Tuesday, May 7, 2024
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यूपी में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का ड्राफ्ट तैयार, दो से अधिक बच्चे होने पर नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी, ना लड़ पाएंगे चुनाव

“आयोग ने ड्राफ्ट अपनी वेबसाइट //upslc.upsdc.gov.in/ पर अपलोड कर दिया है, 19 जुलाई तक जनता से राय मांगी गई है।”

नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग ने यूपी जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसमें दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का जिक्र है। आयोग ने ड्राफ्ट अपनी वेबसाइट //upslc.upsdc.gov.in/ पर अपलोड कर दिया है। 19 जुलाई तक जनता से राय मांगी गई है।

विधि आयोग जनसंख्या नियंत्रण कानून पर लगातार काम कर रहा है। नई नीति के हिसाब से 2 से ज्यादा बच्चों वाले परिवारों की सुविधाओं में कटौती करने की तैयारी की जा रहा है। वहीं कुछ दिन पहले विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्यनाथ मित्तल ने कहा था कि हमारे यहां जनसंख्या बढ़ रही है। इसी वजह से समस्याएं पैदा हो रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग जनसंख्या नियंत्रण करने में अपना सहयोग दे रहे हैं, उन्हें ही सरकारी सुविधाएं और सरकारी संसाधन मिलने चाहिए। उन्हें राज्य सरकार की सभी सुविधाओं का लाभ मिलता रहना चाहिए। विधि आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार यूपी में किसी धर्म विशेष या मानवाधिकारों के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह बस यह देखना चाहते हैं कि सरकारी संसाधन और सुविधाएं उन लोगों को उपलब्ध हों जो जनसंख्या नियंत्रण में मदद कर रहे हैं और योगदान दे रहे हैं।

2 से अधिक बच्चे होने पर क्या?
सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं
राशन कॉर्ड में चार से अधिक सदस्य नहीं
स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे
सरकारी नौकरियों में मौका नहीं

अगर परिवार के अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और नसबंदी करवाते हैं तो उन्हें अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं देने की सिफारिश की गई है। दो बच्चों वाले दंपत्ति अगर सरकारी नौकरी में नहीं हैं तो उन्हें पानी, बिजली, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है। वहीं एक संतान पर खुद से नसबंदी कराने वाले अभिभावकों को संतान के 20 साल तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा शिक्षण संस्था व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की सिफारिश है।

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