Friday, May 3, 2024
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टिहरी : आतंक पर्याय बना नरभक्षी ढेर, शिकारी हुकिल का 39वां शिकार बना

टिहरी, जनपद के आगराखाल के सल्डोगी और कसमोली गांवों में पिछले कुछ दिनों से आतंक का पर्याय बन चुके आदमखोर तेंदुए को शिकारी जॉय हुकिल ने मार गिराया है। यह नरभक्षी उनका 39वां शिकार बना। तेंदुए के मारे जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। तेंदुए ने 11 अक्टूबर को एक बच्ची को मारने के बाद कल शाम ही घर के दरवाजे के पास अपनी मां के साथ खड़े एक बालक को अपना शिकार बनाया था।

रात साढ़े नौ बजे शिकारी जॉय हुकिल ने उसे ढेर कर दिया, 11 तारीख को सल्डोगी में एक बच्ची स्मृति की हत्या करने के बाद वन विभाग ने इस तेंदुए को नरभक्षी घोषित कर दिया था। इसके बाद शिकारी जॉय हुकिल ने गांव में पहुंच कर मोर्चा संभाला। लेकिन पूरे दो दिन आदमखोर को तलाश करने के बाद भी उन्हें कोई सफलता नहीं मिली, कल शाम लगभग सात बजे सल्डोगी से कुछ ही दूरी पर चढ़ाई पर ​स्थित कसमोली गांव में अपनी मां के साथ घर के दरवाजे पर खड़े होकर चाय पी रहे एक सात वर्षीय बालक को तेंदुए ने अपना शिकार बना दिया। तेंदुआ उसे उठा कर ले भागा। गांव में नरभक्षी के घुस आने और बच्चे को मार डालने की खबर जॉय को मिली तो वे अपने साथी अजहर व वन विभाग की टीम के साथ दौड़ते भागते कसमोली गांव पहुंचे।

यहां सात साल के रौनक का शव ग्रामीणों ने उन्हें दिखाने के लिए रखा था, जाॕय बताते हैं कि रौनक के शव को देखकर वे समझ गए कि गुलदार का निचला जबड़ा खराब हो चुका है। इसके बाद ग्रामीणों की भीड़ मौके पर जमा हो गई वन विभाग के अधिकारी भी वहां पहुंच गए। रात घिरती जा रही थी और आदमखोर के शिकार की गिनती बढ़ने से शिकारी और वन विभाग के अधिकारियों में बैचेनी और निराशा बढ़ रही थी। लगभग नौ बजे जब सभी लोग रौनक के पिता प्रताप सिंह रमोला के घर के पास जमा थे तब शिकारी जॉय हुकिल ने सोचा कि हो न हो आदमखोर शिकार को लेने के लिए दोबारा वहीं आए। इसी विचार पर वे घर से कुछ आगे निकल गए। टार्च उनके हाथ में थी।

तभी उन्हें झाड़ियों में कुछ आहट महसूस हुई। उन्होंने झाड़ी में टार्च की रोशनी डाली तो गुलदार की आखें खिई पड़ गई। उन्होंने तुरंत मोर्चा संभाला और अपनी बंदूक से एक फायर गुलदार पर झोंक दिया, गुलदार वहीं ढेर हो गया। इस बीच ग्रामीण व वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए। आदमखोर के ढेर होने के बाद सभी ने राहत की सांस ली है। आदमखोर की उम्र लगभग 6 साल रही होगी। उसके नीचे का जबड़ा खराब हो चुका था।

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