Monday, May 12, 2025
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पहाड़ों में डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य सेवा बुरी तरह चरमराई

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(विनोद खंडूड़ी)

देहरादून, बीते सालों में उत्तराखंड में राज्य सरकार के अधीन चार मेडिकल कालेज स्थापित हुए और ऋषिकेश में केन्द्र सरकार के अधीन एम्स में कई कोर्स आरम्भ किए गए। राज्य सरकार के अधीन नर्सिंग कॉलेज खुले हैं। आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय शुरू किया गया। इसके साथ ही निजी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज, पैरामेडिकल कॉलेज स्थापित हुए हैं।
मेडिकल और पैरामेडिकल शिक्षा में हुए इस बदलाव के नतीजों की परख केवल शहरी इलाकों में बढी स्वास्थ्य सुविधाओं से नहीं की जा सकती, बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की विरल पहुंच और उनकी गुणवत्ता के अभाव का मामला आज भी राजनैतिक बहस का मुद्दा बना हुआ है। इसकी तथ्यात्मक बानगी को बताने के लिए केन्द्र सरकार के नीति आयोग की स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट काफी है। 24 संकेतकों के आधार पर तैयार किए गए नीति आयोग के स्वास्थ्य सूचकांक में नवजात शिशु मृत्यु दर, पांच वर्ष से कम के शिशु में मृत्यु दर, जन्म पर लिंगीय अनुपात, मातृ मृत्यु दर, पूर्णत: टीकाकरण का स्तर, जन्म-मृत्यु पंजीकरण का स्तर, संस्थागत प्रसव, चालू स्वास्थ्य केन्द्रों एवं वैलनेस सेंटर का अनुपात, मानव संसाधन की तैनाती और राज्य सरकार के कुल खर्चे में स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यय का अनुपात जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
स्वास्थ्य सूचकांक के लिए राज्यों को बड़े राज्य, छोटे राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश की तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। स्वास्थ्य सूचकांक साल-दर-साल के आधार पर तैयार किया गया है इसका फायदा ये है कि राज्यों के लिए यह देखने में मदद मिलती है कि उसके प्रदर्शन में कितना सुधार हुआ या कमी आई है। इससे राज्यों को सुधार करने के लिए प्रेरणा मिलती है। स्वास्थ्य सूचकांक की गणना के लिए संदर्भ वर्ष, 2019-20 के लिए आधार वर्ष, 2018-19 है। बड़े राज्यों में संदर्भ वर्ष के स्वास्थ्य सूचकांक में पहले स्थान पर यानी पहले रैंक पर 82.20 अंकों के साथ केरल मौजूद है, आधार वर्ष में भी केरल 81.60 अंकों के साथ पहले रैंक पर था। तमिलनाडु भी आधार वर्ष (70.79 अंक) और संदर्भ वर्ष (72.42 अंक) दोनों बार दूसरे रैंक पर है। जबकि उत्तराखंड आधार वर्ष में 43.63 अंकों के साथ 14वें रैंक पर था परन्तु संदर्भ वर्ष, 2019-20 में वह एक रैंक नीचे चला गया हालांकि उसके अंक बढ कर 44.21 हो गए। केरल को मिले अंकों के मुकाबले उत्तराखंड के स्कोर में लगभग 38 अंकों का फासला है, जो दिखाता है कि क्यों उत्तराखंड में केरल के मुकाबले स्वास्थ्य सेवा की हालत काफी खराब है जिसके सुधार के लिए सरकार हर बार दावे करती रहती है।
आधार वर्ष के मुकाबले संदर्भ वर्ष में वृद्धि संबंधी सुधार में उत्तर प्रदेश ने 5.52 अंक बढोतरी की, जिसके बाद उसका कुल स्कोर 30.57 हो गया, परन्तु फिर भी उत्तर प्रदेश 19 बड़े राज्यों में आखिरी रैंक पर खड़ा है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश ने आधार वर्ष और संदर्भ वर्ष दोनों में रैंक के मामले में क्रमश: अपने 16,17,18 व 19 वें रैंक बरकरार रखे हैं, जबकि उत्तराखंड एक पायदान नीचे चला गया। यह साफ बता रहा है कि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था की समग्र तस्वीर के मामलें में उत्तराखंड बड़े राज्यों में पिछड़ी हालत में खड़ा है।

 

अच्छी पहल : अब ग्रामीणों को जंगलो में लगने वाली आग बुझाने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि

जंगलों की आग से बचने के उपाय छुपे हैं ग्रामीण परिवेश में - Demokratic Front

देहरादून, उत्तराखंड के जंगलों में हर साल लगने वाली आग को बुझाने में ग्रामीणों की अहम भूमिका रहती है, लेकिन इसके एवज में उन्हें कुछ नहीं मिलता। पहली बार धामी सरकार इस काम के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहन राशि देने जा रही है। प्रथम चरण में चीड़ बाहुल्य वन प्रभागों को योजना में लिया जा रहा है।

इसमें वन पंचायतों का क्षेत्र भी शामिल होगा। इसके लिए वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है। राज्य के वनों में प्रतिवर्ष औसतन दो हजार से 22 सौ वनाग्नि की घटनाएं होती हैं। इनमें हर साल करीब तीन हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल जल जाता है। वर्ष 2022 में अब तक वनाग्नि की 2,186 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें 3425.05 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा, जबकि इससे पहले वर्ष 2021 में वनाग्नि की 2,780 वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गई थीं।

बीते सालों में सर्दियों के मौसम में भी वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं। इस समस्या से पार पाने के लिए पहली बार ग्राम पंचायत स्तर पर वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है। अभी तक तीन वन प्रभागों अल्मोड़ा, टिहरी और गोपेश्वर में 48 वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा चुका है। समिति में ग्रामीणों के साथ ग्राम पंचायतों, वन पंचायतों के सरपंच और वनकर्मियों को शामिल किया जा रहा है। प्रदेश में अकेले 11 हजार 300 वन पंचायतें हैं। इन्हें अस्थायी तौर पर आसपास के जंगलों की वनाग्नि से सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी।

जंगल में आग लगने पर यदि यह समितियां तत्परता दिखाते हुए उसे बुझा देती हैं, तो उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह राशि कितनी होगी, इस पर अभी विचार किया जा रहा है। प्रदेश में वनाग्नि पर काबू पाने के लिए प्रतिवर्ष करीब 15 करोड़ रुपये के आसपास खर्च किए जाते हैं।

वनाग्नि पर काबू पाने के लिए जन सहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है। इस बाबत शीघ्र ही शासन में बैठक के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

 

 

जौनपुर में पांच दिवसीय स्काउट तृतीय सोपान शिविर का विधिवत् समापनMay be an image of 4 people, people standing, people walking and outdoors

टिहरी, अटल आदर्श उत्कृष्ट विद्यालय रा.इ. कालेज घोड़ाखूरी जौनपुर में पांच दिवसीय स्काउट तृतीय सोपान शिविर का आज समापन किया गया जिसमें जिला स्कॉउट कमिश्नर केएल शाह एवं जौनपुर ब्लॉक सचिव मदन मोहन सेमवाल शिविरा स्थल पहुंचे l
इस पूरे शिविर का संचालन श्रीमती रश्मि परमार एवं स्काउट मास्टर शैलेंद्र सिंह बिष्ट जी के द्वारा किया गया। शिविर में इस 05 दिनों में स्काउट/गाईड को प्रशिक्षित किया गया l तृतीय सोपान में दिए गए पाठ्यक्रम के अनुसार तंबू निर्माण ,प्राथमिक चिकित्सा, दिशा का ज्ञान हाइकिंग, आदि अनेक प्रकार की गतिविधियां कराई गई।अंत में स्काउट गाइड की दीक्षा जिला कमिश्नर केएल शाह और ब्लॉक सचिव मदन मोहन सेमवाल के द्वारा स्काउट/गाईड को दीक्षा दी गईl जिसमें निम्न विद्यालय अटल उत्कृष्ठ विधालय राइकॉलेज घोड़ा खूरी, नैनबाग, श्रीकोट ,म्याणी, केम्टी,राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भूट गांव के स्काउट एवं गाइड ने इसमें प्रतिभा किया उक्त शिविर में गाईड 24, स्काउट 29 कुल 53 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया है |May be an image of 5 people, people standing and outdoors
इस शिविर में श्री वीर सारस्वत,करमचंद सिंह रावत ,श्रीमती मीरा डिमरी, और घोड़ाखूरी से श्री मोहम्मद नासिर एवं शिविर संचालिका श्रीमती रश्मि परमार के साथ विद्यालय के सभी शिक्षक साथियों एवं शिक्षिका बहनों ने इसमें प्रतिभा किया है। एमडीएम प्रभारी शांति सिंह हनुमंती ,विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मनवीर सिंह रावत इस शिविर में पूर्ण सहयोग करते रहे हैं और अपनी उपस्थिति बनाए रखी l विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री प्रशांत बिष्ट जी ने इस कार्यक्रम को संचालन में अपना पूर्ण तन मन धन से सहयोग किया है और उन्हीं के सहयोग एवं उनके कुशल निर्देशन में उक्त कार्यक्रम संपन्न हुआ | स्काउट कार्यक्रम का संचालन स्काउट/गाईड कुमारी काजल द्वारा किया गया इस अवसर पर 5 दिवस की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी, जिसमें स्काउट जिला स्कॉउट कमिश्नर केएल शाह द्वारा प्रशंसा की गई कि भविष्य में पुनः इसी प्रकार यह प्रशिक्षण अगले विद्यालय में संचालित किया जाएगा, साथ ही इस शिविर में शिक्षक अभिभावक संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री त्रेपन सिंह रावत द्वारा ब्रह्मांड ब्रह्मांड एवं ऊर्जा संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। ग्राम घोड़ा खूरी के ग्राम प्रधान श्रीमती आरती एवं आदेश असवाल तथा ग्राम मैहर के अरविंद सिंह कंडारी भी इस शिविर में अपना पूर्ण सहयोग किया है।

 

लोक पर्यावरण शिक्षा संस्थान और ओआरबीआईएस ने हरिद्वार के तीन कुष्ठ आश्रमों में वितरित किया पौष्टिक आहार

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ॠषिकेश, लोक पर्यावरण शिक्षा संस्थान ने ORBIS के सहयोग आहार वितरण किया, हरिद्वार के तीन कुष्ठ आश्रमों जिनमें श्री गंगा माता कुष्ठ आश्रम में 21 कुष्ठ रोगियों, चिदानंद कुष्ठ आश्रम में 70 कुष्ठ रोगियों एवं स्वामी विवेकानंद कुष्ठ आश्रम में 39 कुष्ठ रोगियों सूखा राशन वितरित किया, जिसके अन्तर्गत प्रतिमाह दो बार 130 कुष्ठ रोगियों को सुखा राशन एवं पौष्टिक आहार दूध फल चीनी चाय पत्ती आदि सामग्री दी जाती है।
श्यामलाल भाई पर्यावरणविद ने बताया कि हरिद्वार ऋषिकेश में लोक पर्यावरण शिक्षा संस्थान के निवेदन पर ओआरबीआईएस फाइनेंस कंपनी के लिए निदेशक अतुल गुप्ता ने इन तीन कुष्ठ आश्रम का भ्रमण किया जिसमें उन्हें लगा कि समाज में कुष्ठ रोगियों को अलग अलग रखा जाता है। श्री श्याम लाल भाई का मानना है कि यह बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होती है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है। इसके लिए कुष्ठ रोगियों को अलग रखा जाता है और समाज में इनके साथ कोई खाने एवं बैठने के लिए तैयार नहीं होता है इसके लिए हमें इन्हें स्वस्थ जीवन की कामना के लिए हमें कुष्ठ रोग निरोग कार्यक्रम की आवश्यकता महसूस हुई और इसी उद्देश्य को लेकर ORBIS फाइनेंस कंपनी द्वारा अपनी सीएसआर के तहत कुष्ठ रोगियों के सहयोग के लिए सुखा राशन एवं दूध फल आदि वितरण करने का निर्णय लिया गया और प्रतिमाह 130 कुष्ठ रोगियों को पोस्टिक आहार में राशन दूध फल चीनी चायपत्ती आदि का सहयोग किया जाता है।

 

 

तरल एवं ठोस अपशिष्ट के बेहतर प्रबंधन हेतु जनपद स्तरीय गोष्ठी का हुआ आयोजन

अल्मोड़ा, प्लास्टिक/ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन रूल 2016 के उपबंधों के क्रियान्वयन हेतु तथा शासन द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में आज विकास भवन सभागार में तरल एवं ठोस अपशिष्ट के बेहतर प्रबंधन हेतु एक जनपद स्तरीय गोष्ठी का आयोजन स्वच्छ भारत मिशन एवं शहरी विकास विभाग के तत्वाधान में अध्यक्ष नगरपालिका अल्मोड़ा प्रकाश चंद्र जोशी की अध्यक्षता में किया गया। इस गोष्ठी में जनपद के सभी स्थानीय निकायों के अधिकारी, जिला पंचायत, राजस्व विभाग समेत अन्य संबंधित विभागों द्वारा प्रतिभाग किया गया। यहां मास्टर ट्रेनरों द्वारा समय समय पर माननीय न्यायालयों, राष्ट्रीय हरित न्याय द्वारा दिए गए आदेशों, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट अधिनियम के प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस दौरान प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरों के बारे में तथा इसके विकल्प के तौर पर प्रयोग की जा सकने वाले सामग्री समेत अन्य ठोस अपशिष्ट से संबंधित अन्य प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
इस दौरान उपस्थित अधिकारियों ने ठोस अपशिष्ट के निस्तारण संबंधी अपने अपने सुझाव एवं अनुभव भी साझा किए। इस दौरान अध्यक्ष नगरपालिका प्रकाश चंद्र जोशी ने कहा कि सोर्स सेग्रीगेशन एवं शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों में कूड़े को अलग अलग करने के प्रति जागरूक करने पर बल दिया जाना चाहिए। प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव ने प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में बताया तथा कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं इसके विकल्प का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज सुविधा के लिए प्लास्टिक का प्रयोग करने से हम आने वाले कल को मुस्किल में डाल रहे हैं, इसलिए हमे कल की परवाह करते हुए आज ही सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करते हुए इसके विकल्पों का प्रयोग करना चाहिए। अधिशाषी अधिकारी अल्मोड़ा/मास्टर ट्रेनर भरत त्रिपाठी ने गोष्ठी में अल्मोड़ा में की गई कार्यवाहियों की जानकारी दी तथा सभी उपस्थित अधिकारियों को गोष्ठी के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आरसी पंत, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत राजेंद्र सिंह समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

ब्रैकिंग : बछेलीखाल के पास वाहन खाई में गिरा, एक की मौत

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टिहरी(देवप्रयाग), थाना देवप्रयाग द्वारा एसडीआरएफ टीम को सूचित किया गया कि बछेलीखाल के पास एक वाहन खाई में दुर्घटनाग्रस्त हो गया है जिसमें राहत एवं बचाव कार्य हेतु टीम की आवश्यकता है।

उक्त सूचना पर पोस्ट ब्यासी से एसडीआरएफ टीम हैड़ काॕस्टेबल प्रेम बिष्ट के नेतृत्व में रेस्क्यू उपकरणों के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हुई। SDRF टीम द्वारा मौके पर पहुँचकर देखा गया कि एक स्विफ्ट कार (UK07 AN 5419) अनियंत्रित होने से लगभग 150 मीटर नीचे खाई में गिरी हुई थी। उक्त वाहन में एक व्यक्ति सवार था जो देवप्रयाग से देहरादून आ रहा था।
SDRF टीम द्वारा कड़ी मशक्कत करते हुए गहरी खाई में उतरकर दुर्घटनाग्रस्त वाहन तक अपनी पहुँच बनाई। वाहन सवार व्यक्ति की मौके पर ही मृत्यु हो गयी थी। SDRF टीम द्वारा उक्त व्यक्ति का शव वाहन से निकालकर रोप व बॉडी बैग के माध्यम से मुख्य मार्ग तक पहुँचाकर सिविल पुलिस के सुपर्द किया गया।

मृतक का नाम :
शरद कुमार शर्मा पुत्र स्व. श्री शिव चरण शर्मा (असिस्टेंट बैंक मैनेजर SBI), निवासी बंजारावाला, देहरादून।

अंकिता हत्याकांड के आरोपियों ने नार्को टेस्ट को लेकर मांगा दस दिन का समय

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देहरादून, अंकिता हत्याकांड को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। नार्को टेस्ट को लेकर हत्याकांड के आरोपियों ने दस दिन का समय मांगा है। मामले में आज नोटिस जारी होने थे। आरोपियों ने पौड़ी जेल अधीक्षक के जरिए जेएम कोर्ट कोटद्वार से समय मांगा।
अंकिता हत्याकांड के आरोपी पुलकित, अंकित, सौरभ के नार्को टेस्ट को लेकर आज नोटिस जारी होने थे, लेकिन इससे पहले ही आरोपियों ने दस दिन का समय मांग लिया। अंकिता के हत्यारोपियों का नार्को टेस्ट कराने के लिए एसआईटी ने शुक्रवार को न्यायालय में अर्जी दे दी थी। न्यायालय इस पर आज सोमवार को सुनवाई करने वाला था।

अंकिता हत्याकांड में शुरुआत से ही वीआईपी के नाम के खुलासे की मांग की जा रही है। पुलिस पर आरोप भी लगे हैं कि जानबूझकर वीआईपी का नाम उजागर नहीं किया जा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दल भी इस बात को उठा चुके हैं। ऐसे में परिजनों ने कुछ दिन पहले आरोपियों का नार्को टेस्ट कराने की मांग की थी। इस पर एसआईटी भी विचार करने लगी थी। पिछले दिनों एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन ने भी कहा था कि एसआईटी ने वीआईपी का नाम जानने के लिए नार्को टेस्ट का फैसला किया है।
एडीजी मुरुगेशन ने बताया कि नार्को टेस्ट के लिए शुक्रवार को न्यायालय में अर्जी दे दी गई है। न्यायालय को इस अर्जी पर दोनों पक्षों को सोमवार को सुनना था। इसके बाद ही नार्को टेस्ट कराने या न कराने पर फैसला किया जा सकता था। पुलिस ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली थीनार्को टेस्ट की मांग के लिए उनके पास पूरे आधार हैं। बहुत से ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब पुलिस को आरोपियों से चाहिए।

 

हिमालयन हॉस्पिटल में 30 बेड वाला नया इमरजेंसी भवन जनता को किया समर्पित

हिमालयन हॉस्पिटल में 30 बिस्तरों के नया इमरजेंसी भवन जनता को समर्पित* –  Devbhumi JK News
देहरादून (डोईवाला), उत्तराखंड के बड़े हॉस्पिटल में गिना जाने वाला बेहद आधुनिक निजी हॉस्पिटल, हिमालयन हॉस्पिटल जोली ग्रांट में आज 30 बेड वाला नया इमरजेंसी भवन विधिवत पूजा अर्चना और उद्घाटन के बाद कुलपति डॉ विजय धस्माना ने आम जनता को समर्पित किया।

उत्तराखंड स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है और देश के साथ ही विदेश के नामों डॉक्टर जहां उत्तराखंड में अपनी सेवा दे रही है तो वही देश विदेश के साथ उत्तराखंड के लोगों को भी बेहद शानदार सुविधाएं और ईलाज देहरादून में ही मिल रहा है।
दून के डोईवाला में स्थित हिमालयन हॉस्पिटल लगातार आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर है। डोईवाला के जोली ग्रांट में स्थित हिमालयन हॉस्पिटल में लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है जिसे देखते हुए कुलपति डॉ विजय धस्माना ने परिसर में एक नई बिल्डिंग जिसमे आपातकाल के समय में मरीजों को उपलब्ध कराते हुए 30 बेड वाला नया आधुनिक भवन आज जनता को समर्पित किया।

इस भवन की खासियत बताते हुए डॉ विजय धस्माना ने बताया की इस इमरजेंसी वार्ड को बेहद आधुनिक और सभी सुविधाओं वाला वार्ड बनाया गया है क्योंकि हिमालयन हॉस्पिटल में उत्तराखंड के साथ ही पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों से मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते है।

 

लहलहाते खेत हो रहे हैं बंजर , ग्रामीणों ने की गूल पुनर्निमाण की रखी मांग

(डी पी उनियाल)

टिहरी (गजा), विकास खंड चम्बा के नैचोली गांव में सैकड़ों हेक्टेयर सिंचित भूमि में जहां वर्षों पहले धान , गेंहू की फसल लहलहाती थी तथा ग्रामीण आलू,प्याज,अदरक, लहसून,अरबी, आदि सब्जियों का उत्पादन कर अपने लिए साल भर की सब्जी पैदा कर देते थे, उन्हीं खेतों में अब झाड़ियां उग आई हैं तथा बंजर हो गये हैं , ग्रामीण लघु सिंचाई विभाग नई टिहरी से अपनी गूल पुनर्निमाण करने की मांग करते आ रहे हैं , आपको बता दें कि धार अकरिया पट्टी के नैचोली गांव में सैकड़ों हेक्टेयर भूमि मल्ली गूल से सिंचित होती थी, वर्षों पहले इस डेढ़ किलोमीटर लम्बी गूल को सीमेंट कंक्रीट से बनाया गया था जो कि अब 4 साल पहले जगह जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है , गूल क्षतिग्रस्त होने पर सिंचाई के लिए पानी एक बूंद भी नहीं आ पा रहा है , ग्रामीणों ने लघु सिंचाई विभाग नई टिहरी से गुहार लगाई है कि नहर पुनः निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत कर पानी उपलब्ध कराया जाय ताकि वह फिर से अपने खेतों में फसल उत्पादन कर सकें, गांव में सिंचाई के लिए दो हौज भी बने हुए हैं जो अब वगैर पानी के क्षतिग्रस्त हो गए हैं, इन दोनों हौजों में भी झाड़ियां हो गई हैं , ग्रामीणों का कहना है कि लोहे या प्लास्टिक के 4 इंच मोटे पाइप डाल कर पानी पहुंचाया जाय , गांव निवासियों के द्वारा विगत साल पहले प्रस्ताव भेजा गया है तथा वर्तमान में 5 दिसंबर को दिनेश प्रसाद उनियाल अध्यक्ष प्रगतिशील जन विकास संगठन गजा टिहरी गढ़वाल के द्वारा भी जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल नई टिहरी को पत्र भेजा गया है, इसी वित्तीय वर्ष में धनराशि स्वीकृत हो जाती तो काश्तकार मई,जून में धान की फसल की बुआई कर सकते हैं । ग्रामीणों ने लघु सिंचाई विभाग नई टिहरी से धनराशि स्वीकृत की मांग की है ।

क्षेत्रीय विधायक उमेश शर्मा सम्मान के साथ हुई बीपीएमएस से सम्बद्ध विभिन्न संगठनों की परिचयात्मक बैठक

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देहरादून, डीआरडीओ परिसर स्थित सभागार में BPMS से सम्बद्ध विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों, कार्यकारिणी सदस्यों के आह्वान पर स्थानीय क्षेत्र विधायक श्री उमेश शर्मा”काऊ” जी को मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित कर उनका सम्मान एवं संगठन की परिचयात्मक बैठक आयोजित की गई। जिसमें मुख्यतया नए संगठनों को सुदृढ़ एवं संरक्षण प्रदान कर होने वाली समस्याओं के निस्तारण में आने वाली बाधाओं के सम्बंध में अवगत करवाया गया,जिसके लिए विधायक जी ने रक्षा राज्यमंत्री जी के संज्ञानार्थ ध्यानाकर्षण का भरोसा दिया,सभी संगठन साथियों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया इसके अतिरिक्त स्थानीय क्षेत्रीय बिन्दुओं के निराकरण का संज्ञान ज्ञापित किया।
आईआरडीई कर्मचारी संगठन द्वारा CGHS सेवा सुविधा की जटिल समस्याओं को सरलीकरण करवाने के प्रयासों को केंद्रीय स्वास्थ योजना को अवगत करवाने की बात कही।
इस अवसर पर BPMS के सचिव श्री अनिल कुमार, सह सचिव हेमन्त कुमार,केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री केसर सिंह,श्री लोकेश देवराड़ी,OFD के अध्यक्ष श्री पंकज शर्मा, उज्ज्वल त्यागी,श्री धीरेंद्र त्यागी,OLF के श्री सुनील शर्मा,MES कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष श्री चंद्रदत्तसुयाल,दीपक कुमार, अमित गुरुङ, नन्द लाल, विपिन राणा,कालूराम,IRDE के श्री वेदा नन्द तिवारी,अरुण कुमार,ओम प्रकाश, अशोक कुमार,खजान सिंह आदि बड़ी संख्या में पदाधिकारी कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहे।

हाइवे पर चलने वालों के लिये लागू हुए टोल-टैक्स के नए नियम, इन लोगों को नहीं देना होगा टैक्स

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नई दिल्ली, टोल टैक्स के नियमों में बड़ा बदलाव हो गया है, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जानकारी देते हुए कहा है कि नए नियमों के तहत कई लोगों को टोल टैक्स नहीं चुकाना होगा. इसको लेकर पूरी लिस्ट जारी कर दी गई है. बता दें देशभर में सड़कों की स्थिति जिस तरह से बदल रही है उस तरह से टोल का किराया भी बढ़ता जा रहा है. इसी बीच केंद्र सरकार ने टोल के नए नियम जारी किए हैं, जिसमें कई लोगों को टोल चुकाने से राहत मिल गई है |

प्राइवेट वाहनों को नहीं देना होगा टैक्स :
केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारें भी अपने हिसाब से टोल टैक्स चुकाने के नियम जारी करती हैं. अब मध्य प्रदेश के लोगों को लॉटरी लग गई है. वहां पर प्राइवेट वाहनों को किसी भी तरह का टोल नहीं देना होगा सिर्फ कॉमर्शियल वाहनों के लिए ही टोल टैक्स चुकाना होगा |

किस राज्य के लोगों को मिलेगा फायदा ?

मध्य प्रदेश रोड़ डेवलपमेंट लिमिटेड (MPRDC) के डीएम एमएच रिजवी ने जानकारी देते हुए कहा है कि पहले सभी चार पहिया वाहनों से टोल टैक्स वसूलने का फैसला किया गया था, लेकिन फिर सरकार की ओर से जारी किए आदेश के मुताबिक, सिर्फ कॉमर्शियल वाहनों से ही टोल टैक्स वसूला जाएगा |

अगले महीने तक पूरी हो जाएगी टेंडर की प्रक्रिया :
इसके अलावा पिछले महीने हुई कैबिनेट की मीटिंग में जानकारी दी गई थी कि इस रूट पर कार, जीप और यात्री बसों समेत निजी वाहनों को भी टोल टैक्स में राहत देने का फैसला लिया गया था, जिसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई और बताया जा रहा है कि अगले महीने तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी |

इन लोगों को नहीं देना होगा टोल टैक्स :
इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से टोल टैक्स न देने वालों की एक लिस्ट तैयार की गई है. इस लिस्ट में पहले सिर्फ 9 कैटेगरी के लोगों को शामिल किया जाता था, लेकिन अब इसको बढ़ाकर 25 कर दिया गया है. इसमें सरकारी कर्मचारी से लेकर के शव लेकर जाने वाले वाहन शामिल हैं, जिन लोगों को किसी भी तरह का टोल टैक्स नहीं देना होता है |

इन लोगों को भी टोल टैक्स में मिलेगी छूट :
राज्य सरकार ने जानकारी देते हुए कहा है कि संसद और विधानसभा के पूर्व और वर्तमान सदस्यों के वाहन और गैर व्यवसायिक व्हीकल, भारतीय सेना, फायर ब्रिगेड, भारतीय डाक, कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली ट्रैक्टर ट्रॉली, ऑटो रिक्शा, दो पहिया वाहन और मान्यता प्राप्त पत्रकारों के अलावा यात्री वाहनों को भी टोल टैक्स में छूट मिलेगी(साभार जीन्यूज) |

ज्वलंत प्रश्न….? पहाड़ों से जवानी-पानी का पलायन बदस्तूर, गैरसैंण के नसीब से छिन गई राजधानी…!

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(विनोद खंडूड़ी)

देहरादून, राज्य आंदोलन के दौरान उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हजारों आंदोलनकारियों ने जनपक्षीय और संतुलित विकास के सपने देखे परन्तु 22 सालों में यहां के राजनेताओं और नौकरशाहों की ठाठबाट की जीवन शैली ने स्वप्नों को धूमिल कर दिया है। चुनावों में नेतागणों ने उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश, पर्यटन प्रदेश, एशिया का स्विटजरलैंड, शिक्षा का हब, देश की सांस्कृतिक राजधानी, और भी न जाने क्या-क्या बनाने के वादे कर दिए और अब उत्तराखंड की डबल इंजन की सरकार कहती है कि 2020 का दशक उत्तराखंड का दशक है, यही नहीं 2030 और 2040 की बात भी होने लगी है। गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी बनाने के आंदोलनकारियों के संकल्प को कोई भी सरकार पूरा नहीं कर सकी है।May be an image of 6 people and outdoors
आज से 10 साल पहले कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल से पहली बार राजधानी के बाबत गैरसैंण की ओर राज्य की सरकारों का रुख थोड़ा सकारात्मक हुआ, हालांकि ये कभी भी साफ नहीं हो पाया कि गैरसैंण(भराड़ीसैंण)में स्थाई राजधानी का निर्णय कब लिया जाएगा, पर जहां तक भाजपा सरकार का रुख है, वह गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्म कालीन राजधानी के तौर पर मान्यता देने का है, इसकी परिणति देहरादून को स्थाई राजधानी के रूप में ही हो सकती है। 22 साल के बाद गैरसैंण में उत्तराखंड की एकमात्र राजधानी बनाने का स्वप्न लगभग ध्वस्त कर दिया गया है। प्रदेश में पर्वतीय क्षेत्र के गांवों से 1990, 2000 और 2010 के दशकों के बाद 2020 के दशक में भी असामान्य गति से पलायन होना दून से दिल्ली तक के सत्ताधीशों की चिंता का विषय है। गांवों के निर्जन होने की तस्वीर वाकई डरावनी है। 2011 की जनगणना में उत्तराखंड में 1053 गांवों को निर्जन गांवों के तौर पर दर्ज किया गया और जनवरी 2018 में उत्तराखंड पलायन आयोग ने भुतवा हो चुके गांवों की संख्या 1064 बताई, इसके साथ की 650 गांवों की जनसंख्या में 50 प्रतिशत से भी अधिक की गिरावट पर सरकार को चेताया। तेज गति से पलायन की सबसे बड़ी वजह रोजगार के साधनों का अभाव, उसके बाद शिक्षा और फिर स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी बताए गए हैं।
कुछ गांव प्राकृतिक आपदा के कारण खाली हो चुके हैं। ये ऐसे कारण हैं जिनको दूर करने के लिए सरकार के प्रयास काफी निर्णायक हो सकते हैं, परन्तु सिवाय जुबानी खर्च के असामान्य गति के पलायन पर नियंत्रण के लिए कारगर नीतियों का निर्माण करने में सरकारें अब तक विफल हैं।May be an image of 1 person, outdoors and tree
प्रदेश के पर्वतीय एवं मैदानी भागों में अनियोजित विकास और हरिद्वार, उधमसिंह नगर, देहरादून और नैनीताल मात्र चार जिलों में ही रोजगार और सुविधाओं के अवसरों के सिमट जाने से इन्हीं चार जिलों में राज्य की आबादी का बड़ा भाग सिमट चुका है। गौर करने वाली बात है कि पर्वतीय क्षेत्र से बहते प्रचुर पानी के उपयोग की हालत में भी बीते 22 सालों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हो सका है। जो कुछ सफलता बांधों के जरिए जल विद्युत उत्पादन और सिंचाई के क्षेत्र में मिली है वे लगभग सभी परियोजनाएं राज्य निर्माण से पहले शुरू हो चुकी थीं या उनके शुरुआत के लिए प्रक्रिया गतिमान थी। राज्य की सरकारें तो वक्त पर कई प्रस्तावित परियोजनाओं की डीपीआर तक तैयार नहीं करवा पाई। इसके साथ ही परियोजना प्रभावित स्थानीय लोगों को उनके जल, जंगल, जमीन के सवालों को हाशिए पर डाल, पर्यावरण प्रभाव पर अंधेरे में रखने की निजी विकासकर्ताओं की कार्यशैलियों ने उत्तराखंड में जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर विरोध को बढाया है। इसकी वजह से कई छोटी-छोटी विवाद रहित परियोजनाएं भी प्रभावित हुईं फलस्वरूप आज भी उत्तराखंड का ऊर्जा में सरप्लस राज्य का स्वप्न अधूरा है। यही नहीं सभी घरों की शुद्ध पेयजल जैसी प्राथमिक जरूरत को भी सरकार अभी तक पूरा नहीं कर पाई है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े बता रहे हैं कि शुद्ध बोया गया क्षेत्र 2004-05 में उत्तराखंड में 767 हजार हेक्टेयर था जो घटकर 2018-19 में 648 हजार हेक्टेयर हो गया। 14 साल में शुद्ध बोए गए क्षेत्र में यह 119 हजार हेक्टेयर की कमी है, यानी हर साल औसतन साढे आठ हजार हेक्टेयर शुद्ध बोया गया क्षेत्र कम होता गया। शुद्ध बोए गए रकबे में लगातार आई इस कमी का अर्थ है कि लोग लगातार खेती छोड़ रहे हैं, बंजर जमीन बढ रही है और इसके साथ ही खेती की जमीन विकास की भेंट चढ रही है। प्रदेश में कृषि योग्य जमीन कम होने से उसके उपयोग के लिए फूंक-फूंक कर कदम रखना बहुत ही जरूरी है, जिसके लिए केन्द्रीकृत तौर पर आगे आने वाले तीन-चार दशकों को ध्यान में रखकर योजना बनाने की जरूरत है, पर इस दिशा में राज्य सरकार कतई सक्रिय दिखाई नहीं देती।

ब्रैकिंग : इन्टरार्क कंपनी के किच्छा प्लांट में फिर बहा ठेका मजदूर का खून, लहूलुहान हालत में पहुंचा अस्पताल

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(अतुल अग्रवाल)

हल्द्वानी, इन्टरार्क कंपनी में दुर्घटनाओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है गैरकानूनी रूप से मुख्य उत्पादन गतविधियों में लगाए गए ठेका मजदूरों से दबाव देकर जिस तरह से कंपनी प्रबंधक काम करवा रहे हैं उसके कारण फैक्ट्रियों में लगातार मजदूर दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं, ग्राइंडर मशीन के कारण पिछले दिनों एक मजदूर का पैर कट गया तो अत्यधिक कार्य दबाव के कारण कुछ दिन पहले एक मजदूर बुरी तरह बेहोश होकर तड़पने लगा था इन्हीं क्रम में आज फिर से कंपनी प्रबंधकों के मनमानी का शिकार एक ठेका मजदूर जिसका नाम अमित बताया जा रहा है दुर्घटना का शिकार हो गया जिसमें उसके हाथ में कलाई के पास की नसें ग्राइंडर मशीन से कट गई लहूलुहान अवस्था में आनन-फानन में कंपनी प्रबंधकों ने चोरी चुपके उसको कंपनी से निकालकर अस्पताल पहुंचाया जहां पर उसका हाल जानने पहुंचे मजदूर संगठन के लोगों को मिलने भी नहीं दिया ना तो कोई तस्वीर खींचने दी अभी मजदूर की स्थिति कैसी है यह पता नहीं है परंतु ठेका मजदूरों को गैरकानूनी रूप से मुख्य उत्पादन गतविधियों में नियोजित करने वाले कंपनी प्रबंधक के ऊपर श्रम विभाग द्वारा केस करने के बाद भी पुलिस प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है जिसके कारण लगातार ठेका मजदूर अंग भंग की स्थिति में पहुंच रहे हैं धरने पर चलाई जा रही सभा में संगठन के पदाधिकारियों द्वारा कंपनी प्रबंधक की निंदा करते हुए ठेका मजदूर को अच्छा इलाज मुहिया करवाने की कंपनी प्रबंधक से गुजारिश की है।
साथ ही प्रशासन से मांग की है की कंपनी में गैरकानूनी रूप से जो भी ठेका प्रथा चलायी जा रहा है उसको तत्काल बंद कराने की जरूरत है ऐसा ना हो कि कंपनी मालिक के मुनाफे की भेंट ठेका मजदूर चढ़ते रहे।
श्रमिक नेताओं द्वारा बताया गया कि आज जिला स्तरीय कमेटी द्वारा उधम सिंह नगर कलेक्टर परिसर में कंपनी प्रबंधक व मजदूर संगठन के बीच किसान संगठन की उपस्थिति में वार्ता तय की गई थी जिसे उत्तराखंड के राज्यपाल महोदय के दौरे के कारण स्थगित करना पड़ा। इसकी सूचना जिला प्रशासन द्वारा वार्ताकार कमेटी को सुबह 9:30 बजे दे दी गई और साथ ही बताया गया कि जल्द ही अगली तिथि घोषित की जाएगी।
मजदूरों द्वारा साफ संदेश देते हुए कहा गया कि हमने पहले ही घोषित कर रखा है कि यही वार्ता अंतिम वार्ता के रूप में होगी मजदूरों के पक्ष में समाधान ना होने पर मजदूर निर्णायक कार्यवाही को अंजाम देने के लिए पूरी तरह से तैयार है धरना स्थल पर सैकड़ों श्रमिक उपस्थित रहे।

 

नगर निगम ने सीसीटीवी कैमरा लगवाने हेतु दिया पुलिस को सौपा 40 लाख का चैकहल्द्वानी: सीसीटीवी से लैस होगा शहर, मेयर रौतेला ने पुलिस को सौंपा 40 लाख का चैक… - Pahad Prabhat (पहाड़ प्रभात)

(अतुल अग्रवाल)

हल्द्वानी, स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 मेरा शहर मेरी पहचान के अन्तर्गत नगर निगम सभागार, हल्द्वानी में सोमवार को महापौर डॉ. जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला द्वारा पुलिस विभाग को सीसीटीवी कैमरा लगवाने हेतु अपर पुलिस अधीक्षक हरबंस सिंह को 40 लाख रू0 का चैक दिया गया।
महापौर रौतेला ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में हल्द्वानी शहर को न0 1 बनाने के लिए और शहर को सत्तत रूप से स्वच्छ एवं सुन्दर बनाये रखने हेतु हमें अपने घर, प्रतिष्ठान का कूड़े को गीला व सूखे कूड़े के अलग करके निगम वाहन को ही दें। उन्होंने कहा कि कूडा वाहन का निर्धारित मासिक यूजर चार्ज निगम द्वारा अधिकृत बैणी सेना की स्वंय सहायता समूह के सदस्य को ही दे। कूड़े को सड़क, नाला, नहर, खाली प्लाट आदि स्थलों पर न डालें एवं कूड़े का सही ढंग से निस्तारण करें साथ ही अपना घर, प्रतिष्ठान, परिसर साफ रखे तथा गली-मौहल्ला को साफ एवं स्वच्छ रखने में अपना अमूल्य सहयोग करें |
उन्होंने कहा सिंगल यूज प्लास्टिक/प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग न करने तथा बाजार के सामान हेतु जूट एवं कपडे का बैग आवश्यक रूप से ले जाने की अपील की। उन्होंने कहा आपके गली मौहल्ले में सड़कों नालियों की सफाई न होने, कूडा वाहन न आने व पास कूड़ा जमा होने की शिकायत पर नगर निगम के टोल फ्री न0 8882610000 पर सूचित करें। नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने कहा कि नगर निगम बोर्ड द्वारा शहर में ट्रैफिक कन्ट्रोल करने एवं अपराध कन्ट्रोल करने तथा शहर में कूड़े डम्पिंग करने की निगरानी रखने के लिये सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेगे। कार्यक्रम में सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, कोषाधिकारी हेम काण्डपाल, नगर स्वास्थ अधिकारी डॉ. मनोज काण्डपाल, सीओ भूपेन्द्र सिंह धोनी के साथ ही पार्षद एवं पर्यावरण मित्र भी मौजूद थे।

सीएम धामी के निर्देश के बाद पुलिस ने 8 घंटे के अंदर बच्चे को किया बरामद, पुलिस जांच पड़ताल में जुटी

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हरिद्वार, अपहृत आठ माह के बच्चे को बरामद करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा एक्शन लेते हुए हरिद्वार पुलिस को तुरंत बच्चे को बरामद करने के निर्देश दिए थे जिस पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार अजय सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 8 घंटे के अंदर बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया है जिसके बाद परिजनों ने राहत की सांस ली है तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया ।
गौरतलब है कि बीते रोज हरिद्वार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लिया 8 माह के बच्चे के अपहरण को बेहद गंभीरता से लिया था तथा बच्चे के अपहरण पर सख्त रुख अपनाते हुए उन्होंने एसएसपी हरिद्वार को बच्चे की बरामदगी हेतु कार्यवाही हेतु सख्त निर्देश दिए गए थे।
जिस पर हरिद्वार पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए हरिद्वार में अपहृत आठ माह के बच्चे को पुलिस ने बरामद कर लिया है। ब
हरिद्वार पुलिस ने क्षेत्र के सभी सीसीटीवी खंगालने के साथ ही विभिन्न मुखबिर तंत्र, मीडिया, जनता के मध्य सूचना प्रचारित प्रसारित की।
इसका परिणाम भी देखने को मिला और बच्चे के संबंध में जानकारी मिलने पर 8 माह के बच्चे को पुलिस ने सकुशल बरामद कर लिया है |

पुलिस की ने की थी त्वरित कार्रवाई :

डीआईजी गढ़वाल ने बताया कि अपहरण का मुकदमा दर्ज कर तत्काल पुलिस और एसओजी की टीमें खोजबीन में लगा दी गई थीं। संदिग्ध मोबाइल फोन नंबरों को ट्रेस करते हुए खोजबीन शुरू की गई। रविवार को भारत माता मंदिर के पास एक मोबाइल फोन नंबर की लोकेशन मिलने पर घेराबंदी कर आशा कार्यकर्ता रूबी निवासी गागलहेड़ी सहारनपुर उत्तर प्रदेश हाल पता सीतापुर, कड़च्छ मोहल्ला निवासी आशा जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है और श्यामपुर कांगड़ी निवासी कपड़ा व्यापारी संजय को दबोचा।

इन लोगों से बच्चा बरामद किया गया। इनसे पूछताछ के बाद अपहरण मामले में शामिल किरन, अनिता, सुषमा निवासीगण मोहल्ला कड़च्छ और कपड़ा कारोबारी संजय की पत्नी पारुल को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने बताया कि किरन, सुषमा और अनिता ने मिलकर बच्चे का अपहरण किया था।
उन्होंने बताया कि रविंद्र के घर के बराबर में रहने वाली किरन ही मौका पाकर सोते बच्चे को उठाकर लाई थी। उसने दूसरी गली में रहने वाली सुषमा को बच्चा सौंप दिया, सुषमा ने पड़ोस में रहने वाली अनीता को दिया। अनीता बच्चे को लेकर आशा कार्यकर्ता रूबी के हवाले किया।
रूबी और आशा ने शनिवार को ही बहादराबाद क्षेत्र में जाकर कपड़ा व्यापारी संजय को बच्चा सौंप दिया। संजय ने 50 हजार रुपये नकद दिए और दो लाख रुपये बाद में देने का वादा किया। इसके बाद संजय बच्चे को अपनी पत्नी के पास ले गया।

बच्चा चोरी की सूचना फैलने के बाद संजय डर गया। उसने रविवार सुबह रूबी और आशा को फोन किया। भारत माता मंदिर के पास बुलाकर बच्चा उन्हें वापस कर दिया। इसी दौरान तीनों को पकड़ लिया गया और सारे मामले का खुलासा हो गया। उन्होंने बताया कि 50 हजार रुपये भी बरामद कर लिये गए हैं।

 

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी द्वारा “नवनिर्मित महिला हेल्प डेस्क” का किया गया उद्धाटन

महिलाओ के हित में पौड़ी पुलिस का फैसला कोटद्वार में भी महिला हेल्प डेस्क हुई शुरू - Khabar Sameeksha (ख़बर समीक्षा)

 

पौड़ी (कोटद्वार), जनपद का कोटद्वार शहर एक घनी आबादी वाला शहर है। थाना कोटद्वार पर पीड़ित महिलायें अपनी शिकायतें लेकर काफी संख्या में थाना परिसर में पूर्व से ही बने महिला हेल्प डेस्क पर आती थी। पूर्व से बने महिला हेल्प डेस्क में अपेक्षाकृत जगह कम होने के कारण पीड़ित महिलायें पुलिस को अपनी शिकायत बताने में भीड़-भाड़ होने के कारण असहज महसूस करती थी। पीड़ित महिलाओं की इस समस्या के दृष्टिगत घरेलू हिंसा, पारिवारिक मामलों एवं उत्पीड़न जैसी शिकायतों के निस्तारण में पारदर्शिता लाने हेतु थाना परिसर में ही महिला हेल्प डेस्क हेतु पृथक से एक कक्ष तैयार किया गया, जिसका आज दिनांक 12.12.2022 को श्रीमान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदया पौड़ी गढ़वाल श्रीमती श्वेता चौबे द्वारा उद्धाटन किया गया। महोदया द्वारा “महिला हेल्प डेस्क” में नियुक्त कर्मियों को निम्न आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये:

“महिला हेल्प डेस्क” पर अपनी शिकायत लेकर आने वाली पीड़ित महिला को विश्वास में लेकर उनकी शिकायत को गम्भीरता से ध्यानपूर्वक सुनकर शिकायत का तत्काल निस्तारण करेंगी। “महिला हेल्प डेस्क” पर आने वाले प्रत्येक पीड़ित की शिकायत के सम्बन्ध में एक रजिस्टर तैयार किया जायेगा जिसमें पीड़िता का नाम, पता, सम्पर्क नम्बर, शिकायत का विवरण अंकित किया जायेगा। उक्त रजिस्टर में Feed Back का कॉलम अवश्य बनाया जाये, जिसमें शिकायत के निस्तारण के पश्चात पीड़िता द्वारा अपनी संतुष्टि/असंतुष्टि के सम्बन्ध में टिप्पणी अंकित की जायेगी। “महिला हेल्प डेस्क” में नियुक्त कार्मिकों को उत्तराखण्ड पुलिस एप के गौरा शक्ति का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार कर पीड़ित महिलाओं को विश्वास में लेकर एप की उपयोगिता के बारे में जानकारी देकर उनका स्वः रजिस्ट्रेशन करने हेतु प्रेरित करेंगे। जिससे अल्प समय में पीड़िता को पुलिस सहायता उपलब्ध हो सके। थाने पर आने वाली पीड़ित महिलाओं की नियमानुसार कॉउन्सलिंग करने हेतु निर्देशित किया गया।

बेटी के मेंहदी कार्यक्रम में नाचने के दौरान पिता को दिल का दौरा पड़ा, हुई मौत

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अल्मोड़ा, बेटी के विवाह से ठीक एक दिन पहले मेहंदी कार्यक्रम में ​रिश्तेदारों के साथ नाच रहे दुल्हन के पिता की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गयी। मामला धारानौना क्षेत्र का है। दुल्हन के पिता की मौत की मौत के बाद घर में विवाह की खुशियां मातम में तब्दील हो गईं। हालांकि बाद में जैसे तैसे नियत तिथि पर विवाह संपन्न कराया गया, प्राप्त जानकारी के अनुसार धारानौला क्षेत्र निवासीचन्द्र शेखर लोहनी की बेटी की रविवार को शादी थी। विवाह के लिए हल्द्वानी का एक वैक्विट हॉल बुक कराया गया था। शनिवार को धारानौला में ही दुल्हन के घर पर मेंहदी कार्यक्रम रखा गया था।
शाम के समय मेंहदी की रस्म निभाई जा रही थी। लोहनी बेटी के विवाह की खुशी में रिश्तेदारों के साथ नाच गा रहे थे कि अचानक उनको दिल का दौरा पड़ गया। उन्हें अल्मोड़ा के बेस चिकित्सालय पहुंचाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका।

चूंकि पिता की मृत्यु विवाह से एक दिन पहले हुई थी इसलिए विवाह को टाला नहीं जा सकता था। इसलिए रविवार को दुल्हन के मामा व अन्य कुछ लोग हल्द्वानी के लिए रवाना हो गए।

यहां तय कार्यक्रमानुसार गमगीन माहौल में युवती का विवाह संस्कार हुआ। मामा ने भान्जी का कन्यादान किया। उधर कल ही धारानौला में लोहनी का अंतिम संस्कार किया गया।

श्रद्धा वालकर हत्याकांड में डॉक्टरों ने किया एक और चौंकाने वाला खुलासा

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दिल्ली, मुंबई की श्रद्धा वालकर हत्याकांड में एक और खुलासा हुआ है। आफताब अमीन पूनावाला (28) श्रद्धा के साथ इतनी मारपीट करता था कि उसके मन में बहुत ज्यादा खौफ पैदा हो गया था। मारपीट के दौरान जब श्रद्धा को चोट लगती थी तो वह गिरने के कारण चोट लगने की बात कहती थी। श्रद्धा ने मुंबई के तीन अस्पतालों में इलाज कराया था, लेकिन कभी भी डॉक्टर को मारपीट की बात नहीं बताई। यही कारण था कि इलाज के दौरान किसी भी अस्पताल ने श्रद्धा की एमएलसी नहीं बनवाई। दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने बताया कि एक टीम मुंबई भेजी गई थी। यहां जांच में पता लगा कि आफताब ने श्रद्धा के साथ वर्ष 2020 व 2021 में मारपीट की थी। इस दौरान उसके मुंह व शरीर पर कई जगह चोट लगी थीं। श्रद्धा ने उस समय मुंबई के तीन अस्पताल में इलाज कराया था। श्रद्धा ने अस्पताल में यही बताया था कि उसे गिरने से चोट लगी है। दिल्ली पुलिस ने इन तीन अस्पतालों के दो डॉक्टरों के बयान दर्ज किए हैं।

डॉक्टरों ने जानकारी दी है कि श्रद्धा ने कभी मारपीट की बात नहीं कही, इस कारण उसकी एमएलसी नहीं बनवाई गई। दिल्ली पुलिस ने मुंबई में श्रद्धा के दोस्त लक्ष्मण नाडर व श्रद्धा के बॉस रहे करण बहरी के बयान भी दर्ज किए हैं।इन लोगों ने बताया है कि श्रद्धा ने कभी मारपीट की बात उन्हें नहीं बताई। एक बार श्रद्धा ने जब पुलिस में शिकायत की तो उन्हें पता लगा कि आफताब ने श्रद्धा को पीटा है। दिल्ली पुलिस ने मुंबई में कुल 16 लोगों के बयान दर्ज किए हैं।आफताब के छतरपुर स्थित किराये के घर से पांच चाकू मिले थे। पुलिस ने जब आरोपी से इनके बारे में पूछा था तो उसने बताया था कि वह मुंबई के ताज होटल में शेफ था।इस कारण उसे चाकू रखने का शौक था। पुलिस को संदेह है कि उसने श्रद्धा के शव को काटने के लिए इन चाकू का इस्तेमाल किया होगा। ऐसे में पुलिस ने पांचों चाकू फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिए हैं। वहीं, पुलिस को अब सिर व धड़ मिलने की उम्मीद कम है। ऐसे में पुलिस ने इन्हें ढूंढना बंद कर दिया है। पुलिस को अभी तक वारदात में इस्तेमाल आरी व ब्लेड भी नहीं मिले हैं।