Thursday, May 15, 2025
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नई शिक्षा नीति पर आधारित पुस्तक “नवयुग का अभिनन्दन” PRSI ने राज्यपाल को की भेंट

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मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने का निर्णय , नई शिक्षा नीति की सबसे महत्वपूर्ण बात है-राज्यपाल

देहरादून, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से शुक्रवार को पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (पी.आर.एस.आई.) के उत्तराखण्ड चैप्टर के पदाधिकारियों ने भेंट की। इस अवसर पर पी.आर.एस.आई. ने नई शिक्षा नीति पर आधारित पुस्तक ‘‘नवयुग का अभिनंदन’’ राज्यपाल  मौर्य को भेंट की। पी.आर.एस.आई. द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में राज्यपाल  मौर्य का लेख भी है।

इस अवसर पर राज्यपाल  मौर्य ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने का निर्णय नई शिक्षा नीति की सबसे महत्वपूर्ण बात है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों का विकास, वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संवर्द्धन तथा शोध अनुसंधान तथा नवाचार हेतु प्रेरणा देना है। राज्यपाल ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन में भारतीय शिक्षण संस्थानों ने ऑनलाइन शिक्षा को जिस प्रकार अपनाया, उससे सिद्ध हो जाता है, कि हमारी शिक्षा प्रणाली नवाचार के लिये तैयार है।

राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में नई शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु वे स्वयं कई बैठकें कर चुकी है। प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग को इस हेतु ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिये गये है। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी नई शिक्षा नीति की कार्ययोजना तथा प्रभावी क्रियान्वयन हेतु की गई कार्यवाही की जानकारी प्रेषित करने को कहा गया है। पी.आर.एस.आई. के प्रयासों की सराहना करते हुए राज्यपाल  मौर्य ने बच्चों के कल्याण एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों को उनके व्यक्तिगत विकास के समुचित अवसर मिलने चाहिये। बच्चों को बड़े सपने देखने के लिये प्रेरित करें।

उप निदेशक सूचना नितिन उपाध्याय ने उत्तराखण्ड चैप्टर का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने कहा कि पीआर.एस.आई. जनसंपर्क कार्य से जुड़े लोगो का संगठन है, जिसके पूरे देश में राज्य स्तर पर चैप्टर स्थापित किये गये है। उत्तराखण्ड चैप्टर द्वारा जनसंपर्क कार्यों की दिशा में प्रभावी कार्य किया जा रहा है।

इस अवसर पर पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के उत्तराखण्ड चैप्टर के अध्यक्ष अमित पोखरियाल ने बताया कि चैप्टर द्वारा राज्य एवं केन्द्र सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसी कड़ी में नई शिक्षा नीति पर देशभर के विद्धानों एवं शिक्षाविदों के विचार एवं प्रतिक्रिया को संकलित कर पुस्तक का प्रकाशन किया गया है, जिसका विगत दिनों नई दिल्ली में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा वर्चुअल विमोचन किया गया। कोरोना काल में भी चैप्टर द्वारा राज्यपाल महोदय द्वारा प्रदान किये गये मास्क एवं सैनिटाइजर का वितरण किया गया।

इस अवसर पर पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के उत्तराखण्ड चैप्टर के सचिव अनिल सती, कोषाध्यक्ष सुरेश चन्द्र भट्ट, संयुक्त सचिव राकेश डोभाल आदि उपस्थित थे।

 

 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हुए कोरोना पॉजिटिव

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देहरादून। देश भर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। आए दिन कई बड़े मंत्री और नेता इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ रहे हैं। अब खबर है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसकी जानकारी उन्होंने खुद ट्वीट कर दी है।

CM ने ट्वीट कर दी जानकारी
मुख्यमंत्री रावत ने ट्वीट कर लिखा, ‘आज मैंने कोरोना टेस्ट करवाया था और रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मेरी तबीयत ठीक है और लक्षण भी नहीं हैं। अतः डॉक्टर्स की सलाह पर मैं होम आइसोलेशन में रहूंगा।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘मेरा सभी से अनुरोध है, कि जो भी लोग गत कुछ दिनों में मेरे संपर्क में आयें हैं, कृपया स्वयं को आइसोलेट कर अपनी जांच करवाएं।’

 

राज्यपाल ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र सिंह रावत के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की

देहरादून , राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने ट्वीट कर राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।
राज्यपाल मौर्य ने ट्वीट कर कहा है “मुख्यमंत्री जी मैं बाबा बद्री केदार से आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रार्थना करती हूँ। मेरी प्रभु से कामना है कि आप शीघ्र स्वस्थ होकर पुनः जन सेवा के कार्यों में जुट जायें।“

 

 

‘स्पर्श गंगा’ अभियान का एक दशक पूरा, देश में विचार बन गया यह अनोखा अभियान

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रंग ला रही है उत्तराखंड के नौनिहालों की मुहिम
एनएसएस छात्रों ने 2009 में शुरू किया था कार्य
तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ. निशंक की रही अहम भूमिका’

देहरादूनः गंगा भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। गंगा स्वयं में महातीर्थ है। पापनाशिनी, पुण्यदायिनी गंगा धर्म-अध्यात्म के क्षेत्र में ही महत्त्वपूर्ण नहीं है, अपितु हमारे कृषि उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी सहायक है। अनेक लोगों को रोजी-रोटी देने वाली इस महानदी की निर्मलता के लिए नमामि गंगे और स्पर्श गंगा जैसे अभियान कारगर साबित हो रहे हैं। एक दशक पहले आरंभ हुए स्पर्श गंगा अभियान के सकारात्मक परिणामों के कारण इसकी सराहना की जाने लगी है। उत्तराखंड के नौनिहालों ने यह अभियान आरंभ किया था।
गंगा के विषय में कहा जाता है कि उसे राजा भगीरथ स्वर्ग से धरती पर लाए थे। इसके नाम जाह्नवी, देवनदी, विष्णुपदी, सुरधुनि, सुरनदी, सुरसरि, सुरापगा, देवापगा, त्रिपथगा, त्रिपथगामिनी, नदीश्वरी आदि हैं। उत्तराखंड के गोमुख से निकलने से लेकर समुद्र (बंगाल की खाड़ी) तक 2,510 किलोमीटर की यात्रा करने वाली गंगा की सहायक नदियां घाघरा, यमुना, रामगंगा आदि हैं।

अनेक शहरों के पास से बहने के कारण गंगा में वहां को कचरा इत्यादि डाला जाता है। सीवेज में भी नदी में जा रहा है। अनेक फैक्टरियों की गंदगी भी गंगा में मिल रही है। इससे नदी में प्रदूषण बढ़ने लगा है। पिछले कुछ वर्षों में स्थिति बदतर होने लगी थी।
उत्तराखंड को गंगा का मायका कहा जाता है, इसलिए यहां से इसे प्रदूषणमुक्त करने की चिंता की गयी। 2009 में ’स्पर्श गंगा’ अभियान का आरंभ कर गंगा को प्रदूषणमुक्त करने की पहल की गयी। हेमवती नंदन बहुुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) प्रकोष्ठ ने इसका आरंभ किया था। उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने ऋषिकेश में 17 दिसंबर, 2009 को इस अभियान का उद्घाटन किया था। डाॅ. निशंक ने इस अभियान को आंदोलन का रूप देकर नई दिशा दी।

उन्होंने पर्यावरण प्रेमियों, चिंतकों, बुद्धिजीवियों, धर्मगुरुओं और आम नागरिकों के समन्वय से इस अभियान को निरंतर प्रोत्साहित किया और लोगों को इसमें भागीदारी करने की प्रेरणा दी। इसका परिणाम यह हुआ कि यह मुहिम स्कूल, काॅलेजों और विश्वविद्यालयों तक ही सीमित न रहकर आम जनता तक पहुंच गया और लोग इसमें बढ़-चढ़कर भागीदारी करने लगे। यह अभियान एनएसएस में पाठ्क्रम का हिस्सा भी है। एक दशक की इस निर्मल गंगा यात्रा से लोगों में गंगा के प्रति पर्याप्त जागरूकता आयी है। यह अभियान उत्तराखंड तक ही सीमित न होकर इसकी गतिविधियां देश के अन्य भागों में भी निरंतर संचालित हो रही हैं। भारत की भाग्यरेखा और विश्वधरोहर गंगा को बचाने की इस मुहिम के सुखद परिणाम आने से अनेक पर्यावरण प्रेमी भी खुश हैं। यह अभियान अब एक विचार का रूप धारण कर चुका है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक की बेटी आरुषि निशंक भी अपने पिताजी के पद्चिह्नों पर चलते हुए इस अभियान में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभा रही हैं। 

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक इस अभियान के दस वर्षों की यात्रा पर संतुष्ट हैं। स्पर्श गंगा परिवार, इस अभियान से जुड़े लोगों, गंगा की निर्मलता में लगातार योगदान देते आ रहे लोगों, देश के नागरिकों और विश्वभर में फैले गंगाभक्तों को स्पर्श गंगा दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि मां गंगा की निर्मलता में योगदान देना देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। गंगा भारत और भारतीयता का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि गंगा को हमें उसके प्राचीन स्वरूप में लाने के लिए निरंतर ऐसे ही कार्य करना होगा। डाॅ. निशंक ने केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे नमामि गंगा अभियान को भी गंगा को निर्मल करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम बताया।
इस अभियान में शिद्दत से जुड़ी डाॅ. निशंक की पुत्री आरुषि निशंक का का कहना है कि हम लोग अनवरत इस कार्य को संपादित करते रहेंगे। मांग गंगा को निर्मल बनाने की मुहिम में जुड़ना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।

जेईई मेंस की परीक्षाएं अब साल में चार बार, तिथियां घोषित, डाॅ. निशंक बोले-छात्रों को मिलेंगे अधिक अवसर

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नई दिल्ली। जेईई मेंस की परीक्षा अब सालभर में चार बार-फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई में होगी। इन परीक्षाओं की तिथियां भी घोषित कर दी गयी हैं।
यह खुलासा करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि संबंध मंे आए लोगों के विभिन्न सुझावों और आग्रहों के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है। पहली परीक्षा 23-26 फरवरी को आयोजित होगी। परीक्षा का दूसरा सेशन 15-18 मार्च को होगा। अप्रैल में यह परीक्षा 27 और 30 तारीख को होगी, जबकि परीक्षार्थी फाइनल अटैम्प्ट 24-28 मई को दे सकेंगे। डाॅ. निशंक ने बताया कि इस निर्णय से उन विद्यार्थियों के सामने परीक्षा देने के अधिक अवसर उपलब्ध हो पाएंगे, जो एक ही बार में सफल नहीं हो पाते थे। इससे अनेक विद्यार्थियों का साल खराब होने से भी बच जाएगा। यानी उनके समय का सदुपयोग हो पाएगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. निशंक ने बताया कि परीक्षार्थी को सभी चार सेशनों में शामिल होने की आवश्यकता नहीं होगी। यदि कोई अभ्यर्थी एक से अधिक सेशन में शामिल होता है तो मेरिट लिस्ट या रैंकिंग के लिए उसके बेस्ट 2021 एनटीए स्कोर पर विचार किया जाएगा। अभ्यर्थी को केवल आॅनलाइन मोड माध्यम से ही जेईई मेंस-2021 के लिए आवेदन करना होगा। आवेदन करने की तिथि 16 दिसंबर, 2020 से 16 जनवरी, 2021 के बीच निर्धारित है। फीस भी (चारों सेशनों के लिए ) आॅनलाइन मोड से ही 17 जनवरी तक दी जा सकेगी।

डाॅ. निशंक ने बताया कि अभ्यर्थी को परीक्षा के लिए अपनी पसंद के कोई चार शहर चुनने होंगे। पूरा प्रयास किया जाएगा कि अभ्यर्थी की पसंद की प्राथमिकताओं के हिसाब से उसे परीक्षा केंद्र अलाॅट किए जाएं। जो अभ्यर्थी एक से अधिक सेशन के लिए आवेदन करते हैं, वे अपनी पसंद के शहरों को करक्शन विंडो में जाकर बदल सकते हैं। डाॅ. निशंक ने बताया कि इस समय पहली बार जेईई मेंस की परीक्षाएं क्षेत्रीय भाषाओं-आसामी, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, मराठी और उड़िया आदि में होंगी।

केंद्र सरकार का बड़ा एलान, अगले दो सालों में देशभर से खत्‍म कर दिए जाएंगे टोल प्‍लाजा, जानिए फिर कैसे होगी वसूली

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नई दिल्ली, एजेंसियां। अब देश में जल्द ही नेशनल हाइवे पर बिना रोकटोक के वाहन दौड़ सकेंगे। देश के सभी नेशनल हाइवे से टोल प्लाजाओं को बंद कर दिया जाएगा। यह जानकारीकेंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दी है। एसोचैम फाउंडेश वीक कार्यक्रम (ASSOCHAM Foundation Week Programme) कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार देशभर में वाहनों की बिना रोकटोक के आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए जीपीएस आधारित (Global Positioning System) तकनीक टोल संग्रह को अंतिम रूप दिया है। उन्होंने कहा कि इससे आने वाले दो सालों में भारत ‘टोल प्लाजा मुक्त’ हो जाएगा।

सीधे बैंक के खाते से काटी जाएगी टोल की राशि

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वाहनों की आवाजाही के आधार पर टोल की राशि सीधे बैंक खाते से काट ली जाएगी। हालांकि, अब सभी कॉमर्शियल वाहन ट्रैकिंग सिस्टम के साथ आ रहे हैं। इसके साथ ही सरकार पुराने वाहनों में जीपीएस तकनीक स्थापित करने के लिए कुछ योजना लेकर आएगी।

जीपीएस आधारित टोल वसूली की तैयारी

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने टोल वसूली के लिए जीपीएस आधारित व्यवस्था की तैयारी की जानकारी भी दी। इस मामले में रूस के पास विशेषज्ञता है। इस व्यवस्था में दूरी के हिसाब से टोल की राशि कट जाती है। उन्होंने दो साल में यह व्यवस्था लागू हो जाने की बात कही। केंद्रीय मंत्री ने अगले पांच साल में टोल कलेक्शन 1.34 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाने का भरोसा भी जताया। गडकरी ने वायबिलिटी गैप फंडिंग की व्यवस्था को इन्फ्रास्ट्रक्चर के अतिरिक्त अन्य सेक्टर में लागू करने का भी एलान किया। अब सोशल सेक्टर, स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भी वायबिलिटी गैप फंडिंग की सुविधा मिलेगी।

FASTags के चलते कम हुई ईधन की खपत

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार देश भर में वाहनों की स्वतंत्र आवाजाही बनाने के लिए यह खास कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में केंद्र सरकार ने देश के सभी टोल प्लाजा पर FASTags अनिवार्य कर दिया है। गडकरी ने कहा कि नेशनल हाईवे टोल प्लाजा पर FASTags की अनिवार्यता के बाद ईधन की खपत कम हुई है। इसके अलावा प्रदूषण पर भी काफी लगाम लगी है।

कार्यक्रम में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि औद्योगिक विकास भारत में रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन के लिए महत्वपूर्ण है, हालांकि वर्तमान में उद्योग भारत में शहरी क्षेत्रों में केंद्रीकृत है क्योंकि इस तरह के उद्योग का विकेंद्रीकरण विकास दर को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है क्योंकि बढ़ते शहरीकरण से शहरों में गंभीर समस्याएं पैदा हो रही हैं। जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, और अन्य। उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास में सार्वजनिक-निजी निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। गडकरी ने बुनियादी ढांचे के विकास में सार्वजनिक-निजी निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता भी व्यक्त की है।

अर्थव्यवस्था में सूधार के संकेत, कंपनियों ने तीसरी तिमाही में दिया 49 प्रतिशत अधिक अग्रिम कर

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मुंबई, कोरोना संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार के और संकेत मिले हैं। कंपनियों का अग्रिम कर भुगतान चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 49 प्रतिशत उछलकर 1,09,506 करोड़ रुपये पहुंच गया। सीबीडीटी सूत्रों ने यह जानकारी दी।

इस बढ़ोतरी का कारण मुख्य रूप से पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में तुलनात्मक आधार का कमजोर होना हो सकता है।

सरकार ने पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही में कंपनी कर की दर कम कर 25 प्रतिशत कर रिकार्ड निम्न स्तर पर ला दिया था। इससे कंपनियों के कर भुगतान में कमी आयी थी।

पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में अग्रिम कंपनी कर संग्रह 73,126 करोड़ रुपये था।

अग्रिम कर भुगतान में कंपनी और व्यक्तिगत आयकर सबसे प्रमुख है। इसे संबंधित इकाई अपनी कर देनदारी के आकलन के आधार पर चार तिमाही किस्तों में 15, 25, 25 और 35 प्रतिशत के हिसाब से भुगतान करती है।

सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा कि कंपनी कर संग्रह में बढ़ोतरी से आलोच्य तिमाही में सकल कर संग्रह बढ़कर 7,33,715 करोड़ रुपये रहा। यह पिछले साल के 8,34,398 करोड़ रुपये के मुकाबले केवल 12.1 प्रतिशत ही कम है। शुद्ध कर संग्रह 5,87,605 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले प्राप्त 6,75,409 करोड़ रुपये के मुकाबले 13 प्रतिशत कम है।

तीसरी तिमाही के दौरान विभाग ने 1,46,109 करोड़ रुपये करदाताओं को वापस किये जो पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में वापस किये गये 1,58,988 करोड़ रुपये के मुकाबले 8.1 प्रतिशत कम है।

कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में अग्रिम कंपनी कर संग्रह 2,39,125 करोड़ रुपये रहा। यह पिछले साल की इसी अवधि में प्राप्त 2,51,382 करोड़ रुपये से 4.9 प्रतिशत कम है। इसका कारण चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में ‘लॉकडाउन’ का असर था।

सूत्र के अनुसार अग्रिम व्यक्तिगत आयकर सालाना आधार पर इस तिमाही में 5.6 प्रतिशत घटकर 31,054 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले तीसरी तिमाही में यह 32,910 करोड़ रुपये था।

कुल मिलाकर अग्रिम व्यक्तिगत आयकर संग्रह चालू वित्त वर्ष में अबतक 60,491 करोड़ रुपये रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी अवधि के 67,542 करोड़ रुपये के मुकाबले 10.4 प्रतिशत कम है।

विश्लेषकों के अनुसार कर भुगतान में बढ़ोतरी कंपनियों के मुनाफे को बताता है जो सितंबर तिमाही में 21.9 प्रतिशत बढ़ा। इसके विपरीत, पहली तिमाही में विनिर्माण कंपनियों की बिक्री में 42 प्रतिशत और शुद्ध लाभ में 62 प्रतिशत की गिरावट आयी।

सितंबर, 2020 को समाप्त दूसरी तिमाही में अग्रिम कर संग्रह समेत कुल कर संग्रह 22.5 प्रतिशत घटकर 2,53,532.3 करोड़ रुपये रहा जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 3,27,320.2 करोड़ रुपये था।

जून को समाप्त पहली तिमाही में सकल कर संग्रह 31 प्रतिशत घटा था। जबकि अग्रिम कर संग्रह में 76 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

व्यक्तिगत आयकर संग्रह चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 1,47,004.6 करोड़ रुपये रहा जबकि कंपनी कर 99,126.2 करोड़ रुपये रहा। इस प्रकार, प्रत्यक्ष कर राजस्व में दो महत्वपूर्ण तत्वों की हिस्सेदारी 2,46,130.8 करोड़ रुपये रही।

पहली तिमाही में कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के कारण सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 31 प्रतिशत घटकर 1,37,825 करोड़ रुपये रहा। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही के मुकाबले 76 प्रतिशत कम था।

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में सकल कर संग्रह 12 प्रतिशत वृद्धि के साथ 24.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया है। 2019-20 में यह 21.63 लाख करोड़ रुपये था।

फरवरी में पेश बजट में प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.19 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया जो 2019-20 के 10.28 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 28 प्रतिशत अधिक है। इसका कारण सरकार को विवाद समाधान योजना ‘विवाद से विश्वास’ को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है।

अग्रिम कंपनी कर संग्रह पहली तिमाही में 79 प्रतिशत लुढ़क कर 8,286 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले इसी तिमाही में 39,405 करोड़ रुपये था। वहीं अग्रिम व्यक्तिगत आयकर संग्रह पहली तिमाही में 64 प्रतिशत घटकर 3,428 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले इसी तिमाही में 9,512 करोड़ रुपये था।

इससे पहली तिमाही में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 31 प्रतिशत घटकर 1,37,825 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में 1,99,755 करोड़ रुपये था।( पीटीआई-)

EMI, Personal Loan, Home Loan लेने वालों के लिए काम की खबर, लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

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EMI, Personal Loan, Home Loan लेने वालों के लिए यह काम की खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लोन मोरेटोरियम (ऋण स्थगन अवधि) के विस्तार से संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। अपनी पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था, ‘आपने मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज लिया है, लेकिन क्या आप चक्रवद्धि ब्याज भी लेंगे? सवाल यह है।’ इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि यह बैंक और जमाकर्ता के बीच अनुबंध का मामला है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ब्याज का भुगतान और किस्त भी अनुबंध का मामला है, लेकिन आपने वहां भी अपने फैसले लागू किये हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) ने 16 दिसंबर को अपनी पिछली सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत से वित्तीय सहायता मांगने वाली याचिकाओं पर कोई और आदेश पारित नहीं करने का आग्रह किया था। पिछली सुनवाई में केंद्र ने ब्याज माफी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को चेताया भी था। सरकार ने कहा था कि यदि सभी प्रकार के ऋणों पर ब्याज छूट दी जाती है, तो माफ की गई राशि 6 ​​लाख करोड़ रुपये से अधिक होगी। इस कारण ब्याज माफी पर विचार नहीं किया गया। यह बैंकों के शुद्ध मूल्य का एक बड़ा हिस्सा समाप्त कर देगा और बैंकों के अस्तित्व के लिए गंभीर सवाल पैदा कर देगा। सरकार ने कहा था कि अकेले एसबीआई में ब्याज माफी बैंक के शुद्ध मूल्य का आधा हिस्सा मिटा देगी।

छत्तीसगढ़ उद्योग निकायों की ओर से वरिष्ठ वकील रवींद्र श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड-19 का प्रभाव निरंतर रूप से जारी है और कई लोग अभी भी आर्थिक रूप से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां एनडीएमए को बैंकों को बोझ सौंपने के बजाय बाहर आना चाहिए था। उन्होंने कहा कि स्थगन के संबंध में एक समाधान होना चाहिए और यह कि शक्ति बैंकों को नहीं छोड़ी जा सकती। इसके बजाय RBI को प्रक्रियाओं के समाधान के लिए प्रावधान करना चाहिए।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया था कि वे अगले आदेश तक एनपीए के रूप में खातों की घोषणा न करें। अक्टूबर में केंद्र ने फैसला किया कि वह कुछ श्रेणियों में 2 करोड़ रुपये तक के ऋण की अदायगी पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ करेगा। इस कदम ने व्यक्तिगत और एमएसएमई उधारकर्ताओं को मामूली राहत प्रदान की। ब्याज दरों पर ब्याज के संबंध में याचिकाएं 19 नवंबर को निस्तारित कर दी गईं क्योंकि याचिकाकर्ता सरकार द्वारा घोषित छूट से संतुष्ट थे।

COVID-19 महामारी के मद्देनजर 1 मार्च से 31 अगस्त के दौरान RBI की ऋण स्थगन योजना का लाभ उठाने के बाद उधारकर्ताओं द्वारा भुगतान नहीं किए गए EMI पर बैंकों द्वारा ब्याज पर शुल्क लगाने से संबंधित दलीलें दी गईं। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीश एससी पीठ छह महीने की ऋण स्थगन अवधि के दौरान ब्याज माफी की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर की गई दलीलों में छह महीने की मोहलत के दौरान लोन की छूट के साथ-साथ टर्म लोन की ईएमआई पर ब्याज माफी की भी मांग है।

क्या है लोन मोरेटोरियम

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 27 मार्च को लोन मोरेटोरियम योजना की घोषणा की थी, जिसने 1 मार्च, 2020 से 31 मई, 2020 के बीच की अवधि के लिए गिरते हुए ऋणों की किस्तों के भुगतान पर अस्थायी राहत देने की अनुमति दी थी। बाद में, स्थगन को इस साल 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था। COVID-19 महामारी की अगुवाई वाले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में खराब ऋण के रूप में वर्गीकृत किए बिना आर्थिक गिरावट के बीच ईएमआई का भुगतान करने के लिए उधारकर्ताओं को अधिक समय देने के लिए इस कदम का इरादा था। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मार्च में तीन महीने के लिए सावधि जमा की अदायगी के लिए स्थगन की घोषणा की थी, जिसे बाद में 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था। इसका उद्देश्य COVID-19 महामारी के दौरान उधारकर्ताओं को राहत प्रदान करना था।

ये दलीलें सामने आईं

– छत्तीसगढ़ उद्योग निकायों की ओर से वरिष्ठ वकील रवींद्र श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट ने ऋण स्थगन अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। ऋण स्थगन अवधि छह महीने तक चली और 31 अगस्त, 2020 को समाप्त हो गई थी।

– एनडीएमए को अनुभवजन्य आंकड़े एकत्र करने और एक व्यापक नीति बनाने की जरूरत है, न कि यह तर्क देते हुए कि पूर्ण छूट की आवश्यकता है। श्रीवास्तव ने कहा कि इसके लिए आंशिक माफी भी हो सकती है, लेकिन इसके लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) के तहत एक अंशांकित नीति की आवश्यकता है।

– यह ध्यान दिया जा सकता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मार्च में तीन महीने के लिए सावधि जमाओं के पुनर्भुगतान पर रोक की घोषणा की थी, बाद में इसे 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था। इस कदम का उद्देश्य कोविद -19 महामारी के दौरान उधारकर्ताओं को राहत प्रदान करना था।

जानिये इससे पहले अभी तक क्या हुआ

– SC ने 3 सितंबर को बैंकों को निर्देश दिया था कि वे अगले आदेश तक खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित न करें।

– अक्टूबर में केंद्र ने कहा कि वह कुछ श्रेणियों में 2 करोड़ रुपये तक के ऋणों के पुनर्भुगतान पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ करेगा, एक ऐसा कदम जो व्यक्तिगत और एमएसएमई उधारकर्ताओं को राहत प्रदान करेगा।

– शीर्ष अदालत ने 19 नवंबर को उन याचिकाओं का निपटारा कर दिया था जिसमें याचिकाकर्ता चक्रवृद्धि ब्याज माफी से संतुष्ट हैं।

– आरबीआई की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट वी। गिरि ने 9 दिसंबर को दलील देते हुए कहा कि मोहलत की तारीख आगे बढ़ाई नहीं जाए।

– SC ने पहले कहा है कि “ब्याज पर ब्याज लेने में कोई योग्यता नहीं है”।

– आरबीआई ने 4 जून को कहा था कि अगर कर्ज देने की अवधि पूरी तरह खत्म हो जाती है तो कर्जदाताओं को 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

रुद्रपुर : कांग्रेस पर गजरे केन्द्रीय मंत्री निशंक, किसानों को बरगलाने का लगाया आरोप

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रुद्रपुर -केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए देश के किसानों को बरगलाने का आरोप लगाया।उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़े तीनों कानून को किसानों के हित में है।चूंकि कांग्रेस की राजनीतिक जमीन खिसक गई है,इसलिए वह इस मामले में राजनीति कर रही है।

मानव संसाधन मंत्री गुरुवार को रुद्रपुर के मोदी मैदान में किसान ट्रेक्टर रैली को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कृषि कानूनों के फायदे गिनाते हुए कहा कि यह कानून न सिर्फ किसानों को बिचौलियों से मुक्त करेगा बल्कि किसानों को देश के किसी भी राज्य में अपनी फसल को बेचकर अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देगा।उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर किसानों को बरगलाकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है,लेकिन किसान व जनता कांग्रेस की कथनी करनी में अंतर समझ चुकी है,इसलिए वो कांग्रेस के बहकावे में नही आएगी।

केबिनेट मंत्री निशंक ने कहा कि देश की आजादी के बाद से ही किसानों का शोषण हो रहा था लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद किसानों की दशा में सुधार आया है, प्रधानमंत्री देश के उत्थान के साथ साथ किसानों के हितों में निरन्तर कार्य कर रहे है।
उन्होंने कांग्रेस व भाजपा राज की तुलना करते हुए कहा कि पांच साल में कांग्रेस ने धान व गेंहू 3.74 करोड़ एमटी की खरीदारी की जबकि भाजपा ने 8 लाख करोड़ एमटी की खरीददारी की।भाजपा ने किसानों के हितों के लिए एक लाख करोड़ की परियोजना शुरू की है।
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत,केबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय,विधायक राजकुमार ठुकराल,दर्जा मंत्री सुरेश परिहार,भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा आदि मौजूद थे।

भाजपा की आभार रैली का कांग्रेसियों ने किया विरोध, फेंके संतरें दिखाये काले झंडे

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रुद्रपुर(उधम सिंह नगर)/भाजपा की आभार रैली का किसानों ने जमकर विरोध किया और रैली पर संतरे फेंके।काले झंडे लिए किसान रैली में शामिल ट्रैक्टरों पर चढ़ गए और जमकर भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की।
हुआ यूं कि किसान कृषि कानून बिलों के खिलाफ किसान महाराजा रणजीत सिंह पार्क में प्रदर्शन कर रहे थे कि इस बीच विधायक राजकुमार ठुकराल के नेतृत्व में ट्रैक्टरों का काफिला भाजपा की आभार रैली में शामिल होने के लिए पार्क के सामने से निकला।

विधायक के इस काफिले को देखकर किसान गुस्सा गए और उन्होंने काफिले पर संतरों से हमला कर दिया।इतना ही नही किसान पार्क से बाहर निकल आये ।हाथोंमें काले झंडे लिए किसान काफिले में शामिल ट्रैक्टरों पर चढ़ गए और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।किसानों के हाथों में किसान विरोधी निशंक वापिस जाओ जैसे पोस्टर थे।किसानों ने भाजपा के झंडे भी फाड़ दिए।

किसानों के इस रौद्र रूप को देखकर पुलिस प्रशासन के हाथ पैर फूल गए।बाद में तमाम कोशिशों के बाद प्रशासन ने किसानों को पार्क में वापिस भेजा
इससे पहले पार्क में आयोजित सभा मे आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एस एस कलेर ने कहा कि भाजपा किसानों को गुमराह कर रही है।देश भर के किसान इस कड़ाके की ठंड में आंदोलित है लेकिन सरकार किसानों की सुनवाई नही कर रही है।

किसानों, बेरोजगारों को मिले बैंकिंग सुविधा का लाभ: धन सिंह

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देहरादूनः सहकारिता, उच्च शिक्षा, दुग्ध विकास एवं प्रोटोकाॅल मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने आज सहकारी बैंकों के वित्तीय सेवाओं के वितरण और सार्वजनिक निक्षेप की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नाबार्ड के अधिकारियों एवं सहकारी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित योजनाओं की समीक्षा करते हुए डा. रावत ने कहा कि बैंकिंग सुविधाओं का लाभ किसानों एवं बेरोजगारों को प्राथमिकता के आधार मिलना चाहिए।

नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक में अधिकरियों ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष सहकारी बैंकों को रूपये 750 करोड़ का फसली ऋण, रूपये 450 करोड़ का अतिरिक्त ऋण सहित रूपये 350 करोड़ का मियादी ऋण आवंटित किया गया है। इसके अलावा नाबार्ड के अध्यक्ष गोविंद राजूलू चिंतला के प्रदेश भ्रमण के दौरान विभागीय मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने फसली ऋण को बढ़ाकर रूपये 1000 करोड़ करने का अनुरोध किया था। जिसके फलस्वरूप नाबार्ड ने फसली ऋण रूपये 750 करोड़ के सापेक्ष 50 करोड़, अतिरिक्त फसली ऋण रूपये 450 करोड़ के सापेक्ष 250 करोड़ जारी कर दिये हैं। इस प्रकार नाबार्ड ने सहकारी बैंकों को 300 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि प्रदान की है। नाबार्ड के अधिकारियों बताया कि राज्य सहाकरी बैंकों में ‘बिजनेस डेवलपमेंट एवं प्राॅडक्ट इनोवेशन’ सेल स्थापित करने के लिए मंजूरी दे दी गई है।

बैठक में स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता समूहों के बैंक लिंकेज बढ़ाने, केसीसी सेचुरेशन अभियान, राज्य सहकारी बैंकों को मोबाइल एवं इंटरनेट बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करने, नाबार्ड के माध्यम से अगले 03 वर्षों में 500 पैक्स कवर करने सहित अन्य महत्पवूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते हुए विभागीय मंत्री डाॅ. रावत द्वारा अधिकारियों को त्वरित निर्णय लेने और बैंकिंग सुविधाओं का लाभ किसानों, बेरोजगारों और आम आदमियों को पहुंचाने के लिए निर्देशित किया गया।
बैठक में उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत, सचिव सहकारिता आर मिनाक्षी संुदरम, क्षेत्रीय निदेशक आरबीआई राजेश कुमार, महाप्रबंधक नाबार्ड डा. ज्ञानेन्द्र मणि, निबंधक सहकारी समिति बी.एम मिश्र, निदेशक सहकारी प्रबंध संस्थान सहित सभी जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक उपस्थित रहे।