देहरादून, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद द्वारा रेड्ड-प्लस ज्ञान साझाकरण एवं सुरक्षा उपाय सूचना प्रणाली का शुक्रवार को शुभारंभ हो गया, इस प्रणाली को वनों की कटाई और वन क्षरण से उत्सर्जन को कम करना, वन कार्बन स्टॉक का संरक्षण, वनों का स्थायी प्रबंधन और विकासशील देशों में वन कार्बन स्टॉक में वृद्धि को सामूहिक रूप से रेड्ड-प्लस के रूप में जाना जाता है। प्रभावी रेड्ड-प्लस कार्यक्रम विभिन्न प्रकार के आय सृजन के अवसर, आजीविका सुरक्षा, और सामाजिक कल्याण प्रदान करेगा।
वनों द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं और उनकी निरंतर आपूर्ति अब जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के संदर्भ में तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रही है। रेड्ड-प्लस गतिविधियां जलवायु परिवर्तन के शमन और अनुकूलन में योगदान करती हैं और साथ ही भाग लेने वाले समुदायों को वित्तीय प्रोत्साहन भी प्रदान करती हैं।
भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की कैम्पा वित्त पोषित योजना के तहत रेड्ड-प्लस नॉलेज शेयरिंग और सेफगार्ड सूचना प्रणाली (https://reddplus.icfre.gov.in/) विकसित की है।
इस प्रणाली में रेड्ड-प्लस ज्ञान साझाकरण और सुरक्षा उपाय सूचना प्रणाली शामिल हैं। यह सुरक्षा उपायों पर जानकारी का सारांश तैयार करने के लिए रेड्ड-प्लस गतिविधियों को लागू करते समय वन प्रशासन, पर्यावरण और सामाजिक से संबंधित सुरक्षा उपायों को संबोधित करने और उनका सम्मान करने पर जानकारी और डेटा एकत्र करने में सहायक होगा।
भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद के महानिदेशक अरुण सिंह रावत ने आज भारत की रेड्ड-प्लस ज्ञान साझाकरण एवं सुरक्षा उपाय सूचना प्रणाली लॉन्च की । उन्होंने कहा कि यह मंच रेड्ड-प्लस पर ज्ञान साझा करने के साथ-साथ राज्य वन विभागों और अन्य हितधारकों की क्षमता निर्माण में भी सहायक होगा। लॉन्च कार्यक्रम के दौरान आईसीएफआरई के उप महानिदेशक, सहायक महानिदेशक, वैज्ञानिक और अधिकारी उपस्थित थे।
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