पौड़ी, जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे ने आज स्व. अंकिता के गांव पहुंचकर उनके माता-पिता से मुलाकात कर सांत्वना दी। जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नेे अंकिता के परिजनों को अपना संपर्क नम्बर दिया और कहा कि किसी भी समय किसी भी प्रकार की समस्या या परेशानी हो तो बिना झिजके इन नम्बरों पर संपर्क कर सकते। कहा कि इस दुखः की घड़ी में जनपद का राजस्व व पुलिस प्रशासन अंकिता के परिजनों के साथ है तथा किसी भी शिकायत या समस्या का हर संभव समाधान निकाला जा सकेगा। जिलाधिकारी ने अंकिता के पिता से कहा कि उनका बेटा अजय को सीए की पढाई में अडचने ना आने पाए इस हेतु जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्वयं भी उनसे संपर्क करते रहेंगे। अंकिता ने परिजनों ने जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पूरी व्यथा सुनाई, जिसपर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कहा कि एक वार गुजरे हुए समय को वापस नहीं लाया जा सकता है इसलिए परिजनों को हिम्मत से काम लेकर समाज में आगे बढ़ना होगा। कहा कि पुलिस प्रशासन द्वारा हर संभव मदद व सहयोग निरंतर दिया जाता रहेगा।
उत्तराखंड पुलिस के ‘स्पेशल ऑपरेशन’ शुरू होने से पहले मचा बवाल
देहरादून, उत्तराखंड पुलिस के ‘स्पेशल ऑपरेशन’ शुरू होने से पहले ही बवाल मच गया। ‘ऑपरेशन’ के नाम पर विवाद हुआ था। डीजीपी अशोक कुमार ने नाम बदला। उत्तराखंड के तराई-भाबर में अपराधों पर काबू पाने को डीआईजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे का ऐलान विवादों में आ गया। अपराधों पर नियंत्रण को उन्होंने शुक्रवार सुबह ऑपरेशन ‘ठोको स्क्वॉयड’ का ऐलान किया।
डीजीपी अशोक कुमार के स्क्वॉयड के नाम पर आपत्ति जताने के बाद दोपहर को इसका नाम ‘स्पेशल स्क्वॉयड’ और बाद में ‘एंटी न्यूसेंस स्क्वॉयड’ कर दिया गया। हल्द्वानी में शुक्रवार को पुलिस ब्रीफिंग में डीआईजी कुमाऊं रेंज डॉ.नीलेश आनंद भरणे ने अपराध पर लगाम कसने के लिए स्पेशल ऑपरेशन चलाने का ऐलान किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के लिए 100 पुलिसकर्मी बुलाए गए हैं। उन्होंने बताया कि यह ठोको स्क्वॉयड महाराष्ट्र की तर्ज पर काम करेगा। जैसे ही यह बात डीजीपी तक पहुंची, उन्होंने नाम पर आपत्ति जताते हुए इसे बदलने को कहा। इसके बाद अभियान का नाम बदल कर ‘स्पेशल स्क्वॉयड’ कर दिया गया।
अंतत ऑपरेशन को ‘एंटी न्यूसेंस स्क्वॉयड’ नाम दिया गया। इस संबंध में डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि स्पेशल स्क्वॉयड का नाम ठोको रखना उचित नहीं था। इस नाम से अच्छा संदेश नहीं जाता। इसके चलते नाम को बदलने के निर्देश दे दिए गए।
नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक ने संभाला कार्यभार, गिनाई प्राथमिकता
“साइबर क्राइम पर नियंत्रण व आगामी केदारनाथ यात्रा सफल संचालन सहित आम जनता की समस्याओं का समाधान होगीं प्राथमिकता”
रुद्रप्रयाग- जनपद की नव नियुक्त पुलिस अधीक्षक विशाखा अशोक भदाणे ने आज अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों की बैठक ली । उन्होंने आज एसपी कार्यालय सभागार में पत्रकार वार्ता कर अपनी प्राथमिकताएं बताई।
2018 बैच की आईपीएस अधिकारी विशाखा भदाणे ने जनपद के नव नियुक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य भार ग्रहण किया। पुलिस सभागार में पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि केदारनाथ यात्राकाल हो या फिर शीतकाल में सुरक्षा पुलिस के लिए चुनौती रहती है। शीतकाल में केदारधाम में पीएसी और गार्द तैनात रहेगी जो मंदिर और धाम की सुरक्षा व्यवस्था देखेगी। उन्होंने कहा कि शीतकाल में यहां आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए भी पुलिस बेहतर कार्य करेगी। इसके लिए यातायात के साथ ही टूरिस्ट पुलिस को और सक्रिय किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि साइबर ठगी को रोकने के लिए पुलिस विशेष कार्य करेगी जिसके लिये एसएचओ क्राइम को एक्टिव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न लोगों से बेहतर व्यवस्थाओं के लिए समय समय पर बैठकें की जाएंगी और उनसे जरूरी सुझाव भी लिए जाएंगे। इससे पहले नव नियुक्त पुलिस अधीक्षक ने पुलिस अफसरों के साथ ही कार्मिकों की बैठक ली। इस दौरान पुलिस उपाधीक्षक ऑपरेशन हर्षवर्द्धनी सुमन, पुलिस उपाधीक्षक विमल रावत, आशुलिपिक नरेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।
भैलो रे भैलो : फलाणा दादा क्या ह्वेलो…!
(डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल)
शहरों में पहाड़ की दीपावली (इगास) मनाने की पहल होना परंपराओं को पुनजीर्वित करने की दिशा में अच्छा प्रयास है, परन्तु अच्छा होता कि यह आयोजन उसी स्वरूप में होता, जो आज से लगभग 35-40 साल पहले था। शहरों में तो उस स्वरूप की आस नहीं कर सकते हैं, लेकिन पलायन के कारण निर्जन हुए गांवों में तो उस स्वरूप की कल्पना भी नहीं की जा सकती। शहरों में मनाए जाने वाली एकादशी का वही स्वरूप है, जो दीपावली का है। यहां दीपावली जैसा ही धूम-धड़ाका हो रहा है, पटाखे फूट रहे हैं, हां,मिठाई थोड़ी कम बंट रही है। कुछ संस्थाओं की पहल पर भैलो खेलने का आयोजन हुआ है, जो विशुद्ध रूप से पहाड़ों में ही होता था। भैलो केवल एकादशी पर ही नहीं, छोटी और बड़ी दोनों दीपावलियों पर भी खेला जाता था, लेकिन अधिकांश लोगों ने इसे केवल एकादशी से ही जोड़ लिया।
भैलो का आशय और उद्देश्य अनिष्टकारिणी शक्तियों और व्यक्ति को बुरे प्रभावों से मुक्त कराना रहा है। इसके साथ मनोरंजन और मनोविनोद के भी झीने से तंतु जुड़ चुके हैं, इसलिए यह लोकप्रिय बन गया। यद्यपि भैलो खेलना गांवों में अधिक आनंदकर होता है, लेकिन जब शहरों ने पहाड़ के वाद्य यंत्र ढोल-दमाऊं को भी गोद ले लिया तो भैलो को क्यों छोड़ते! भैलो दरअसल, चीड़ की विशेष ज्वलनशील पतली लकड़ियों के जलते गट्ठर को कहते हैं, जो किसी बेल अथवा सांकल पर बंधा होता है। इस अग्नि को लोग अपने चारों ओर 360 डिग्री पर घुमाते हैं और मनोरंजनात्मक अंदाज में किसी नजदीकी व्यक्ति पर तंज कसते हैं-भैलो रे भैलो, फलाणा दादा क्या ह्वेलो।
टिहरी गढ़वाल की नैलचामी पट्टी के कुछ गांवों में दीपावलियों का यह आयोजन गांव में पंचायती स्तर पर सार्वजनिक स्थान पर होता है। वहां पर गांव का एक सबसे बड़े आकार का भारी भैलो होता है, जिसे पंचायती भैलो कहते हैं। इसे अंध्या भी कहा जाता है। इस पर आग लगाकर लगभग सभी व्यक्ति अपने चारों ओर घुमाते हैं। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
भैलो अधिक संख्या में खेले जाएं तो चीड़ की लकड़ियों का दोहन हो जाएगा। और यह होना भी चाहिए, क्योंकि चीड़ पहाड़ के पर्यावरण के लिए सबसे अधिक नुकसानदायक है। यह किसी ईर्ष्यालु आदमी की तरह होता है,जो सब कुछ फ्री में हजम करना चाहता है,अन्य का भला होना नहीं देखना चाहता। चीड़ भी अपने आसपास अन्य वनस्पतियों को पनपने नहीं देता है और न ही चीड़ के जंगल में अच्छी घास उगती है। यह जमीन से अधिक पानी सोखता है और इसके जंगल में वनाग्नि की घटनाएं अधिक होती हैं। पहाड़ के लिए चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष ही लाभदायक हैं। यद्यपि चीड़ की लकड़ी का विकल्प भीमल की छाल निकली शाखाएं होती हैं।
ब हर हाल, कुछ लोग केवल इगास की छुट्टी को लेकर बहुत खुश हैं, लेकिन केवल छुट्टी ही नहीं, त्योहार को मनाने के लिए वही भावना और श्रद्धा भी होना आवश्यक है। जितने लोग शहरों मंे इगास के नाम धूम-धड़ाका कर रहे हैं, उतने ही गांवों में जाकर करते तो शायद कुछ दिन के लिए सूअर, बंदर, गोणी,गुरो, बाघ,रिक और सौले से छुटकारा मिल जाता। मैक्स-सूमो वालों की भी कुछ कमाई हो जाती और ऊंघते-ऊबते घरों के मकड़जाते भी साफ हो जाते। अब यह मत मांग कर लेना कि इसके लिए तीन दिन कि छुट्टी होनी चाहिए।
महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर लगाया स्टे
देहरादून, उत्तराखंड सरकार की नौकरियों में राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुग्रह याचिका (एसएलपी) पर आज सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है।
सीएम धामी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। हमने महिला आरक्षण को यथावत बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी। साथ ही हमने हाईकोर्ट में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की थी।
बता दें कि प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर राज्य की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगा दी थी। अदालत की रोक के बाद प्रदेश सरकार पर क्षैतिज आरक्षण को बनाए रखने के लिए दबाव बन गया था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वस्त किया था कि सरकार महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण को कायम रखने के लिए कानून बनाएगी और सर्वोच्च न्यायालय में जाएगी। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में इन दोनों विकल्पों पर सहमति बनीं और अध्यादेश लाने का फैसला हुआ।
अध्यादेश के प्रस्ताव को सीएम की मंजूरी
महिला क्षैतिज आरक्षण के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने अध्यादेश लाने पर सहमति दी थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कार्मिक व सतर्कता विभाग ने प्रस्ताव विधायी को भेज दिया है। जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी से पहले अध्यादेश लाने से पैरवी को मजबूती मिल सकती थी। मौजूदा स्थिति में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों के लिए पैरवी करेगी।
पारम्परिक जौनसार-बाबर की वेशभूषा में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने मनाई इगास
देहरादून, आज इगास पर्व के उपलक्ष्य में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या कालसी स्थित बोहरी गांव में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मलित हुई, जहाँ कार्यक्रम में स्थानीय महिलाओं और जनता ने मंत्री रेखा आर्या का भव्य स्वागत किया।
इस अवसर पर सर्वप्रथम कैबिनेट मंत्री ने भगवान परशुराम और माता रेणुका का आशीर्वाद लिया और सभी के सुख समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर स्थानीय लोक कलाकारों ने शानदार लोकगीत गाये,साथ ही इस मौके पर स्थानीय महिलाओं के साथ मंत्री रेखा आर्या ने पारम्परिक लोकनृत्य भी किया।
पारम्परिक जौनसार -बाबर की वेशभूषा में पहुंची कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने स्थानीय जनता और कार्यक्रम आयोजको का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यहाँ आकर उन्हें आज जौनसार-बाबर की लोक संस्कृति को करीब से देखने का सौभाग्य मिला।उन्हें यह देखकर बड़ी ख़ुशी हुई कि आज एक और जहाँ हम अपने पारम्परिक वेशभूषा को पीछे छोड़ते जा रहे है तो वहीं जौनसार-बाबर के लोग अभी भी अपनी संस्कृति और अपने जड़ो से जुड़े हुए हैं।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि आज हमें अपनी संस्कृति के संवर्धन के साथ उसके संरक्षण की भी नितांत आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी हमारी संस्कृति और परंपरा को जान सके।
इगास पर्व के बारे में जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि दीपावली के ठीक 11 दिन बाद ईगास मनाने की परंपरा है।दरअसल दीपावली का उत्सव इसी दिन पराकाष्ठा को पहुंचता है, इसलिए पर्वों की इस शृंखला को ईगास-बग्वाल नाम दिया गया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राम के वनवास से अयोध्या लौटने पर लोगों ने कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। लेकिन, गढ़वाल क्षेत्र में राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली,इसीलिए ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का उत्सव मनाया।
इस अवसर पर कैंट विधानसभा से विधायक सविता कपूर , पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामशरण नौटियाल , मेला समिति अध्यक्ष अमर सिंह , पूर्व जिला पंचायत सदस्य गीता चौहान, क्षेत्र पंचायत सदस्य कुलदीप चौहान ,मंडल महामंत्री प्रवीण ,रण सिंह चौहान , गुलाब सिंह , जिला सोशल मीडिया प्रभारी वीरेंद्र सिंह सहित स्थानीय जनता उपस्थित रही।
लोकपर्व ‘इगास‘ पर प्रभारी स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार को बेडू ग्रुप ने भेंट की स्थानीय उत्पादों की ‘समूण‘
देहरादून, उत्तराखंड में हर्बल उत्पादों को लेकर काम कर रहे बेडू ग्रुप के सदस्यों ने लोकपर्व ‘इगास‘ पर प्रभारी सचिव स्वास्थ्य व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. आर. राजेश कुमार से मुलाकात कर उन्हें बेडू के बने हर्बल उत्पादों के साथ ही स्थानीय उत्पादों की समूण भेंट की। डॉ आर राजेश कुमार ने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की बेडू ग्रुप की मुहिम की सराहना की।
उत्तराखंड के पौड़ी जिले की यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र के बिजनी छोटी में हर्बल उत्पादों का निर्माण कर रहे बेडू ग्रुप ने इस बार इगास पर स्थानीय उत्पादों की ‘समूण भेंट‘ करने की मुहिम शुरू की हुई है। बेडू ग्रुप का प्रयास है लोकपर्व इगास को सभी लोग अपने पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ मनाने के अलावा एक-दूसरे को स्थानीय उत्पादों की समूण भेंट करें। इसी कड़ी में बेडू ग्रुप के सदस्यों अमित अमोली, अवधेश नौटियाल और रमन जायसवाल ने प्रदेश के प्रभारी सचिव स्वास्थ्य व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. आर. राजेश कुमार से मुलाकात कर उन्हें बेडू के बने हर्बल उत्पादों के साथ ही स्थानीय उत्पादों की समूण भेंट की। इस समूण में पारंपरिक व्यजन रोट, अरसे, बाल मिठाई, सिंगोरी सहित बेडू ग्रुप के द्वारा तैयार की गई हर्बल उत्पादों की किट है।
प्रभारी सचिव स्वास्थ्य व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. आर. राजेश कुमार सभी प्रदेशवासियों को इगास पर्व की शुभकामनाएं देते हुए सुख समृद्वि की कामना की। डॉ आर राजेश कुमार ने बेडू ग्रुप की मुहिम की सराहना करते हुए आम जनमानस से इस मुहिम में जुड़ने का आहवान किया ताकि संस्कृति, व उत्पादकता के संबर्धन के साथ ही स्थानीय उत्पादों से जुड़े लोगों के चेहरों पर भी इगास में खुशियां देखने को मिले। डॉ आर राजेश कुमार ने कहा राज्य में पलायन बहुत बड़ी समस्या है। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार पलायन की बड़ी वजह है। जानकार खुशी हुई कि बेडू ग्रुप के सदस्यों ने रिर्बस पलायन कर राज्य में हर्बल उत्पादों के निर्माण की शुरूआत की है। इसके साथ ही इगास के मौके पर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिले इसको लेकर समूण भेंट करने की परंपरा की शुरूआत की है यह अच्छी पहल है।
डॉ. आर. राजेश कुमार ने वोकल फोर लोकल सोच को आगे बढ़ाने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। यदि हम पहाड़ी उत्पादों को प्रचलित करने में सहयोग देते हैं। तीज त्यौहारों अन्य मौकों पर यदि हम पहाड़ी उत्पादों पर खर्च करने का प्रण लेते हैं तो हमारे पहाड़ के उत्पादक, काश्तकारों और वहां की बड़ी आबादी को काम मिलेगा। उनका पलायन रुकेगा और जीवन स्तर में सुधार होगा। उन्होंने बेडू ग्रुप की पहल की सराहना करते हुए लोगों से अपील भी कि है कि इगास पर्व की सार्थकता तभी है जब हम इस पर्व को अपनी संस्कृति, प्रकृति और उत्पादकता से जोड़ें।
उत्तराखंड के दस पर्वतीय जिलों में कामकाजी महिलाओं के लिए जल्द ही वर्किंग हॉस्टल बनेंगे : राधा रतूड़ी
देहरादून, उत्तराखंड के दस पर्वतीय जिलों में कामकाजी महिलाओं के लिए जल्द ही वर्किंग हॉस्टल बनेंगे। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए चल रही सभी योजनाओं की सख्त मॉनिटरिंग की जाए। उन्हें नौकरी के लिए सुरक्षित माहौल दिया जाए।
अपर मुख्य सचिव ने बृहस्पतिवार को सभी पुलिस अधीक्षकों की बैठक ली। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में असंगठित क्षेत्र के 96 प्रतिशत श्रमिक, कामगार व नौकरीपेशा लोग ई-श्रम के तहत रजिस्टर्ड हो चुके हैं। ई-श्रम में कामगारों के पंजीकरण के मामले में उत्तराखंड, देश में तीसरे स्थान पर है। कुल रजिस्टर्ड श्रमिकों में लगभग 16.37 लाख महिलाएं है। राज्य में कुल रजिस्टर्ड 3700 फैक्ट्रियों में सात प्रतिशत महिला श्रमिक कार्यरत है।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में कामकाजी महिलाओं का प्रतिशत बढ़ाने के लिए शासन और जिला प्रशासन को प्रो-एक्टिव मोड पर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में महिला कार्यबल को बढ़ाने के लिए महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
केंद्र सरकार ने हर जिले में महिला वर्किंग हॉस्टल के लिए 50-50 लाख की स्वीकृति दी है। पर्वतीय जिलों में जल्द वर्किंग हॉस्टलों का निर्माण पूरा किया जाए। जिला स्तर पर सभी जिलाधिकारी सुनिश्चित करें कि महिलाओं की शिकायतों के निस्तारण को इंटरनल कंपलेंट कमेटी जल्द गठित की जाए।
उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार की महिला कल्याणकारी सभी योजनाओं की सख्त मॉनिटरिंग के भी निर्देश दिए। उन्होंने एक कार्यशाला कर सभी जिलाधिकारियों से राज्य में महिलाओं का कार्यबल बढ़ाने तथा उन्हें कार्यस्थलों पर सुरक्षित वातावरण प्रदान करने को सुझाव मांगे। घरेलू हिंसा के मामलों में महिलाओं की शिकायतों को काउंसिलिंग तक सीमित न रखकर शारीरिक हिंसा के गंभीर मामलों को आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिए।
कहा कि राज्य में बाल विवाह तथा मानव तस्करी को रोकने को ठोस प्रयास किए जाएं। वन स्टॉप सेंटर को पुलिस विभाग सहित अन्य विभिन्न विभागों से जोड़ना जरूरी है। इसके साथ ही सभी महिला हेल्पलाइनों 181, 112, 1905 को जोड़ने पर भी विचार किया गया।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश कार्यरत महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करने तथा महिला कार्यबल को बढ़ाने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। वन स्टॉप सॉल्यूशन ऐप पर काम चल रहा है, जिसे जल्द ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लांच करेंगे। प्रशासन और पुलिस महिलाओं के खिलाफ होने वाले साइबर क्राइम और आईटी अपराधों से बचाव को भी मैकेनिज्म तैयार करने पर काम चल रहा है। बैठक में सचिव शैलेश बगोली, अपर सचिव सी रविशंकर, रिद्धिम अग्रवाल सहित अधिकारी मौजूद रहे।
नये सत्र से हिन्दी में भी होगी मेडिकल की पढ़ाईः डाॅ0 धन सिंह रावत
देहरादून, , के राजकीय मेडिकल काॅलेजों में अगले सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी मीडियम में भी की जायेगी। इसके लिये चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एक चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है। जो मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वहां के मेडिकल काॅलेजों में लागू हिन्दी मीडियम एमबीबीएस पाठ्यक्रम का अध्ययन कर नये पाठ्यक्रम का ड्राफ्ट तैयार करेगा। जिसका विस्तृत अध्ययन के उपरांत सभी औपचारिकताएं पूर्ण करते हुये अगले सत्र से सूबे के राजकीय मेडिकल काॅलेजों में लागू कर दिया जायेगा।
सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डाॅ0 धन सिंह रावत ने बताया कि वर्तमान में केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रभाषा हिन्दी को विशेष महत्व दिया जा रहा है। जिसके तहत न्यायपालिका सहित केन्द्र व राज्य सरकारों के सभी विभागों का कामकाज हिन्दी भाषा में किये जाने पर जोर दिया जा रहा है। यही नहीं शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में भी अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी भाषा में भी पाठ्यक्रम लागू किये जा रहे हैं। उत्तराखंड के अधिकतर विद्यालयों में छात्र-छात्राएं की पढ़ाई हिन्दी मीडियम से ही कराई जाती है। अक्सर देखने में आया है कि पर्वतीय क्षेत्रों से अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी माध्यम से की जाने वाली मेडिकल की पढ़ाई में दिक्कत होती है। स्वयं डाॅक्टरी की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राएं समय-समय पर मेडिकल शिक्षा के पाठ्यक्रम को हिन्दी मीडियम में भी उपलब्ध कराने की मांग सरकार से करते आये हैं। इन सभी बातों का संज्ञान लेते हुये चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नये सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी माध्यम से भी कराने का निर्णय लिया है। डाॅ0 रावत ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार पहले ही अपने मेडिकल काॅलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी माध्यम में शुरू कर चुका है। जो कि हिन्दी मीडियम में एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी में कराने वाला देश का पहला राज्य बन चुका है। विभागीय मंत्री ने बताया कि मध्य प्रदेश के बाद उत्तराखंड देश का दूसरा राज्य होगा जहां मेडिकल काॅलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी माध्यम में भी कराई जायेगी। जिसके लिये चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजकीय मेडिकल काॅलेजों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। राजकीय मेडिकल काॅलेज श्रीनगर के प्राचार्य डाॅ0 सी0एम0एस0 रावत की अध्यक्षता में गठित समिति में हल्द्वानी मेडिकल काॅलेज के प्रोफेसर डाॅ0 ए0के0 सिंह एवं डाॅ0 हरि शंकर पाण्डेय को सदस्य जबकि दून मेडिकल काॅलेज देहरादून के प्रोफेसर डाॅ0 दौलत सिंह को सदस्य सचिव नामित किया गया है। समिति मध्य प्रदेश के मेडिकल काॅलेजों में लागू एमबीबीएस के हिन्दी पाठ्यक्रम का अध्ययन कर राज्य के मेडिकल काॅलेजों के लिये सिलेबस तैयार करेगी। समिति द्वारा तैयार हिन्दी मीडियम पाठ्यक्रम को हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय को सौंप दिया जायेगा। विश्वविद्यालय द्वारा हिन्दी मीडियम पाठ्यक्रम की सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने के उपरांत इसे सूबे के मेडिकल काॅलेजों में अगले सत्र से लागू कर दिया जायेगा।
*वी.पी. सिंह बिष्ट*
जनसम्पर्क अधिकारी/मीडिया प्रभारी
माननीय चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री।
शहर की चकाचौंध से वापस अपने बंजर जमीन को आबाद कर रहा टंखी सिंह, सुविधाएं उपलब्ध हों फिर से लहलहायेंगे खेत
नरेन्द्र नगर प्रखंड के रौंदेली गांव निवासी टंखी सिंह राणा एम.एस. देहरादून कार्यालय से कोरोनाकाल में सेवानिवृत्त हुए तो उन्होंने अपने गांव की पुश्तैनी खेती और मकान की ओर रुख किया, रौंदेली गांव में टूट चुके मकान के बजाय गजा तमियार रोड पर 9 किलोमीटर पर अपनी पुरानी 200 नाली जमीन तथा पुरानी छानी (मकान) को फिर से लहलहाने का मन बनाया, पुश्तैनी जमीन पर खेती बाड़ी का काम शुरू किया, इन्हीं खेतों में बहुत सालों पहले लहसुन, तम्बाकू, अदरक, मटर, मक्का, राई,पालक, गेंहू, अरहर (तोर) की खूब फसल हुआ करती थी, यही सोचकर टंखी सिंह राणा ने सेवानिवृत्त होने के बाद यहां अपना आशियाना बनाया है और अब राई,मटर,अरहर मक्का लहसुन पैदा कर रहे हैं । उनका कहना है कि पानी और बिजली की काफी दिक्कत है , पानी एक किलोमीटर दूर प्राकृतिक स्रोत से लाना पड़ता है तो प्रकाश व्यवस्था के लिए सौर ऊर्जा प्लेट लगाई गई है, जबकि आधा किलो मीटर दूर दूसरे मकान तक विजली की लाइन है , प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर सौडू नामक यह तोक प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है,
प्राकृतिक कृषि पद्धति में अनेक समस्याओं का है समाधान : राज्यपाल
देहरादून, उत्तराखण्ड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि), गुजरात के राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी एवं कृषि मंत्री गणेश जोशी ने सर्वे ऑफ इंडिया स्टेडियम हाथीबड़कला, देहरादून में कृषि विभाग उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती कार्यशाला में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना का शुभारंभ, नमामि गंगे प्राकृतिक कृषि कॉरीडोर योजना का शुभारंभ और राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि विषय पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया। कार्यक्रम में प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन भी किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने कहा कि प्राकृतिक कृषि पद्धति में अनेक समस्याओं का समाधान है। आचार्य श्री देवव्रत जी ने भारत की एक प्राचीन कृषि पद्धति को नया आयाम दिया है। हम सबको प्रकृति की ओर लौटने की एक राह दिखाई है इसके लिए उनका अभिनंदन करता हूँ।
राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक कृषि कोई नया रूप नहीं है बल्कि हमारे प्राचीन वैदिक चिंतन के युग के अनुरूप एक नई पहचान है। यह समय की मांग है और हमें प्राकृतिक कृषि की ओर लौटना होगा। उत्तराखण्ड में प्राकृतिक कृषि एक ब्रांड बनें हमें इस विजन को धरातल पर उतारना होगा। उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक कृषि और गौ सेवा को एक साथ आगे बढ़ाना होगा। गाय का गोबर और गौ मूत्र प्राकृतिक खेती के लिए खाद बनाने में बहुत लाभकारी है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सभ्यता, संस्कृति को प्राचीनतम इतिहास के साथ आधुनिक तकनीकों को जोड़ते हुए आगे बढ़ना होगा। प्राचीन पद्धति को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन टेक्नोलॉजी, रोपवे यही भारत का आने वाला भविष्य है इस दिशा में कुछ लक्ष्य तय करने होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि हमें एग्रीकल्चर को अपनाकर एग्रीकल्चर को अपना कल्चर बनाना होगा और कोऑपरेटिव को कार्पोरेट तक ले जाना होगा। उन्होंने कहा कि यह भारत का अमृतकाल है जो उत्तराखण्ड का दशक है। हिमालय और देवभूमि के विकास के नए कीर्तिमान इसी दशक में तय करने होंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय के लिए लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। हमें इसकी शुरूआत कृषि से करते हुए विकसित उत्तराखण्ड की नई इबारत लिखनी होगी।
कार्यशाला में उपस्थित गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखण्ड की धरती प्राकृतिक सौंदर्य और संपदा से समृद्ध है जो प्राकृतिक खेती के लिए वरदान साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। इसके लिए किसानों को रासायनिक खेती और जैविक खेती का त्याग करना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे किसान अपने खेतों में रसायनों व उवर्रकों का अत्यधिक प्रयोग कर रहे हैं जिस कारण भूमि की उपजाऊ क्षमता खत्म हो रही है। रासायनिक खादों के दुष्परिणाम आ रहे हैं जिससे कई तरह की बीमारियां भी हो रही हैं। खेतों में कार्बन और माइक्रो पोषक तत्व कम हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन सब समस्याओं के समाधान के लिए हमें प्राकृतिक कृषि की ओर लौटना होगा। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा स्वयं 200 एकड़ में प्राकृतिक खेती की जा रही है जिसमें रसायन खादों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 2लाख किसानों और गुजरात में लगभग 3 लाख किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है। राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि प्राकृतिक खेती पर अधिक से अधिक रिसर्च की जाए और अधिक किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए। प्राकृतिक खेती से जहां पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा वहीं किसानों की आमदनी दोगुनी और वह सशक्त और खुशहाल बनेंगे। राज्यपाल श्री देवव्रत ने अपने अनुभवों के आधार पर उपस्थित कृषकों को प्राकृतिक खेती की महत्व एवं इसके फायदे गिनाये।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए घोषणा की कि राज्य में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिये प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का गठन किया जायेगा। मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना के लिये मुख्यमंत्री ने 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कृषि कोरिडोर योजना से गंगा स्वच्छता को भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र में की जा रही बेस्ट प्रेक्टिस को पूरे देश में पहचान मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की संस्कृति और धरती माता के संरक्षण के अभिनव कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में जो कार्य राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रारम्भ किए हैं, वह अभूतपूर्व हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस मंथन से एक ऐसा अमृत प्राप्त होगा जो प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने में सहायक सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा मिल रहा है। इस बार के बजट में कृषि को हाइटेक बनाने के साथ-साथ प्राकृतिक कृषि पर भी अभूतपूर्व फोकस किया गया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलने से हमारे किसान आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक दृष्टि से भी परम्परागत कृषि के लिए एक उपयुक्त राज्य है। जलवायु विविधता के कारण हमारे यहां कई प्रकार की स्थानीय फसलें, फल, जड़ी-बूटी और सुगन्धित पौध आदि की खेती की जाती है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ावा दिया जाए ताकि अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं। हमारा जीवन, हमारा स्वास्थ्य, हमारा समाज सबके आधार में हमारी कृषि व्यवस्था ही है। बीते कुछ वर्षों के दौरान रसायनों के इस्तेमाल से हमारी उत्पादन क्षमता तो बढ़ी है लेकिन हमारे खेतों और हमारी मिट्टी पर इसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ा है। धरती को माँ मानने की परम्परा भारतीय संस्कृति में ही है। आज स्थिति यह है कि रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों के अंधाधुंध और असंतुलित प्रयोग का दुष्प्रभाव मिट्टी और पर्यावरण पर ही नहीं बल्कि हमारे पशुओं की सेहत पर भी स्पष्ट रूप से दिखने लगा है।
वर्तमान में देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मांग बढ़ रही है और हमारा लक्ष्य है कि इसका अधिक से अधिक लाभ उत्तराखंड के किसानों को मिले। हमारा किसान सशक्त होगा तो हमारी अर्थव्यस्था मजबूत होगी और जब अर्थव्यवस्था मजबूत तभी भारत पुनः विश्वगुरू के पद पर आरूढ़ हो पायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 अक्टूबर को सीमान्त गांव माणा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बताया है। प्रधानमंत्री का यह संदेश हमें निरंतर उत्तराखण्ड देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने की प्रयासों की प्रेरणा देने वाला है।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है सरकार किसानों एवं उनके कल्याण हेतु लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य के किसानों की आय दुगनी किए जाने के संकल्प को हम पूरा करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा प्राकृतिक खेती का उद्देश्य उत्पादन मूल्य को शून्य करना है जिससे किसानों को उनकी फसलों का दाम मिल सके। इस अवसर पर विधायक श्री खजान दास, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, सचिव कृषि डॉ. बी.वी.आर.सी पुरूषोत्तम, निदेशक कृषि गौरी शंकर सहित कृषि वैज्ञानिक और प्रदेश की सभी जनपदों के कृषक उपस्थित रहे।