दोनो के खिलाफ एनडीपीएस के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें न्यायालय में पेश किया। जहां से दोनो अभियुक्तों को न्यायालय के आदेश पर हल्द्वानी कारागार न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस दौरान आरोपियों को पकड़ने वाली पुलिस टीम में उप निरीक्षक अनीस अहमद, विजेंद्र सिंह, हेमंत सिंह, गगन भंडारी, संजय सिंह मौजूद रहे।

मिसाल: राइफल मैन से बने कीवी मैन, पूर्व सैनिक की मेहनत रंग लाई 

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टिहरी: (डी पी उनियाल )विकासखंड चम्बा के गौंसारी गांव निवासी मान सिंह चौहान जब सेना से सेवानिवृत्त हुए तो उन्होंने अपनी मेहनत और जज्बे को खेती-बाड़ी में की ओर कदम बढ़ाया तथा कीवी फल को अपनी आय का साधन भी बनाया , अब उनकी पहचान राइफल मैन से कीवी मैन हो गई है ,मानसिंह चौहान ने बताया कि कीवी फल को बंदर व अन्य जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं यह जानकर उन्होंने कीवी के एक नर व तीन मादा पौधों को लगाया तथा जब तक बड़े नहीं हुए तब तक देखभाल करता रहा , कीवी के पौधों के लिए T आकार के लोहे के एंगल लगाने पड़ते हैं जिन पर तार का जाला बनाया जाता है ताकि बेल जालों पर फैलती रहे , उन्होंने बताया कि इसके नीचे खेत पर सब्जी उत्पादन किया जाता है , उन्होंने एक पाली हाउस भी बनाया ताकि सब्जी उत्पादन किया जा रहा है ,600 वर्ग मीटर जमीन पर कीवी के अलावा आर्गेनिक सब्जी उत्पादन किया जाता है ,इस साल भी 5 पौधे कीवी के उद्यान विभाग गजा से लगवाये गये हैं ,कीवी मैन बताते हैं कि पिछले साल 40 किलो तथा इस समय 60 किलो कीवी उत्पादन हुआ है जो कि स्थानीय स्तर पर 400 रुपये प्रति किलो बिका है जबकि बाजार भाव अधिक है ,यदि विपणन की सुबिधा हो तो आने वाले समय में प्रतिवर्ष लाखों रुपए की आय हो सकती है ।  कीवी फल के साथ साथ मटर,राई, गोभी , पालक, बीन, मिर्च,अदरक आदि पैदा किया जा सकता है ।मिसाल: पहले बॉर्डर पर की देश की रक्षा, अब मान सिंह ने कीवी उगाकर फल उत्पादन में गाड़े झंडे

 

हनीप्रीत अब इस नाम से पुकारी जाएंगी ‘रूहानी दीदी’, डेरा चीफ राम रहीम ने किया ऐलान

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जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह, जो अपनी दो शिष्यों से बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा काट रहा है, इस साल तीसरी बार 40 दिन की पैरोल पर रिहा हुआ है. गुरमीत राम रहीम सिंह के परिवार ने उसके लिए पैरोल मांगी थी. जेल से बाहर आने के बाद राम रहीम ने अपनी मुंह बोली बेटी हनीप्रीत का नाम बदल दिया है. उसने हनीप्रीत का जो नया नाम रखा है वो रुहानी दीदी उर्फ रुह दीदी है.

गुरमीत राम रहीम सिंह ने कहा, हमारी बेटी का नाम हनीप्रीत है. चूंकि हर कोई उन्हें ‘दीदी’ कहता है, इसलिए यह भ्रम पैदा करता है क्योंकि हर कोई ‘दीदी’ है. इसलिए हमने अब उसका नाम ‘रुहानी दीदी’ रखा है और इसका उच्चारण आसान करने के लिए ‘रुह दी’ किया है.

2017 से जेल में बंद है राम रहीम

बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से राम रहीम 2017 से सुनारिया जेल में बंद है. राम रहीम 15 अक्टूबर को जेल से बाहर आया. पिछले साल राम रहीम को उसकी पत्नी हरजीत कौर की इस याचिका पर पैरोल दी गई थी कि हृदय रोग से पीड़ित उनकी 85 वर्षीय मां नसीब कौर गंभीर रूप से बीमार हैं. जून 2019 में, राम रहीम ने अपनी पैरोल याचिका वापस ले ली थी, जब राज्य की भाजपा सरकार को विपक्षी दलों ने राम रहीम का पक्ष लेने के लिए घेर लिया था.

साथ ही, उच्च न्यायालय ने उनकी दत्तक बेटी के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए उनकी पैरोल याचिका को खारिज कर दिया था. अगस्त 2017 में दो महिलाओं से रेप के आरोप में राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. जनवरी 2019 में पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने भी राम रहीम और तीन अन्य को 16 साल पहले पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 25 अगस्त, 2017 को उनकी सजा के कारण पंचकुला और सिरसा में हिंसा हुई थी, जिसमें 41 लोग मारे गए थे और 260 से अधिक घायल हो गए थे.

 

 

भारत में आने वाला है बड़ा संकट! अगले 2 महीने में सच हो सकती है बाबा वेंगा की डराने वाली भविष्यवाणी

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बुल्गारिया की भविष्यवेत्ता बाबा वेंगा (Baba Vanga) ने अपनी मौत से पहले भारत समेत दुनियाभर के देशों के लिए कई भविष्यवाणियां की थी, जिनमें से अब तक कई सच साबित हो चुकी हैं.

बाबा वेंगा ने साल 2022 में भारत के लिए एक डरावनी भविष्यवाणी की थी, जो अगले 2 महीने में सच हो सकती है. बाबा वेंगा ने साल 2022 के लिए कुल 6 भविष्यवाणियां की थी, जिनमें से अब तक 2 सच साबित हो चुकी हैं.

भारत में आकाल जैसी स्थिति हो सकती है पैदा

बाबा वेंगा (Baba Venga) ने साल 2022 के लिए भारत को लेकर डराने वाली भविष्यवाणी की थी और बताया था आकाल जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. बाबा वेंगा के अनुसार, इस साल दुनियाभर में तापमान में गिरावट आएगी और इस वजह से टिड्डियों का प्रकोप बढ़ जाएगा. टिड्डियों का आतंक भारत में भी देखने को मिलेगा और फसलों को भारी नुकसान हो सकता है. इस वजह से देश में अकाल और भुखमरी जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. अब साल 2022 में सिर्फ 2 महीने बचे हैं और इस वजह से बाबा वेंगा की भविष्यवाणी को लेकर डर का माहौल है.

बाबा वेंगा ने साल 2022 के लिए की थी 6 भविष्यवाणियां

द सन की रिपोर्ट के अनुसार, बाबा वेंगा (Baba Vanga) ने साल 2022 के लिए कुल 6 भविष्यवाणी की थी, जिनमें साइबेरिया में एक नया वायरस आने, एलियन हमले, टिड्डियों के आक्रमण और वर्चुअल रिएलटी में वृद्धि की भविष्यवाणी शामिल है. इसके अलावा बाबा वेंगा ने कुछ एशियाई देश और ऑस्ट्रेलिया में बाढ़ के अलावा कई शहरों में पानी की कमी की भविष्यवाणी की थी.

इस साल सच हो चुकी हैं ये 2 भविष्यवाणियां

बाबा वेंगा (Baba Vanga) की साल 2022 को लेकर की गई भविष्यवाणियों में से 2 सच साबित हो चुकी हैं और इसके बाद आने वाले 2 महीनों में अन्य 4 भविष्यवाणियों के सच होने की आशंका जताई जाने लगी है. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में भीषण बारिश के बाद बाढ़ जैसी स्थिति हो गई थी, जबकि पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से हालात बेहद खराब हो गए थे और 1000 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. इसके अलावा कई शहरों में पानी की कमी होने की बाबा वेंगा की भविष्यवाणी भी सच साबित हो चुकी हैं और पुर्तगाल में पानी की कमी देखने को मिला है, जबकि इटली में भी सूखा देखने को मिला है.

बाबा वेंगा ने 12 की उम्र में गंवा दी थी दोनों आंखें

बाबा वेंगा (Who is Baba Vanga) एक फकीर थीं और उनका जन्म साल 1911 में बुल्गारिया में हुआ था. सिर्फ 12 साल की उम्र में बाबा वेंगा ने अपनी दोनों आंखें गंवा दी थी और देख नहीं सकती थीं, लेकिन इसके बाद वह भविष्य देख सकती थी. साल 1996 में निधन से पहले बाबा वेंगा ने दुनियाभर के लिए कई बड़ी भविष्यवाणियां की थी, जिनमें से अब तक कई सच साबित हो चुकी हैं. कहा जाता है कि बाबा वेंगा ने अपनी भविष्यवाणियां कहीं लिखी नहीं थी और उन्होंने इसे अपने अनुयायियों को बताया था.

केदारनाथ मंदिर का गर्भगृह हुआ स्वर्णमंडित, दीवारें और छतें दिखी नए स्वरुप में

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रुद्रप्रयाग, केदारनाथ मंदिर का गर्भगृह स्वर्णमंडित हो गया है। 550 सोने की परतों से गर्भगृह की दीवारों और छत नए स्‍वरूप में दिख रही हैं। बता दें कि महाराष्ट्र के एक दानी के सहयोग से बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने यह कार्य किया है। एएसआई के अधिकारियों की देखरेख में यह कार्य किया गया और बुधवार को कार्य पूरा हो गया।

केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने के लिए पहले चांदी हटाई गई। मंदिर समिति के अधिकारियों की मौजूदगी में चांदी को हटाने के बाद मंदिर के भंडार गृह में सुरक्षित रख दिया गया। उसके बाद चांदी के स्थान पर तांबा लगाया गया। गर्भगृह की दीवारों पर तांबा चढ़ाने के बाद नाप लिया गया और फिर से इस तांबे को निकालकर वापस महाराष्ट्र ले जाया गया, जहां तांबे की परत की नाप पर सोने की परत तैयार की गई। सोने की ये परतें मंदिर के गर्भगृह, चारों खंभों व स्वयंभू शिवलिंग के आसपास की जलहरी में भी लगाई गई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान व केंद्रीय भवन अनुसंधान रुड़की और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में बीकेटीसी ने गर्भगृह, जलेरी व छत पर सोने की परतें लगाने का कार्य किया। इस कार्य में 19 मजदूर लगे हुए हैं। गौरीकुंड से घोड़ा-खच्चरों से सोने की इन 550 परतें केदारनाथ पहुंचाई गईं थीं।

पुलिस की कड़ी सुरक्षा में गौरीकुंड पहुंचाई गईं परतें
इन परतों को नई दिल्ली से पुलिस की कड़ी सुरक्षा में गौरीकुंड पहुंचाया गया था। इससे पहले मंदिर के गर्भगृह, जलेरी व छत चांदी की परतें लगीं थीं। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। बीते तीन दिनों से यह कार्य किया जा रहा है। बता दें कि सोने की परत लगाने से पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान व केंद्रीय भवन अनुसंधान रुड़की और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के दल ने धाम पहुंचकर मंदिर के गर्भगृह का निरीक्षण किया था। उनकी रिपोर्ट के बाद गर्भगृह में सोने की परत लगाने का काम शुरू किया गया।