Monday, June 9, 2025
Home Blog Page 368

राज्य विधान सभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता की शक्ति: मुख्यमंत्री

0

देहरादून(आरएनएस)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गुरुवार को सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में प्रदेश में समान नागरिक संहिता विधेयक विधान सभा से पारित होने पर गर्मजोशी से स्वागत के साथ सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। स्वर्णिम देवभूमि परिषद द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में बडी संख्या में बुद्धिजीवियों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गणमान्य लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने के लिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सभी ने प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने राज्य विधान सभा में नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता की शक्ति बताते हुये कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कानून मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री ने इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र सरकार तथा प्रदेश की देवतुल्य जनता का भी आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे देश का नेतृत्व आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम हाथों में है, जिनके लिए देश सर्वप्रथम है, जो इस देश को ही अपना परिवार समझते हैं और अपने परिवारजनों का सुख-दुःख ही उनका सुख-दुःख है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने समान नागरिक संहिता पर देवभूमि की सवा करोड़ जनता से किये गए अपने वादे को निभाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनता के हैं और जनता हमारी है, यह कानून जनता के लिये है, जनता की भलाई, समता और समानता के लिये बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ’’एक भारत और श्रेष्ठ भारत’’ मन्त्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। सरकार गठन के तुरंत बाद, जनता जर्नादन के आदेश को सिर माथे पर रखते हुए हमने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई जी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की। इस समिति के सदस्यों में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली जी, समाजसेवी मनु गौड़ जी, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह जी एवं दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल जी को सम्मिलित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के सीमांत गांव माणा, जिसे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश का प्रथम गांव घोषित किया है, वहां से प्रारंभ हुई जनसंवाद यात्रा के दौरान 43 जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर समिति को विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए। प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों द्वारा किसी कानून के निर्माण के लिए अपने सुझाव देने का देश में यह पहला अतुलनीय उदाहरण है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर समिति ने उनका रिकॉर्ड समय में विश्लेषण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट 02 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है उसी प्रकार राज्य विधान सभा से पारित समान नागरिक संहिता के रूप में निकलने वाली समान अधिकारों की संहिता रूपी ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात संविधान स्वयं करता है, क्योंकि हमारा संविधान एक पंथनिरपेक्ष संविधान है। यह एक आदर्श धारणा है, जो हमारे समाज की विषमताओं को दूर करके, हमारे सामाजिक ढांचे को और अधिक मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि माँ गंगा-यमुना का यह प्रदेश, भगवान बद्री विशाल, बाबा केदार, आदि कैलाश, ऋषि-मुनियों-तपस्वियों, वीर बलिदानियों की इस पावन धरती ने एक आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित होने के बावजूद अब तक इसे दबाये रखा गया। 1985 के शाह बानो केस के साथ इसी देवभूमि की बेटी सायरा बानो ने दशकों तक न्याय के लिये संघर्ष किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता, विवाह, भरण-पोषण, गोद लेने, उत्तराधिकार, विवाह विच्छेद जैसे मामलों में भेदभाव न करते हुए सभी को बराबरी का अधिकार देगा और जो प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार भी है। समान नागरिक संहिता समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को रोका जाए। हमारी माताओं-बहन-बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। हमारी आधी आबादी को सच्चे अर्थों में बराबरी का दर्जा देकर हमारी मातृशक्ति को संपूर्ण न्याय दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकसित भारत का सपना देखने के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में सैंकड़ों वर्षों के बाद अयोध्या में रामलला अपने जन्मस्थान पर विराजमान हुए हैं, और मातृशक्ति को सशक्त करने के लिए विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस संहिता में पुरुष व महिलाओं को बराबरी का दर्जा देते हुए विवाह विच्छेद से संबंधित मामलों में विवाह विच्छेद लेने के समान कारण और समान अधिकार दिए गए हैं। समान नागरिक संहिता में महिला के दोबारा विवाह करने से संबंधित किसी भी प्रकार की रूढ़िवादी शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे इस कदम से उन कुप्रथाओं का अंत होगा जिनसे महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाई जाती थी।
मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता में लिव इन संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए कहा कि एक वयस्क पुरुष जो 21 वर्ष या अधिक का हो और वयस्क महिला जो 18 वर्ष या उससे अधिक की हो, वे तभी लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे, जब वो पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न हों और कानूनन प्रतिबंधित संबंधों की श्रेणी में न आते हों। लिव-इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लिव-इन में रहने हेतु केवल पंजीकरण कराना होगा जिससे भविष्य में हो सकने वाले किसी भी प्रकार के विवाद या अपराध को रोका जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देकर उनसे किए गए वादे को निभाया है। उन्होंने कहा कि इन सभी निर्णयों से यह स्पष्ट है कि हमने इस दशक में महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की है। वही दशक जिसका हमारी माताएं-बहनें, बरसो से इंतजार कर रही थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश हित में यू.सी.सी. के साथ कठोर नकल विरोधी कानून बनाया है। अब भारत की संसद ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। प्रदेश में अवैध अतिक्रमण के विरूद्ध सख्ती से कार्यवाही कर 05 हजार है. सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया गया है। देवभूमि के स्वरूप को बनाये रखने के लिये, धर्मांतरण को रोकने के लिये भी कानून बनाया गया है। भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये 1064 एप पर शिकायत की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में भ्रष्टाचार किसी भी रूप में बरदास्त नहीं किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें कई देशों में जाने का अवसर मिला। वे जहां भी गये वहां लागों का देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति लगाव उन्हें देखने को मिला, जो इस महान देवभूमि की महिमा का ही परिणाम है।

मुख्यमंत्री घोषणा के अंतर्गत मुख्यमंत्री ने विभिन्न कार्यों हेतु प्रदान की वित्तीय स्वीकृति

0

देहरादून(आरएनएस)।   मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री घोषणा के क्रम में विधानसभा क्षेत्र चम्पावत के अंतर्गत ब्यानधुरा बाबा मंदिर तक पेयजल आपूर्ति एवं सड़क निर्माण कार्य हेतु 3.58 करोड़ के सापेक्ष प्रथम किश्त के रूप में 01 करोड की धनराशि की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने विधानसभा चम्पावत के अन्तर्गत पंचमुखी गौशाला धाम बनाये जाने हेतु 01 करोड़, घटोत्कच मंदिर परिसर में चाहरदीवारी व दो कक्षों के निर्माण कार्य एवं मंदिर के सौन्दर्यीकरण हेतु 01 करोड़ एवं टनकपुर में मीडिया सेंटर एवं गेस्ट हाउस हेतु भूमि एवं भवन उपलब्ध कराने के लिये प्रथम चरण के कार्य हेतु 11 लाख 86 हजार धनराशि की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा क्षेत्र खटीमा के अन्तर्गत वार्ड खटीमा शहीद स्थल पर तिरंगा निर्माण कार्य हेतु 47 लाख 82 हजार की वित्तीय स्वीकृति भी प्रदान की है।

 

यूसीसी किसी धर्म के खिलाफ नहीं, महिलाओं को अधिकार दिलाने वाला कानून: सौरभ बहुगुणा

देहरादून(आरएनएस)।  कॉमन सिविल कोड को लेकर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि ये कानून किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि ये महिलाओं को अधिकार दिलाने वाला कानून है। कांग्रेस ने हमेशा सेलेक्टिव अप्रोच के साथ काम किया। केशवानंद भारती, शाह बानो, शायरा बानो समेत तमाम केस में सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेशों की भी अनदेखी की। सौरभ ने कहा कि संसद और सुप्रीम कोर्ट पर सभी को विश्वास होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस ने हमेशा अनदेखी की। संविधान में दिए गए प्रावधानों के बावजूद 70 साल तक यूसीसी को लेकर कुछ नहीं किया। 1973 में केशवानंद भारती केस में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। साफ कहा कि केंद्र सरकार ही नहीं चाहती कि यूसीसी आए। ये किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि महिलाओं को उनके अधिकार सुनिश्चित कराता है। सभी धर्मों की महिलाएं अपने ऊपर हुए उत्पीड़न के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गईं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हर फैसले में कहा कि हर राज्य सरकार अपने स्तर पर यूसीसी बनाने को लेकर स्वतंत्र है। कहा कि हर कानून कभी भी अपने आप में पूरा नहीं होता। समय समय पर उसमें संशोधन की जरूरत होती है। इसीलिए एक समय अंतराल पर कानूनों में संशोधन भी आते रहते हैं। लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना मौजूदा समय की सबसे बड़ी मांग है। ये अधिकार वापस लेने वाला नहीं, बल्कि अधिकार देने वाला कानून है। कांग्रेस ने कभी भी आगे बढ़ कर यूसीसी पर काम नहीं किया। हमेशा इससे बचने की कोशिश की।

सुरजीत दास की स्मृति में हुआ दून पुस्तकालय में व्याख्यान माला का आयोजन

0

“भाषाई सभ्यता के रूप में भारत का विकास’ विषय पर प्रो. गणेश एन. देवी ने दिया अपना व्याख्यान”

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज आज सायं 4:00 बजे संस्थान के सभागार में कीर्तिशेष सुरजीत दास की स्मृति में प्रथम व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। देश के सुपरिचित भाषाविद और लेखक प्रो. गणेश एन. देवी ने ‘भाषाई सभ्यता के रूप में भारत का विकास’ विषय पर अपना गहन और महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया।
शुरूआत में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के निदेशक श्री एन.रविशंकर ने स्वागत सम्बोधन और संस्थान का परिचय दिया और शॉल ओढ़ाकर प्रो.गणेश देवी का स्वागत किया। निदेशक श्री एन.रविशंकर ने प्रो.देवी का परिचय देते हुए सुरजीत दास द्वारा पुस्तकालय के निर्माण में दिए योगदान को रेखांकित किया और कहा कि उनकी स्मृति में अब प्रति वर्ष दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र और सुरजीत दास के पारिवारिक जनों की ओर से उनके जन्म दिन पर व्याख्यान माला का आयोजन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि स्व.सुरजीत किशोर दास दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के संस्थापकों और मार्गदर्शक निर्देशकों में से एक थे। इस संस्थान को गतिमान बनाये रखने में उनकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एक कुशल,कर्मठ व ईमानदार प्रशासनिक अधिकारी रहते हुए पूर्व में सुरजीत किशोर दास उत्तरप्रदेश व उत्तराखण्ड में अनेक पदों पर अपनी सेवाएं दीं हैं। अपने सेवाकाल के अंतिम दौर में उन्होंने उत्तराखण्ड के सर्वोच्च प्रशासनिक पद में मुख्य सचिव का दायित्व भी कुशलता से निभाया। सुरजीत दास को हर तरह के ज्ञान को संचित करने और सब लोगों के मध्य इस ज्ञान को उदारतापूर्वक साझा करने में बहुत खुशी होती थी।
मंचासीन लोगों ने कहा कि आशा की जानी चाहिए कि यह स्मृति व्याख्यान विशिष्ट कार्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विचार और उनके अनुभवों को साझा करने का मंच प्रदान करेगा । कार्यक्रम में प्रो.गणेश एन देवी ने कहा किमानव प्रजातियां पिछले 70,000 सालों से जटिल भाषाओं का प्रयोग करती आ रहीे हैं। ऐसे में, भारत के इतिहास में मौलिक युगान्तर परिवर्तनों को समझने के लिए सबसे सही तरीका होगा इस बात का परिक्षण करना कि भारत अपनी भाषाओं के साथ क्या करता आया व स्वयं भाषा भारत को किस तरह पुनः गढ़ती रही।
उन्होंने आगे कहा कि 1786 में, सर विलियम जोंस (1746-1794) ने अपनी सर्वाधिक महत्वपूर्ण टीका दुनिया के समक्ष प्रस्तुत की, जब उन्होने संस्कृत, यूनानी व लातिन भाषाओं को एक ही वंशज का बताया और यह भी कि वे तीनों स्वयं गाॅथिक व कैल्टिक (दोनों जर्मन) भाषाओं तथा फारसी से भी संबंधित हो सकती हैं। उनके इस कथन में एक पुरानी ‘‘आद्य-इंडो-यूरोपीय भाषा’’ के होने का संकेत था।
पश्चिमी संज्ञानात्मक श्रेणियों के सुसंगत ज्ञान तथा प्रमुखतः मौखिक समुदायों के जीवन से जुड़ी ज्ञान परम्पराओं के बीच सहयोग व द्वंद आज भी भारत में कल्पनाशील परिवर्तन को उद्वेलित तथा बौद्धिक चुनौती पेष करता है जिससे चिंतकों को इक्कीसवीं शताब्दी में जूझना होगा।
प्रो.गणेश देवी ने अपने व्याख्यान में आगे कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में, भाषाई मुद्दे पर सार्वजनिक पहल सर्वप्रथम 1927 में हुई जब कांग्रेस ने भाषाई राज्यों की स्थापना पर प्रस्ताव पारित किया। यह भारत राष्ट्र में अंततः जुड़ने वाले इलाकों की भाषाई पहचान को संरक्षित करने की जरूरत की स्पष्ट स्वीकारोक्ति थी। 1928 में जाॅर्ज ग्रियरसन के व्यापक भारतीय भाषाई सर्वेक्षण का समापक प्रकाशन हुआ जिसमें 189 भाषाओं का विस्तृत ब्यौरा था और कुछ सैकड़े अन्य जिन्हे उन्होने ‘‘बोली’’ माना। यह जानने के लिए कि क्या भाषाई राज्य एक सक्षम विचार होगा कि नहीं, 1948 में डा राजेन्द्र प्रसाद द्वारा एक समिति गठित की गई और एक अन्य, उस प्रस्ताव की जांच करने के लिए। अंततः 1955 में एक राज्य पुनर्गठन आयोग नियुक्त किया गया, जिसकी सिफारिश पर भाषा को राज्य की पहचान को मूल में रखते हुए कुछ राज्यों का सर्जन किया गया। 1961 की जब जनगणना की गई तो भारत की जनता ने 1652 भाषाओं को अपनी मातृ-भाषा के तौर पर दर्ज किया। संविधान की आठवीं अनुसूचि में विषेषतः नामित भाषाओंः अनुसूचित भाषाओं के तौर पर 14 भाषाएं रखी गयीं। वर्तमान में यह संख्या 22 हो गयी है।
बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नही है कि भाषा के मुद्दे में अड़चनें नहीं है। इसलिए मेरा मानना है कि सरकारी मशीनरी द्वारा नहीं बल्कि भारत के लोक को सम्मिलित कर भारतीय भाषाओं की उनकी उचित सामाजिक व्याख्या के साथ पुनः गणना किया जाना अत्यंत जरूरी है जिससे कि भारत को भाषाई आधार पर विखण्डित होने से बचाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि गणेश.एन. देवी एक सांस्कृतिक कार्यकर्ता, साहित्यिक आलोचक और अंग्रेजी के पूर्व प्रोफेसर हैं। उन्हें पीपुल्स लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया और उनके द्वारा बनाई गई आदिवासी अकादमी के लिए जाना जाता है। उन्होंने बड़ौदा में भाषा अनुसंधान एवं प्रकाशन केंद्र की स्थापना की। वह तीन भाषाओं – मराठी, गुजराती और अंग्रेजी में लिखते हैं। अंग्रेजी में उनकी पहली पूर्ण पुस्तक आफ्टर एम्नेशिया (1992) है। तब से उन्होंने साहित्यिक आलोचना, मानव विज्ञान, इतिहास, शिक्षा, भाषा विज्ञान और दर्शन के क्षेत्रों में एक सौ बारह पुस्तकें लिखी और संपादित की हैं। 2014 में उन्हें पद्मश्री मिला।
कार्यक्रम में एन .रवि.शंकर,एन एस नपलच्याल,कर्नल विजय कुमार दुग्गल, कर्नल एस एस रौतेला, गीता सहगल, निकोलस हॉफलैण्ड, चंद्रशेखर तिवारी, सुंदर सिंह बिष्ट,योगिता थपलियाल, जगदीश सिंह महर,मीनाक्षी कुकरेती,भारद्वाज सहित अनेक बुद्धिजीवी, लेखक, साहित्यकार, भाषविद, पुस्तकालय के सदस्य आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का सफल संचालन गांधीवादी विचारक बिजू नेगी ने किया।कार्यक्रम के अंत में उपस्थित श्रोताओं ने सवाल-जबाब भी किये ।
कार्यक्रम में एन .रवि.शंकर, इंदु कुमार पांडे,एन एस नपलच्याल, डॉ.योगेश धस्माना, कर्नल विजय कुमार दुग्गल,डॉ इन्दु सिंह, मालविका चौहान, सुरेंद्र सजवाण, डॉ. नंदकिशोर हटवाल, जे एस पांडे, जितेंद्र नौटियाल कर्नल एस एस रौतेला, गीता सहगल, निकोलस हॉफलैण्ड, चंद्रशेखर तिवारी, योगिता थपलियाल, सुंदर सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह महर,मीनाक्षी कुकरेती,भारद्वाज सहित अनेक बुद्धिजीवी, लेखक, साहित्यकार, भाषविद, पुस्तकालय के सदस्य आदि उपस्थित रहे।

विजिलेंस ने 25 हजार की रिश्वत लेते नगर निगम के अभियंता को किया गिरफ्तार

0

हल्द्वानी, नगर निगम हल्द्वानी में तैनात अवर अभियंता खष्टी बल्लम उपाध्याय को विजिलेंस की टीम ने गुरुवार की दोपहर नगर निगम कार्यालय में 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।
विजिलेंस के सीओ अनिल मनराल ने बताया कि शिकायतकर्ता ने सतर्कता अधिष्ठान के हल्द्वानी स्थित कार्यालय में आकर शिकायत दर्ज करायी थी की शहर में स्ट्रीट लाइटें लगाने और इनके रखरखाव का कार्य उनकी कंपनी ईईसीएल कम्पनी के द्वारा किया जाता है जिसके बाद नगर निगम द्वारा कार्य का भुगतान किया जाता है, यह भुगतान तब किया जाता है जब नगर निगम के अधिकारी कार्य के संतोषजनक होने का पत्र निर्गत करते हैं, लेकिन उनका भुगतान अवर अभियंता द्वारा रोक दिया गया।
नगर निगम हल्द्वानी के अवर अभियन्ता खष्टी बल्लभ उपाध्याय द्वारा पत्र निर्गत करने के एवज में पैसे की मांग कर दी गई जिस पर शिकायतकर्ता ने विजिलेंस में शिकायत की थी। विजिलेंस ने गुरुवार को जाल बिछाकर जेई को गिरफ्तार कर लिया। इधर इस कार्रवाई से निगम कार्यालय में कर्मचारियों और अधिकारियों में खलबली मच गयी।

18वीं राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी कांग्रेस ‘‘भारतीय ज्ञान विज्ञान परंपरा, विश्व शांति और सद्भाव‘‘ का शुभारंभ

0

हल्द्वानी, उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् द्वारा आयोजित 18वीं राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी कांग्रेस का आयोजन दिनांक 8-9 फरवरी 2023 को उतराखण्ड मुक्त विशवविद्यालय हल्द्वानी में किया जा रहा है । इस विज्ञान कांग्रेस का मुख्य विषय ‘‘भारतीय ज्ञान विज्ञान परंपरा, विश्व शांति और सद्भाव‘‘ है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक स्वदेशी ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच एक समन्वय स्थापित करना है ताकि हम परम्पराओं को संयोजित करते हुए आधुनिकता की ओर अग्रसर हों।
पूर्व राज्यपाल महाराष्ट्र और पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड, श्री भगत सिंह कोश्यारी उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि रहे । उन्होंने कहा कि यह आयोजन विज्ञान और भारतीय परम्पराओं के बीच सामंजस्य का काम करेगा । पदमश्री डा अनिल प्रकाश जोशी, ने प्रकृति संरक्षण, इकोनॉमी और इकोलॉजी पर अपने विचार व्यक्त किए । प्रो सुरेखा डंगवाल ने नई शिक्षा नीति, स्थानीय भाषाओं का महत्व, वैदिक ज्ञान और वर्तमान समय में उसकी उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए । इसके साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ एजुकेटर कोन्कलेव, डायरेक्टरस कोन्कलेव, भारतीय ज्ञान परम्परा पर मंथन सत्र, पारम्परिक ज्ञान और आध्यात्म पर विचार मंथन सत्र का भी आयोजन किया गया । डा दीपांकर बैनर्जी, निदेशक, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ने आदित्य एल वन मिशन और उससे जुड़ी तकनीकी और स्पेस वैदर तकनीक से जानकारी से सबको अवगत कराया । इस अवसर पर अभिनेता दिलीप ताहिल ने फिल्म इंडस्ट्री और अध्यात्म विषय पर एक व्याख्यान दिया । प्रोफेसर दुर्गेश पंत, महानिदेशक यूकास्ट ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि यह कांग्रेस हमारे पारम्परिक और वैदिक ज्ञान को पहचान दिलाने का काम करेगी । उन्होंने कहा यह विज्ञान कांग्रेस भारतीय पारंपरिक ज्ञान को फिर से पुनर्जीवित और प्रदर्शित करने का भी एक प्रयास है। इसके साथ ही विज्ञान कांग्रेस में कृषि, जैव प्रौद्योगिकी, रसायन विज्ञान, गृह विज्ञान, भूविज्ञान, गणित, अभियांत्रिकी, भौतिकी, ग्रामीण विज्ञान, जीव विज्ञान आदि विषयों में उत्तराखंड के विभिन्न शिक्षण संस्थानों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी कॉलेजों में अध्ययनरत /कार्यरत शोधार्थियों और युवा वैज्ञानिकों के शोध कार्यों पर भी तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इसके साथ ही कार्यक्रम के दौरान राज्य में स्थित केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न संस्थानों द्वारा उनके विशिष्ट कार्यों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई । कार्यक्रम में राज्यभर से आए 400 से अधिक शोधार्थी, विभिन्न शिक्षण और शोध संस्थाओं के वैज्ञानिक, शिक्षाविद और विशेषज्ञ शामिल हुए ।

जन संगठनों और विपक्षी दलों ने की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस : यूसीसी बिल को असंवैधानिक और पितृसत्ता को बढ़ावा देने वाला बताया

0

देहरादून(एल मोहन लखेड़ा), विभिन्न जन संगठनों और विपक्षी दलों ने उत्तराखंड विधानसभा में पारित समान नागरिक संहिता बिल को असंवैधानिक, महिला, अल्पसंख्यक विरोधी और पितृसत्ता को बढ़ावा देने वाला करार दिया है। सिविल सोसायटी और विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने विधेयक को खारिज करने की बात कही गई।

सिविल सोसायटी की ओर से पत्रकार वार्ता में मौजूद डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि यह कानून महिलाओं पर पितृसत्तात्मक रूढ़ियों को थोपने का प्रयास है। महिलाओं ने लंबे संघर्ष के बाद पितृसत्ता से मुक्ति का रास्ता बनाया है, लेकिन सरकार फिर से महिलाओं पर वही नियम थोपने जा रही है। लिव इन रिलेशन संबंधी प्रावधानों को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने को मान्यता दी है और यहां तक कहा है कि जरूरत पड़ने पर ऐसे जोड़ों को सुरक्षा दी जाएगी। यूसीसी बिल में लिव इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन को उन्होंने लोगों की गोपनीयता भंग करना बताया।
उत्तराखंड महिला मंच की अध्यक्षा कमला पंत ने इस बिल को हिन्दू नजरिये से बनाया गया बिल बताया। कहा कि इसमें सभी धर्मों का सम्मान और जीवन मूल्यों की सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह महिला स्वतंत्रता विरोधी विधेयक है। महिलाओं के लिए प्रावधान करने से पहले किसी भी महिला संगठन की राय नहीं ली गई।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि कांग्रेस को इस बिल के कई प्रावधानों पर असहमति है। पार्टी के विधायक जितना समय मिला, अपनी आपत्ति विधानसभा में दर्ज कर चुके हैं। बीजेपी ने जो दावे किये हैं, उसी से पता चलता है कि विधेयक के नाम पर सिर्फ लीता-पोती कर रहे हैं। बीजेपी ने 2 लाख लोगों के सुझाव आने की बात कही है और यह भी कहा है कि प्रदेश की 10 प्रतिशत जनता ने अपने सुझाव दिये हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या राज्य के 2 लाख की आबादी 10 प्रतिशत है।

सीपीआई (एमएल) के प्रदेश महासचिव इंद्रेश मैखुरी ने उन्होंने कहा कि संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में यूसीसी का जिक्र है, लेकिन यह भी प्रावधान है कि इस तरह का कोड राष्ट्र राज्य बनाएगा, न कि कोई प्रदेश। उन्होंने इसे सिविल कोड के बजाय क्रिमिनल कोड करार दिया और कहा कि कई जगह सजाओं का जिक्र है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ंलिव इन रिलेशन भारतीय संस्कृति है या नहीं, यह सवाल सरकार से पूछा जाना चाहिए, जोे इस तरह के रिलेशन का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने जा रही है। उन्होंने इसे हास्यास्पद बताया। सीपीएम के नेता सुरेन्द्र सजवाण ने कहा कि यह बिल भाई-बहनों के बीच दरार पैदा करने वाला और साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला है। बिल वेलेंटाइन डे पर पार्कों में लोगों को परेशान करने वाले गिरोह को पूरे साल इस तरह के हुड़दंग करने की इजाजत देने वाला है।
सामाजिक कार्यकर्ता और एडवोकेट रजिया बेग ने यूसीसी बिल को एक बेहूदा बिल बताया। उन्होंने कहा कि संविधान में पहले से विभिन्न समुदायों के लिए शादी के कानून हैं। इन कानूनों को खत्म किये बिना और एक और कानून कैसे बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह बिल पूरी तरह से अल्पसंख्यक समुदाय को निशाने पर लाने के लिए बनाया गया है। राज्य सरकार को इस तरह का कानून बनाने का कोई अधिकार ही नहीं है। समाजवादी पार्टी के डॉ. एसएन सचान ने कहा कि इस कानून को लागू करने से पहले पर्सनल लॉ को बदलना होगा। विधेयक ड्राफ्ट करने से पहले किसी भी ऐसे समुदाय की सलाह नहीं ली गई, जो इस तरह के कानून से प्रभावित होगा। ऐसे में यह विधेयक पूरी तरह निरर्थक है और साफ है कि राजनीतिक लाभ के लिए लाया गया है। पत्रकार वार्ता में डा. एसएन सचान, एडवोकेट रजिया बेग, कामरेड सुरेन्द्र सिंह सजवाण, इन्द्रेश मैखुरी, गरिमा दसोनी, कमला पंत, निर्मला बिष्ट, रवि चौपड़ा आदि मौजूद रहे |

स्पिक मैके ने पंडित सतीश व्यास द्वारा संतूर प्रदर्शन किया आयोजित

0

देहरादून,  स्पिक मैके के तत्वावधान में प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित सतीश व्यास ने ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए प्रदर्शन किया। प्रस्तुति के दौरान उनके साथ तबले पर अमित कवठेकर मौजूद रहे। इससे पहले अपने सर्किट के दौरान उन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में भी प्रदर्शन किया।

अपने प्रदर्शन के दौरान, पंडित सतीश व्यास ने राग शुद्ध सारंग की प्रस्तुति देकर मौजूद छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद एक व्याख्यान प्रदर्शन हुआ, जिसमें छात्रों को पंडित व्यास के साथ बातचीत करने और भारतीय शास्त्रीय संगीत की बारीकियों के बारे में जानने का मौका मिला।

अपने प्रदर्शन के दौरान, सतीश व्यास ने बताया कि संतूर को संस्कृत में ‘शत तंत्री वीणा’ के रूप में भी जाना जाता है और इसका फ़ारसी संस्कृति से प्रभावित एक समृद्ध इतिहास है, जो आज एक खूबसूरत वाद्ययंत्र के रूप में विकसित हुआ है। अखरोट की लकड़ी से निर्मित और सैकड़ों तारों से सुसज्जित, संतूर एक गहरी, जादुई ध्वनि उत्पन्न करता है, जो अपने शाश्वत आकर्षण से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।

प्रदर्शन पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए, छात्रों में से एक ने कहा, “पंडित सतीश व्यास का प्रदर्शन हम सभी छात्रों के लिए एक अनोखा अनुभव रहा, जो हमें एक दिव्य संगीत की दुनिया में ले गया। संगीत के प्रति पंडित व्यास का प्यार और जुनून वास्तव में प्रेरणादायक था।”

पद्मश्री पुरस्कार विजेता पंडित सतीश व्यास प्रतिष्ठित भारतीय शास्त्रीय गायक सी. आर. व्यास के पुत्र हैं। उन्होंने दुनिया भर में विभिन्न प्रतिष्ठित स्थानों पर प्रस्तुति दी है, और नवरस रिकॉर्ड्स, म्यूजिक टुडे, टाइम्स म्यूजिक, बीएमजी क्रेस्केंडो और सोनी म्यूजिक जैसे प्रसिद्ध लेबल के साथ उनकी कई रिकॉर्डिंग्स भी हैं।

SGRR में आंदोलनरत छात्रों की गिरफ्तारी से ख़फ़ा छात्रा आक्षी मल्ल चढ़ी पानी की टंकी पर

0

देहरादून। बिपिन नौटियाल। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एसजीआरआर विश्वविद्यालय में छात्र संघ अपनी 12 मांगों को लेकर 7दिनों से धरने पर बैठे है। मंगलवार को भी छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन जारी रखा। छात्रों का कहना है कि शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे 6 छात्रों सहित प्रदेश मंत्री ऋषभ रावत को पुलिस प्रशासन द्वारा जबरन धरना स्थल से उठाया गया व छात्रसंघ अध्यक्ष चंदन नेगी व महासचिव नीरज रतूड़ी को पेपर देते हुए दोपहर 12बजे हिरासत में लिया गया। जिसके बाद छात्रा आक्षी मल्ल पानी की टंकी पर चढ़ गई। आक्षी मल्ल ने कहा कि पुलिस प्रशासन ने सभी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है और उन्हें पेपर देने से रुका जा रहा है, उन्हें तत्काल छोड़ा जाए व उन्हें परीक्षा देने के लिए महाविद्यालय लाया जाए। जिसके बाद सीओ अनिल जोशी के कहने पर छात्रों को पेपर देने कॉलेज लाया गया। इसके बाद 3 बजे छात्रा पानी की टंकी से नीचे उतरी।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री ऋषभ रावत ने कहा कि यह लड़ाई छात्र हितो की है। और विश्वविद्यालय प्रशासन को हमारी सारी मांगे पूरी करनी ही होंगी। आयोजित धरने में रितिक, देवेंद्र दानु, दिव्यांशु, प्रिंस भट्ट, आकशी, बलवीर कुंवर, ऋतिक रावत ,आकाश कुमार नीलांश, रोहित रावत,आयुषी पैन्यूली साहिल पंवार, विपुल, चंदन नेगी, पार्थ जुयाल, राहुल जुयाल, नीरज रतूड़ी, ऋषभ मल्होत्रा, नवदीप राणा सहित समस्त कार्यकर्ता मौजूद रहे।

 

उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने 10% क्षैतिज आरक्षण विधेयक पास होने पर प्रकट किया आभार

देहरादून, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा विधानसभा में राज्य आंदोलनकारियों के 10% क्षैतिज आरक्षण विधेयक पास होने पर सरकार व विपक्ष का आभार प्रकट किया।
प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी व प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने इस विधयेक के विधानसभा की मंजूरी पर मुख्यमन्त्री व प्रवर समिति के साथ ही विपक्ष का आभार प्रकट किया साथ ही सरकार से उम्मीद जताई कि शीघ्र इस विधेयक को राजभवन को भेजा जाय, जिससे उस पर राजभवन की मोहर लगे तो राज्य आंदोलनकारियों की आंखों में उसकी चमक दिखाई देगी। शासनादेश जारी होने पर मनाएंगे दिवाली जिसका पिछले 11-वर्षों से इंतजार है |
वहीं सुलोचना भट्ट औऱ डीo एसo गुसाईं के साथ पूरण सिंह लिंगवाल ने विधानसभा में इस विधेयक की मंजूरी पर पक्ष विपक्ष का आभार जताया औऱ जल्द राजभवन से मोहर लगने पर इस पर जश्न मनाए जाने की बात कहीं।

 

यूथ कांग्रेस ने आयोजित किया जय जवान कार्यक्रम, बताए अग्निवीर योजना के नकुसान

देहरादून, यूथ कांग्रेस द्वारा मधुबन बैंकट हॉल में जय जवान कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसके माध्यम से युवाओं के मन की बात को सुना गया । इस दौरान दर्जनों युवाओं ने संवाद कार्यक्रम में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुऐ अग्निवीर योजना के नकुसान बताए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनीतिक सलाहकार गुरदीप सप्पल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा, कम्युनिकेशन वाररूम के हेड वैभव वालिया समेत तमाम नेताओं ने संबोधित किया।
इस मौके पर गुरदीप सप्पल ने कहा अग्नि वीर योजना से युवा अपने आप को ठका सा महसूस कर रहे हैं युवाओं के मन की बात को सुनकर कांग्रेस पार्टी घोषणा पत्र तैयार करेगी।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने कहा उत्तराखण्ड का युवा भारतीय सेना के माध्यम से देश की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाता था लेकिन जिस तरीके से सरकार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही हो निश्चित तौर पर बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है सरकार की मंशा देश की सेना को कमजोर करने की है।
पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी ने मोदी सरकार की नीतियों पर जमकर हमला बोला।
युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुमित्तर भुल्लर ने युवाओं के हक के लिये युवा काग्रेस आर पार की लड़ाई लड़ेगा।
इस मौके पर राष्ट्रीय सचिव नईम प्रधान रिशु मेहर युवा काग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष हेमन्त साहू मीमांसा आर्या समेत अन्य वक्ताओं ने सम्बोधित किया।
कांग्रेस जिला अध्यक्ष राहुल छिमवाल महानगर महानगर अध्यक्ष गोविंद बिष्ट पूर्व राज्य मंत्री हरीश पनेरू जया कर्नाटक अल्का आर्या रंजीत राणा मधु सगुड़ी सचिन राठौर निशान्त शाही आफताब आलम मोहित चौहान सुमिन्दर यादव हिमान्शु कबड़वाल संजय जोशी समेत शामिल हुये।

 

आरटीओ कार्यालय में एसडीआरएफ ने दिया प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण

ॠषिकेश, वाहनों की अनियमित गति या अन्य कई कारणों से अक्सर वाहन दुर्घटनाएं घटित होती ही रहती है जिस कारण जान माल की क्षति होती रहती है। वर्तमान समय तक अनेकों लोग इसी तरह की दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके है।

वाहन दुर्घटनाओं को न्यूनतम किये जाने हेतु एसडीआरएफ टीम द्वारा सड़क सुरक्षा माह अभियान आरम्भ किया गया है जिससे लोगों को वाहन दुर्घटनाओं के प्रति जागरूक किया जा सके ताकि जान माल की हानि कम से कम हो। इसी क्रम में चलाये जा रहे राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह अभियान में एसडीआरएफ उत्तराखण्ड टीम द्वारा निरीक्षक कवींद्र सजवाण के नेतृत्व में आरटीओ ऋषिकेश कार्यालय के अधिकारी कर्मचारियों व वाहन चालक , परिचालकों को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के अंतर्गत टीम द्वारा रक्तस्राव रोकने के तरीके, स्पलिंट बांधना, बैंडेज़िंग करना, सीपीआर देना इत्यादि की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी।

 

इंटर स्कूल अंडर-15 जूनियर ब्वॉयज क्रिकेट टूर्नामेंट : द हैरिटेज स्कूल नॉर्थ कैंपस की टीम ने कब्जाया खिताब

देहरादून (सेवासिंह मठारू), द हैरिटेज स्कूल नॉर्थ कैंपस के तत्वावधान में इंटर स्कूल अंडर- 15 जूनियर ब्वॉयज क्रिकेट टूर्नामेंट का फाइनल मैच मेजबान द हैरिटेज स्कूल नार्थ कैम्पस एवं सेंट ज्यूड्स स्कूल की टीम के बीच खेला गया और रोचक मुकाबले में द हैरिटेज स्कूल नार्थ कैम्पस की टीम ने 11 रन से मैच जीतकर ट्राफी अपने नाम की।
यहां द हैरिटेज स्कूल नॉर्थ कैंपस सहस्त्रधारा रोड के तत्वावधान में खेली जा रही इंटर स्कूल अंडर-15 जूनियर ब्वॉयज क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल मैच का उदघाटन स्कूल के चेयरमैन चौधरी अवधेश कुमार, निदेशक उमा चौधरी, सिद्धार्थ चौधरी, स्कूल की प्रधानाचार्य दीपाली सिंह, उप प्रधानाचार्य स्वाति पपनै ने संयुक्त रूप से खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर किया और सभी को विजयी होने का आशीर्वाद दिया।
इस अवसर पर स्कूल के चेयरमैन चौधरी अवधेश कुमार ने खिलाड़ियों को खेल भावना एवं अनुशासन में खेल खेलने का आहवान किया। इस अवसर पर कहा गया कि चौधरी अवधेश कुमार द्वारा किया गया फाइनल मैच का शुभारंभ हमारे युवाओं के बीच खेल कौशल विकसित करने और उत्साही प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए स्कूल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
इस अवसर पर फाइनल मैच द हैरिटेज स्कूल नार्थ कैम्पस एवं सेंट ज्यूड्स स्कूल की टीम के बीच खेला गया और द हैरिटेज स्कूल नार्थ कैम्पस के कप्तान अक्षित कुमार ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया और शुरूआती दौर से ही बल्लेबाजों ने तेजी से रन जुटाने शुरू किये और मैच में सलामी बल्लेबाज के रूप में मैदान में उतरे खिलाड़ी अविरल तेजी से रन लेने के चक्कर में रन आउट होकर पवेलियन लौट गये।
मैच में द हैरिटेज स्कूल नार्थ कैम्पस के खिलाड़ियों ने तालमेल के साथ खेलते हुए अपनी टीम के लिए तेजी से रन जोड़ते रहे और ने निर्धारित 10 ओवर में 65 रन बनाकर पवेलियन लौट गई। मैच में 66 रनों के लक्ष्य को पार करने उतरी सेंट ज्यूड्स स्कूल की टीम शुरूआती दौर में रन बनाने का प्रयास करने लगी लेकिन द हैरिटेज स्कूल नॉर्थ कैम्पस के गेंदबाजों के आगे वह लक्ष्य को हासिल करने का अंतिम समय तक प्रयास करती रही।
मैच में सेंट ज्यूड्स स्कूल की टीम ज्यादा देर तक पिच पर टिकी परंतु द हैरिटेज स्कूल नॉर्थ कैम्पस के गेंदबाजों के सामने टिक नहीं पाई और एक के बाद एक विकेट गिरते गये और निर्धारित ओवर पर 54 रन बनाकर पवेलियन लौट गई और द हैरिटेज स्कूल नॉर्थ कैम्पस की टीम ने मैच को 11 रनों से जीतकर खिताब पर कब्जा कर लिया। मैच में द हैरिटेज स्कूल नॉर्थ कैम्पस के खिलाड़ी सार्थक को मैन ऑफ द मैच और ऋषभ को मैन ऑफ द सीरीज प्रदान किया गया। इस अवसर पर विजेता एवं उप विजेता टीमों को पदक, प्रमाण पत्र प्रदान किये गये और विजेता टीम को ट्राफी प्रदान की गई।
इस अवसर पर द हैरिटेज स्कूल नॉर्थ कैम्पस के स्कूली बच्चों ने हिन्दी व अंग्रेजी में शानदार कमेन्ट्री कर खिलाड़ियों एवं दर्शकों का उत्साहवर्धन किया।
इस अवसर पर स्कूल के चेयरमैन चौधरी अवधेश कुमार, निदेशक उमा चौधरी, सिद्धार्थ चौधरी, स्कूल की प्रधानाचार्य दीपाली सिंह, उप प्रधानाचार्य स्वाति पपनै, कोडिनेटर सुभि थापा, फिजिकल ट्रेनर्स आयुष मित्तल, गौतम प्रधान, एस एस पंवार सहित स्कूलों के प्रतिभागी खिलाड़ी उपस्थित रहे।

गुलदार और बाघ के निरंतर हमलों के कारण 10 गांवों में 9 फरवरी तक रहेगा कर्फ्यू

0

पौड़ी, जनपद के 10 गांवों में गुलदार और बाघ के निरंतर हमलों को देखते हुए जिलाधिकारी ने 9 फरवरी तक कर्फ्यू लगा दिया गया है। यह कर्फ्यू शाम 06 बजे से सुबह 06 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि को कोई भी ग्रामीण आवाजाही नहीं कर पाएगा। कर्फ्यू 07 फरवरी शाम 06 बजे से प्रभावी होगा। आज जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने यह आदेश जारी किया है। कर्फ्यू का निर्णय उपजिलाधिकारी श्रीनगर और उप वन संरक्षक पौड़ी की संस्तुति के क्रम में किया गया।
जिलाधिकारी पौड़ी के आदेश के मुताबिक नाइट कर्फ्यू श्रीनगर शहर से सटे ग्राम श्रीकोट समेत ढिकवाल गांव, सरणा, बुघाणी, जलेथा, भटोली, ग्वाड़, रैतपुर, कोठगी, खिर्सू में लागू रहेगा। जिलाधिकारी के पात्र के मुताबिक इन क्षेत्रों में गुलदार/बाघ के पुनः हमलों की आशंका है। लिहाजा, वन विभाग की ओर से कर्फ्यू के दौरान गुलदार/बाघ को पकड़ने के लिए तमाम उपाय किए जाएंगे। इस तरह की फौरी व्यवस्था के साथ ही गुलदार और बाघ के हमलों से नागरिकों को बचाने के लिए ठोस प्रयास भी करने होंगे। क्योंकि, वन्यजीवों के आतंक से त्रस्त और पीड़ितों का आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है।
इस बीच इलाके में 2 बच्चों को शिकार बना चुके बाघ/गुलदार, चहलकदमी अभी भी जारी है, वहीं 3 फरवरी को ग्राम ग्वाड़, पट्टी चलणस्यूं, तहसील श्रीनगर में 11 वर्षीय अंकित सिंह पुत्र श्री राकेश सिंह को गुलदार द्वारा हमला करके मार दिया गया था। उसके बाद फिर 4 फरवरी को अयान अंसारी पुत्र सलामुद्दीन अंसारी उम्र 04 वर्ष निवासी ग्लास हाऊस रोड, श्रीनगर को रात्रि लगभग 09:00 बजे गुलदार घर के आंगन से उठा कर लगभग 20 मीटर घसीटते हुए ले गया। परिजनों एवं आसपास के लोगों द्वारा शोर-गुल कर बालक को गुलदार के चंगुल से किसी तरह छुड़ाया गया। बालक को संयुक्त चिकित्सालय लाने पर चिकित्सकों द्वारा अयान अंसारी को मृत घोषित कर दिया गया।
मंगलवार 6 फरवरी की सुबह 4:30 बजे नर्सरी रोड से पौड़ी बस अड्डा और 7 बजे बुधाणी रोड में बाघ/गुलदार की चहलकदमी की जानकारी मिली। इसी दिन 1:30 बजे गंगा दर्शन मोड़ पर बाघ गुलदार द्वारा एक गाय को अपना शिकार बनाया गया। इन सब घटनाओं के क्रम में उपजिलाधिकारी, श्रीनगर ने बुधवार 7 फरवरी से 9 फरवरी तक रात्रि कर्फ्यू लगाये जाने हेतु आख्या दी थी।

उत्तराखण्ड ने रच दिया इतिहास : ध्वनिमत से विधानसभा में पास हुआ यूसीसी विधेयक

0

“यूसीसी विधेयक पूरे देश को राह दिखायेगा, आधी आबादी को बराबरी का हक मिलेगा : मुख्यमंत्री धामी”

“समान नागरिकता कानून बनाने वाला भाजपा शासित उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बना”

 

यूसीसी विधेयक पारित होने के बाद सीएम को मिली बधाई, आतिशबाजी हुई और बंटी मिठाई

देहरादून, प्रदेश विधानसभा में चली लम्बी बहस के बाद बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक ध्वनिमत से पारित कर हो गया। जैसे ही बिल पारित हुआ सदन जय श्रीराम ,वंदे मातरम और भारतमाता की जय के नारों से गूंज उठा। प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा के पटल पर समान नागरिक संहिता बिल पेश किया था। लम्बी चर्चा के आज बुधवार 7 फरवरी की सांय सदन में विधेयक पारित हो गया, यूसीसी विधेयक पारित होने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने ढोल नगाड़े व आतिशबाजी व मिठाई बांट कर खुशी जताई। इसके साथ उत्तराखण्ड यूसीसी विधेयक बनाने वाला पहला राज्य बन गया।
आज दिन भर चली चर्चा के दौरान सायं यूसीसी विधेयक पर मुख्यमंत्री ने सदन में हुई सार्थक चर्चा पर जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक पूरे देश को राह दिखायेगा। समान अधिकारों की रक्षा करेगी। सामाजिक ढांचे को मजबूत बनाएगा।

अपने उद्बोधन में सीएम धामी ने विधेयक के मुख्य बिंदु विस्तार से सदन के सम्मुख पेश किए। उन्होंने कहा कि यूसीसी कानून में जरूरी संशोधन भी किये जाएंगे। मुख्यमंत्री ने आंदोलन के शहीदों को याद करते हुए कहा कि जो संकल्प लिया था वो आज पूरा हुआ। यह ऐतिहासिक पल देवभूमि को मिला। और एक इतिहास रचा। इसके लिए जनता बधाई की हकदार है। सभी के सहयोग से समरस व आदर्श समाज का निर्माण किया जाएगा। कई लोगों की जिंदगी में बदलाव आएगा।
सीएम ने कहा कि विश्व के कई देशों में समान नागरिक संहिता लागू है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन ने समान कानून नहीं बनाया, समाज को बांटा, छिन्न भिन्न किया। आजादी के बाद संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में यूसीसी के निर्माण को जगह दी गयी। सीएम धामी ने दल विशेष का उल्लेख न करते हुए कहा कि आजादी के बाद अंबेडकर के सिद्धांतों पर काम न होकर तुष्टिकरण की नीति बनाई। उन्होंने कहा कि 2022 को कहा था कि नई सरकार का गठन होते ही समान नागरिक संहिता बनाएंगे। पांच सदस्यीय ड्राफ्ट कमेटी बनाई। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने मांणा गांव से संवाद शुरू किया।

सीएम ने कहा कि असमानता की खाई को दूर किया जाएगा। यूसीसी सभी को बराबरी का अधिकार देगा महिला वर्ग के साथ हुए भेदभाव को दूर किया जाएगा। एक घण्टे से अधिक अवधि के सम्बोधन में सीएम ने पीएम मोदी के विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज रामयुग की शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट्स कमेटी ने 43 जनसंवाद के कार्यक्रम हुए। समिति को 32 लाख 32 हजार 961 सुझाव मिले। 10 प्रतिशत परिवारों ने अपने सुझाव दिए। कमेटी ने 2 फरवरी 2024 को सरकार को रिपोर्ट सौंपी। सीएम के सदन में वक्तव्य के बाद विधेयक को बहुमत से पारित किया गया। इससे पूर्व, बुधवार की सुबह 11 बजे से सांय तक सदन में पक्ष-विपक्ष के कई विधायकों ने गम्भीर तर्क पेश किए। कई विधायकों की शेरो-शायरी से सदन का माहौल हल्का भी हुआ। बुधवार को विस कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों ने यूसीसी विधेयक की कमियां गिनाई। प्रीतम सिंह, बेहड़, भुवन कापड़ी समेत कई विधायकों ने यूसीसी विधेयक को संविधान की कई धाराओं के उल्लंघन बताया। और कहा कि विधेयक में कुछ भी नया है।
कई नियम पहले से ही अस्तित्व में हैं। कांग्रेस ने विधेयक की कमियां गिनाते हुए इसे प्रवर समिति को सौंपने की मांग की। बुधवार को विधेयक पारित होने के बाद सदन में जय श्री राम व भारत माता की जय के नारे लगाए। मंगलवार से बुधवार तक यूसीसी पर चली चर्चा के दौरान स्पीकर ऋतु खंडूडी ने सभी विधायकों को बोलने का मौका भी दिया। और समय-समय पर टोका भी।

यूसीसी विधेयक के मुख्य बिन्दु :

शादी की उम्र :
बहुत से धर्म ऐसे है जहां अभी भी 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की शादी हो जाती है, सभी धर्मो की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित की गई है।
तलाक :
समान नागरिक संहिता में पति-पत्नी के लिए तलाक के कारण और आधार एक समान कर दिए गए हैं, अब पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी।
वसीयत :
समान नागरिक संहिता लागू होने से पूर्व मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे, जो अब सभी के लिए समान होंगे। कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है।
उत्तराधिकार :
अब लड़कों के समान लड़कियों को उत्तराधिकार में बराबर अधिकार प्रदान किया गया है। संहिता में सम्पति को सम्पदा के रूप में परिभाषित करते हुए इसमें सभी तरह की चल-अचल, पैतृक सम्पत्ति को शामिल किया गया है |
विवाह पंजीकरण
शादी के छह माह के भीतर अनिवार्य तौर पर सब रजिस्ट्रार के पास विवाह पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण नहीं कराने पर 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
बहु विवाह :
पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी यानि बहु विवाह पर सख्ती से रोक रहेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुविवाह करने की छूट है लेकिन अन्य धमों में एक पति-एक पत्नी का नियम बहुत कड़ाई से लागू है।
लिव इन रिलेशनशिप :
अब युवा वर्ग को लिव इन में रहने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, बता दें कि विवाहित पुरुष या महिला लिव इन में नहीं रह पाएंगे। इसके लिए जोड़ों को लिव इन में रहने की स्वघोषणा करनी पड़ेगी। लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को सम्पूर्ण अधिकार दिए गए हैं। राज्य का स्थायी निवासी, राज्य या केंद्र सरकार के स्थायी कर्मचारी, राज्य में संचालित सरकारी योजना के लाभार्थी पर लागू होगा। राज्य में न्यूनतम एक साल तक रहने वाले लोगों पर भी यह कानून लागू होगा।

यह कानून माताओं बहनों का आत्मबल बढ़ाएगा, जो किसी प्रथा, कुरीति की वजह से प्रताड़ित होती थीं : सीएम धामी

विधान सभा में सीएम धामी ने प्रेसवार्ता में कहा कि आज उत्तराखंड के लिए विशेष दिन है। मैं विधानसभा के सभी सदस्यों, जनता का आभार व्यक्त करता हूं। उनके समर्थन से ही हम आज ये कानून बना पाए हैं। मैं पीएम मोदी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं। ये कानून समानता का है। ये कानून हम किसी के खिलाफ नहीं लाए, बल्कि उन माताओं बहनों का आत्मबल बढ़ाएगा, जो किसी प्रथा, कुरीति की वजह से प्रताड़ित होती थीं। हमने 12 फरवरी 2022 को इसका संकल्प लिया था। इसे जनता के सामने रखा था।
सीएम धामी ने कहा कि करीब दो साल में आज सात फरवरी को हमने इसे सदन से पास करवाया। देश के अन्य राज्यों से भी हमारी अपेक्षा रहेगी कि वह इस दिशा में आगे बढ़ें।
सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों का बड़ा योगदान है। आंदोलनकारियों की सुविधा, पेंशन बढ़ाने से लेकर हमने आरक्षण देने का काम किया है।