Saturday, April 20, 2024
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वेदो में निहित है वसुधैव कुटुंबकम का भाव

हरिद्वार 27 जून (कुलभूषण)  राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति तथा इण्टरनेशनल गुडवील सोसायटीए हरिद्वार के चेप्टर के संयुक्त तत्वावधान में वेदों में मानव अधिकार विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजन किया गया। वेबीनार में मुख्य अतिथि के रूप में डा आर के भटनागर सेवानिवृत्त आई ए एस  सेकेट्री जनरल  इण्टरनेशनल गुडविल सोसायटी ने कहा वेदों में निहित है वसुधैव कुटुंबकम का भाव। इसके मूल भाव को समझने के लिए वेदों का अध्ययन करें। फिर सब कुछ पूरी तरह साफ हो जाएगा। आत्मा का मुख्य लक्ष्य परमगति मोक्ष को प्राप्त होना ही है। यह लाभ वेदाध्ययन व वेदाचरण सहित सत्कर्मों में प्रवृत्ति से ही प्राप्त होता है।

अति विशिष्ट अतिथि प्रो देवी प्रसाद त्रिपाठी कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय ने कहा कि प्राकृतिक जीवन को कोई नष्ट करता है तो वह उसके अधिकार का हनन करता है सबको जीने का अधिकार है यजुर्वेद में भी प्राणी मात्र के कल्याण की बात कही गई है।

प्रो अशोक कुमार आर्य पीजी कालेज अमरोहा किसी भी व्यक्ति के जीवन स्वतंत्रता समानता और सम्मान का अधिकार ही मानव अधिकार है। वेद ज्ञान का भण्डार है  वेद समस्त ज्ञान का स्रोत है ।
मानव अधिकार संरक्षण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष इं मधुसूदन आर्य ने कहा जब दूसरे देशों ने सभ्यता का सूरज भी नहीं हुआ तब से भारत मानव अधिकारों के संरक्षण की आवाज बुलंद करता रहा है। आज भले ही पश्चिमी देश इस मामले में खुद को श्रेष्ठ बताते होंए लेकिन भारत में मानवाधिकार की अवधारणा बहुत पुरानी है। वेदों और अन्य धर्मग्रंथों में मानवाधिकारों की बात कही गई है।

वेबीनार का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय महिला अध्यक्षए डा सपना बंसलए दिल्ली विश्वविद्यालय ने किया वेबिनार में जगदीश लाल पाहवा तोष जैन एस आर गुप्ता राजीव राय हेमंत सिंह नेगी शकुंतला इत्यादि उपस्थित रहे ।

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