Sunday, May 4, 2025
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जल्‍दी ही भारत को मिल सकती हैं राष्ट्रपति की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू

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Draupadi Murmu

नई दिल्ली, सत्ताधारी भाजपा के अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा (NDA) और विपक्ष ने अपने-अपने राष्ट्रपति उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। मंगलवार की दोपहर कांग्रेस, टीएमसी और एनसीपी समेत अन्य विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को विपक्ष का साझा उम्मीदवार घोषित किया। वहीं NDA के तरफ से द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे किया गया।

पिछले राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने ‘दलित राष्ट्रपति’ का संदेश दिया था। इस बार अगर मुर्मू को जीत मिलती है तो वो देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। जाहिर है इसका पूरा क्रेडिट एनडीए और खासकर भाजपा के हिस्से जाएगा। भाजपा पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वो वंचित समुदायों से ऐसे लोगों को ढूंढ कर लाती है, जो अपने समुदाय के हित में सरकार के खिलाफ बोल नहीं पाते।
द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा के बाद भी ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। हालांकि भाजपा नेता अमित शाह ने अपने एक ट्वीट में मुर्मू के काम को बताया है। शाह ने लिखा है, ”द्रौपदी मुर्मू जी ने जनजातीय समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने व जनप्रतिनिधि के रूप में लम्बे समय तक जनसेवा करते हुए सार्वजनिक जीवन में अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई है। इस गरिमामई पद की प्रत्याशी बनने पर उनको शुभकामनाएं देता हूँ व मुझे विश्वास है कि वो निश्चित रूप से जीतेंगी।”
मुर्मू ने आदिवासियों के लिए क्या किया है?

द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक करियर की शुरुआत तो 1997 में ही हो जाती है लेकिन बड़ा मौका सन् 2000 में मिला था। तब भाजपा ने उन्हें रायरंगपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया था। इस चुनाव में जीतकर मुर्मू नवीन पटनायक के मंत्रिमंडल में स्वतंत्र प्रभार की राज्यमंत्री बनीं थी। पहले दो साल में वाणिज्य और परिवहन विभाग देखा, अगले दो साल तक पशुपालन और मत्स्य विभाग संभाला। यानी मंत्री के तौर पर आदिवासियों के लिए काम करने का अनुभव द्रौपदी मुर्मू के पास नहीं है।
मोदी सरकार आने के बाद साल 2015 में द्रौपदी मुर्मू को झारखंड का राज्यपाल बना दिया गया। मुर्मू से पहले झारखंड के राज्यपाल के रूप में किसी आदिवासी महिला ने पद नहीं संभाला था। राज्यपाल के रूप में मुर्मू को सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों से बराबर सम्मान और सौहार्द प्राप्त हुआ। यही वजह है कि कार्यकाल खत्म होने के बाद तक मुर्मू इस पद पर बनी रही थीं। राज्यपाल का कार्यकाल पांच साल का होता है लेकिन मुर्मू छह साल, एक महीना और 18 दिन तक इस पद पर रही थीं।

राज्यपालों पर केंद्र की तरफ झुके रहने का आरोप लगता रहा है लेकिन मुर्मू अपने कार्यकाल के दौरान तटस्थ रहने के लिए जानी गईं। एक मौका ऐसा भी आया जब द्रौपदी मुर्मू ने भाजपा की रघुबर दास सरकार को नसीहत देते हुए, उनके विधेयक को बिना लाग-लपेट लौटा दिया। इस तरह का फैसले उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार के दौरान भी लिए। लौटा दिया था सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक

साल 2017 में भाजपा की रघुबर दास सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक लेकर आयी थी। इसके विधेयक के तहत सरकार आदिवासियों की जमीनों की रक्षा के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) में बदलाव करना चाहती थी। भारी विरोध और विपक्ष के वॉकआउट के बावजूद रघुबर सरकार ने सदन में विधेयक पास करवा लिया। विधेयक को कानून में बदलने के लिए राज्यपाल से होकर गुजरना होता है। सरकार द्वारा सदन में पास कराया गया विधेयक तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के पास पहुंचा। मुर्मू ने बिना दस्तखत विधेयक को सरकार को वापस कर दिया। साथ ही सरकार से सवाल किया कि इस विधेयक से आदिवासियों को क्या फायदा होगा। सरकार ने जवाब नहीं दिया और इस तरह वह विधेयक कभी कानून नहीं बन पाया। राज्यपाल के फैसले से आदिवासी समुदाय बहुत खुश हुआ था और मुर्मू का धन्यवाद किया था। मीडिया से बात करते हुए मुर्मू ने बताया था कि ”विधेयक के खिलाफ करीब 200 आपत्तियां प्राप्त हुई थीं, ऐसे में दस्तखत करने का सवाल नहीं उठता।” बताया जाता है कि इस मामले को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास ने मुर्मू से मुलाकात भी की थी लेकिन उन्होंने अपना फैसला नहीं बदला।

 

द्रोपति मुर्मू महिला सशक्तिकरण के पर्याय के साथ जनजातीय समाज का सशक्त चेहरा हैं: राकेश राणा

देहरादून, भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश राणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का धन्यवाद करते हुए बताया कि जिस प्रकार से पिछले 8 सालों से नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप मे आदिवासी समाज के समग्र विकास की चिंता करते हुए अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं से जनजाति समाज को मजबूत करने के लिए समय-समय पर कदम उठाए उससे जनजातीय समाज देश की मुख्यधारा में आज प्रवेश कर चुका है। पिछले वर्ष जिस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा जयंती पर 15 नवंबर को हर वर्ष जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया यह अपने आप में यह दिखाता है कि जनजाति समाज से जुड़े महापुरुषों के कार्यों को देश के प्रत्येक व्यक्ति से अवगत कराना और वह किस प्रकार से सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बने उसके लिए प्रधानमंत्री ने इन 8 वर्षों में निरंतर वह सब कार्य किए हैं।

राकेश राणा ने बताया कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आंतरिक मजबूती की खूबसूरत और अद्भुत शैली को प्रदर्शित करता हैं। उन्होंने बताया कि पार्षद के रूप में राजनीतिक कॅरिअर शुरू करने वाली द्रौपदी का बतौर अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) से देश का पहला महिला राष्ट्रपति बनना तय है। राकेश राणा ने बताया कि ओडिशा के बेहद पिछड़े और संथाल बिरादरी से जुड़ी 64 वर्षीय द्रौपदी के जीवन का सफर हमेशा संघर्षों से भरा रहा है।

उन्होंने बताया कि आर्थिक अभाव होने पर भी उन्होंने शिक्षा को महत्व देते हुए स्नातक की शिक्षा प्राप्त करी। उन्होंने उड़ीसा सरकार में भी अपनी सेवाएं दी। उनका राजनीतिक सफर भी बहुत सफल रहा जिसमें कि उन्होंने सभी वर्गों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। राजनीति के लिए भाजपा को चुना और इसी पार्टी की हो कर रह गई। साल 1997 में पार्षद के रूप में उनके राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत हुई।

राकेश राणा ने बताया कि साल 2000 में पहली बार विधायक और फिर भाजपा-बीजेडी सरकार में दो बार मंत्री बनने का मौका मिला। उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर साल 2015 में उन्हें झारखंड का पहला महिला राज्यपाल बनाया गया। वह पहली उड़िया महिला है जिन्हें भारत के किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

राकेश राणा ने बताया कि द्रोपति मुर्मू का जीवन उनके जीवटता को दर्शाता है। वह जवानी में ही विधवा होने के अलावा दो बेटों की मौत से भी वह नहीं टूटीं। इस दौरान अपनी इकलौती बेटी इतिश्री सहित पूरे परिवार को हौसला देती रहीं। राकेश राणा ने बताया यह महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ आदिवासी समाज के उत्थान के लिए उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि जिस दिन वह राष्ट्रपति के पद पर विराजमान होगी वह जनजातीय समाज के लिए गौरव का क्षण होगा और भारत एक नए इतिहास को लिखेगा।

 

पर्यटन मंत्री से मिले भाजपा नेता कौशतुभा नंद जोशी, चित्रलेखा धाम का शीघ्र होगा कायाकल्प : जोशी

देहरादून, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने नैनीताल जनपद स्थित पौराणिक स्थल चित्रशिला धाम को मानसखंड कॉरीडोर में सम्मिलित करने पर सहमति दे दी है | धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस पावन स्थल के जीर्णोद्धार के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी के प्रदेश कार्यालय सचिव कौस्तुभानन्द जोशी द्धारा किए अनुरोध को स्वीकार करते हुए महाराज ने विभागीय सचिव को त्वरित कार्यवाही के आदेश दे दिये हैं |
भाजपा नेता कौस्तुभानन्द जोशी ने पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज को पत्र के माध्यम से अवगत कराते हुए बताया कि गार्गी तट स्थित चित्रशिला धाम मार्कन्डे ऋषि व गर्ग ऋषि की तपस्थली है, जिसका वर्णन स्कन्द पुराण में भी किया गया है | पौराणिक तथ्यों के आधार पर स्वयं भगवान विश्वकर्मा द्धारा निर्मित इस धाम पर सदियों से मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान का मेला आयोजित होता आ रहा है | उन्होने अफसोस जताते हुए कहा कि यह स्थान आज मात्र शमशान घाट बनकर रह गया है | लिहाजा मेरे द्धारा स्थानीय लोगों मांग के अनुशार इस पावन क्षेत्र के सौंदर्यीकरण एवं स्नान घाट, धर्मशाला, शौचालय आदि जनसुविधाकारी निर्माण के लिए इसे मानसखण्ड कॉरीडोर में सम्मिलित करने का अनुरोध किया गया है |
श्री जोशी ने ख़ुशी जाहीर करते हुए बताया कि पर्यटन मंत्री श्री महाराज ने इस पवित्र स्थल के महत्व व स्थानीय जनता की मांग को स्वीकार करते हुए तत्काल पर्यटन सचिव से इस विषय पर कार्यवाही के निर्देश दिये हैं |

उन्होने उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा कि शीघ्र ही वह समय आएगा जब चित्रशिला धाम अपने पौराणिक महात्म्य को पुनः प्राप्त करते हुए देश विदेश के तीर्थाटन मानचित्र पर स्थापित होगा |

ब्रैकिंग : आईएएस रामविलास यादव सस्पेंड, विजिलेंस के सामने हुए पेश

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देहरादून, हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में राहत नहीं मिलने के बाद सीनियर आईएएस अफसर राम विलास यादव को प्रदेश सरकार ने निलंबित कर दिया है। अब से कुछ देर पहले उनके निलंबन के आदेश जारी हुए। इस बीच आज दोपहर को वे विजिलेंस के सामने पेश हुये, वे पौने एक बजे स्विफ्ट कार से कारगी ग्रांट स्थित विजिलेंस मुख्यालय पहुंचे और सीधे अंदर चले गए। बाहर कार में उनके वकील और ड्राइवर मौजूद थे। इस दौरान विजिलेंस दफ्तर में तैनात पुलिस कर्मियों ने मीडिया कर्मियों और अन्य लोगों को परिसर से बाहर कर दिया, बाहर उनके अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के पालन में राम विलास यादव विजिलेंस दफ्तर में बयान दर्ज करने आए हैं। संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने आए हैं। गिरफ्तारी पर रोक लगाने के संबंध में अभी सुनवाई होनी है। उन्होंने कहा कि जब विजिलेंस की ओर से उनसे पत्राचार किया गया, उन्होंने उसका जवाब दिया और पेश नहीं होने का कारण बताया है।

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में मंगलवार को मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सरकार से 23 जून तक स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यादव से कहा है कि वह बुधवार तक अपने बयान विजिलेंस के सामने दर्ज कराएं। मामले की अगली सुनवाई 23 जून की तिथि नियत की है।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिका कर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन पर आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के आरोप लगाए गए हैं, जो पूरी तरह गलत हैं। उनकी बेटी विदेश में, लड़का सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता है और उनकी पत्नी कॉलेज की प्रबंधक और खुद वह आईएएस अधिकारी है। यह सम्पति इनकी मेहनत से अर्जित की है। जिस व्यक्ति ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की उसके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं।
इस मामले में उनको अपना पक्ष रखने का मौका तक नही दिया गया। सरकार ने जो कमेटी गठित की थी उनको उसके सामने अपना पक्ष रखने से पहले ही भंग कर दिया गया। वहीं सरकार की तरफ से कहा गया कि विजिलेंस टीम ने आईएएस रामविलास यादव को कई बार अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया। परंतु वह आने के बजाय मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव और कई मंत्रियों से मिले,
मामले के अनुसार, आईएएस राम विलास यादव उत्तराखंड सरकार में समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव के पद पर कार्यरत हैं। पूर्व में यादव उत्तर प्रदेश सरकार में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव भी रह चुके है। इनके खिलाफ लखनऊ में एक व्यक्ति द्वारा आय से अधिक सम्पति रखने की शिकायत दर्ज की थी। इसके आधार पर उत्तराखंड सरकार ने जांच शुरू की।

 

विजिलेंस टीम ने इनके लखनऊ, देहरादून और गाजीपुर ठिकानों पर छापा मारा, जिसमे संपत्ति संबंधित कई दस्तावेज मिले। जांच करने पर इनके खिलाफ आय से 500 गुना अधिक संपत्ति मिलने की बात सामने आई है। इसके आधार पर सरकार ने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।Breaking : सीएम धामी का बड़ा एक्शन, इस IAS को किया सस्पेंड | Khabar Uttarakhand News

उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं तकनीकी कांग्रेस का शुभारंभ : भारतवर्ष आदिकाल से ही ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है : मुख्यमंत्री

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देहरादून, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को ग्राफ़िक एरा में आयोजित 15-16वीं उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं तकनीकी कांग्रेस का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं तकनीक कांग्रेस एवं उत्तराखंड के बहुमूल्य उत्पादों पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया। बीते साल कोरोना महामारी के कारण साइंस कांग्रेस का आयोजन नहीं हो पाया था, इसलिए UCOST द्वारा 15 एवं 16वीं साइंस कांग्रेस का साझा आयोजन किया गया।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि हम सब का सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि इस तरह के मंथन कार्यक्रम सिर्फ आयोजन तक सीमित न रहे, बल्कि ऐसे मंथन कार्यक्रमों से निकला ज्ञान रूपी अमृत राज्य की और देश की प्रगति के लिए उन्नत तकनीक के रूप में सामने आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि इस कार्यक्रम से सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रदेश को आगे बढ़ाने का रास्ता भी मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में उनको सबसे अधिक अनुभव प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष आदिकाल से ही ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते 8 सालों में भारत ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में कई नए कीर्तिमान हासिल किए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में नई शिक्षा नीति लागू की है। जो कि हर पहलू को केंद्रित कर बनाई गई है। उन्होंने कहा कि देश के वैज्ञानिकों ने शोध और परीक्षण कर कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए दो-दो स्वदेशी वैक्सीन तैयार की, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संभव था। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश का मान सम्मान और स्वाभिमान बढा है। हमारी कल्पना वसुदेव कुटुंबकम की है।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद वैज्ञानिक एवं शोधार्थियों से आवाहन करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम से हम संकल्प को शक्ति बनाकर “विकल्प रहित संकल्प” के ध्येय वाक्य के साथ आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि साल 2025 तक उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने के लिए “विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी” के क्षेत्र से जुड़े सभी वैज्ञानिक एवं शोधार्थियों के सुझाव आमंत्रित हैं। हम हर क्षेत्र में विशेषज्ञों के विचारों को लेकर भविष्य का रोडमैप तैयार कर रहे हैं, क्योंकि उत्तराखंड को शिखर पर ले जाने की जिम्मेदारी हम सब की सामूहिक रूप से है।

कार्यक्रम में सचिव आईटी श्रीमती सौजन्या ने साइंस कांग्रेस के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसके अलावा UCOST के महानिदेशक डॉ राजेंद्र डोभाल ने उत्तराखंड काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं साइंस सिटी का विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। कार्यक्रम में ग्राफिक एरा ग्रुप के चेयरमैन प्रोफ़ेसर डॉ. कमल घनशाला ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया। इस दौरान कर्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक, शोधार्थी एवं छात्रा-छात्राएँ मौजूद रही।

उत्तराखंड को मिल सकती है पहली महिला मुख्य सचिव

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देहरादून। वरिष्ठ आईएएस व अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव हो सकती हैं। मुख्य सचिव डा. एसएस संधु को केंद्र में अहम जिम्मेदारी मिलने की झंडी मिल चुकी है। उत्तराखंड आईएएस काडर में हालांकि, राधा रतूड़ी सबसे वरिष्ठ नौकरशाह हैं, लेकिन मध्यप्रदेश काडर की रही राधा काडर परिवर्तन के चलते अपने 88 बैच में सबसे नीचे पायदान पर आ गई थी।
मौजूदा समय में वे अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के साथ ही गृह और सचिवालय प्रशासन की भी जिम्मेदारी देख रही हैं। आईएएस रतूड़ी ने अपनी सादगी से भी अलग पहचान बनाई है। उनका रिटायरमेंट मार्च, 24 में है। उत्तराखंड में इससे पहले भी कई सीनियर महिला आईएएस अफसर रही हैं, पर वे मुख्य सचिव की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाई।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी राधा रतूड़ी को ब्यूरोक्रेसी का टाप बास बनाने का सिग्नल दे चुके हैं। विदित है कि राधा रतूड़ी के पति अनिल रतूड़ी भी पुलिस महानिदेशक पद से रिटायर हुए थे। मौजूदा मुख्य सचिव डा. संधु भी 88 बैच के आईएएस हैं, उन्हें केंद्र में पीएमओ, रक्षा या फिर विदेश मंत्रालय में जिम्मेदारी मिल सकती है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी यह संकेत दिए हैं। हालांकि, संधु को अभी तक केंद्र की तरफ से विधिवत डेपुटेशन की हरी झंडी नहीं मिली है, लेकिन उन्हें भी प्रारंभिक सिग्नल मिल चुका है। मुख्यमंत्री धामी की पहल पर डा. संधु पहले कार्यकाल में केंद्र से वापस लौटे थे। तब वे केंद्र में एनएचआई के चेयरमैन के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इससे पहले वे मानव संसाधन मंत्रालय में भी अपर सचिव रह चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि मुख्य सचिव संधु ने केंद्र से संकेत मिलने के बाद कार्मिक विभाग से अपने ग्रेच्युटी, पेंशन व अन्य जरूरी दस्तावेज भी दुरस्त करा लिए हैं। उधर, संपर्क करने पर मुख्य सचिव डा. संधु ने हिन्दुस्तान को डेपुटेशन पर जाने के संकेत दिए हैं। कहा कि हालांकि इस प्रक्रिया में काफी वक्त लगता है। अभी केंद्र की तरफ से कोई पत्र नहीं आया है।
सीएस कांफ्रेंस में दिखा चुके हैं अपनी प्रतिभा
मुख्य सचिव संधु 15 जून से 17 जून तक धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) मुख्य सचिव कांफ्रेंस में शरीक हुए थे। देशभर के मुख्य सचिवों में से अकेले राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर उनका संबोधन था। इसमें वे अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवा चुके हैं। इस सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। माना जा रहा है कि वे पीएम मोदी के पंसदीदा अफसरों में भी हैं। केंद्र में यदि उन्हें पीएमओ, रक्षा, गृह, विदेश जैसे मंत्रालयों में सचिव की जिम्मेदारी मिलती है तो उन्हें दो साल का एक्सटेंशन भी मिल सकता है। संधु का रिटायरमेंट अगस्त, 23 में है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा बैठक चरणबद्ध तरीके से सम्पन्न

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देहरादून, उत्तराखंड में मातृ मृत्यु एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक   सोनिका की अध्यक्षता में मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा बैठक चरणबद्ध तरीके से सम्पन्न हुई। जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा चार जनपदों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, एवं उधम सिंह नगर को चिन्हित किया गया है, जो कि प्रदेश की कुल आबादी का 61 प्रतिशत है, इन्हीं चार जनपदों में कुल प्रसवों के 69 प्रतिशत प्रसव प्रत्येक वर्ष होते हैं।
समीक्षा बैठक में मिशन निदेशक महोदया, एन.एच.एम. श्रीमती सोनिका द्वारा उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किये जाने एवं उनके देखभाल किये जाने हेतु प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अन्तर्गत नवीन वित्तीय प्रावधानों को लागू किये जाने के निर्देश दिए।
मिशन निदेशक द्वारा संस्थागत प्रसवों में बढोतरी किये जाने हेतु संचालित प्रसव केन्द्रों में मानव संसाधन की तैनाती तथा उनके प्रशिक्षण गुणवत्ता पूर्व सेवाएं प्रदान किये जाने पर विषेश ध्यान देने हेतु निर्देशित किया।
समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डॉ सरोज नैथानी ने कहा कि मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के लागू होने से उक्त चार जनपदों में पायी गयी कमीयों को दूर किये जाने हेतु योजना सम्पूर्ण टीम के साथ गहन अध्ययन करते हुए बनायी गयी है।
समीक्षा बैठक में कार्यक्रम अधिकारी डॉ अमित शुक्ला, डॉ सुजाता सिंह, डॉ अजय, डॉ नितिन अरोड़ा, डॉ नमिशा, डॉ दामिनी, देवेंद्र, डॉ गौरव गैरोला,  पूनम जखमोला, दीपक पंवार,  हेमा सहित चारों जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, एन.एच.एम. की जिला यूनिट एवं राज्य स्तर से मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के कर्मचारी आदि लोग मौजूद थे।

सीएम ने ली राज्य सम्पति विभाग की बैठक, कहा-राज्य की आर्थिकी बढ़ाने के लिए विभागों को सुनियोजित प्लानिंग करनी होगी

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देहरादून, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में राज्य सम्पति विभाग की बैठक लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि जो भी कार्य किये जा रहे हैं, उन्हें सुनियोजित तरीके से किया जाए, जिससे कम खर्चे में अधिक आउटपुट मिले। राज्य की आर्थिकी बढ़ाने के लिए विभागों को सुनियोजित प्लानिंग करनी होगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए जो भी नई योजनाएं बन रही हैं, उनमें कार्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण गुणवत्ता के साथ पूर्ण किये जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025 में जब उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयन्ती मनायेगा। उत्तराखण्ड को देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए सभी विभागों को कार्यों में तेजी के साथ आपसी समन्वय से कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि निर्माण कार्यों कि गुणवत्ता खराब होने पर संबधितों पर सख्त कारवाई की जायेगी। उन्होंने राज्य सम्पति विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि एकीकृत पैटर्न पर कार्य किये जाए। राज्य सम्पति विभाग के प्रस्तुतीकरण से मुख्यमंत्री नाखुश थे, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रस्तुतीकरण सूक्ष्म व स्पष्ट हो। धरातल पर आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए कार्य किये जाए।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम्, श्री विनोद कुमार सुमन, अपर सचिव श्री प्रताप शाह एवं राज्य संपति विभाग के अधिकारी थे।

चौपाल में ग्रामीणों ने खुलकर निकाली मन की भड़ास, बागेश्वर जिले में शामिल होने की जाहिर की इच्छा

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मुनस्यारी, पिथौरागढ़ तथा बागेश्वर जिले की सीमा में बसे ग्राम पंचायत नामिक ने अपनी उपेक्षा से आहत होकर पिथौरागढ़ जिले से बगावत कर बागेश्वर में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है। कहा कि अगली ग्राम पंचायत की खुली बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पास कर राज्य सरकार को भेजा जाएगा। सड़क तथा शिक्षा की समस्याओं का निदान नहीं होने पर गांव में ही भूख हड़ताल सत्याग्रह करने की चेतावनी भी दी।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया द्वारा नामिक में आयोजित चौपाल में ग्रामीणों ने खुलकर मन की भड़ास निकाली। चौपाल में ग्रामीणों ने खुलकर बोला कि 24 फरवरी सन् 1960 पिथौरागढ़ जिले की स्थापना के वक्त इस गांव को अल्मोड़ा से हटाकर पिथौरागढ़ में शामिल कर दिया गया। तभी से उसके बाद सौतेला व्यवहार शुरू हो गया। आज विकास के लिए तड़प रहे इस गांव की हर कहानी इसे बयां कर रही है। ग्रामीणों ने कहा कि आजादी के 75 साल में नामिक गांव में सरकार की एक भी सुविधा नहीं पहुंच पाई। उन्होंने कहा कि हम आज तक आशा करते थे कि हमारा मूल जनपद पिथौरागढ़ हमारे साथ न्याय करेगा, लेकिन अब मन भर चुका है।
उन्होंने कहा कि थल – मुनस्यारी मोटर मार्ग के बला से 27 किमी की कठिन पैदल यात्रा के बाद नामिक गांव आता है। जबकि बागेश्वर जिले में शामा – गोगिना मोटर मार्ग में गोगिना से 6 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करने के बाद नामिक गांव आता है।
ग्राम प्रधान तुलसी जैम्याल ने कहा कि होकरा से नामिक के लिए बन रहे मोटर मार्ग के निर्माण की कछुआ चाल के कारण बीस साल बाद भी मोटर मार्ग की सुविधा उपलब्ध होना संभव नहीं लग रहा है।
उन्होंने कहा कि गोगिना से मोटर मार्ग दो भाग में बनना है। एक पिथौरागढ़ तथा एक बागेश्वर जिले में। पिथौरागढ़ में तो बजट तथा निविदा दोनों स्वीकृत हो गई है। बागेश्वर जिले में फाइल पता नहीं कहां धूल खा रही है।
उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ वाले अपना नहीं मानते, बागेश्वर वाले दूसरे जिले का मानते है। इस स्थिति में नामिक वाले जाए तो जाए कहां।
चौपाल में ग्रामीणों ने कहा कि वर्ष 2015 उप स्वास्थ्य केन्द्र का बोर्ड टांकने के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक देहरादून नामिक तो आएं, लेकिन सात साल बाद भी उप स्वास्थ्य केन्द्र में न एएनएम आई न ही कोई फार्मासिस्ट।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय में एक ही शिक्षक तैनात है। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में गणित, हिंदी के शिक्षक नहीं है। प्रधानाचार्य तो स्थापना काल से नौ वर्षों के भीतर एक बार भी यहां तैनात नहीं हुआ।
आलू की खेती में बिमारी लगी हुई है। सेब की पेड़ दूसरे साल सूख रहे है।
चौपाल में ग्रामीणों ने कहा कि पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं है, लेकिन पैदल यात्रा के लिए भी मार्ग नहीं है।
चौपाल में जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि वे जिला पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत की बैठक में इन सवालों को प्रमुखता से उठायेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो वे नामिक के ग्रामीणों के साथ स्वयं भी भूख हड़ताल सत्याग्रह में बैठेंगे।
चौपाल में भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक बहादुर सिंह धर्मसक्तू, क्षेत्र पंचायत सदस्य दमयंती देवी,पूर्व प्रधान खुशाल सिंह, भगत राम, सरपंच प्रताप सिंह, मोहन राम, प्रवीण सिंह, लछीमा देवी, भानुली देवी, मोहन सिंह, महेंद्र सिंह, डिगर सिंह, बहादुर सिंह कन्यारी, कमला देवी, गुमानी राम, लाल सिंह, पान सिंह, खड़क सिंह, अनी राम आदि मौजूद रहे।

लंबित बिलों का भुगतान न होने पर नाराज कंपनियों ने दी चेतावनी, अब नहीं करेंगे काम, सफाई व्यवस्था पर खड़ा हो सकता है संकट

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देहरादून, नगर निगम द्वारा स्वच्छता एवं सफाई में लगी कंपनियों का पिछले कई माह से भुगतान नहीं हुआ जिसके कारण शहर की सफाई व्यवस्था पर जल्द बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। पिछले आठ महीने से लंबित बिलों का भुगतान न होने से नाराज शहर में स्वच्छता कार्य संभाल रही सभी कंपनियों ने काम छोडऩे की चेतावनी दे दी है।

कंपनियों का आरोप है कि नगर आयुक्त मनुज गोयल भुगतान करने के बजाए फाइलों पर बेवजह आपत्ति लगाकर फाइलें लौटा दे रहे। रैमकी कंपनी व चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी ने काम छोडऩे का नोटिस थमा दिया है जबकि शेष दो कंपनी मैसर्स सनलाइट व मैसर्स भार्गव भी इसकी तैयारी कर रहीं। महापौर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि कंपनियों की जो समस्या है, वह जायज है। इसे लेकर नगर आयुक्त से बात की जाएगी।

शहर में नगर निगम के अंतर्गत इस समय पांच कंपनियां स्वच्छता व कूड़ा उठान कार्य से जुड़ी हुई हैं। इनमें रैमकी कंपनी के पास शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट संचालित करने की जिम्मेदारी है। चेन्नई एमएसडब्लू, मैसर्स सनलाइट एवं मैसर्स भार्गव को शहर में 99 वार्डों से डोर-टू-डोर कूड़ा उठान कर कूड़े को हरिद्वार बाइपास ट्रांसफर स्टेशन ले जाने की जिम्मेदारी है।
चेन्नई एमएसडब्लू के पास 69 वार्ड जबकि सनलाइट कंपनी व भार्गव कंपनी के पास 15-15 वार्ड की जिम्मेदारी है। शेष एक वार्ड को स्वयंसेवी संस्था संभाल रही। इसके अलावा निगम ने कूड़ा उठान के लिए 45 ट्रैक्टर का अनुबंध एक और कंपनी से किया हुआ। इन समस्त कंपनियों का भुगतान छह से आठ माह तक का रुका हुआ है। किसी को पिछले नवंबर से तो किसी को जनवरी से भुगतान ही नहीं हुआ है, जबकि नियमानुसार हर माह बिल का भुगतान किया जाना चाहिए,
कंपनियों के अधिकारियों का तर्क है कि हर माह उनके करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं और नगर निगम एक रुपये का भी भुगतान नहीं कर रहा। इससे कंपनियों के लिए अब अपने कर्मचारियों को वेतन देने और वाहन के डीजल व अन्य खर्च निकालने का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। रैमकी कंपनी और चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी ने गत नवंबर से भुगतान लंबित होने पर चार दिन पूर्व नगर आयुक्त को काम छोडऩे का नोटिस दे दिया है। कंपनियों ने 30 दिन में भुगतान की मांग की है। निगम ने रैमकी कंपनी का दो माह नवंबर व दिसंबर का भुगतान कर दिया है, लेकिन जनवरी से मई तक का भुगतान अब भी लंबित है। शेष कंपनियों का नवंबर से भुगतान लंबित है।

उधर रैमकी कंपनी व चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी की चेतावनी को दरकिनार कर नगर आयुक्त मनुज गोयल ने दोनों कंपनियों का बीता पूरा रिकार्ड तलब कर लिया है। आयुक्त ने नगर स्वास्थ्य अनुभाग से कंपनियों के वाहनों के संचालन व यूजर चार्ज के संबंध का रिकार्ड मांगा है।

रैमकी कंपनी प्लांट में कितने कूड़े का नियमित निस्तारण कर रही है एवं चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी के वाहन डोर-टू-डोर में कितना कूड़ा रोज उठा रहे, इसकी जानकारी मांगी गई है। कूड़ा उठान नहीं होने पर नगर निगम ने कंपनियों पर क्या कार्रवाई की और कितना चालान किया, इसकी जानकारी तक मांगी गई है। यही नहीं, दो सफाई निरीक्षक को कंपनियों के वाहन की निगरानी करने व दैनिक रिपोर्ट देने को भी कहा है।
रैमकी व चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर एहसान सैफी ने कहा कि
नगर निगम बीते सात से आठ माह का भुगतान नहीं कर रहा है। कंपनियां अपना खर्च कैसे निकालें। हमने काम छोडऩे का नोटिस दे दिया है। हमारे करार की शर्त के अनुसार हम भुगतान के लिए हाईकोर्ट भी जा सकते हैं।
अगर यही स्थिति रही तो हम भी काम नहीं कर पाएंगे। नगर निगम के अधिकारियों से मुलाकात कर हम थक चुके हैं, लेकिन वह भुगतान करने को राजी नहीं। नवंबर से भुगतान रुका हुआ है, जबकि कंपनी अपना काम लगातार कर रही। भुगतान नहीं किया जा रहा, ऊपर से हमें करार से अलग काम करने का दबाव बनाया जा रहा। ऐसा रहा तो हम भी काम छोडऩे का निर्णय लेंगे।

महाराष्ट्र में सियासी घटनाक्रम जारी, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं उद्धव ठाकरे

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मुंबई, महाराष्ट्र सरकार पर सियासी संकट छा गया, शिवसेना के विधायकों की उठापटक जारी है। शिवसेना अपने विधायकों को एकजुट करने में नाकामयाब होती हुई दिखाई दे रही है। इसके संकेत शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत के बयान से मिल रहे हैं। दरअसल, संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट विधानसभा भंग करने की ओर बढ़ रहा है। इसी बीच खबर सामने आ रही है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र की मौजूदा स्थिति को देखते हुए उद्धव ठाकरे अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि इससे पहले कैबिनेट की बैठक में इस विषय पर चर्चा हो सकती है। दरअसल, शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे तकरीबन 40 विधायकों के साथ असम के रैडिसन ब्लू होटल में अपना डेरा जमाए हुए हैं। उनके साथ शिवसेना विधायकों के साथ-साथ कुछ निर्दलीय विधायक भी मौजूद हैं।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट किया कि महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट विधानसभा भंग करने की ओर बढ़ रहा है। संजय राउत के इस ट्वीट के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। माना जा रहा है कि शिवसेना अपने विधायकों को एकजुट करने में कामयाब नहीं हो पाई है। इसके संकेत इस बात से भी दिखाई दे रहे हैं कि शिवसेना ने जब अपने विधायकों के एक होटल में शिफ्ट किया तो महज 10-12 विधायक ही होटल पहुंचे हैं।
इसके अलावा बीते दिनों मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जब पार्टी नेताओं और विधायकों की आपात बैठक बुलाई थी तो उसमें महज 20 विधायक ही पहुंचे थे और 35 विधायक नदारद रहे। दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के 55 विधायक हैं। जिनमें से आधे से ज्यादा विधायक तो उद्धव ठाकरे की बैठक में ही नहीं पहुंचे थे।

उत्तराखंड़ पुलिस को मिले 23 उपनिरीक्षक, दीक्षांत समारोह में डीजीपी अशोक कुमार ने परेड का मान-प्रणाम ग्रहण किया

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देहरादून, उत्तराखंड़ पुलिस संचार प्रशिक्षण केन्द्र, सोंधोवाली धोरण, देहरादून में 23 (15 पुरूष एवं 08 महिला) प्रशिक्षु उपनिरीक्षक (पुलिस दूरसंचार) के 12 माह के आधारभूत प्रशिक्षण के पश्चात दीक्षांत परेड का आयोजन किया गया। दीक्षान्त परेड में मुख्य अतिथि के रूप में अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड ने दीक्षान्त परेड का मान-प्रणाम ग्रहण कर परेड का निरीक्षण किया गया।
इस अवसर पर अशोक कुमार द्वारा प्रशिक्षण में सर्वांग सर्वाेत्तम आने पर सुश्री निशा, अन्तः कक्ष में प्रथम स्थान आने पर सुश्री सुनीति पोखरियाल एवं बाहय कक्ष में प्रथम आने पर श्री नवीन नेगी को सम्मानित किया गया।

इस प्रशिक्षण में अन्तः कक्ष और बाह्य कक्ष में नियुक्त समस्त प्रशिक्षकों द्वारा निष्ठा, दृढ इच्छाशक्ति एवं लगन से प्रदान किया गया। प्रशिक्षुओं को रेडियो परिचालन से सम्बन्धित विभिन्न आन्तरिक विषयों का गहन अध्ययन कराया गया, इसके अतिरिक्त ड्रोन तकनीकी, कन्ट्रोल रूम, पोलनेट की कार्य प्रणाली, आईटीडीए देहरादून में स्थित कमाण्ड एंव कन्ट्रोल से सम्बन्धित कार्य प्रणाली, सीसीटीवी, डायल-112, सोशल मीडिया, फोरेन्सिक, आप्टीकल फाईबर, पीपीडीआर, वीडियो सर्विलान्स, कम्प्यूटर नेटवर्किग की कार्य प्रणाली का सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान कराया गया है।
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि श्री अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड ने प्रशिक्षण के उपरांत पास आउट होने वाले सभी उपनिरीक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि राज्य पुलिस को माननीय प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुसार स्मार्ट व आधुनिक तकनीक में अव्वल रहने की आवश्यकता है। एक केस को सुलझाने के लिये हजारों सीसीटीवी कैमरों को खंगालना पड़ता है। तकनीक के इस दौर में पुलिस को अपराधियों से एक कदम आगे रहकर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिये नई तकनीक का ज्ञान होना आवश्यक है। पुलिस संचार विभाग से पास हो रहे प्रशिक्षुओं का उपयोग साईबर सैल व ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीक के क्षेत्र में किया जाये।
इस अवसर पर अपर पुलिस महानिदेशक, पीएसी- श्री पीवीके प्रसाद, अपर पुलिस महानिदेशक, प्रशासन- अभिनव कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस दूरसंचार- श्री अमित सिन्हा, अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था- श्री वी मुरूगेशन, पुलिस महानिरीक्षक अभिसूचना एवं सुरक्षा- श्री ए पी अंशुमान, पुलिस महानिरीक्षक, प्रशिक्षण- श्री पूरन सिंह रावत, पुलिस महानिरीक्षक, फायर- श्री अजय रौतेला, पुलिस महानिरीक्षक पुलिस दूरसंचार श्रीमती विमला गुंज्याल सहित अन्य पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।