Saturday, May 17, 2025
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सचिवालय में नौकरी लगाने के नाम पर धोखाधड़ी, महिला अधिकारी गिरफ्तार

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“युवक से हड़पे थे 26 लाख 55 हजार, थमा दिया था फर्जी”

देहरादून, सचिवालय में नौकरी लगाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाली महिला अभियुक्ता दून पुलिस की गिरफ्त में आई। अभियुक्ता द्वारा सचिवालय में नौकरी के नाम पर युवक से 26 लाख 55 हजार रुपए लिए थे हड़प लिए थे। नौकरी के नाम पर पैसे लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र दिया था। महिला अभियुक्ता पर सचिवालय में नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी के 03 अभियोग पंजीकृतहैं। अभियुक्ता आयुर्वेदिक विभाग नरेंद्र नगर में प्रधान सहायक के पद पर तैनात है।
वादी अमित कुमार निवासी ऋषिकेश द्वारा थाना नेहरुकोलोनी पर रविकांता शर्मा उर्फ रविकांता कोटियाल नाम की महिला द्वारा सचिवालय में नौकरी लगाने के नाम पर उसे 26 लाख 55 हज़ार रुपये की रकम धोखाधड़ी से प्राप्त करने तथा सचिवालय में समीक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्ति का फर्जी नियुक्ति पत्र देने के संबंध में अभियोग पंजीकृत कराया गया था।
अभियोग की विवेचनात्मक कार्यवाही के दौरान प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर उक्त नियुक्ति पत्र का कूटरचित होना प्रकाश में आया, अभियोग में अभियुक्ता के विरुद्ध प्रभावी साक्ष्य संकलन की कार्रवाई करते हुए पुलिस द्वारा वांछित अभियुक्ता रविकांता शर्मा उर्फ रविकांता कोटियाल पत्नी नरेंद्र प्रकाश शर्मा निवासी लेन नंबर ई सारथी वेडिंग पॉइंट के पीछे अलकनंदा एनक्लेव जोगीवाला थाना नेहरू कॉलोनी उम्र 59 वर्ष को मु०अ०सं०- 463/23 धारा 420/467/468/471/120 ipc आईपीसी मे गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार अभियुक्ता आयुर्वेदिक विभाग नरेंद्र नगर में प्रधान सहायक के पद पर तैनात है, जिसके विरुद्ध नौकरी के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी कर पैसे हड़पने के संबंध में 03 अभियोग पंजीकृत है।

नाम पता गिरफ्तार अभियुक्ता
1- रविकांता शर्मा उर्फ रविकांता कोटियाल पत्नी नरेंद्र प्रकाश शर्मा निवासी लेन नंबर – ई सारथी वेडिंग पॉइंट के पीछे अलकनंदा एनक्लेव, जोगीवाला, थाना नेहरू कॉलोनी, उम्र 59 वर्ष।

अपराधिक इतिहास
1- मु0अ0सं0 107/23 धारा 420/467/468 आईपीसी, थाना नेहरुकोलोनी, देहरादून
(2) मु0अ0स0- 13/25 धारा 420 आईपीसी, थाना नेहरुकोलोनी, देहरादून
(3) मु0अ0स0- 463/23 धारा 420 467.468.471. 120 बी आईपीसी, थाना नेहरुकोलोनी, देहरादून

पुलिस टीम
(1) व0उ0नि0 सुमेर सिंह, थाना नेहरू कॉलोनी
(2) म0कानि0 प्रिया चौहान

पीएम मोदी अब 6 मार्च को आएंगे उत्तराखंड

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देहरादून, देश के पीएम नरेंद्र मोदी अब 6 मार्च को उत्तराखंड आएंगे, इससे पूर्व उन्हें 27 फरवरी को उत्तराखंड आना था लेकिन खराब मौसम की संभावनाओं के मद्देनजर उनका यह दौरा स्थगित कर दिया गया। उत्तराखंड शासन प्रशासन को मिले कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री अब 6 मार्च को उत्तराखंड आने वाले हैं।
जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री 6 मार्च को सुबह सेना के हेलीकॉप्टर से जौलीग्रांट पहुंचेंगे जहां से उनका मां गंगा की शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा जाने का कार्यक्रम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीएम धामी द्वारा इसी साल से राज्य में शुरू की गई शीतकालीन चारधाम यात्रा में हिस्सा लेंगे। भाजपा के नेताओं द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री की इस यात्रा का उद्देश्य चारधाम शीतकालीन यात्रा को प्रमोट करना ही बताया जा रहा है।
वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ का कहना है कि निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री की इस यात्रा से शीतकालीन चारधाम यात्रा को सफलता की ऊंचाई तक ले जाया जाएगा, क्योंकि प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं वहां धार्मिक पर्यटकों की भारी भीड़ जुटना शुरू हो जाती है। जानकारी के मुताबिक उनका यह दौरा एकदिवसीय होगा और 6 मार्च की शाम ही वह दिल्ली लौट जाएंगे। जहां तक उनके दौरे की तैयारियों की बात है तो वह पहले से की जा चुकी है।

लेखक गाँव में अंतरराष्ट्रीय लेखक दिवस के पूर्व दिवस पर साहित्यकारों का सम्मान

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देहरादून, लेखक गाँव, थानों, देहरादून में अंतरराष्ट्रीय लेखक दिवस का आयोजन भव्यता और साहित्यिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर देशभर से आए प्रतिष्ठित साहित्यकारों, कवियों और युवा लेखकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषाओं के उन्नयन पर चर्चा करना और स्थानीय तथा युवा लेखकों को मंच प्रदान करना था।

आयोजन का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और शुभा पाराशर द्वारा मंगलाचरण से हुआ। इसके पश्चात स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से साहित्यिक माहौल को जीवंत बना दिया। मुख्य वक्ता डॉ. नंदकिशोर हटवाल ने मातृभाषाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को प्राथमिकता देना एक व्यावहारिक और अभिनव प्रयास है, जो बच्चों की समझने की क्षमता को बढ़ाएगा।

मुख्य अतिथि पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे ने उत्तराखंड की 17 क्षेत्रीय भाषाओं की चर्चा करते हुए विद्यालयों में सबसे सुविधाजनक और व्यावहारिक भाषा को अपनाने की बात कही। पद्मश्री डॉ. बी.सी.एस. संजय ने मातृभाषा को संस्कृति और समाज की पहचान बताया और नई शिक्षा नीति में भाषाओं को प्राथमिकता देने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार गणेश कुकसाल ‘गणि’ ने मातृभाषाओं की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे हमारी पहचान और इतिहास के लिए संकट बताया।

इसी क्रम में मणि अग्रवाल ‘मणिका’, डॉ. नीरज नैथानी और डॉ. शान्ता ध्यानी ने अपनी ओजस्वी कविताओं से सभी को भावविभोर कर दिया। इस अवसर पर डॉ. सविता मोहन ने लेखक गाँव की अवधारणा और इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला, जबकि विदुषी निशंक उनियाल ने आयोजन की उपयोगिता पर विचार रखे।

इस आयोजन में प्रख्यात साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया। इस आयोजन का विशेष आकर्षण युवा और स्थानीय लेखकों की भागीदारी रही। उन्हें इस मंच से अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर मिला और वरिष्ठ साहित्यकारों से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। यह आयोजन नवोदित रचनाकारों के लिए प्रेरणास्रोत बना और उनके साहित्यिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें कवि साधना जी ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त किया। यह आयोजन केवल एक दिवस तक सीमित न रहकर भाषा, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में एक सशक्त प्रयास सिद्ध हुआ।

वार्षिक खेल दिवस: हडको चंडीगढ़ में मनाया वार्षिक खेल दिवस

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चंडीगढ़,  हुडको चंडीगढ़ ने 2 मार्च, 2025 को अपना वार्षिक खेल दिवस आयोजित किया, जिसका उद्देश्य आपसी भाईचारा, टीम भावना और खुशहाल तथा स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है।

कार्यक्रम की शुरुआत कार्यालय परिसर में कैरम और बैडमिंटन मैचों से हुई, जिसमें सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने उत्साह और टीम भावना के साथ भाग लिया।

मुख्य कार्यक्रम गोल्फ क्लब चंडीगढ़ में आयोजित किया गया, जहां अधिकारी, परिवार के सदस्य और कर्मचारी एक मजेदार दिन के लिए एकत्र हुए। फिटनेस और टीम वर्क को बढ़ावा देने के लिए रस्साकशी, चम्मच दौड़, स्किपिंग, म्यूजिकल चेयर और दौड़ जैसे विभिन्न खेल और गतिविधियाँ आयोजित की गईं।

कार्यक्रम का समापन पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ, जहाँ विभिन्न स्पर्धाओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया।

वार्षिक खेल दिवस एक शानदार सफलता थी, जिसने हुडको चंडीगढ़ के अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके परिवारों के बीच सौहार्द और सामुदायिक भावना को बढ़ावा दिया।

बंसल क्लासेस ने देहरादून में शुरू किए तीन अत्याधुनिक कोचिंग सेंटर

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देहरादून। कोटा कोचिंग सिस्टम के निर्माता और मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कोचिंग में अग्रणी बंसल क्लासेस ने देहरादून में तीन अत्याधुनिक कोचिंग सेंटर शुरू किए हैं। जिनका रविवार को धूमधाम से जीएमएस रोड स्थित सेंटर में उद्घाटन किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि इन सेंटरों का उद्देश्य छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि माध्यमिक शिक्षा निदेशक मुकुल सती ने उत्तराखंड के छात्रों के लाभ के लिए इस अद्भुत प्रयास के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इससे उत्तराखंड के छात्रों को अच्छे विकल्प मिल सकेंगे।
बतौर विशिष्ट अतिथि बंसल क्लासेस के प्रबंध निदेशक और सीईओ समीर बंसल ने कहा कि “हमारा लक्ष्य छात्रों को आईआईटी और मेडिकल में अपने सपनों को साकार करने के लिए सर्वोत्तम संसाधन प्रदान करना है।” उन्होंने बताया कि देहरादून के प्रशिक्षण केंद्रों का नेतृत्व मुख्य शैक्षणिक अधिकारी के तौर पर गिरीश गौड़ करेंगे, जो 24 वर्षों के अनुभव वाले प्रसिद्ध भौतिकी संकाय शिक्षक हैं और लोकप्रिय “कोटा प्रश्न बैंक” के लेखक हैं। अनुभवी शिक्षकों की एक टीम के साथ, बंसल क्लासेस देहरादून में शिक्षा परिदृश्य पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालने के लिए तैयार है। गिरीश गौड़ ने बताया कि तीनों सेंटर शहर के तीन अलग-अलग इलाकों में रणनीतिक रूप से स्थित किए गए हैं, इन सेंटरों का उद्देश्य छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, जिससे उन्हें लंबी यात्रा करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह विस्तार 70 से अधिक सेंटरों के साथ देश भर के छात्रों को विश्वस्तरीय कोचिंग उपलब्ध कराने की बंसल क्लासेस की प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि बंसल क्लासेस एक अग्रणी कोचिंग संस्थान है, जिसके पास मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं को पास करने के इच्छुक छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का 44 वर्षों का अनुभव है। सफलता के एक प्रसिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड के साथ, बंसल क्लासेस छात्रों को उनके लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्यक्रम डॉ. आशीष मित्तल, एचओडी-ऑर्थो, मैक्स अस्पताल, डॉ. हिना मित्तल, सहायक प्रोफेसर एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, सुभारती अस्पताल, बंसल क्लासेज देहरादून के पूरे शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक स्टाफ की मदद से सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।इस विस्तार के साथ, बंसल क्लासेस ने देहरादून, हरिद्वार और रुड़की में कुल पाँच प्रशिक्षण केंद्रों के साथ उत्तराखंड में अपनी उपस्थिति मजबूत की है।

एशियन स्कूल ने नीट-जेईई कोचिंग के लिए बंसल क्लासेज के साथ साझेदारी की इस मौके पर एशियन स्कूल की प्रिंसिपल रुचि दत्ता ने बताया कि, हमें अपने छात्रों को नीट-जेईई कोचिंग करने के लिए, बंसल क्लासेज के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है। इस अभिनव पहल का उद्देश्य एक ही छत के नीचे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कोचिंग प्रदान करना है, जिससे छात्रों के अलग-अलग कोचिंग सेंटरों में जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

बेटियों की पढाई की चिंगारी को भड़काना प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ का उद्देश्य

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– डीएम ने तीन अनाथ-असहाय बेटियों की पढ़ाई को प्रदत्त किये 97955 धनराशि के चैक
– अब तक 11 बालिकाओं की हो चुकी है, स्कूल, स्नातक, स्नात्कोत्तर पुनः आरंभ; 20 और बेटियों का चयन भी इसी माह
देहरादून(आरएनएस)। सीएम के मार्गदर्शन एवं जिला प्रशासन की नई पहल नंदा सुनंदा योजना निर्धन, असहाय और अनाथ बेटियों की पढ़ाई और कौशल विकास के लिए वरदान साबित हो रही है। जिला प्रशासन का प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ 2.0 बेटियों की पढाई की चिंगारी को भव्य रूप देना इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने शनिवार को तीन और असहाय बेटियों की पढ़ाई के लिए 98 हजार की आर्थिक सहायता धनराशि वितरित की। नंदा सुनंदा योजना के तहत जिला प्रशासन द्वारा अब तक 11 बेटियों की पढ़ाई और कौशल विकास के लिए आर्थिक सहायता जारी की जा चुकी है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि गरीब, अनाथ, असहाय और विषम परिस्थितियों रह कर पढ़ने और आगे बढ़ने की इच्छा और सोच रखने वाली बेटियां ही हमारे वास्तविक जीवन की नंदा और सुनंदा देवी है। कठिन परिस्थितियों में रहकर भी ये बेटियां खुद और अपने परिवार को सशक्त बनाना चाहती है। जिलाधिकारी ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री का भी यही संकल्प है कि समाज के ऐसे कमजोर वर्गों को सशक्त और सुदृढ़ बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाए। कहा कि नंदा सुनंदा योजना में कमजोर वर्ग की बालिकाओं के चयन के लिए जिला स्तर पर समिति गठन के साथ एसओपी तैयार की गई है। बालिकाओं का चयन जनता दरबार एवं बहुद्देशीय शिविरों में जनपद में विभिन्न सरकारी कार्यालयों के माध्यम ये प्राप्त प्रार्थना पत्र, जिला प्रोबेशन अधिकारी एवं जिला समाज कल्याण अधिकारी के अधीन बालिका गृहों में निवासरत बालिकायें, जनपद की समस्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ती के माध्यम से सर्वे के आधार पर किया जा रहा है और असहाय बालिकाओं की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के साथ ही उनको समाज की मुख्यधारा जोडा जा रहा है।
जनपद में प्रोजेक्ट ‘‘नंदा-सुनंदा’ ’ के तहत आज जिलाधिकारी सविन बंसल एवं मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने 03 बालिकाओं को संयुक्त रूप से रू0 97955 की धनराशि का चौक वितरण किया। जिसमें अस्मित कौर, त्रिशा कण्डारी और खुशबू शामिल है। इन बालिकाओं का चयन उनकी विषम परिस्थितियों और गरीबी को देखते हुए किया गया। बालिका अस्मित कौर को कक्षा-4 की पढ़ाई जारी रखने के लिए स्चुलेर हेइम विद्यालय देहरादून के खाते में रु0-12250 की धनराशि प्रदान की गई। बालिका त्रिशा कण्डारी को कक्षा-7 की पढ़ाई के लिए न्यू दून ब्लोसम स्कूल देहरादून में प्रवेश हेतु रु0-63480 की धनराशि और बालिका खुशबू को श्री गुरू राम राय विश्व विद्यालय से बीएसी की पढ़ाई के लिए रु0-22225 की आर्थिक सहायता धनराशि विद्यालय के खाते में डाली गई।
आर्थिक तंगी और पारिवारिक त्रासदी के कारण जिन बालिकाओं को अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ रही है उन बालिकाओं के लिए जिलाधिकारी की यह अभिवन पहल नंदा सुनंदा वरदान साबित हो रही है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में फंड की कमी नही होने दी जाएगी। जो भी बालिकाएं आर्थिकी तंगी से जुझ रही है वही हमारे जीवन की असली नंदा सुंनदा है। ऐसी बेटियों की पढ़ाई एवं सहायता के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
नैनीताल जिले के जिलाधिकारी रहते हुए संविन बंसल ने ‘नंदा-सुनंदा’ योजना की शुरुआत की। नैनीताल में उन्होंने 60 बालिकाओं को शैक्षणिक विकास में समृद्ध, सशक्त, सुदृढ़ बनाकर भविष्य को संवारने का काम किया। देहरादून जनपद में भी योजनाओं की शुरुआत कर जिलाधिकारी सविन बंसल जरूरतमंदों बेटियों का भविष्य की उम्मीद जगाने का काम में जुटे है। अभी तक 11 असहाय बालिकाओं की पढ़़ाई को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर चुके है और गरीब अनाथ, असहाय बालिकाओं स्नातक, स्नात्तकोत्तर एवं कौशल शिक्षा की जिम्मेदारी उठाते बालिकाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, डीपीओ (आईसीडीएस) जितेन्द्र कुमार, जिला समाज कल्याण अधिकारी पूनम चमोली, जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट सहित अन्य अधिकारी/कर्मचारी और बालिकाओं के परिजन मौजूद थे।

उत्तराखंड की लोक-संस्कृति और विरासत को जन-जन तक पहुंचाना जरूरी

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देहरादून(आरएनएस)। प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, सिंचाई, लोक निर्माण एवं जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने गाजियाबाद स्थित इंदिरापुरम में
ष्पर्वतीय प्रवासी जन कल्याण समितिष् द्वारा आयोजित उत्तरैंणी-मकरैंणी कौथिग महोत्सव-2025 में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग कर समिति द्वारा किए जा रहे हैं जन कल्याणकारी योजनाओं की जमकर तारीफ की।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तरैंणी-मकरैंणी कौथिग महोत्सव-2025 के भव्य आयोजन के लिए ष्पर्वतीय प्रवासी जन कल्याण समितिष् इंदिरापुरम के पदाधिकारियों को  शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रसन्नता की बात यह है कि समिति गाजियाबाद क्षेत्र में प्रवास कर रहे उत्तराखंड के लोगों को एक सूत्र में पिरोने, अपनी लोक-संस्कृति और विरासत को जीवित रखने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि ष्पर्वतीय प्रवासी जन कल्याण समितिष् अपने स्थापना काल से ही पर्वतीय समाज के साथ-साथ गाजियाबाद क्षेत्र की जनता के लिए कई जन-कल्याणकारी योजनाएं भी संचालित कर रही है। होली, दीपावली, दशहरा के अलावा समिति द्वारा अपने उत्तराखंड के लोक सांस्कृतिक पर्व फूल देई तथा उत्तरैणी-मकरैणी (कौथिग) महोत्सव का आयोजन इस बात का प्रमाण है कि उत्तराखंड से बाहर रहने के बावजूद भी हम सभी अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहते हैं। इसमें दो राय नहीं की मातृभूमि की प्रति हमारा अटूट प्रेम ही राष्ट्रीय एकता की कुंजी है।
श्री महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में भी हमारी सरकार पर्यटन एवं लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के तहत प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चार धाम शीतकालीन यात्रा की शुरुआत की गई है, जिसमें हजारों की संख्या में तीर्थ यात्री शीतकाल में भी उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष सागर रावत, संरक्षक विजय रावत, गणेश रौतेला, महासचिव दिनेश बडोला, उपाध्यक्ष सुबोध कोटनाला, आशीष नेगी, मोहन नेगी, चिरंजीलाल भट्ट, रूप सिंह रौथाण, उमेद पुंडीर,  चंपा मनराल एवं रजनी इष्वाल आदि मौजूद थे।

होली के रंग प्रकृति के संग : दून पुस्तकालय में बच्चों के लिए हुआ कार्यशाला का आयोजन

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देहरादून, ‘स्पेक्स’ संस्था के सहयोग से दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में होली के प्राकृतिक रंगों को बनाने की एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गयी. इसमें होली के दौरान सुरक्षित व प्राकृतिक रंगों के उपयोग के लाभ और रासायनिक रंगों के खतरों के बारे में बच्चों को जागरूक किया गया। इस अवसर पर हिमज्योति स्कूल के बच्चों ने कुछ सुंदर होली गीत भी प्रस्तुत किये।
‘स्पेक्स’ संस्था के डॉ. बृजमोहन शर्मा ने बताया कि होली के दौरान बाजार में अधिकतर चमकीले रंग आते हैं, जो कई तरह के रसायनों से बनते हैं, और स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक माने जाते हैं.इन रंगों से परहेज, प्राकृतिक रंगों के उपयोग तथा सामजिक जागरूकता पैदा करना इस एक दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य रहा है. कार्यशाला के जरिये बच्चे सब्जियों , फलों और फूलों द्वारा स्वयं रंग बनाने कि विधि के साथ -साथ स्वस्थ होली कैसे मनाये उसके बारे में सहज रूप से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
डॉ. शर्मा ने आसान तरीकों से बच्चों को सुरक्षित होली मनाने में प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सलाह देते हुए कहा कि प्राकृतिक रंग का उपयोग स्वास्थ्य कि दृष्टि से आसान व अच्छा उपाय है। उन्होंने इस कार्यशाला में हरे, लाल, नीले, गुलाबी, केसरिया, और भूरे रंग बनाने की सरल विधियों को साझा किया गया।
बच्चों से कहा गया कि वे प्राकृतिक हरा रंग शुद्ध मेहंदी, पोदीना, धनिया,पालक आदि से लाल रंग, लाल चंदन, अनार के छिलके, चकुंदर आदि से व नीला रंग नील के पौधे से तथा केसरिया रंग टेसू या पलाश के फूलों से बनाया जा सकता है l
बच्चों को रासायनिक रंगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बारे आगाह करते हुए कहा कि हाल के अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि बाजार में मिलने वाले प्रमुख रंगों में जो घातक रसायनों का उपयोग होता है वह स्वास्थ्य से उचित रहते. उन्होंने बताया कि हरे रंग में मैलेकाइट ग्रीन और कॉपर सल्फेट,बैंगनी रंग में क्रोमियम आयोडाइड,सिल्वर रंग में एल्यूमिनियम ब्रोमाइड,काले रंग में लेडऑक्साइड पीले रंग में मेथिल येलो,लाल रंग में रोडामिन बी और मरक्यूरिक सल्फाइट होते हैं.ये सभी धातकीय रसायन, त्वचा रोग, आंखों में जलन, अंधापन, कैंसर जैसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकते हैं और पानी और मिट्टी को भी प्रदूषित करते हैं।
कार्यशाला में उपस्थित बच्चों से डॉ. बृजमोहन शर्मा ने सुरक्षित होली मनाने के उपायों को अपनाने कि अपील करते हुए कहा कि वे होली के दिन अपने शरीर पर नारियल का तेल या क्रीम अवश्य लगाएं,बालों में तेल लगाना न भूलें,पूरे बाजू की शर्ट और पैंट पहनें, धूप के चश्मे का प्रयोग करें। प्राकृतिक और हर्बल रंगों से होली खेलें।रंग छुड़ाने के लिए हल्के गर्म पानी का प्रयोग करें।यदि कोई रंग न छूटे तो दही और बेसन का लेप लगाएं।
साथ ही डॉ. शर्मा ने होली से एक सप्ताह पहले किसी प्रकार का कोई ब्यूटी ट्रीटमेंट न कराने,आंख, कान, नाक या खुले घाव पर रंग न लगने देने,सिंथेटिक रंगों से दूर रहने जैसे सुरक्षा टिप्स भी दिये,
कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्र शेखर तिवारी ने सभी बच्चों का स्वागत किया और डॉ. बृजमोहन शर्मा के इस तरह के वैज्ञानिक जागरूकता के कार्यक्रमों को सराहनीय बताया l

कार्यशाला में स्पेक्स के अध्यक्ष डॉ. बृजमोहन शर्मा, ग्रासरूट अवेयरनेस एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट फॉर सोसायटी के सचिव नीरज उनियाल,राम तीरथ मौर्या, बाल प्रभाग प्रभारी मेघा विल्सन, शोध सहायक सुंदर सिंह बिष्ट, डॉ. योगेश धस्माना, बिजू नेगी,सुनील भट्ट, कुल भूषण नैथानी सहित अन्य लोग मौजूद रहे l
कार्यक्रम में हिमज्योति स्कूल, आसरा ट्रस्ट औ रफऐल स्कूल के बच्चे अन्य बच्चे और उनके अभिभावक व युवा पाठकों ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया.

स्वास्थ्य विभाग को मिले 117 और सीएचओ : डॉ धन सिंह रावत

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-कहा, चयनित सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को शीघ्र मिलेगी तैनाती

-राज्य चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय ने विभाग को सौंपी चयन सूची

देहरादून, सूबे के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को 117 और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) मिल गए हैं। एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय ने प्रतीक्षा सूची में शामिल इन चयनित सीएचओ की सूची विभाग को सौंप दी है। इन सभी चयनित सीएचओ को शीघ्र ही आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में तैनाती दी जाएगी। जिस हेतु विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार की मंशा प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुदृढ़ कर प्रत्येक व्यक्ति को बेहतर उपचार सुलभ कराना है। इस दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है। डॉ रावत ने बताया कि प्रदेश में संचालित वेलनेस सेंटरों में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने के लिये विभाग द्वारा एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय से और सीएचओ की मांग की गई थी, जिसके तहत विश्वविद्यालय द्वारा प्रतीक्षा सूची से चयनित 117 सीएचओ की जनपदवार चयन सूची स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी गई है। चयनित अभ्यर्थियों में अल्मोड़ा व हरिद्वार में 16-16, बागेश्वर व चमोली में 7-7, देहरादून व नैनीताल 15-15, पिथौरागढ़ व टिहरी 12-12, उधमसिंह नगर 6, उत्तरकाशी 5, रुद्रप्रयाग 4 और चंपावत में 2 सीएचओ का चयन किया गया है। जिन्हें शीघ्र ही जिलावार आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में रिक्त पदों के सापेक्ष तैनाती दी जाएगी। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने के निर्देश दे दिये गये हैं। विभागीय मंत्री ने बताया कि इससे पहले विभाग ने 1683 पदों के सापेक्ष 1515 सीएचओ की तैनाती कर दी थी। जिसमें से कुछ अभ्यर्थियों का चयन नर्सिंग अधिकारी के पद पर हो जाने से सीएचओ के पद खाली हो गए थे। जिन्हें भरने के लिये एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय को सीएचओ प्रतीक्षा सूची से और चयनित अभ्यर्थियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा गया था। उन्होंने कहा कि राज्य में संचालित वेलनेस सेंटरों पर शत प्रतिशत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की नियुक्ति करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है ताकि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की सामान्य जांचें आसानी हो सके।

उत्तराखंड भाषा संस्थान बना चाटुकारों का अड्डा

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– इन्हीं चाटुकार और स्वनामधन्य साहित्यकारों की सलाह पर हर साल ठिकाने लगाया जा रहा लाखों रुपए का बजट
– उत्कृष्ट पुस्तक अनुदान योजना में किताबों के नाम पर छप रहा कूड़ा, एक भी किताब नहीं समझी जा रही पुरस्कार लायक

“दो साल से नहीं हो रहे सरकारी स्तर के कवि सम्मेलन, मेले-ठेले के कवि सम्मेलनों में चुनींदा कवियों का कब्जा”

(लक्ष्मी प्रसाद बडोनी)

देहरादून, उत्तराखंड भाषा संस्थान और संस्कृति निदेशालय चाटुकार साहित्यकारों का अड्डा बन गया है और हर साल इनके जरिए लाखों रुपए के बजट को ठिकाने लगाया जा रहा है। हर नीति इन्हीं चाटुकारों की सलाह से बनाई जा रही है। स्थिति यह है कि उन पुस्तकों को भी पुरस्कृत कर दिया जा रहा है, जिनमें कन्टेंट कुछ नहीं है, जबकि गलतियों की भरमार है। संस्थान के अनुदान से छापी गई एक भी पुस्तक को पुरस्कार लायक नहीं समझा जा रहा है, या अपने चहेतों को उन किताबों पर अधिमान देकर नज़रंदाज़ किया जा रहा है।
उत्तराखंड भाषा संस्थान के गड़बड़झाले की सिलसिलेवार पड़ताल करते हैं। सबसे पहले, संस्थान की उत्कृष्ट पुस्तक अनुदान योजना की ही बात करें, तो यह योजना अपने लक्ष्य से भटक गई है। पहले इस योजना के अंतर्गत गरीब लेखकों की अच्छी पांडुलिपि को किताब की शक्ल में प्रकाशित करने के लिए अनुदान देने का प्रावधान किया गया था। इसके अंतर्गत पांच लाख से कम वार्षिक आमदनी वाले लेखकों की उत्कृष्ट पांडुलिपि के लिए अनुदान दिया जाना था। लेकिन कुछ तथाकथित और चाटुकार साहित्यकारों की सलाह पर लेखकों की पात्रता की आमदनी पिछले साल 15 लाख रुपए सालाना कर दी गई। यानी यदि किसी की आमदनी सवा लाख रुपए महीना भी है, तो उसे आसानी से किताब प्रकाशित करने के लिए अनुदान मिल जाएगा। सवाल यह है कि जिस लेखक को सवा लाख रुपए महीना वेतन मिल रहा है, उसे अनुदान की क्या जरूरत। यही नहीं, अनुदान के लिए भी कोई मापदंड नहीं है। मनमर्जी के मुताबिक 10 से 50 हजार रुपए तक का अनुदान दिया जाता है। संस्कृति निदेशालय तो इससे कई कदम आगे है और चाटुकारों को दो-दो लाख रुपए तक का अनुदान दे दे रहा है और इस तरह हर साल लाखों रुपए का बजट ठिकाने लगाया जा रहा है। पुरस्कार प्रक्रिया गोपनीय रखने की बात कहकर अधिकाश अपने चहेतों या चाटुकारों को पुरस्कृत किया जा रहा है।
इसके अलावा, संस्थान में विभिन्न कार्यक्रमों के लिए कब समिति गठित हो जाती हैं, इसका भी कोई मापदंड नहीं है। कुछ समितियां तो ऐसी हैं, जिनमें दो-तीन बड़के साहित्यकारों का ही कब्जा जमाया हुआ है। मीडिया संस्थानों को भी यह लोग मैनेज कर लेते हैं, जिससे इन संस्थानों का कोई गड़बड़झाला सामने नहीं आ पाता। दो-तीन साल से राष्ट्रीय पर्वों पर सरकारी स्तर से होने वाले कवि सम्मेलन की परंपरा भी खत्म कर दी गई है। विभिन्न जिलों में मेलों में होने वाले कवि सम्मेलन में भी कुछ चुनींदा कवियों ने कब्जा जमाया हुआ है।