Monday, April 28, 2025
Home Blog Page 852

महिला ने तड़के सुबह धौलीगंगा में लगाई छलांग, पुलिस का सर्च अभियान जारी

0

चमोली, जोशीमठ के लाता गाँव की एक महिला ने तड़के सुबह धौलीगंगा में छलांग लगा दी। महिला का अब तक कोई पता नही चल पाया हैं। सूचना पाकर जोशीमठ कोतवाली प्रभारी निरीक्षक बीएल भारती, एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुँचकर सर्च अभियान मैं जुटी हुई है। लेकिन अभी तक महिला को कोई पता नही चल पाया है। एसडीआरएफ और पुलिस द्वारा सर्च अभियान लगातार जारी है। जोशीमठ कोतवाली प्रभारी निरीक्षक के अनुसार महिला का नाम नंदी देवी पत्नी यशपाल सिंह उम्र 34 वर्ष इन दिनों अपने मायके आई हुई थी। और महिला की मानसिक स्थिति ठीक नही है। महिला द्वारा अक्सर कई बार घर से भागने की भी कोशिश की गई थी। लेकिन गुरुवार सुबह लगभग 8:30 बजे महिला के भाई द्वारा रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन महिला तेजी से नदी मैं कूद गई। एसडीआरएफ और पुलिस द्वारा सर्च एवं रेस्क्यू अभियान जारी है |

 

महिला को कार में बिठा कर जंगल में किया सामुहिक दुष्कर्म, पुलिस में महिला ने सामुहिक दुराचार की शिकायत कराई दर्ज

 

चम्पावत, फैक्ट्री में काम करके लौट रही एक महिला को ने तीन लोगों जबरन कार में बिठाया और जंगल ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। घटना कल शाम की है। महिला ने आज बनबसा पुलिस थाने पहुंच कर दो आरोपियों के खिलाफ नामजद और एक अज्ञात के ख्लिाफ मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक उधम सिंह नगर की एक 25 वर्षीय महिला जो पिछले लंबे समय से बनबसा क्षेत्र में की एक फैक्ट्री में काम करती है। उसका आरोप है कि कल शाम लगभग 4 बजे वह काम से घर लौट रही थी। इस दौरान देवीपुरा बनबसा के पास तीन लोग कार के साथ खड़े थे। महिला का कहना है कि इनमें से दो को वह जानती है जबकि तीसरे व्यक्ति को वह नहीं जानती। उन्होंने उसके उधमसिंह नगर स्थित घर ले जाने की बात कहकर उसे कार में बिठा लिया। लेकिन वे उसे धनुषपुल वाले रास्ते से झनकईया बंगाली कालोनी ले गये। यहां से वे उसे मोटर साईकिल से पास के जंगल में ले गए। जहां उसके साथ तीनों व्यक्तियों ने सामुहिक दुष्कर्म किया। बाद में महिला ने फोन से अपने पति को पूरी बात बताई। कुछ ही देर में महिला का पति घटना स्थल पर पहुंच गया। आरेाप है कि आरोपियों ने यह बात किसी को बताने पर उसे जान से मारने की धमकी भी दी। आज महिला ने बनबसा पुलिस थाने पहुंचकर दो ज्ञात व एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ सामुहिक दुराचार की शिकायत दर्ज कराई। एसओ बनबसा लक्ष्मण सिंह जगवाण ने बताया कि मामले की जांच व अग्रिम कार्रवाई की जा रही है।

 

किक्रेटरों पर हमले का मामला : पुलिस ने आईटीआई गैंग के दो और सदस्यों को किया गिरफ्तार

हल्द्वानी, पुलिस ने आईटीआई गैंग के दो और सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। बीते दिनों एमबीपीजी कालेज परिसर में क्रिकेट खेल रहे युवाओं पर गोली चलाने और एक युवक को तलवार मार कर घयल करने के आरोप में पुलिस उकी तलाश कर रही थी। कल ही पुलिस ने इस गैंग के कुछ सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

 

इसके अलावा पुलिस ने लूट के एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया है। इस मामले में घायल छात्र के पिता धानमिल, बरेली रोड निवासी महेन्द्र सिंह बिष्ट ने कोतवाली कुछ ज्ञात व कुछ अज्ञात युवकों के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
पुलिस ने आस – पास क्षेत्र के घटना स्थलों के सीसीटीवी फुटेजों का अवलोकन कर कुछ और हमलावरों की पहचान की। कल रात पुलिस ने सीएमटी डहरिया कालोनी निवासी नितिन रावत और पीलीकोठी, मुखनी निवासी नवीन मेहरा को उनके घरों से गिरफ्तार कर लिया। दूसरे गुट का हमला, तलवार व तमंचे चले, एक युवक घायल, पुलिस कर रही पूछताछ
पुलिस की टीम में एसएसआई महेन्द्र प्रसाद, एसआई धर्मेन्द्र कुमार, कांस्टेबल नवीन राणा, सुरेन्द्र सिंह व धर्मेन्द्र मर्तोलिया शामिल थे।

मुख्यमंत्री ने किया बोधिसत्व विचार श्रृंखला ‘बिन पानी सब सून’ संगोष्ठी को सम्बोधित

0

जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिये समेकित प्रयासों की बतायी जरूरत।

देहरादून।  मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित सभागार में आयोजित बोधिसत्व विचार श्रृंखला – बिन पानी सब सून विचार संगोष्ठी को सम्बोधित किया। संगोष्ठी में प्रत्यक्ष एवं वर्चुअल रूप से विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव रखे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधिसत्व विचार श्रृंखला के अंतर्गत बिन पानी सब सून के रूप में विचार श्रृंखला की यह 8 वीं संगोष्ठी है। उन्होंने कहा कि पानी जीवन का आधार है। जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में समेकित प्रयासों की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र से जुडे विषय विशेषज्ञों एवं बुद्धिजीवियों के विचारों एवं सुझावों को राज्यहित में उपयोगी एवं व्यावहारिक बताया। उन्होंने कहा कि जल के महत्व, संवर्धन एवं संरक्षण से सम्बन्धित संगोष्ठी के मंथन से निकलने वाला अमृत राज्य की लगभग 17 छोटी-बड़ी नदियों का जल स्तर बढ़ाने के प्रयासों को फलीभूत करने वाला होगा।

उन्होंने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर और अधिक विषय विशेषज्ञों के सुझावों का लाभ लेने के लिये राज्य स्तर पर एक फोरम का गठन किया जायेगा। उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को जन जन का कार्यक्रम बनाने पर बल देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों की सफलता के लिये सरकार के साथ सभी को सहयोगी बनना होगा। ऐसे कार्यक्रमों का ज्ञान विज्ञान एवं अनुसंधान के माध्यम से आगे बढ़ाना होगा तभी हम अपनी विरासत को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ने में भी सफल हो पायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जन संवर्धन की दिशा में राज्य में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रति जनपद 75 अमृत सरोवर बनाये जा रहे हैं। इस प्रकार प्रदेश में कुल 1275 अमृत सरोवर तैयार किये जायेंगे।

संगोष्ठी में विषय विशेषज्ञों द्वारा दिये गये सुझावों के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बांज के जंगलों के विस्तार, बंजर जमीन को उपजाऊ बनाये जाने तथा चीड के प्रबंधन पर ध्यान दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जल का बेहतर प्रबंधन से ही हम जल को बचा पायेंगे तथा नदियों के जल स्तर को बढ़ाने में सफल हो पायेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग की बैठक में उन्होंने हिमालयी राज्यों के लिये अलग नीति बनाये जाने की बात रखी है। राज्य की इकोनॉमी एवं इकोलॉजी का बेहतर समन्वय कर हम संसाधनों का बेहतर उपयोग कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपने व्यवहार में पानी बचाने की प्रवृत्ति को अपनाना होगा। प्रदेश में जल स्त्रोतों के चिन्हीकरण के साथ ही ग्राम इकाइयों को इससे जोड़ने का प्रयास किया जायेगा।

इस अवसर पर पद्म श्री कल्याण सिंह रावत ने गैर हिमानी नदियों को बचाने के लिये बांज व चौड़ी पत्ती के वृक्षों के रोपण पर ध्यान देने के साथ ही चीड़ का वैज्ञानिक प्रबंधन पर बल दिया। उनका सुझाव था कि होम स्टे योजना के तहत पहाड़ी शैली के भवनों के निर्माण के लिये चीड़ के पेड़ों के दोहन की व्यवस्था हो। बंजर खेतों को आबाद करने तथा बुग्यालों को बचाने की दिशा में भी पहल किये जाने का उनका सुझाव था।

पानी राखो आंदोलन के प्रणेता डॉ. सच्चिदानंद भारती ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में जल तलैया बनाने तथा धारे नोले के पुनर्जीवीकरण के लिये सरल व टिकाऊ तकनीकि पर ध्यान दिया जाए, जो लोगों को सहजता से जोड़ने का भी कार्य करें। उनका कहना था क धारे बचेंगे तो नदियां भी बचेंगी।

पर्यावरणविद श्री राजेन्द्र सिंह बिष्ट ने सुझाव दिया कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, पानी के स्त्रोतों का चिन्हीकरण तथा जल संरक्षण के लिये ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी दी जाए। हेस्को के डॉ. विनोद खाती का कहना था कि खेत बंजर होने के कारण पहाड़ों में भूजल संरक्षण में कठिनाई आ रही है।

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ वाटर मैनेजमेंट भुवनेश्वर के डॉ. अशोक नायक, रिमोट सेंसिंग के डॉ प्रवीन, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के निदेशक डॉ. प्रशांत राय, जल विज्ञान केन्द्र की सुश्री भक्ति देवी, डॉ रीमा, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के डॉ. राजेश कुमार सिंह, नौला के श्री बिशन सिंह, कंसल्टेंट श्री भुवन जोशी, वाडिया इंस्टीट्यूट के डॉ. के. सी. सैन, एच. एन. बी. गढ़वाल केन्द्रीय विश्व विद्यालय के प्रो. मोहन सिंह पंवार आदि ने भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव रखे।इस अवसर पर श्री भुपेन्द्र बसेड़ा द्वारा पानी के महत्व को दर्शाने वाली कैच द वाटर- कैच द रेन गीत की भी प्रस्तुति दी गयी।

इस अवसर पर सचिव मुख्यमंत्री श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक श्री दुर्गेश पंत ने किया।

एससी/एसटी की पार्लियामेंट कमेटी के अध्यक्ष का कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने किया स्वागत

0

देहरादून, प्रदेश के कृषि एवं सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी बृहस्पतिवार को मसूरी के स्मार्ट विलेज क्यारकुली भट्टा के ग्राम बसागाड़ में विजिट करने पहुंची केंद्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति पार्लियामेंट कमेटी के अध्यक्ष डॉ/ प्रोफेसर किरीत प्रेमजीभाई सोलंकी और उनके साथ में सभी कमेटी के सदस्यों का भव्य स्वागत किया।
इस अवसर पर पार्लियामेंट कमेटी के सदस्यों ने क्यारकुली भट्टा के ग्राम बसागाड़ में विद्यालयों और आगनवाड़ी केंद्रों का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पार्लियामेंट कमेटी के अध्यक्ष किरीत सोलंकी ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी द्वारा मसूरी में किए जा रहे विकास कार्यों की जमकर सराहना की। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति के सर्वांगीण विकास के लिए लगातार प्रयासरत है।मंत्री जोशी ने कहा कि कमेटी की विजिट के बाद निश्चित रूप से इस कमेटी का लाभ उत्तराखंड की जनता को तो मिलेगा ही,लेकिन विशेष कर मसूरी की जनता को इसका लाभ मिलेगा ऐसा मेरा भरोसा है। उन्होंने बासागाड़ की आँगनबाड़ी एवं प्राथमिक विद्यालय का भी निरीक्षण किया।
इस अवसर पर कमेटी के सभी सदस्य, जिलाधिकारी सोनिका, सीडीओ झरना कमठान सहित कई लोग उपस्थित रहे।

खास खबर : प्रश्न पत्र लीक मामला, एसटीएफ ने की एक और गिरफ्तारी, अब तक 19 लोगों को किया जा चुका गिरफ्तार

0

देहरादून, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले में लगातार एसटीएफ की कार्रवाई जारी है। पिछले माह 22 जुलाई 2022 थाना रायपुर पर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन चयन आयोग द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक आउट होने के मामले में दर्ज मुकदमे की विवेचना स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा की जा रही है। जिसमें स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा अब तक 19 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

विवेचना के दौरान अहम सबूतों के आधार पर पूर्व में हुए गिरफ्तार अभियुक्त हाकम सिंह के कहने पर कुछ छात्रों को विभिन्न स्थानों से लेकर पूर्व में गिरफ्तार टीचर तनुज शर्मा के घर ले जाने की पुष्टि हुई है।

विवेचना के दौरान अभियुक्त अंकित रमोला की तलाश में एसटीएफ टीम रवाना हुई उत्तरकाशी नौगांव से अंकित रमोला को पूछताछ हेतु एसटीएफ कार्यालय लाया गया था, जहां पूछताछ करने के बाद साक्ष्य की पुष्टि होने पर अंकित रमोला को उक्त मुकदमे में गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तार अभियुक्त का नाम

अंकित रमोला पुत्र दीपक सिंह रमोला निवासी ग्राम सुनहरा पोस्ट ऑफिस नौगांव तहसील बड़कोट जिला उत्तरकाशी उम्र करीब 32 वर्ष

एसटीएफ ने कहा कि सभी ऐसे अभियार्थिओ को आगाह किया जाता है जो अनुचित साधनों से एग्जाम को क्लियर किया है वो स्वयं सामने आकर बयान दर्ज कराये अन्यथा जल्दी ही उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।

‘डेंगू’ की रोकथाम के लिए जन सहभागिता है जरूरी : डॉ. आर राजेश कुमार

0

देहरादून, उत्तराखंड राज्य में डेंगू रोग को पूर्ण रूप से नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड द्वारा डेंगू संक्रमण काल प्रारंभ होने से पहले ही सभी इसके नियंत्रण हेतु सभी तैयारियां पूरी की गई।
विभाग द्वारा योजनाबद्ध तरीके से डेंगू की रोकथाम हेतु रणनीति तैयार की गई एवं उसके अनुसार डेंगू नियंत्रण गतिविधियों को राज्य से ले कर जिला स्तर तक संचालित किया गया। जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान तक प्रदेश भर में मात्र 19 डेंगू रोगी रिपोर्ट हुए हैं व वर्तमान में डेंगू रोग से कोई भी मृत्यु दर्ज नहीं हुई है।
डेंगू से बचाव के दृष्टिगत डॉ. आर राजेश कुमार, प्रभारी सचिव, स्वास्थ्य विभाग ने आम जनमानस से अनुरोध किया है कि डेंगू के संक्रमण की अवधि मानसून से ले कर लगभग अक्टूबर तक रहती है इस दौरान आम समुदाय को सतर्क एवं सावधान रहने की आवश्यकता है। अपने आस पास परिसर में मच्छर न पनपने दे एवं इससे बचाव हेतु सावधानियां बरतें।
डेंगू रोग की रोकथाम के लिए सभी विभागों की सहभागिता प्राप्त की गई है। सभी विभागों द्वारा अपने स्तर से डेंगू रोग के नियंत्रण के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का सम्पादन धरातल पर किया जा रहा है।
वर्तमान में राज्य में किसी भी डेंगू रोगी की सूचना प्राप्त होने पर उसके निवास स्थान के आसपास वृहद स्तर पर डेंगू निरोधात्मक गतिविधियां की जाती हैं ताकि डेंगू रोग को उस स्थान से फैलने से रोका जा सके।
जनपदों में जिलाधिकारी की निगरानी में समस्त डेंगू निरोधात्मक कार्यवाही की जा रही है।
विभाग कर्मियों, आशा कार्यकत्रियों एवं अन्य फ्रंटलाइन वर्करों की मदद से डेंगू संवेदनशील क्षेत्रों में सोर्स रिडक्शन गतिविधि यानी डेंगू के मच्छरों के पनपने के स्थानों को चिन्हित कर नष्ट किया जा रहा है व लोगों को डेंगू से बचाव पर जागरूक किया जा रहा है।
इस वर्ष देखने को मिला है की आम जनमानस द्वारा भी अपने घर व आस पास डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जा रहा है। डेंगू की रोकथाम से जुड़े जनजागरूकता सामग्री को जिला स्तर पर विभिन्न जनपदों के साथ साझा किया गया है। उक्त के नियंत्रण हेतु गाँव के समुदाय द्वारा सामुदायिक गीत गा कर साथ ही नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जन समुदाय को डेंगू से बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है जिसमे जन सहभागिता भी देखने को मिल रही है।
विभाग द्वारा डेंगू रोगियों के उपचार के लिए चिकित्सालयों में डेंगू आइसोलेशन बेड आरक्षित किए गए हैं, औषधियों की उपलब्धता व जांच सुविधा की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।

हार्ट पेशेंट के लिये वरदान साबित होगी कैथ लैबः डॉ0 धन सिंह रावत

0

देहरादून,  हृदय संबंधी रोगों की जांच एवं उपचार के लिये मरीजों को अब निजी अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, शीघ्र ही राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में कैथ लैब बनकर तैयार हो जायेगी और रियायती दरों पर हृदय रोगियों को सस्ता इलाज मिल सकेगा। सूबे में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहत्तर बनाने के लिये प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में ‘लाइफ स्टाइल क्लीनिक’ का नया विभाग खोला जायेगा, जहां पर संबंधित सर्टिफिकेट कोर्स भी संचालित किये जायेंगे। इसके अलावा प्रदेश में सुपर स्पेशिलिस्ट चिकित्सकों का पृथक कैडर बना कर नया वेतनमान तय किया जायेगा।

यह बात सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में कार्डियक कैथ लैब के शिलान्यास कार्यक्रम में कही। डॉ0 रावत ने बताया कि अब हाईटेक तकनीकी से हृदय संबंधी रोगों की जांच एवं उपचार दून अस्पताल में किया जा सकेगा। जिसके लिये चार माह के भीतर अस्पताल में कैथ तैयार कर ली जायेगी, जिसके लिये सरकार ने 5 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर ली गई है। विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को लैब निर्माण का कार्य शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिये ताकि आगामी 9 नवम्बर को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर इसका शुभारम्भ किया जा सके। डॉ0 रावत ने बताया कि यह सूबे की पहली कैथ लैब है जो किसी सरकारी अस्पताल में स्थापित की जा रही है। उन्होंने बताया कि सरकार का मकसद निजी अस्पतालों की भांति सरकारी अस्पतालों में भी हाईटेक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना है ताकि प्रदेश के लोगों को रियायती दरों पर उपचार मिल सके। दून अस्पताल में कैथ लैब खुलने से हार्ट संबंधी रोगियों को खासी राहत मिलेगी साथ ही हार्ट सर्जरी, वॉल्ब चेंज एवं हार्ट अटैक में बेहत्तर उपचार भी मिलेगा। इसके बाद रोगियों की निजी अस्पतालों पर निर्भरता भी कम होगी। डॉ0 रावत ने बताया कि सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में ‘लाइफ स्टाइल क्लीनिक’ का नया विभाग खोला जायेगा, जिसमें संबंधित सर्टिफिकेट कोर्स भी संचालित किये जायेंगे। इसके अलावा प्रदेश में सुपर स्पेशिलिस्ट चिकित्सकों का पृथक कैडर बनाने के साथ ही नया वेतनमान भी तय किया जायेगा। उन्होंने कहा कि राजकीय मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी को पूरा करने के लिये चिकित्सा सेवा चयन आयोग के माध्यम से 339 स्थाई असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। साथ ही 2600 स्टॉफ नर्सों की वर्षवार भर्ती प्रक्रिया को भी शीघ्र शुरू कर दिया जायेगा। डॉ0 रावत ने बताया कि राज्य में संस्थागत प्रसव की स्थिति में बेहत्तर सुधार हुआ है। इसके अलावा राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी को दूर करने के लिये करीब दो हजार पदों की स्वीकृति का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति मिलते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी।

इस अवसर पर मेयर दून नगर निगम सुनील उनियाल गामा, विधायक राजपुर खजान दास, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ0 आशीष श्रीवास्तव, प्राचार्य दून मेडिकल कॉलेज डॉ0 आशुतोष सयाना, सीएमएस डॉ0 के0सी0 पंत, डॉ0 एन0एस0 खत्री, डॉ0 अमर उपाध्याय, डॉ0 अभिषेक चौधरी, महेन्द्र भंडारी, दीपक राणा, सुधा कुकरेती सहित अन्य विभागीय अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

आर्टिस्टिक फ्रीडम : हिंदू फोबिक फिल्में और नागरिक कर्तव्य

0

(जय प्रकाश पाण्डेय)

भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं । आज जब देश स्वतंत्रता के विजय जश्न को महसूस कर रहा है ऐसे में आर्टिस्टिक फ्रीडम के आधार पर हिंदूफोबिक फिल्मों के बढ़ते प्रचलन पर भी चर्चा आवश्यक हो जाती है । ओटीटी प्लेटफार्म के आने के बाद तो इस विषय पर गहन चिंतन वक्त की मांग बन चुका है । अक्सर फिल्म निर्माताओं द्वारा जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कल्पना तत्व के समावेश की बात कही जाती है वह स्वतंत्रता प्रायः मात्र हिंदू देवी देवताओं के चित्रण और हिंदुओं के पवित्र ग्रंथों और उनके त्यौहारों के ही आसपास सीमित रहती है । ऐसे में अत्यंत आवश्यक है कि धार्मिक-ऐतिहासिक विषयों पर फिल्म निर्माण हेतु कठोर नियमों बनाएं जाएं ताकि सामाजिक सौहार्द की भावना स्थापित रहे ।

हालांकि हिंदूफोबिक शब्द की कोई सर्वमान्य परिभाषा अभी नहीं है लेकिन हिंदूफोबिक फिल्मों से तात्पर्य ऐसी फिल्मों से है जिसमें हिंदुओं की सनातनी सांस्कृतिक,सामाजिक धरोहरों के विरुद्ध दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है । जहां सनातनी मान्यताओं का परिहास किया जाता है, सनातनी व्रत -त्योहारों का उपहास होता है और ये इतने योजनाबद्ध और बौद्धिक तरीके से होता है कि फिल्म को 3-4 बार देखने के बाद भी सामान्यजन इस बात को समझ नहीं पाता । कुछ फिल्मों में यह फोबिया गलत तथ्यों को पेश कर या अपने हिसाब से तथ्यों को बदलकर स्थापित किया जाता है। जिस फिल्मी क्षेत्र में फिल्मों की रेटिंग और समीक्षा से लेकर कास्टिंग तक और शोध के नाम पर इस तरह के संवेदनशील विषयों को दरकिनार कर दिया जाता है वहां देश की आबादी के एक बड़े वर्ग के अंदर इस फोबिया के विरुद्ध विरोध चलता रहेगा इसमें कोई शक नहीं है ।

सनातन संस्कृतियां अपने मूल संस्कारों को त्यागे बिना पुराने जर्जर हो चुके ताने- बाने को छोड़कर प्रगतिशीलता के साथ आगे बढ़ी हैं । सनातन संस्कृति ने वक्त के साथ प्रगतिशीलता को चुना और यही कारण हैं कि सनातन धर्म इतने प्राचीन समय से आश्चर्य,जिज्ञासा और समर्पण का विषय सबके लिए रहा है । लेकिन इस सच को फिल्मों में देखने के अवसर कम ही प्राप्त हुए हैं ।
संभवतः इसलिए की आजादी के बाद एक समय तक भारतीय सिनेमा में एक धर्म विशेष के लोगों का पैसा, एक धर्म विशेष के लोगों का प्रभुत्व और एक धर्म विशेष के लोगों का ही सिनेमा बना हुआ था जिसकी सीमाओं को तकनीकी क्रांति ने वर्तमान समय में तोड़ा है ।

हिंदुओं और उनकी मान्यताओं पर सुनियोजित तरीके से पिछले 75वर्षो में फिल्म जगत के अधिकांश स्थापित चेहरों ने हमले किए हैं और ये ऐसे सुनियोजित हमले रहें जिन्होंने सेक्युलरवाद का झुनझुना आम हिन्दू को पकड़वा दिया और सांस्कृतिक सनातनी मान्यताओं को विस्मृत कराने की कोशिश की । 80 के दशक की एक फिल्म में एक हिंदू पुजारी को एक हत्यारे के रूप में और एक हिंदू मंदिर को अपराध के जनक क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है जो हिंदुओं के बारे में नकारात्मक पूर्वाग्रह पैदा करता है। इस फिल्म में एक किरदार का नाम कृष्णा रखा गया था और उन्हें सड़कों पर महिलाओं के साथ बदसलूकी करने की भूमिका के साथ एक बांसुरी दी गई थी। इतने घटिया चरित्र वाली ऐसी फिल्म में भगवान कृष्ण का नाम इस्तेमाल किया गया। क्या ऐसी स्थितियों को महज संयोग कहना सही होगा या फिर ये किसी अन्य चीजों की तरफ ईशारा कर रही हैं जिसके लिए स्तरीय शोध की अत्यंत आवश्यकता है।

हिंदूफोबिक फिल्मों का दूसरा स्तर वह है जहां ऐतिहासिक तथ्यों से तोड़- मरोड़ की जाती है और हिंदुओं के अतीत को पराजित, दीन हीन, मुस्लिम आक्रांताओं से हताश -निराश जाति के रूप में स्थापित करने की कोशिश की जाती है । पद्मावत से लेकर पृथ्वीराज तक की फिल्में इसी सीमा में आती हैं । ऐसी फिल्मों में कल्पना तत्व समावेशित करने का नुकसान यह है कि न ही ये इतिहास सम्मत रह पाती हैं और न ही लोक सम्मत ।

ऐतिहासिक फिल्मों का एक खास सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव लोगों के साथ होता है ऐसे में ऐतिहासिक विषयों पर कितनी स्वतंत्रता एक फिल्म निर्माता ले सकता है यह विषय अब तय होना चाहिए । इतिहास से गैर सम्मत और कल्पना के साथ बनाएं गए नैरेटिव को तो दिखाना ही नहीं चाहिए क्योंकि इससे न सिर्फ भावनाएं आहत होती हैं बल्कि गलत इतिहास की नींव भी रखी जाती है । जिस जगह इतिहास मौन हो जाता है, वहां कल्पना का विस्तार होना चाहिए। लेकिन अब हालत यह हो गई है कि फिल्में, धारावाहिक बनाने के पहले ही साफ लिख दिया जाता है कि धारावाहिक की सभी घटनाएं और पात्र काल्पनिक हैं। इस तरह का काम तो इतिहास के साथ मजाक ही कहा जा सकता है। ऐसा होना इतिहास और उस स्थान दोनों के लिए विध्वंसकारी है।

भारतीय सेंसर बोर्ड अभी भी सीमित शक्तियों के साथ फिल्मों के नियमन और कैटेगरी वर्गीकरण का कार्य ज्यादा करता आया है । इधर सेंसर बोर्ड ऐसे सीन और शब्दों की संख्या बढ़ाता जा रहा है जिन पर डिसक्लेमर या बीप आती है। फिल्मों में ऐसे डिस्क्लेमर और बीप का प्रयोग बढ़ा ही है ।
इस विषय पर अब सेंसर बोर्ड की भूमिका से ज्यादा नागरिकों की भूमिका सामने आती है । फिल्म निर्माताओं को समाज का आईना बनने के लिए, समाज के बिखरे कई अनसुने,अनजान किस्सों को स्क्रीन उपलब्ध कराने की तरफ आगे बढ़ना चाहिए । फिल्म निर्माताओं को भविष्य के भारत के विकासपरक नजरिए से चिंतनशील सृजन की तरफ आगे बढ़ना चाहिए न कि अंतर्मन में सामाजिक वैमनस्य को फैलाते सृजन की तरफ ।
वर्तमान समय में जहां ओटीटी प्लेटफॉर्म भी एक नए मंच के रूप में सामने आ रहे हैं वहां इस देश के नागरिकों को चाहिए कि किसी भी धर्म विशेष, संस्कृति विशेष पर नकारात्मक रवैया रखने वाली फिल्मों,धारावाहिकों आदि का सामूहिक बहिष्कार करें । यही नागरिक कर्तव्य का बोध न केवल हिंदूफोबिक फिल्मों/ धारावाहिकों के विस्तार को रोकने में सहायता देगा बल्कि सामाजिक सौहार्द्रता का वातावरण भी स्थापित करेगा, इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है । (लेखक स्वतंत्र स्तंभाकार एवं किरोड़ीमल महाविद्यालय,दिल्ली विश्विद्यालय के पूर्व महासचिव रहे हैं )

पूर्व सीएम खण्डूरी खराब स्वास्थ्य के कारण एम्स में भर्ती

0

ऋषिकेश, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल (सेनि) भुवन चंद्र खंडूरी स्वास्थ्य खराब होने की वजह से एम्स ऋषिकेश में भर्ती किया गया है । इससे पूर्व कल स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के चलते उन्हें एमएच देहरादून ले जाया गया था । जिसके बाद स्वास्थ्य में सुधार होता देख उन्हें घर ले आए थे। लेकिन आज सुबह फिर तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें एम्स ऋषिकेश लाया गया है और डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती कर दिया है। एम्स डॉक्टरों की टीम उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर उपचार कर रही है। अब तक मिली जानकारी के अनुशार उन्हें कमजोरी के कारण चलने और बोलने में काफी दिक्कत हो रही है।

बड़ी खबर : ईको सेंसिटिव जोन पर सरकार जायेगी सुप्रीम कोर्ट, विधायक हरीश धामी की सीएम से मुलाकात के बाद एक्शन, प्रमुख सचिव वन को दी जिम्मेदारी

0

देहरादून/पिथौरागढ़, क्षेत्रीय विधायक हरीश धामी की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आज हुई मुलाकात के बाद सीएम ने पिथौरागढ़ जिले के ईको सेंसिटिव जोन के मामले में कहा कि राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार बनेगी। प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु को याचिका दायर करने की जिम्मेदारी दी गई है।

पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी, धारचूला, डीडीहाट के 111 गांवों को 1985 में अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य के भीतर लाकर इन गांवों का विकास रोक दिया गया था। धारचूला धामी ने अपने ही सरकार के खिलाफ विधानसभा में काली पट्टी बांध कर दस्तक दिया। उसी के बाद राज्य सरकार बैकफुट पर आई। सरकार ने तब जाकर 2014 में 110 गांवों को अभ्यारण्य से मुक्त किया। आठ साल के भीतर इन गांवों में मोटर मार्गों सहित विकास की गंगा बही।
आठवें साल में फिर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के एक मामले को सुनते हुए पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी, धारचूला, डीडीहाट तीन विकास खंडों के 123 गांवों को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल करने का एक तुगलकी फरमान शासन को भेजा है।
ईको सेंसिटिव जोन लागू होने के बाद इन 123 गांवों का विकास फिर ठप हो जाएगा।
विधायक हरीश धामी ने आज एक शिष्टमंडल के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि उनके अपनी सरकार में विद्रोही बनकर अभ्यारण्य के दंश से मुक्ति दिलाई थी। फिर से क्षेत्र के विकास तथा आम आदमी की आजादी को छीनने का षड्यंत्र किया जा रहा है। विधायक ने कहा कि वे क्षेत्रीय जनता को साथ में लेकर इसके खिलाफ अंतिम क्षणों तक आंदोलन करने के लिए कूदेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तथ्यों को सुनने के बाद आश्वासन दिया कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाकर अपना पक्ष रखेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रमुख सचिव वन को जिम्मेदारी दे रहे है। उन्होंने कहा कि इस मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है।

शिष्टमंडल में मुनस्यारी के जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया, सामाजिक कार्यकर्ता राजू धामी मौजूद रहे।

पहाड़ के जीवन दर्शन पर बनी लघु फिल्म ‘पाताल ती’ की विश्व स्तर पर धूम

0
“स्टूडियो यूके 13 की टीम द्वारा  सीमांत क्षेत्र भोटिया भाषा की लोक कथा पर बनाई गई लघु फिल्म ‘पाताल ती’   का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरना समस्त उत्तराखंड वासियों के लिए गौरवपूर्ण क्षण है”।  
(देवेन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग-उत्तराखंड के सुदूरवर्ती पर्वतीय जीवन दर्शन पर बनी लघु फिल्म पाताल ती (Holy water) का चयन दुनिया के दूसरे सबसे पुराने फिल्म फेस्टिवल के लिये हुआ है।  भारत की ओर से इस फिल्म फेस्टिवल के लिये एक मात्र लघु फिल्म पाताल ती के चयन से फिल्म निर्माता ही नहीं बल्कि जनता में भी फिल्म की सफता को लेकर भारी उत्साह है। इससे पूर्व भी इस ने  फिल्म ने बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी खूब धूम मचाई है।
 जनपद रुद्रप्रयाग के  युवाओं के प्रयास से सुदूरवर्ती पर्वतीय जीवन दर्शन पर बनाई गई लघु फिल्म ‘पताल ती’  दुनिया के प्रतिष्ठित मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल  के लिए चयन हुआ है।
फिल्म निर्माताओं ने बताया कि मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 26 अगस्त से 2 सितंबर के बीच होने जा रहा है।
बता दें कि इससे पूर्व यह फिल्म बुसान इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल (Busan International Short Film Festival) के लिए चुनी गई थी। जहां फिल्म को खूब सराहा गया व फिल्म काम्पटीशन मे चौथा स्थान प्राप्त करने में सफल रही। अब बुसान की सफलता के बाद यह फिल्म इटली के डेल्ला लेसिनिया फिल्म फेस्टिवल के लिए चुनी गई है, जो 19 से 28 अगस्त तक इटली के वेरोना शहर में होगा। उसके बाद यह फिल्म मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 30 अगस्त 2022 को दिखाई जाएगी। फिल्म निर्माताओं ने बताया कि 44वें मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के कॉम्पिटिशन में इस वर्ष फीचर फिल्मों, डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्मों के लिए 40 फिल्मों का चयन हुआ है, जिसमें 12 फीचर फिल्म, 10 डॉक्यूमेंट्री फिल्म और 18 शॉर्ट फिल्मों को चुना गया है. इस वर्ष इस कॉम्पिटिशन में भारत से एक मात्र शॉर्ट फिल्म पताल-ती का चयन हुआ है।
रुद्रप्रयाग जनपदवासी फिल्म के निर्माता-निर्देशक संतोष रावत  सिनोमेटोग्राफर बिट्टू रावत, एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेन्द्र रौतेला और उनके बेटे कैमरामैन दिव्यांशु रौतेला की अथक मेहनत से ये उत्तराखंड ही नही देश के लिये ये गौरवपूर्ण क्षण मिला है । फिल्म की सफलता के लिये जनपद रुद्रप्रयाग सहित उत्तराखंड वासी प्रार्थना कर रहे है।
फिल्म को लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खिया बटोर रहे रुद्रप्रयाग के युवा फिल्म निर्माताओं ने बताया कि वर्ल्ड  प्रीमियर और  इटालियन  प्रीमियर के बाद  इस वर्ष इस कम्पिटीशन  में भारत से  एक मात्र हमारी  फिल्म पताळ-ती का चयन हुआ है।
 बता दें कि स्टूडियो यूके 13 की टीम द्वारा सीमांत जनजातीय क्षेत्र भोटिया भाषा की लोक कथा पर यह फिल्म बनाई गई है।
  फिल्म के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर व रंग कर्मी शिक्षक गजेंद्र रौतेला बताते हैं कि फिल्म की कथा पहाड़ के जीवन दर्शन को दर्शाती है. अपने अंतिम समय पर दादा द्वारा पोते से कुछ ख्वाहिश रखना और पोते द्वारा उसे पूरा करने की कोशिश और प्रकृति के साथ सहजीवन और संघर्ष इसे और भी मानवीय और संवेदनशील बना देता है।