Saturday, May 17, 2025
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मुख्य सचिव राधा रतूड़ी हल्द्वानी के बनभूलपुरा के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची

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-जिलाधिकारी नैनीताल तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को स्थिति पर निरन्तर सर्तकता बनाए रखने के निर्देश दिए

-प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारियों को आम जनता की सुरक्षा एवं शान्ति को शीर्ष प्राथमिकता पर लेते हुए कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने हेतु कड़े निर्देश

-मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सुशीला तिवारी हॉस्पिटल पहुंचकर घायलों से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली

हल्द्वानी(आरएनएस)। हल्द्वानी के बनभूलपुरा के हिंसा प्रभावित क्षेत्र की स्थिति की जानकारी लेने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी शुक्रवार को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी नैनीताल तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को स्थिति पर निरन्तर सर्तकता बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। राधा रतूड़ी ने बनभूलपुरा थाने का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारियों को आम जनता की सुरक्षा एवं शान्ति को शीर्ष प्राथमिकता पर लेते हुए कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने हेतु कड़े निर्देश दिए हैं।
इस दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सुशीला तिवारी हॉस्पिटल पहुंचकर घायलों से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। मुख्य सचिव ने डॉक्टर्स को घायलों को आवश्यक उपचार के साथ ही उनका मनोबल बनाए रखने की हिदायत भी दी।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी , डीआईजी कुमाऊँ, जिलाधिकारी नैनीताल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा अन्य उच्च अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा हेतु एक उच्च स्तरीय बैठक की।
मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है। हालात सामान्य है। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जायेगी। बनभूलपुरा के प्रभावित क्षेत्र के अलावा हल्द्वानी समेत अन्य इलाकों में ऐसी घटना ना हो इसके लिए जिला प्रशासन और पुलिस की टीमो को तैनात किया गया है। उन्होंने आम जनता की क्षेत्र में शान्ति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सराहना की। सीएस ने कहा कि स्थिति का जायजा ले लिया गया है, मुख्यमंत्री जी स्थिति की निरंतर जानकारी ले रहे हैं। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जनता से अफवाहों से बचने और शांति व्यवस्था बनाने की अपील की।
इस दौरान पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, जिलाधिकारी वंदना, डीआईजी योगेन्द्र रावत, एसएसपी पीएन मीणा सहित अन्य उच्च अधिकारी मौजूद रहे ।

मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी पहुंचकर लिया स्थिति का जायजा

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घायल महिला पुलिस दल समेत अन्य पुलिसकर्मियों, प्रशासन, नगर निगम कर्मी और पत्रकार साथियों का जाना हाल चाल

हल्द्वानी(आरएनएस)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को दोपहर बाद हल्द्वानी पहुंचकर गुरुवार को सांय हुई उपद्रव की घटना की स्थिति का जायजा लिया।  मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी बनभूलपुरा में हुई घटना में घायल महिला पुलिस दल समेत अन्य पुलिसकर्मियों, प्रशासन, नगर निगम कर्मी और पत्रकार साथियों का भी हाल चाल जाना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने क़ानून तोड़ा है एवं सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है उनके सारे वीडियो फुटेज और फुटप्रिंट उपलब्ध हैं। इस घटना में शामिल सभी उपद्रवियों को चिन्हित कर, उन पर विधिसम्मत कार्रवाई की प्रक्रिया गतिमान है।
मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में शांति एवं कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एडीजी कानून और व्यवस्था श्री ए.पी अंशुमान को प्रभावित क्षेत्र में कैंप करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अवैध निर्माण को हटाये जाने के दौरान पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों एवं कार्मिकों पर हुए हमले तथा क्षेत्र में अशांति फैलाने की घटना को सख्ती से लेते हुए अराजक तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों से शान्ति बनाये रखने की अपील करते हुए अराजक तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही के निर्देश दिये है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिये कि प्रदेश में किसी को भी कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जायेगी। प्रशासनिक अधिकारी निरंतर क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये हर समय सजग रहे तथा हर स्थिति में अमन चैन एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये प्रयासरत रहें।

हल्द्वानी की घटना से खुली कानून- व्यवस्था की पोल :  यशपाल आर्य

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देहरादून(आरएनएस)। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि हल्द्वानी के वनभूलपुरा में हुई घटना ने प्रदेश में कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है। शुक्रवार को मीडिया कर्मियों से बातचीत में यशपाल आर्य ने कहा कि कुंमाऊ का प्रवेश द्वार हल्द्वानी हमेशा से अमन-चैन, शांति और भाईचारे का प्रतीक रहा है। यहां इस तरह की घटना पूर्व में कभी नहीं घटी। आर्य ने लोगों से शांति की अपील करते हुए कहा कि इस वक्त किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। उन्होंने कहा कि इस घटना से एक बार फिर प्रदेश की लचर कानून- व्यवस्था की पोल खुल गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे कहीं न कहीं प्रशासनिक तैयारियों की कमी और शासन तंत्र का फेलियर भी देखने को मिला है। नगर निगम, प्रशासन और पुलिस ने यहां चार फरवरी को जनता का विरोध देखा था, इसके बावजूद प्रशासन स्थितियों का ठीक से आंकलन नहीं कर पाया। नाहीं टकराव रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इसी तरह प्रदेश की खुफिया एजेंसी भी सही जानकारी देने में असफल रही, नतीजा बिना तैयारी के अभियान शुरू किया गया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रशासन और पुलिस बार-बार ड्रोन का प्रयोग कर कानून-व्यवस्था नियंत्रित किए जाने का दावा किया जाता है। तो फिर स्थितियों का जायजा लेने के लिए ड्रोन द्वारा हवाई सर्वे क्यों नहीं किया गया। स्थिति यह थी कि पुलिस बल को यहां से निकलने की जानकारी तक नहीं थी। उन्होंने प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है।

शेवनिंग छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत राज्य के 10 ग्रेजुएट को पोस्ट ग्रजुएट के लिए यूनाइटेड किंगडम में अध्ययन करने का मिलेगा अवसर

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05 छात्र और 05 छात्राएं इस योजना के तहत पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करने के लिए जायेंगे।

मुख्यमंत्री से इस सबंध में शेवेनिंग इंडिया की प्रमुख सुप्रिया चावला ने सचिवालय में की भेंट।

उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही है उच्च शिक्षा मेधावी छात्रवृत्ति प्रोत्साहन योजना।

देहरादून, शेवेनिंग अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य सरकार 10 ग्रेजुएट छात्रों को यूनाइटेड किंगडम में अध्ययन का अवसर मिलेगा। जिसमें पांच छात्र और पांच छात्राएं शामिल होंगी। इस सबंध में शेवेनिंग इंडिया की प्रमुख सुप्रिया चावला ने सचिवालय में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की। उन्होंने कहा कि शेवनिंग चार दशकों से 160 देशों में काम कर रहा है। संगठन द्वारा उच्च शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को इंग्लैंड के किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश की सुविधा प्रदान करता है, जिसकी लागत आमतौर पर एक वर्ष के लिए 40 लाख रुपये होती है। राज्य सरकार इस लागत में 20 लाख रुपये का योगदान देती है और शेवनिंग इंडिया शेष 20 लाख रुपये वहन करता है, जिससे बच्चे विश्वविद्यालय पढ़ाई में कुशल बन सकें। शेवेनिंग छात्रवृत्ति के लिए सफल विद्यार्थियों को उनकी नेतृत्व क्षमता और शैक्षणिक उत्कृष्टता के आधार पर चुना जाता है। शेवेनिंग ने दुनिया भर में कई प्रभावशाली नेताओं और परिवर्तन-निर्माताओं को तैयार किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा राज्य के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को आगे लाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा मेधावी छात्रवृत्ति प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के सरकारी महाविद्यालयों के जिन मेधावी छात्र-छात्राओं को इस छात्रवृत्ति योजना के तहत विदेश भेजा जा रहा है, उनको अपने शैक्षणिक और व्यावसायिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।

इस अवसर पर सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली, सचिव डॉ.बी.वी.आर. सी. पुरुषोत्तम उपस्थित थे।

समान नागरिकता संहिता प्रदेश को भविष्योन्मुखी बनाने के लिए एक सकारात्मक कदम : प्रो. बत्रा

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हरिद्वार  कुलभूषण) एस.एस.एम.जे.एन. पी.जी. काॅलेज में आज आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के अन्तर्गत राजनीति विज्ञान विभाग तथा इतिहास विभाग द्वारा समान नागरिकता संहिता (यूसीसी) के बिल पर आज एक समूह परिचर्चा का आयोजन किया गया। उक्त परिचर्चा में छात्र-छात्राओं ने अत्यन्त उत्साहपूर्वक भाग लिया।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए कहा कि वास्तव में समान नागरिकता संहिता प्रदेश को भविष्योन्मुखी बनाने के लिए एक सकारात्मक कदम है क्योंकि उत्तराखण्ड राज्य द्वारा प्रस्तुत इस बिल में महिला अधिकारों का विशेष ध्यान रखा गया है जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। प्रो. बत्रा ने इस उपलब्धि पर भी गर्व व्यक्त किया कि नवम्बर, 2022 में ही उनका महाविद्यालय यूसीसी पर चर्चा के लिए गठित विशेषज्ञ पैनल के साथ अत्यन्त नजदीकी से कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त कर चुका है।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण व इतिहास विभागाध्यक्ष डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव इन रिलेशनशिप पर जारी किया गया यह कानून उत्तराखण्ड राज्य के लिए गर्व की बात है क्योंकि वह ऐसा करने वाला पहला राज्य बन जायेगा। उन्होंने कहा कि समान नागरिकता संहिता वर्तमान समय की आवश्यकता है और भारत के समाज को आधुनिकता की ओर ले जाने का एक प्रयास है।
राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष विनय थपलियाल ने बिल के महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी देते हुए बताया कि यद्यपि कोई विधि सम्पूर्ण नहीं होती क्योंकि संविधान एक जीवित दस्तावेज है जोकि समय की मांग के अनुसार अपने आप को समायोजित करता रहा है। इसी आलोक में यूसीसी हमारे संविधान को सुदृढ़ करने का एक प्रयास है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि इस कानून में कोई विसंगति भी है तो वह न्यायिक पुनरावलोकन के लिए खुली है।
डाॅ. प्रदीप त्यागी, चिकित्सक ने इस अवसर पर कहा कि महिलाओं व पुरूषों के लिए विवाह की उम्र समान होनी चाहिए। उनकी इस बात का वहाँ उपस्थिति छात्राओं ने विशेष स्वागत किया। प्रियांशी कुकरेजा, साक्षी राणा, तनुज बहुगुणा, तनीषा, रिया कश्यप, भावेश पंवार ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।
इस अवसर पर डाॅ. शिव कुमार चौहान, डाॅ. मनोज कुमार सोही, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. लता शर्मा डाॅ. लता शर्मा, डाॅ. विनीता चौहान, वैभव बत्रा, दिव्यांश शर्मा, डाॅ. मिनाक्षी शर्मा, डाॅ. विजय शर्मा, डाॅ. अनुरिषा, डाॅ. रेनू सिंह, डाॅ. सरोज शर्मा, डाॅ. पल्लवी राणा, कार्यालय अधीक्षक मोहन चन्द्र पाण्डेय आदि उपस्थित थे।

हरिद्वार के कार्यकर्ताओं द्वारा धामी सरकार  समान नागरिक संहिता बिल पारित होने पर उत्सव मनाया

उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता बिल पारित होने के बाद हरिद्वार  में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मनाया उत्सव – Him Express News

हरिद्वार  कुलभूषण)  भारतीय जनता पार्टी जिला हरिद्वार के कार्यकर्ताओं द्वारा उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता बिल पारित होने पर चंद्राचार्य चौक पर सैकड़ो की संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं के द्वारा एक दूसरे को मिष्ठान खिलाकर एवं आतिशबाजी कर उत्सव मनायाl

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं नगर विधायक मदन कौशिक ने इस अवसर कहा कि देश का पहला समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड सरकार में पास हो गया है 2 दिन की लंबी चर्चा के बाद सदन में ध्वनि मत से पास हुआl
इसके लिए मैं प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित सभी जनप्रतिनिधियों को धन्यवाद देता हूं एवं प्रदेश की जनता को इस बिल के पास होने पर शुभकामनाएं प्रेषित करता हूंl
इसी के साथ-साथ विधानसभा में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारी एवं उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में 10% क्षैतिजआरक्षण देने वाला विधेयक संशोधन के साथ सदन में सर्वसम्मति से पारित हुआ।
भाजपा जिला अध्यक्ष संदीप गोयल ने कहा कि प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार के नेतृत्व में पास हुआ यह ऐतिहासिक समान नागरिक संहिता बिल उत्तराखंड वासियों के मिल का पत्थर साबित होगा।
सभी धर्म समुदायों के लिए एक समान एक बराबर कानून अति आवश्यक था।
इस कानून के बनने से संपूर्ण प्रदेशवासियों में समानताओं का भाव उत्पन्न होगा।
यह विधेयक मातृशक्ति के सम्मान व सुरक्षा के प्रति पुष्कर सिंह धामी सरकार के संकल्प को परिलक्षित करता है।
इस अवसर पर जिला महामंत्री आशु चौधरी, मंडल अध्यक्ष राजेश शर्मा, हीरा सिंह बिष्ट ,तरुण नैय्यर, लव शर्मा, मनोज गर्ग ,अनिल अरोड़ा विशाल गर्ग ,सुनील शेट्टी, सचिन बेनीवाल, नकली राम सैनी, नेत्रपाल चौहान ,सचिन शर्मा, सिद्धार्थ कौशिक, प्रीति गुप्ता, शीतल पुंडीर, सरिता यादव, सरोज जाखड़, रजनी वर्मा, मनोज शर्मा, अरुण आर्य, दीपांशु विद्यार्थी ,शुभम मंडोला, नितिन शुक्ला, अनिल मिश्रा, प्रशांत सैनी, छवि पथ, धीरसिंह, पप्पन कुरैशी, तूशांत भट्ट, आकाश दत्त, ऋषभ सैनी ,बाबू सिंह, विजय गवाड़ी ,अशोक गिरी, सुबोध वर्मा, विवेक उनियाल ,मोनिका सैनी, पारुल चौहान ,निशा नौडियाल, नेपाल सिंह ,संजय पुंडीर ,विदित शर्मा ,आकाश भाटी, अनिल कुमार ,अंश मल्होत्रा, कामिनी सदाना, सचिन अग्रवाल ,राहुल शर्मा ,विक्की शर्मा आदि उपस्थित रहे।

यूसीसी विधेयक राज्य की महिलाओं की सुरक्षा, अधिकार व महिला सशक्तिकरण की दिशा में अनोखी मिसाल कायम करेगा – कुसुम कण्डवाल

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हरिद्वार (कुलभूषण) राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने आयोग के कार्यलय से, कल विधानसभा सदन उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता बहुमत से पारित होने पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि मैं आभार व्यक्त करती हूं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी का तथा केंद्रीय नेतृत्व का जिनके मार्गदर्शन में यूसीसी लागू किया गया।
महिला आयोग की अध्यक्ष ने इस अवसर पर सदन के समस्त सदस्यों तथा उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता का आभार जताया है।

उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड के लिए गौरवान्वित करने वाला ऐतिहासिक पल है हमारा राज्य देश पहला राज्य है जहां से समान नागरिकता कानून को मंजूरी मिली है। यह कानून महिलाओं को कुरीतियों और रूढ़‌वादी प्रथा से दूर करते हुए सर्वांगीण में उनके लिए सहायक सिद्ध होगा तथा राज्य की महिलाओं की सुरक्षा, महिलाहित व महिला सशक्तिकरण की दिशा में अनोखी मिसाल कायम करेगा ।

यह कानून प्रदेश के हर नागरिकों को समान अधिकार देने के साथ साथ मातृशक्ति को न्याय ही नहीं अपितु नई ताकत देने का काम भी करेगा। उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग स्वयं यूसीसी की पक्षधर रहा है। इसी लिए आयोग द्वारा महिला सुरक्षा, लिव इन रिलेशनशिप, बहुविवाह, तलाक इत्यादि विषयों को लेकर अनेको उपाय दिए गए थे जिन्हें यूसीसी में स्थान मिला है। इसके माध्यम से महिलाओं के अधिकारों पूर्ण दर्जा दिया जाएगा चाहे वह किसी भी वर्ग की हों या किसी भी धर्म की हो।

राज्य विधान सभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता की शक्ति: मुख्यमंत्री

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देहरादून(आरएनएस)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गुरुवार को सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में प्रदेश में समान नागरिक संहिता विधेयक विधान सभा से पारित होने पर गर्मजोशी से स्वागत के साथ सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। स्वर्णिम देवभूमि परिषद द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में बडी संख्या में बुद्धिजीवियों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गणमान्य लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने के लिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सभी ने प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने राज्य विधान सभा में नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता की शक्ति बताते हुये कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कानून मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री ने इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र सरकार तथा प्रदेश की देवतुल्य जनता का भी आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे देश का नेतृत्व आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम हाथों में है, जिनके लिए देश सर्वप्रथम है, जो इस देश को ही अपना परिवार समझते हैं और अपने परिवारजनों का सुख-दुःख ही उनका सुख-दुःख है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने समान नागरिक संहिता पर देवभूमि की सवा करोड़ जनता से किये गए अपने वादे को निभाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनता के हैं और जनता हमारी है, यह कानून जनता के लिये है, जनता की भलाई, समता और समानता के लिये बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ’’एक भारत और श्रेष्ठ भारत’’ मन्त्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। सरकार गठन के तुरंत बाद, जनता जर्नादन के आदेश को सिर माथे पर रखते हुए हमने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई जी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की। इस समिति के सदस्यों में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली जी, समाजसेवी मनु गौड़ जी, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह जी एवं दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल जी को सम्मिलित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के सीमांत गांव माणा, जिसे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश का प्रथम गांव घोषित किया है, वहां से प्रारंभ हुई जनसंवाद यात्रा के दौरान 43 जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर समिति को विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए। प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों द्वारा किसी कानून के निर्माण के लिए अपने सुझाव देने का देश में यह पहला अतुलनीय उदाहरण है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर समिति ने उनका रिकॉर्ड समय में विश्लेषण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट 02 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है उसी प्रकार राज्य विधान सभा से पारित समान नागरिक संहिता के रूप में निकलने वाली समान अधिकारों की संहिता रूपी ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात संविधान स्वयं करता है, क्योंकि हमारा संविधान एक पंथनिरपेक्ष संविधान है। यह एक आदर्श धारणा है, जो हमारे समाज की विषमताओं को दूर करके, हमारे सामाजिक ढांचे को और अधिक मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि माँ गंगा-यमुना का यह प्रदेश, भगवान बद्री विशाल, बाबा केदार, आदि कैलाश, ऋषि-मुनियों-तपस्वियों, वीर बलिदानियों की इस पावन धरती ने एक आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित होने के बावजूद अब तक इसे दबाये रखा गया। 1985 के शाह बानो केस के साथ इसी देवभूमि की बेटी सायरा बानो ने दशकों तक न्याय के लिये संघर्ष किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता, विवाह, भरण-पोषण, गोद लेने, उत्तराधिकार, विवाह विच्छेद जैसे मामलों में भेदभाव न करते हुए सभी को बराबरी का अधिकार देगा और जो प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार भी है। समान नागरिक संहिता समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को रोका जाए। हमारी माताओं-बहन-बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। हमारी आधी आबादी को सच्चे अर्थों में बराबरी का दर्जा देकर हमारी मातृशक्ति को संपूर्ण न्याय दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकसित भारत का सपना देखने के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में सैंकड़ों वर्षों के बाद अयोध्या में रामलला अपने जन्मस्थान पर विराजमान हुए हैं, और मातृशक्ति को सशक्त करने के लिए विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस संहिता में पुरुष व महिलाओं को बराबरी का दर्जा देते हुए विवाह विच्छेद से संबंधित मामलों में विवाह विच्छेद लेने के समान कारण और समान अधिकार दिए गए हैं। समान नागरिक संहिता में महिला के दोबारा विवाह करने से संबंधित किसी भी प्रकार की रूढ़िवादी शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे इस कदम से उन कुप्रथाओं का अंत होगा जिनसे महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाई जाती थी।
मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता में लिव इन संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए कहा कि एक वयस्क पुरुष जो 21 वर्ष या अधिक का हो और वयस्क महिला जो 18 वर्ष या उससे अधिक की हो, वे तभी लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे, जब वो पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न हों और कानूनन प्रतिबंधित संबंधों की श्रेणी में न आते हों। लिव-इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लिव-इन में रहने हेतु केवल पंजीकरण कराना होगा जिससे भविष्य में हो सकने वाले किसी भी प्रकार के विवाद या अपराध को रोका जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देकर उनसे किए गए वादे को निभाया है। उन्होंने कहा कि इन सभी निर्णयों से यह स्पष्ट है कि हमने इस दशक में महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की है। वही दशक जिसका हमारी माताएं-बहनें, बरसो से इंतजार कर रही थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश हित में यू.सी.सी. के साथ कठोर नकल विरोधी कानून बनाया है। अब भारत की संसद ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। प्रदेश में अवैध अतिक्रमण के विरूद्ध सख्ती से कार्यवाही कर 05 हजार है. सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया गया है। देवभूमि के स्वरूप को बनाये रखने के लिये, धर्मांतरण को रोकने के लिये भी कानून बनाया गया है। भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये 1064 एप पर शिकायत की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में भ्रष्टाचार किसी भी रूप में बरदास्त नहीं किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें कई देशों में जाने का अवसर मिला। वे जहां भी गये वहां लागों का देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति लगाव उन्हें देखने को मिला, जो इस महान देवभूमि की महिमा का ही परिणाम है।

मुख्यमंत्री घोषणा के अंतर्गत मुख्यमंत्री ने विभिन्न कार्यों हेतु प्रदान की वित्तीय स्वीकृति

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देहरादून(आरएनएस)।   मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री घोषणा के क्रम में विधानसभा क्षेत्र चम्पावत के अंतर्गत ब्यानधुरा बाबा मंदिर तक पेयजल आपूर्ति एवं सड़क निर्माण कार्य हेतु 3.58 करोड़ के सापेक्ष प्रथम किश्त के रूप में 01 करोड की धनराशि की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने विधानसभा चम्पावत के अन्तर्गत पंचमुखी गौशाला धाम बनाये जाने हेतु 01 करोड़, घटोत्कच मंदिर परिसर में चाहरदीवारी व दो कक्षों के निर्माण कार्य एवं मंदिर के सौन्दर्यीकरण हेतु 01 करोड़ एवं टनकपुर में मीडिया सेंटर एवं गेस्ट हाउस हेतु भूमि एवं भवन उपलब्ध कराने के लिये प्रथम चरण के कार्य हेतु 11 लाख 86 हजार धनराशि की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा क्षेत्र खटीमा के अन्तर्गत वार्ड खटीमा शहीद स्थल पर तिरंगा निर्माण कार्य हेतु 47 लाख 82 हजार की वित्तीय स्वीकृति भी प्रदान की है।

 

यूसीसी किसी धर्म के खिलाफ नहीं, महिलाओं को अधिकार दिलाने वाला कानून: सौरभ बहुगुणा

देहरादून(आरएनएस)।  कॉमन सिविल कोड को लेकर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि ये कानून किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि ये महिलाओं को अधिकार दिलाने वाला कानून है। कांग्रेस ने हमेशा सेलेक्टिव अप्रोच के साथ काम किया। केशवानंद भारती, शाह बानो, शायरा बानो समेत तमाम केस में सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेशों की भी अनदेखी की। सौरभ ने कहा कि संसद और सुप्रीम कोर्ट पर सभी को विश्वास होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस ने हमेशा अनदेखी की। संविधान में दिए गए प्रावधानों के बावजूद 70 साल तक यूसीसी को लेकर कुछ नहीं किया। 1973 में केशवानंद भारती केस में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। साफ कहा कि केंद्र सरकार ही नहीं चाहती कि यूसीसी आए। ये किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि महिलाओं को उनके अधिकार सुनिश्चित कराता है। सभी धर्मों की महिलाएं अपने ऊपर हुए उत्पीड़न के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गईं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हर फैसले में कहा कि हर राज्य सरकार अपने स्तर पर यूसीसी बनाने को लेकर स्वतंत्र है। कहा कि हर कानून कभी भी अपने आप में पूरा नहीं होता। समय समय पर उसमें संशोधन की जरूरत होती है। इसीलिए एक समय अंतराल पर कानूनों में संशोधन भी आते रहते हैं। लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना मौजूदा समय की सबसे बड़ी मांग है। ये अधिकार वापस लेने वाला नहीं, बल्कि अधिकार देने वाला कानून है। कांग्रेस ने कभी भी आगे बढ़ कर यूसीसी पर काम नहीं किया। हमेशा इससे बचने की कोशिश की।

सुरजीत दास की स्मृति में हुआ दून पुस्तकालय में व्याख्यान माला का आयोजन

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“भाषाई सभ्यता के रूप में भारत का विकास’ विषय पर प्रो. गणेश एन. देवी ने दिया अपना व्याख्यान”

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज आज सायं 4:00 बजे संस्थान के सभागार में कीर्तिशेष सुरजीत दास की स्मृति में प्रथम व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। देश के सुपरिचित भाषाविद और लेखक प्रो. गणेश एन. देवी ने ‘भाषाई सभ्यता के रूप में भारत का विकास’ विषय पर अपना गहन और महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया।
शुरूआत में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के निदेशक श्री एन.रविशंकर ने स्वागत सम्बोधन और संस्थान का परिचय दिया और शॉल ओढ़ाकर प्रो.गणेश देवी का स्वागत किया। निदेशक श्री एन.रविशंकर ने प्रो.देवी का परिचय देते हुए सुरजीत दास द्वारा पुस्तकालय के निर्माण में दिए योगदान को रेखांकित किया और कहा कि उनकी स्मृति में अब प्रति वर्ष दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र और सुरजीत दास के पारिवारिक जनों की ओर से उनके जन्म दिन पर व्याख्यान माला का आयोजन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि स्व.सुरजीत किशोर दास दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के संस्थापकों और मार्गदर्शक निर्देशकों में से एक थे। इस संस्थान को गतिमान बनाये रखने में उनकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एक कुशल,कर्मठ व ईमानदार प्रशासनिक अधिकारी रहते हुए पूर्व में सुरजीत किशोर दास उत्तरप्रदेश व उत्तराखण्ड में अनेक पदों पर अपनी सेवाएं दीं हैं। अपने सेवाकाल के अंतिम दौर में उन्होंने उत्तराखण्ड के सर्वोच्च प्रशासनिक पद में मुख्य सचिव का दायित्व भी कुशलता से निभाया। सुरजीत दास को हर तरह के ज्ञान को संचित करने और सब लोगों के मध्य इस ज्ञान को उदारतापूर्वक साझा करने में बहुत खुशी होती थी।
मंचासीन लोगों ने कहा कि आशा की जानी चाहिए कि यह स्मृति व्याख्यान विशिष्ट कार्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विचार और उनके अनुभवों को साझा करने का मंच प्रदान करेगा । कार्यक्रम में प्रो.गणेश एन देवी ने कहा किमानव प्रजातियां पिछले 70,000 सालों से जटिल भाषाओं का प्रयोग करती आ रहीे हैं। ऐसे में, भारत के इतिहास में मौलिक युगान्तर परिवर्तनों को समझने के लिए सबसे सही तरीका होगा इस बात का परिक्षण करना कि भारत अपनी भाषाओं के साथ क्या करता आया व स्वयं भाषा भारत को किस तरह पुनः गढ़ती रही।
उन्होंने आगे कहा कि 1786 में, सर विलियम जोंस (1746-1794) ने अपनी सर्वाधिक महत्वपूर्ण टीका दुनिया के समक्ष प्रस्तुत की, जब उन्होने संस्कृत, यूनानी व लातिन भाषाओं को एक ही वंशज का बताया और यह भी कि वे तीनों स्वयं गाॅथिक व कैल्टिक (दोनों जर्मन) भाषाओं तथा फारसी से भी संबंधित हो सकती हैं। उनके इस कथन में एक पुरानी ‘‘आद्य-इंडो-यूरोपीय भाषा’’ के होने का संकेत था।
पश्चिमी संज्ञानात्मक श्रेणियों के सुसंगत ज्ञान तथा प्रमुखतः मौखिक समुदायों के जीवन से जुड़ी ज्ञान परम्पराओं के बीच सहयोग व द्वंद आज भी भारत में कल्पनाशील परिवर्तन को उद्वेलित तथा बौद्धिक चुनौती पेष करता है जिससे चिंतकों को इक्कीसवीं शताब्दी में जूझना होगा।
प्रो.गणेश देवी ने अपने व्याख्यान में आगे कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में, भाषाई मुद्दे पर सार्वजनिक पहल सर्वप्रथम 1927 में हुई जब कांग्रेस ने भाषाई राज्यों की स्थापना पर प्रस्ताव पारित किया। यह भारत राष्ट्र में अंततः जुड़ने वाले इलाकों की भाषाई पहचान को संरक्षित करने की जरूरत की स्पष्ट स्वीकारोक्ति थी। 1928 में जाॅर्ज ग्रियरसन के व्यापक भारतीय भाषाई सर्वेक्षण का समापक प्रकाशन हुआ जिसमें 189 भाषाओं का विस्तृत ब्यौरा था और कुछ सैकड़े अन्य जिन्हे उन्होने ‘‘बोली’’ माना। यह जानने के लिए कि क्या भाषाई राज्य एक सक्षम विचार होगा कि नहीं, 1948 में डा राजेन्द्र प्रसाद द्वारा एक समिति गठित की गई और एक अन्य, उस प्रस्ताव की जांच करने के लिए। अंततः 1955 में एक राज्य पुनर्गठन आयोग नियुक्त किया गया, जिसकी सिफारिश पर भाषा को राज्य की पहचान को मूल में रखते हुए कुछ राज्यों का सर्जन किया गया। 1961 की जब जनगणना की गई तो भारत की जनता ने 1652 भाषाओं को अपनी मातृ-भाषा के तौर पर दर्ज किया। संविधान की आठवीं अनुसूचि में विषेषतः नामित भाषाओंः अनुसूचित भाषाओं के तौर पर 14 भाषाएं रखी गयीं। वर्तमान में यह संख्या 22 हो गयी है।
बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नही है कि भाषा के मुद्दे में अड़चनें नहीं है। इसलिए मेरा मानना है कि सरकारी मशीनरी द्वारा नहीं बल्कि भारत के लोक को सम्मिलित कर भारतीय भाषाओं की उनकी उचित सामाजिक व्याख्या के साथ पुनः गणना किया जाना अत्यंत जरूरी है जिससे कि भारत को भाषाई आधार पर विखण्डित होने से बचाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि गणेश.एन. देवी एक सांस्कृतिक कार्यकर्ता, साहित्यिक आलोचक और अंग्रेजी के पूर्व प्रोफेसर हैं। उन्हें पीपुल्स लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया और उनके द्वारा बनाई गई आदिवासी अकादमी के लिए जाना जाता है। उन्होंने बड़ौदा में भाषा अनुसंधान एवं प्रकाशन केंद्र की स्थापना की। वह तीन भाषाओं – मराठी, गुजराती और अंग्रेजी में लिखते हैं। अंग्रेजी में उनकी पहली पूर्ण पुस्तक आफ्टर एम्नेशिया (1992) है। तब से उन्होंने साहित्यिक आलोचना, मानव विज्ञान, इतिहास, शिक्षा, भाषा विज्ञान और दर्शन के क्षेत्रों में एक सौ बारह पुस्तकें लिखी और संपादित की हैं। 2014 में उन्हें पद्मश्री मिला।
कार्यक्रम में एन .रवि.शंकर,एन एस नपलच्याल,कर्नल विजय कुमार दुग्गल, कर्नल एस एस रौतेला, गीता सहगल, निकोलस हॉफलैण्ड, चंद्रशेखर तिवारी, सुंदर सिंह बिष्ट,योगिता थपलियाल, जगदीश सिंह महर,मीनाक्षी कुकरेती,भारद्वाज सहित अनेक बुद्धिजीवी, लेखक, साहित्यकार, भाषविद, पुस्तकालय के सदस्य आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का सफल संचालन गांधीवादी विचारक बिजू नेगी ने किया।कार्यक्रम के अंत में उपस्थित श्रोताओं ने सवाल-जबाब भी किये ।
कार्यक्रम में एन .रवि.शंकर, इंदु कुमार पांडे,एन एस नपलच्याल, डॉ.योगेश धस्माना, कर्नल विजय कुमार दुग्गल,डॉ इन्दु सिंह, मालविका चौहान, सुरेंद्र सजवाण, डॉ. नंदकिशोर हटवाल, जे एस पांडे, जितेंद्र नौटियाल कर्नल एस एस रौतेला, गीता सहगल, निकोलस हॉफलैण्ड, चंद्रशेखर तिवारी, योगिता थपलियाल, सुंदर सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह महर,मीनाक्षी कुकरेती,भारद्वाज सहित अनेक बुद्धिजीवी, लेखक, साहित्यकार, भाषविद, पुस्तकालय के सदस्य आदि उपस्थित रहे।

विजिलेंस ने 25 हजार की रिश्वत लेते नगर निगम के अभियंता को किया गिरफ्तार

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हल्द्वानी, नगर निगम हल्द्वानी में तैनात अवर अभियंता खष्टी बल्लम उपाध्याय को विजिलेंस की टीम ने गुरुवार की दोपहर नगर निगम कार्यालय में 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।
विजिलेंस के सीओ अनिल मनराल ने बताया कि शिकायतकर्ता ने सतर्कता अधिष्ठान के हल्द्वानी स्थित कार्यालय में आकर शिकायत दर्ज करायी थी की शहर में स्ट्रीट लाइटें लगाने और इनके रखरखाव का कार्य उनकी कंपनी ईईसीएल कम्पनी के द्वारा किया जाता है जिसके बाद नगर निगम द्वारा कार्य का भुगतान किया जाता है, यह भुगतान तब किया जाता है जब नगर निगम के अधिकारी कार्य के संतोषजनक होने का पत्र निर्गत करते हैं, लेकिन उनका भुगतान अवर अभियंता द्वारा रोक दिया गया।
नगर निगम हल्द्वानी के अवर अभियन्ता खष्टी बल्लभ उपाध्याय द्वारा पत्र निर्गत करने के एवज में पैसे की मांग कर दी गई जिस पर शिकायतकर्ता ने विजिलेंस में शिकायत की थी। विजिलेंस ने गुरुवार को जाल बिछाकर जेई को गिरफ्तार कर लिया। इधर इस कार्रवाई से निगम कार्यालय में कर्मचारियों और अधिकारियों में खलबली मच गयी।