Tuesday, May 13, 2025
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राजहंस ऑक्सीजन के कम लेवल पर भी पार कर लेता है एवरेस्ट

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हरिद्वार 6 जनवरी (कुलभूषण) राजहंस यानी बार हेडेड गीज आजकल हरिद्वार के गंगा घाटी में जल विहार कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक व गुरुकुल कंागडी समविष्वविद्यालय के प्रोफेसर एमेरिटस डॉ दिनेश भट्ट की टीम के अनुसार दिसंबर अंतिम सप्ताह में हरिद्वार गंगा की धारा में और आसपास के ताल तलैया में करीब 16 जोड़े राजहंस के दिखाई दिए और नववर्ष के आगमन के साथ इन जोड़ों की संख्या बढ़कर 40.45 हो चुकी है। सारस यानी क्रौंच पक्षी की तरह ही राजहंस में नर् व मादा का जोड़ा आजीवन बना रहता है। यह पक्षी विशुद्ध शाकाहारी है जो जलीय वेजिटेशन जैसे काई इत्यादि को जलाशयों से भोजन के रूप में प्राप्त करता है।
प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया की भारत में आने वाले राजहंस मंगोलियाए चीनए तिब्बत का पठार तथा कजाकिस्तान के हिस्सों से हिमालय पर्वत की एवरेस्ट एवं अन्य उत्तंग श्रृंखलाओं को पार कर भारत भूमि पर शीतकालीन प्रवास हेतु आते हैंप् ब्रिटेनए भारत एवं अन्य अनेक देशों के वज्ञानिको की संयुक्त टीम ने पाया कि राजहंस लगभग 53 से 55 किलोमीटर प्रति घंटे की दर से अपना फ्लाईवे यानी उड़न का रास्ता पार करता है. यह गणना वैज्ञानिकों द्वारा सेटेलाइट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस टूल की सहायता से की गईप्
प्रोफेसर भट्ट कि टीम में शामिल उत्तराखण्ड संस्कृत यूनिवर्सिटी के पक्षी वैज्ञानिक डॉक्टर विनय सेठी के अनुसार माइग्रेशन गमन के दौरान मंगोलिया और अन्य शीतकालीन प्रदेशों से चलते हुए इन पक्षियों की फ्लाइट मसल्स में
एक सौ दस प्रतिषत चर्बी यानी फैट अधिक जमा हो जाती है जो इनके फ्लाईवे के गमन के समय इन्हें एनर्जी प्रदान करती हैप् वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि मंगोलिया से चलकर हिंदुस्तान की सरजमी पर पहुंचने में लगभग 5000 किलोमीटर की दूरी को राजहंस लगभग ढाई .तीन माह में पूरा कर लेता हैप् शोध छात्रा पारुल भटनागर व शोधार्थीआशीष आर्य ने अवगत कराया की राजहंस एवं अन्य पक्षी मे मार्ग निर्धारण इनकी चोच पर जीपीएस जैसा बायोसेंसर्स के कारण संभव होता हैप् प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया की सबसे अहम भूमिका पक्षी के मस्तिष्क में स्थित जैविक घड़ी का होता है जिसकी सहायता से इन बर्ड्स में प्रवास गमन की तीव्र इच्छा पैदा होती है और यह निर्धारित मार्ग पर चलकर बर्फीले प्रदेश से हिंदुस्तान जैसे अपेक्षाकृत गर्म प्रदेश में सफलतापूर्वक अपना शीतकाल व्यतीत करते हैंप् प्रोफेसर भट्ट ने अपनी वार्ता में रुचिकर जानकारी प्रदान की की कोलंबिया यूनिवर्सिटी कनाडा के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में राजहंस पक्षी के माइग्रेशन संबंधित व्यवहार को परखा और पाया कि यह पक्षी
चालीस पचास प्रतिषत ऑक्सीजन के कम स्तर में भी अपना माइग्रेशन जारी रखता है और इसके हृदय की गति में कोई खास अंतर नहीं आता है।
यह प्रयोग इसलिए किया गया कि एवरेस्ट की चढ़ाई करते हुए कई पर्वतारोहियों के द्वारा यह बताया गया कि राजहंस एवरेस्ट पर्वत को पार कर हिंदुस्तान की सरजमी में प्रवेश करता है और यह ऐसा वर्ष में दो बार करता हैप् एक बार तब जब मंगोलिया या चीन से भारत आना हो और दूसरी बार तब जब हिंदुस्तान में मार्च.अप्रैल में गर्मी शुरू हो जाती है तो यह पंछी पर्वत शृंखला पार कर वापस जाते हैं।

प्रश्न उठता है कि जब मानव में ऑक्सीजन का स्तर नब्बे प्रतिषत से कम हो जाता हैए जैसा कि लोगों ने कोरना संक्रमण काल में अक्सर पायाए और इस स्थिति में मनुष्य की मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है तो फिर राजहंस कैसे ४०.५०: ऑक्सीजन लेवल मे एवेरेस्ट पार कर जाता है घ् कोरोना काल में लोगों ने यह भी पाया कि ऑक्सीजन के स्तर की एकाएक कमी हो जाने से और अस्पताल पहुंचने से पूर्व ही हजारों लोगों की मृत्यु हो चुकी थीप् जिस से ज्ञात होता है कि ऑक्सीजन का एक खास स्तर पिच्यानवे प्रतिषत हमारे शरीर के लिए कितना जरूरी हैप् प्रोफेसर भट्ट बताते है कि दरअसल ऑक्सीजन फेफड़ों से रक्त की हिमोग्लोबिन नामक प्रोटीन के माध्यम से शरीर की कोशिकाओं में पहुंचाई जाती है और वहाँ ऊर्जा यानी एटीपी बनाती है। यदि यह ऊर्जा नहीं बनती है तो शरीर के अंग जैसे हृदयए मस्तिष्कए मांस पेशियां इत्यादि काम करना बंद कर देते हैंप् इसीलिए हम सभी प्राणी वायु से ऑक्सीजन प्राप्त करते हैंप् लेकिन ऑक्सीजन के कम लेवल में मनुष्य कैसे रह सके इस बारे में अभी वैज्ञानिक अन्वेषण नहीं हो सका हैप्
पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट के अनुसार राजहंस एक ऐसा पक्षी है जो पचास प्रतिषत ऑक्सीजन के लेबल की कमी को न केवल बर्दाश्त करता है अपितु हिमालय जैसे उत्तंग शिखरों को भी लगातार पार करते हुए अपनी यात्रा सफल करता हैप् अतः वैज्ञानिकों के लिए यह कोतुहल और खोज का विषय है कि राजहंस के हिमोग्लोबिन में ऐसी क्या विशेष संरचना है जो कि कम ऑक्सीजन को भी तुरंत स्वीकार कर कोशिकाओं तक पहुंचाती है जिससे उनकी फ्लाइट मसल्स गतिमान बनी रहती हैं। इस सम्बन्ध मे गहरी बायोकैमिकल जानकारी और इस जानकारी का मनुष्य हेल्थ मे उपयोग आज के प्रसंग में अत्यंत महत्वपूर्ण है जबकि कोरोनावायरस ने पुनः चीनए जापान और अमेरिका जैसे देशों में अपने पैर पसार लिए हैं।

मां शाकुंभरी देवी जन्मोत्सव मनाया

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हरिद्वार 6 जनवरी ( कुलभूषण ) मां शाकुंभरी देवी का जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ ऋषिकुल विद्यापीठ मैदान में मनाया गया आज के दिन मां शाकुंभरी देवी को हरा पालक विशेष रूप से चढ़ाया जाता है और सभी प्रकार की हरी सब्जियां मटर मूली मेथी गोभी फल आदि का प्रसाद मां भगवती के चरणों में भक्तों द्वारा अर्पित किया जाता है मां भगवती को सब्जी रूपी प्रसाद द्वारा किया गया श्रृंगार नया रूप देखने को मिलता है एक आनंदमय स्वरूप दिखाई पड़ता है एक दिन पूर्व मां भगवती का गुणगान कीर्तन मंडली द्वारा जिसमें रेखा ममता गोरी अंजू सपना ईशा साक्षी रागिनी सीमा संगीता दीपाली रेखा शालिनी सोना पूनम मधु आदि भक्तगण मां का गुणगान किया
डॉक्टर कमलापति शास्त्री ने कहा मां शाकुंभरी देवी की कृपा से हर भक्त सुख समृद्धि से परिपूर्ण रहता है
विजय भंडारी ने कहा मां का आशीर्वाद हमेशा हर एक पर सदैव बना रहता है राजकुमार गुप्ता ने कहा मां के आशीर्वाद से सदा मन में शांति बनी रहती है अमित गर्ग ने कहा मां हमारे पूर्ण शाकुंभरी परिवार पर अपनी छाया बनाए रखती है
भक्त जनो में विनोद डेंड्रियाल प्रेम प्रमोद अमित सुमित राघव सोम प्रकाश शर्मा शिवांश सुंदर पीयूष भगवान जोशी कपिल प्रदीप मुकेश शिवा रवि कृष्णा जितेंद्र आदि सम्मिलित रहे

अब हेड कांस्टेबलों को एएसआई के पद पर मिलेगी पदोन्नति

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देहरादून, उत्तराखंड पुलिस में पदोन्नति की राह देख रहे 463 हेड कांस्टेबलों के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही उनको अपर उप निरीक्षक (एएसआई) के पद पर पदोन्नति मिल जाएगी। इसी के साथ, इतने ही पदों पर नई पुलिस भर्ती की राह भी खुलेगी। क्योंकि, इतने ही पदों पर कांस्टेबल भी प्रमोट होकर हेड कांस्टेबल बन जाएंगे।

दो साल की सेवा पूरी नहीं होने के कारण इनको प्रमोट करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने वन टाइम शिथिलीकरण का प्रस्ताव शासन भेजा था, जिसे बुधवार को सीएम पुष्कर धामी ने मंजूरी दे दी। हेड कांस्टेबल से एएसआई पद पर पदोन्नति के लिए दो साल की सेवा का नियम है। इस कारण 463 हेड कांस्टेबल के प्रमोशन नहीं हो पा रहे थे।

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि सीएम के इस बड़े फैसले से तीन फायदे होंगे। पहला तो 463 हेड कांस्टेबल को एएसआई में पदोन्नति मिल जाएगी। इसके बाद 463 पद खाली होंगे, उनको कांस्टेबलों के प्रमोशन से भरा जाएगा। इसके बाद कांस्टेबल के 463 पदों पर नई भर्तियां की जा सकेंगी।

राजस्व उप निरीक्षक सफल भर्ती के लिए डीएम ने दिये निर्देश, बनाये गये कुल 40 परीक्षा केंद्र

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पौड़ी, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा रविवार 8 जनवरी को जिले में आयोजित होने वाली राजस्व उप निरीक्षक(पटवारी/लेखापाल) परीक्षा के सफल सम्पादन हेतु जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने जिला कार्यालय स्थित एनआईसी कक्ष में संबंधित अधिकारियों के साथ तैयारियों की बैठक ली। उन्होंने परीक्षा केंद्रों के लिए तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट व जोनल मजिस्ट्रेटों को शांतिपूर्ण तरीके से परीक्षा सम्पन्न करवाने के निर्देश दिये। जनपद के पौड़ी, श्रीनगर व कोटद्वार में कुल 40 परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं।
राजस्व उप निरीक्षक की परीक्षा को सफलता पूर्वक सम्पन्न करवाने हेतु जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि परीक्षा केंद्रों में पेयजल, शौचालय, विद्युत सहित अन्य की व्यवस्था समय रहते पूरी करवाना सुनिश्चित करें। कहा कि इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी परीक्षार्थी द्वारा परीक्षा केंद्र में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मोबाइल फोन, स्मार्ट घड़ी सहित अन्य सामाग्री न हो। कहा कि चैकिंग के दौरान परीक्षार्थी के मोबाइल फोन व अन्य सामाग्री अलग कक्ष में रखें व उनकी सामाग्री की देखरेख के लिए एक कार्मिक तैनात करें। कहा कि 08 जनवरी को 11 से 01 बजे तक होने वाली परीक्षा सम्पन्न होने तक परीक्षा केंद्रों में धारा 144 लागू रहेगी। उन्होंने पुलिस विभाग के अधिकारियों को परीक्षा केंद्रों पर पेपर होने से पूर्व व पेपर समाप्त होने पर तैनानी बनाने के निर्देश दिये। कहा कि सेक्टर मजिस्ट्रेट अपने-अपने क्षेत्रों के परीक्षा केंद्रों की निगरानी बनाये रखें। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि कोषागार से पेपर ले जाते समय पूरी पुलिस बल भी तैनात रखें। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया पादर्शिता के साथ परीक्षा सम्पन्न करवाएं।
इस अवसर पर मुख्य शिक्षाधिकारी डॉ0 आनंद भारद्वाज, जिला शिक्षाधिकारी रामेंद्र कुशवाह, समीक्षा अधिकारी लोक सेवा आयोग से तृप्ति रावत व अन्य अधिकारी वीसी के माध्यम से जुड़े रहे।

सामंथा रुथ की शाकुंतलम की नई रिलीज डेट जारी, हिंदी में भी आएगी फिल्म

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मुम्बई, सामंथा रुथ प्रभु आए दिन किसी न किसी वजह के चलते सुर्खियों में रहती हैं। एक तरफ उनकी खराब सेहत चर्चा में है तो दूसरी तरफ उनकी फिल्में। उनकी फिल्म शाकुंतलम का भी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि यह एक पैन इंडिया फिल्म है। अब इसका नया पोस्टर सामने आने के साथ-साथ इसकी नई रिलीज डेट का ऐलान भी हो गया है। खुद सामंथा ने यह जानकारी दी है। आइए जानते हैं पर्दे पर कब आएगी शाकुंतलम।

सामंथा ने इंस्टाग्राम पर अभिनेता देव मोहन के साथ इस फिल्म का नया पोस्टर साझा कर लिखा, अपने असपास के सिनेमाघरों में 17 फरवरी, 2023 को इस अनोखी प्रेम कहानी के साक्षी बनें। फिल्म शाकुंतलम 3डी में भी रिलीज हो रही है। सामंथा के इस पोस्ट से प्रशंसक फूले नहीं समा रहे हैं। पहले यह फिल्म 4 नवंबर, 2022 को दर्शकों के बीच आने वाली थी, लेकिन इसके आने में देरी हुई, ताकि दर्शक 3डी में इसका लुत्फ उठा सकें।

देव मोहन एक लोकप्रिय एक्टर और मॉडल हैं, जो मलयालम फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। सूफियुम सुजातायुम और पंथरांदु जैसी मलयालम फिल्मों में उन्होंने अपने काम के जरिए दर्शकों से खूब वाहवाही बटोरी थी। शाकुंतलम देव मोहन की पहली तेलुगु फिल्म है।

महाकवि कालिदास के संस्कृत नाटक अभिज्ञानशाकुन्तलम पर आधारित इस फिल्म में शकुंतला और दुष्यंत की प्रेम कहानी को दिखाया जाएगा। शाकुंतलम तेलुगु के अलावा हिंदी, तमिल, मलयालम और कन्नड़ में रिलीज होगी। फिल्म में सामंथा, शकुंतला की भूमिका में नजर आने वाली हैं, वहीं देव मोहन राजा दुष्यंत की भूमिका में हैं।गुनाशेखर इस फिल्म के निर्देशक हैं। फिल्म में सचिन खेडेकर, कबीर बेदी, डॉ.एम.मोहन बाबू, प्रकाश राज, मधुबाला, गौतमी, अदिति बालन, अनन्या नगल्ला और जीशु सेनगुप्ता भी दिखाई देंगे।

इसके जरिए साउथ के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की छह साल की बेटी अल्लू अरहा फिल्मों में कदम रखने जा रही हैं। अल्लू ने सोशल मीडिया पर यह ऐलान कर लिखा था, अल्लू परिवार के लिए यह गर्व की बात है कि परिवार की चौथी पीढ़ी अल्लू अरहा शाकुंतलम से फिल्मों में अपनी शुरुआत करने जा रही है। सामंथा संग मेरी फिल्मी यात्रा खास रही है। मैं खुश हूं कि अरहा, सामंथा के साथ उनकी फिल्म से डेब्यू कर रही है।

सामंथा जल्द ही तेलुगु फिल्म कुशी में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगी। इस तेलुगु रोमांटिक फिल्म में उनके साथ सुपरस्टार विजय देवरकोंडा नजर आएंगे। फिल्म अगले साल रिलीज होगी। शिव निर्वाण इस फिल्म के निर्देशक हैं। इसके अलावा एक हिंदी फिल्म आराध्या उनके खाते से जुड़ी है। सामंथा अंतरराष्ट्रीय सीरीज सिटाडेल के हिंदी वर्जन में वरुण धवन के साथ काम करने को लेकर भी चर्चा में हैं। उनकी टीम इस खबर पर अपनी मोहर लगा चुकी है।

हरदा, सीएम धामी की फोटो शेयर कर बोले, वाह महीने की फोटो

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नए साल के पहले दिन बनियावाला स्थित छात्रावास के कार्यक्रम में बच्चों के बीच पहुँचे थे मुख्यमंत्री

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज एक बार फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है। दरअसल, हरदा ने मुख्यमंत्री धामी की एक बच्चे के जूते के फीते बांधने की फोटो शेयर करते हुए लिखा है “वाह, महीने की फोटो!!”
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कार्यप्रणाली से खासे प्रभावित हैं। वे अक्सर उनके कामकाज को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते रहते हैं। आज एक बार फिर हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर सीएम धामी की फोटो शेयर करते हुए लिखा है “वाह, महीने की फोटो”। आपको बता दें कि नववर्ष के पहले दिन मुख्यमंत्री धामी बनियावाला स्थित एक छात्रावास के समारोह में शामिल हुए थे जहां उन्होंने बच्चों को दुलार करते हुए न केवल नए साल पर बच्चों के संग केक काटा बल्कि इस दौरान एक बच्चे के फीते बांधते हुए तस्वीर भी कैमरे में कैद हो गई थी।
इससे पहले हरदा सीएम धामी के रुद्रप्रयाग दौरे के दौरान सैर की फोटो को भी हरीश रावत ने साझा कर लिखा था कि “वाह क्या अंदाज है!कांग्रेस के दोस्तों 2024 और 2027 क लिए कुछ और कसरत करना शुरू कर दो।”
खैर, यह लिखकर हरीश रावत ने एक बार फिर धामी की कार्यप्रणाली पर मुहर लगाई है। विपक्ष के प्रमुख नेता के मुंह से आई यह तारीफ जहां सत्ताधारी दल के लिए मन मुताबिक है तो विपक्ष इससे असहज हो सकता है।

चक्रव्यूह –  अभिमन्यु वध का भव्य मंचन देख भावविभोर हुये दर्शक

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(देवेंन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग- इन दिनों जनपद में परम्परागत पॉडव नृत्यों की धूम मची है। पॉडव नृत्य के साथ साथ कलाकारों द्वारा महाभारत युद्ध की कथाओं पर आधारित नाटकों का दर्शक खूब आंनद ले रहे है।
 इसी कड़ी में आज अगस्त्यमुनी विकास खंड की ग्राम पंचायत डुंग्री में भब्य चक्रब्यूह का मंचन किया गया।  चक्रब्यूह मे दर्शकों की नम ऑखों से  बीच अभिमन्यु वध मंचन मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहा। स्थानीय कलाकारों द्वारा अपने अभिनय से हजारों की संख्या में उपस्थित दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी।
न्याय पंचायत चोपड़ा की ग्राम पंचायत डुग्री में इन दिनों पॉडव नृत्य की धूम है। विगत एक माह से चल रहे पॉडव नृत्य देखने प्रतिदिन दर्शकों की खूब भीड़ जुट रही है। आज चक्रब्यूह रचना का भब्य मंचन किया गया। चक्रब्यूह मंचन देखने भारी संख्या में लोगों की खूब भीड़ जुटी। कलाकारों द्वारा दी गई  प्रस्तुति ने उपस्थित जनसमुदाय को भावविभोर कर दिया। अभिमन्यु वध का मार्मिक मंचन दर्शकों के ऑसू नही रोक पाया। विजय सिहं बुटोला द्वारा कार्यक्रम का कुशल संचालन किया गया।
आयोजकों द्वारा बताया गया कि कल कमल ब्यूह व परसों मकर ब्यूह का भब्य मंचन किया जायेगा। जबकि 10 जनवरी को मोरू डाली के साथ पॉडव नृत्य का समापन होगा। इस अवसर पर मस्तान सिहं बुटोला, उम्मेद सिंह बुटोला, हनुमन्त सिंह बचटोला, झेत्र पंचायत सदस्य, ममता देवी, ग्राम प्रधान डुंग्री, कॉग्रेस के प्रदेश सचिव लक्ष्मण सिंह रावत, शूरबीर सिंह बुटोला सहित क्षेत्र के गणमान्य ब्यक्ति मौजूद रहे।

सुरक्षा के साथ- साथ प्रभावितों के रहने का करें पुख्ता इंतजाम : सतपाल महाराज

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‘जोशीमठ, मकानों में आ रही दरारों व भू-धसाव को लेकर सरकार गंभीर’

देहरादून, जोशीमठ शहर में मकानों और होटलों में आ रही दरारों व भू-धसाव ने चिंता बढ़ा दी है। इसके ट्रीटमेंट को लेकर शासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में मैंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चर्चा कर एसडीएम और जिलाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं।

उक्त बात प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायती राज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने जारी अपने एक बयान में कहीं है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धसाव से अनेक घरों व भवनों में दरारें आने से प्रभावित लोगों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। जल्दी ही इसके लिए पूरा प्लान बनाकर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

सतपाल महाराज ने एसडीएम और जिलाधिकारी को निर्देश दिये हैं कि लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ उनके रहने के पुख्ता इंतजाम किये जायें। ऐसे मकानों को पहले फेज में शिफ्ट किया जाए जिनमें दरारें अधिक हैं, ताकि किसी बड़े खतरे से बचा जा सके।

 

 

खास खबर : फिलहाल अभी नहीं चलेगा बुलडोजर, हजारों परिवारों को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी को होगी

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नई दिल्ली, उत्तराखंड़ के हल्द्वानी शहर में रेलवे की भूमि पर काबिज लोगों को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दे दी, जिससे मकान टूटने के डर से सड़कों पर धरना दे रहे हजारों लोग अभी थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाते हुए उत्तराखंड सरकार और रेलवे से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट से यह खबर आते ही हल्द्वानी के बनभूलपुरा में खुशी की लहर दौड़ गई।
सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को हाईकोर्ट के उस फैसले पर स्टे लगा दिया, जिसमें सात दिन के भीतर रेलवे की 29 एकड़ जमीन को खाली कराने का आदेश दिया था। जस्टिस एसके कौल और ए एस ओका ने यह भी माना कि यह एक मानवीय मुद्दा है और इसका समाधान बनाने की जरूरत है। हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर को अतिक्रमण ध्वस्त करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने लोगों को अतिक्रमण हटाने के लिए एक सप्ताह का नोटिस देने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट से निकलकर वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि इस पूरे मामले को गौर से देखकर कोई समाधान निकालने को कहा गया है। कोर्ट ने कहा कि रेलवे का भी काम हो जाए, उन्हें जगह कैसे मिल सकती है यह देखा जाए। जो लोग वहां रह रहे हैं उनके पुनर्वास की भी व्यवस्था की जाए।

गौरतलब हो कि उत्तराखण्ड़ हाईकोर्ट ने सरकार को 7 दिनों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था। उत्तराखंड सरकार ने स्थानीय लोगों को नोटिस जारी करते हुए 9 जनवरी तक मकानों को खाली करने को कहा था। बनभूलपुरा में करीब 4400 मकान है, जिनमें करीब 50 हजार लोग रहते हैं। अतिक्रमण हटान के आदेश के बाद से यहां हड़कंप मचा हुआ है। लोग धरने पर बैठे हुए थे।

इस बीच यूएस नगर में पत्रकारों से बातचीत में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि वो रेलवे की भूमि है और रेल विभाग का हाई कोर्ट और उच्च न्यायालय में मुकदमा चल रहा था। श्री धामी ने कहा, ‘हमने पहले ही कहा है कि जो भी न्यायालय का आदेश होगा हम उसके अनुरूप आगे कार्रवाई करेंगे।

भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद् द्वारा सतत् भूमि प्रबंधन के लिए कृषि वानिकी पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

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देहरादून, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद्, देहरादून विश्वबैंक द्वारा वित्त पोषित पारितंत्र सेवाएं सुधार परियोजना के तहत सतत् भूमिप्रबंधन के लिए कृषि वानिकी पर राष्ट्रीय कायर्शाला का आयोजन कर रही है।राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य उपयुक्त रणनीतियों/फ्रेम वर्क विकसित करना और कृषि वानिकी के विकास के लिए मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने और भारत के राष्ट्रीय लक्ष्यों और अंतरार्ष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं की प्राप्ति में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए सरकार को आवश्यक नीतिगत इनपुट प्रदान करना है। मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण और सतत् विकास लक्ष्यों का मुकाबला करना और भारत को एक अभिनव, संसाधन कुशल और कार्बन तटस्थ अथर्व्यवस्था की और स्थानांतरित करना है। राष्ट्रीय और अंतरार्ष्ट्रीय संगठनों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ, पयार्वरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार, पयार्वरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, राज्य के वनविभाग, देश के वानिकी और कृषि अनुसंधान संस्थान, गैर-सरकारी देश के विभिन्न हिस्सों से संगठन, विश्वविद्यालय, लकड़ी आधारित उद्योग और किसान कार्यशाला में भाग ले रहे हैं और स्थायी भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन के लिए कृषि वानिकी और कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त रूपरेखा तैयार करने में अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।

डॉ. रेणु सिंह निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान ने कार्यशाला के मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय कायर्शाला के सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और स्वागत भाषण में राष्ट्रीय कार्यशाला की संरचना एवं कृषि वानिकी के महत्व पर जानकारी दी।
विश्व बैंक के वरिष्ठ पयार्वरण विशेषज्ञ डॉ. अनुपम जोशी ने कहा कि कृषि वानिकी देश के प्राकृतिक वन आवरण के संरक्षण के साथ-साथ देश के सकल घरेलू उत्पाद में वनऔर वृक्षों के आवरण के योगदान को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रकृति-आधारित समाधानों में से एक है।

कृषि वानिकी जलवायु परिवर्तन के चुनोतियों से निपटने में भूमि क्षरण को रोकने और जैवविविधता संरक्षण के लिए वन पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य सुधार में अहम् योगदान प्रदान करेगा।
भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद के महानिदेशक श्री अरुण सिंह रावत ने उद्घाटन सत्र के संबोधन में कहा कि वन क्षेत्र भारत में काबर्नडाई ऑक्साइड का शुद्ध सिंक है और भारत के कुल ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन का 15% आॅफसेट करते है, और वन अपेक्षाकृत अन्य महत्वपूर्ण सिंक-लाभों के साथ कम लागत पर जलवायु परिवर्तन शमन अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि वानिकी देश के हरित क्षेत्र को बढ़ाने में वास्तविक गेम चेंजर है।

उन्होंने यह भी कहा कि कृषि वानिकी देश के हरित आवरण को बढ़ाने, किसानों की आय को दोगुना करने, लकड़ी आधारित उद्योगों की मांगों को पूरा करने के साथ-साथ राष्ट्रीय लक्ष्यों और अंतरार्ष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर निधार्रित योगदान (एनडीसी) वानिकी क्षेत्र लक्ष्य, भूमि क्षरण तटस्थता लक्ष्य, वैश्विक जैव विविधता लक्ष्य और सतत् विकास लक्ष्य को प्राप्त करना है।उन्होंने स्थायी भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन में इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला।

 

श्री भरत ज्योति, निदेशक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी ने कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि वन पारितंत्र के प्राकृतिक संतुलन को बनाने में अहम् है और देश में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए कुछ परिवर्तनकारी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए बहुपाद्पीय कृषिकरण के सर्वोत्तम प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता है। जोकि एक सतत् विकास में अहम् योगदान प्रदान करेंगें।