नई दिल्ली, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का शनिवार को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया, जहां उनका COVID -19 में इलाज चल रहा था। डीजी (तिहाड़) संदीप गोयल ने शहाबुद्दीन की मौत की खबर की पुष्टि की। गोयल ने बताया कि शहाबुद्दीन को दीन दयाल उपाध्याय (DDU) अस्पताल में भर्ती कराया गया। बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार और जेल प्राधिकरण को शहाबुद्दीन की उचित चिकित्सा देखरेख और देखभाल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे शहाबुद्दीन को पिछले महीने अस्पताल में भर्ती किया गया था। कोरोना संक्रमण की वजह से हालत बिगडऩे के बाद उन्हें आईसीयू में एडमिट किया गया, उसके बाद से ही उनकी हालत गंभीर होने की खबरें सामने आ रही थीं। शहाबुद्दीन के खिलाफ तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले चल रहे हैं। तिहाड़ जेल जाने से पहले वे बिहार के भागलपुर और सीवान की जेल में भी लंबे समय तक सजा काट चुके हैं। साल 2018 में जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए, लेकिन जमानत रद्द होने के कारण उन्हें वापस जेल जाना पड़ा। 15 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राजद सांसद को सीवान से तिहाड़ जेल लाने का आदेश दिया था।
दो भाइयों को तेजाब से नहलाकर मार डाला, पुलिस अफसर को मारा थप्पड़, ऐसी है इस बाहुबली की कहानी
नई दिल्ली, शनिवार सुबह राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार की सीवान लोकसभा सीट से पूर्व सांसद सैयद शहाबुद्दीन की कोरोना से मौत की खबरें चलने लगीं। इस दौरान तिहाड़ जेल प्रशासन ने इस खबर का खंडन किया लेकिन अब डीजी ने कहा कि डीडीयू अस्पताल के मुताबिक पूर्व सांसद ने इलाज के दौरान आखिरी सांसें ली। उन्हें पिछले महीने 20 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अगर शहाबुद्दीन की दबंगई की बात करें तो अपराध की दुनिया में इस बाहुबली का सिक्का बहुत चला।
उसके आपराधिक प्रोफाइल की बात करें तो साल 2004 में चंदा बाबू के तीन बेटों गिरीश, सतीश और राजीव का बदमाशों ने अपहरण कर लिया। बदमाशों ने गिरीश और सतीश को तेजाब से नहला कर मार दिया था जबकि इस मामले का चश्मदीद राजीव किसी तरह बदमाशों की गिरफ्त से अपनी जान बचाकर भाग निकला। बाद में राजीव भाइयों के तेजाब से हुई हत्याकांड का गवाह बना। मगर 2015 में शहर के डीएवी मोड़ पर उसकी भी गोली मार कर हत्या कर दी गई। हत्या के महज 18 दिन पहले ही राजीव की शादी हुई थी। इस घटना के बाद पूरे शहर में हडक़ंप मच गया था। ये सारा कुछ शहाबुद्दीन के इशारों पर ही हुआ था।
साल 2001 में भी बिहार पुलिस शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने उनके प्रतापपुर वाले आवास पर पहुंची। इस दौरान शहाबुद्दीन के गुर्गों और पुलिस के बीच करीब 3 घंटे फायरिंग चली थी। इस दौरान 3 पुलिसकर्मी मारे गए थे। 2001 में ही पुलिस जब आरजेडी के स्थानीय अध्यक्ष मनोज कुमार पप्पू के खिलाफ एक वारंट लेकर पहुंची थी तो शहाबुद्दीन ने गिरफ्तारी करने आए पुलिस अधिकारी संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था। सीवान से चार बार आरजेडी सांसद रहे शहाबुद्दीन पर एक अग्रणी हिंदी दैनिक के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या में शामिल में होने का आरोप भी है। 13 मई 2016 की शाम बिहार के सीवान जिले में पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त राजदेव अपने दफ्तर के बाहर निकले थे।
तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे शहाबुद्दीन को पिछले महीने अस्पताल में भर्ती किया गया था। कोरोना संक्रमण की वजह से हालत बिगडऩे के बाद उन्हें आईसीयू में एडमिट किया गया, उसके बाद से ही उनकी हालत गंभीर होने की खबरें सामने आ रही थीं। शहाबुद्दीन के खिलाफ तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले चल रहे हैं। तिहाड़ जेल जाने से पहले वे बिहार के भागलपुर और सीवान की जेल में भी लंबे समय तक सजा काट चुके हैं। साल 2018 में जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए, लेकिन जमानत रद्द होने के कारण उन्हें वापस जेल जाना पड़ा। 15 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राजद सांसद को सीवान से तिहाड़ जेल लाने का आदेश दिया था।
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