Saturday, May 4, 2024
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पीएम मोदी ने लगाई मुहर, जमरानी बांध के निर्माण का रास्ता हुआ साफ, 2027 तक है योजना को पूरा करने का लक्ष्य

देहरादून, सीएम धामी की मांग पर पीएम मोदी ने अपनी मुहर लगा दी है। नैनीताल में काठगोदाम से 10 किलोमीटर अपस्ट्रीम में गोला नदी पर प्रस्तावित जमरानी बांध परियोजना के निर्माण का रास्ता अब साफ हो गया है। परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल किए जाने पर स्वीकृति प्रदान की गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त किया है। सिंचाई सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने बताया कि मंगलवार को केंद्रीय सचिव जल संसाधन की अध्यक्षता एवं नीति आयोग व केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों की उपस्थिति में बैठक हुई। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक तय किया गया कि परियोजना के धन आवंटन के लिए जल शक्ति मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्रालय केंद्र सरकार प्रस्ताव भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में काठगोदाम से 10 किलोमीटर अपस्ट्रीम में गोला नदी पर जमरानी बांध (150.6 मीटर ऊंचाई) का निर्माण प्रस्तावित है। परियोजना से डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही हल्द्वानी शहर को वर्षभर 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराया जा सकेगा।
परियोजना से 63 मिलियन यूनिट का उत्पादन हो सकेगा। सचिव ने कहा कि निवेश की मंजूरी मिलने के बाद जमरानी बांध परियोजना पर शीघ्र पुनर्वास सहित निर्माण कार्यों को शुरू किया जाएगा। 10 जून, 2022 को जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जमरानी बांध परियोजना के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 2584.10 करोड़ रुपये की सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई थी। राज्य को इसमें 10 प्रतिशत अंशदान देना होगा और केंद्र सरकार 90 प्रतिशत धनराशि खर्च करेगी।

परियोजना को वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत 57065 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई के साथ-साथ हल्द्वानी शहर को वर्ष 2055 तक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था है। परियोजना से हर साल 63 मिलियन यूनिट बिजली पैदा होगी।

कैबिनेट में आएगी पुनर्वास की नीति :
सचिव सिंचाई के मुताबिक, परियोजना से प्रभावितों के पुनर्वास के लिए शीघ्र ही पुनर्वास नीति कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखी जाएगी। पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 की व्यवस्था के अनुसार प्रभावित ग्रामवासियों का सम्यक रूप से पुनर्वास किया जाएगा।

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