Thursday, May 15, 2025
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केंद्र सरकार का बड़ा एलान, अगले दो सालों में देशभर से खत्‍म कर दिए जाएंगे टोल प्‍लाजा, जानिए फिर कैसे होगी वसूली

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नई दिल्ली, एजेंसियां। अब देश में जल्द ही नेशनल हाइवे पर बिना रोकटोक के वाहन दौड़ सकेंगे। देश के सभी नेशनल हाइवे से टोल प्लाजाओं को बंद कर दिया जाएगा। यह जानकारीकेंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दी है। एसोचैम फाउंडेश वीक कार्यक्रम (ASSOCHAM Foundation Week Programme) कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार देशभर में वाहनों की बिना रोकटोक के आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए जीपीएस आधारित (Global Positioning System) तकनीक टोल संग्रह को अंतिम रूप दिया है। उन्होंने कहा कि इससे आने वाले दो सालों में भारत ‘टोल प्लाजा मुक्त’ हो जाएगा।

सीधे बैंक के खाते से काटी जाएगी टोल की राशि

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वाहनों की आवाजाही के आधार पर टोल की राशि सीधे बैंक खाते से काट ली जाएगी। हालांकि, अब सभी कॉमर्शियल वाहन ट्रैकिंग सिस्टम के साथ आ रहे हैं। इसके साथ ही सरकार पुराने वाहनों में जीपीएस तकनीक स्थापित करने के लिए कुछ योजना लेकर आएगी।

जीपीएस आधारित टोल वसूली की तैयारी

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने टोल वसूली के लिए जीपीएस आधारित व्यवस्था की तैयारी की जानकारी भी दी। इस मामले में रूस के पास विशेषज्ञता है। इस व्यवस्था में दूरी के हिसाब से टोल की राशि कट जाती है। उन्होंने दो साल में यह व्यवस्था लागू हो जाने की बात कही। केंद्रीय मंत्री ने अगले पांच साल में टोल कलेक्शन 1.34 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाने का भरोसा भी जताया। गडकरी ने वायबिलिटी गैप फंडिंग की व्यवस्था को इन्फ्रास्ट्रक्चर के अतिरिक्त अन्य सेक्टर में लागू करने का भी एलान किया। अब सोशल सेक्टर, स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भी वायबिलिटी गैप फंडिंग की सुविधा मिलेगी।

FASTags के चलते कम हुई ईधन की खपत

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार देश भर में वाहनों की स्वतंत्र आवाजाही बनाने के लिए यह खास कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में केंद्र सरकार ने देश के सभी टोल प्लाजा पर FASTags अनिवार्य कर दिया है। गडकरी ने कहा कि नेशनल हाईवे टोल प्लाजा पर FASTags की अनिवार्यता के बाद ईधन की खपत कम हुई है। इसके अलावा प्रदूषण पर भी काफी लगाम लगी है।

कार्यक्रम में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि औद्योगिक विकास भारत में रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन के लिए महत्वपूर्ण है, हालांकि वर्तमान में उद्योग भारत में शहरी क्षेत्रों में केंद्रीकृत है क्योंकि इस तरह के उद्योग का विकेंद्रीकरण विकास दर को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है क्योंकि बढ़ते शहरीकरण से शहरों में गंभीर समस्याएं पैदा हो रही हैं। जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, और अन्य। उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास में सार्वजनिक-निजी निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। गडकरी ने बुनियादी ढांचे के विकास में सार्वजनिक-निजी निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता भी व्यक्त की है।

अर्थव्यवस्था में सूधार के संकेत, कंपनियों ने तीसरी तिमाही में दिया 49 प्रतिशत अधिक अग्रिम कर

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मुंबई, कोरोना संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार के और संकेत मिले हैं। कंपनियों का अग्रिम कर भुगतान चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 49 प्रतिशत उछलकर 1,09,506 करोड़ रुपये पहुंच गया। सीबीडीटी सूत्रों ने यह जानकारी दी।

इस बढ़ोतरी का कारण मुख्य रूप से पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में तुलनात्मक आधार का कमजोर होना हो सकता है।

सरकार ने पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही में कंपनी कर की दर कम कर 25 प्रतिशत कर रिकार्ड निम्न स्तर पर ला दिया था। इससे कंपनियों के कर भुगतान में कमी आयी थी।

पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में अग्रिम कंपनी कर संग्रह 73,126 करोड़ रुपये था।

अग्रिम कर भुगतान में कंपनी और व्यक्तिगत आयकर सबसे प्रमुख है। इसे संबंधित इकाई अपनी कर देनदारी के आकलन के आधार पर चार तिमाही किस्तों में 15, 25, 25 और 35 प्रतिशत के हिसाब से भुगतान करती है।

सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा कि कंपनी कर संग्रह में बढ़ोतरी से आलोच्य तिमाही में सकल कर संग्रह बढ़कर 7,33,715 करोड़ रुपये रहा। यह पिछले साल के 8,34,398 करोड़ रुपये के मुकाबले केवल 12.1 प्रतिशत ही कम है। शुद्ध कर संग्रह 5,87,605 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले प्राप्त 6,75,409 करोड़ रुपये के मुकाबले 13 प्रतिशत कम है।

तीसरी तिमाही के दौरान विभाग ने 1,46,109 करोड़ रुपये करदाताओं को वापस किये जो पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में वापस किये गये 1,58,988 करोड़ रुपये के मुकाबले 8.1 प्रतिशत कम है।

कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में अग्रिम कंपनी कर संग्रह 2,39,125 करोड़ रुपये रहा। यह पिछले साल की इसी अवधि में प्राप्त 2,51,382 करोड़ रुपये से 4.9 प्रतिशत कम है। इसका कारण चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में ‘लॉकडाउन’ का असर था।

सूत्र के अनुसार अग्रिम व्यक्तिगत आयकर सालाना आधार पर इस तिमाही में 5.6 प्रतिशत घटकर 31,054 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले तीसरी तिमाही में यह 32,910 करोड़ रुपये था।

कुल मिलाकर अग्रिम व्यक्तिगत आयकर संग्रह चालू वित्त वर्ष में अबतक 60,491 करोड़ रुपये रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी अवधि के 67,542 करोड़ रुपये के मुकाबले 10.4 प्रतिशत कम है।

विश्लेषकों के अनुसार कर भुगतान में बढ़ोतरी कंपनियों के मुनाफे को बताता है जो सितंबर तिमाही में 21.9 प्रतिशत बढ़ा। इसके विपरीत, पहली तिमाही में विनिर्माण कंपनियों की बिक्री में 42 प्रतिशत और शुद्ध लाभ में 62 प्रतिशत की गिरावट आयी।

सितंबर, 2020 को समाप्त दूसरी तिमाही में अग्रिम कर संग्रह समेत कुल कर संग्रह 22.5 प्रतिशत घटकर 2,53,532.3 करोड़ रुपये रहा जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 3,27,320.2 करोड़ रुपये था।

जून को समाप्त पहली तिमाही में सकल कर संग्रह 31 प्रतिशत घटा था। जबकि अग्रिम कर संग्रह में 76 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

व्यक्तिगत आयकर संग्रह चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 1,47,004.6 करोड़ रुपये रहा जबकि कंपनी कर 99,126.2 करोड़ रुपये रहा। इस प्रकार, प्रत्यक्ष कर राजस्व में दो महत्वपूर्ण तत्वों की हिस्सेदारी 2,46,130.8 करोड़ रुपये रही।

पहली तिमाही में कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के कारण सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 31 प्रतिशत घटकर 1,37,825 करोड़ रुपये रहा। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही के मुकाबले 76 प्रतिशत कम था।

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में सकल कर संग्रह 12 प्रतिशत वृद्धि के साथ 24.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया है। 2019-20 में यह 21.63 लाख करोड़ रुपये था।

फरवरी में पेश बजट में प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.19 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया जो 2019-20 के 10.28 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 28 प्रतिशत अधिक है। इसका कारण सरकार को विवाद समाधान योजना ‘विवाद से विश्वास’ को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है।

अग्रिम कंपनी कर संग्रह पहली तिमाही में 79 प्रतिशत लुढ़क कर 8,286 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले इसी तिमाही में 39,405 करोड़ रुपये था। वहीं अग्रिम व्यक्तिगत आयकर संग्रह पहली तिमाही में 64 प्रतिशत घटकर 3,428 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले इसी तिमाही में 9,512 करोड़ रुपये था।

इससे पहली तिमाही में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 31 प्रतिशत घटकर 1,37,825 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में 1,99,755 करोड़ रुपये था।( पीटीआई-)

EMI, Personal Loan, Home Loan लेने वालों के लिए काम की खबर, लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

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EMI, Personal Loan, Home Loan लेने वालों के लिए यह काम की खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लोन मोरेटोरियम (ऋण स्थगन अवधि) के विस्तार से संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। अपनी पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था, ‘आपने मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज लिया है, लेकिन क्या आप चक्रवद्धि ब्याज भी लेंगे? सवाल यह है।’ इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि यह बैंक और जमाकर्ता के बीच अनुबंध का मामला है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ब्याज का भुगतान और किस्त भी अनुबंध का मामला है, लेकिन आपने वहां भी अपने फैसले लागू किये हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) ने 16 दिसंबर को अपनी पिछली सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत से वित्तीय सहायता मांगने वाली याचिकाओं पर कोई और आदेश पारित नहीं करने का आग्रह किया था। पिछली सुनवाई में केंद्र ने ब्याज माफी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को चेताया भी था। सरकार ने कहा था कि यदि सभी प्रकार के ऋणों पर ब्याज छूट दी जाती है, तो माफ की गई राशि 6 ​​लाख करोड़ रुपये से अधिक होगी। इस कारण ब्याज माफी पर विचार नहीं किया गया। यह बैंकों के शुद्ध मूल्य का एक बड़ा हिस्सा समाप्त कर देगा और बैंकों के अस्तित्व के लिए गंभीर सवाल पैदा कर देगा। सरकार ने कहा था कि अकेले एसबीआई में ब्याज माफी बैंक के शुद्ध मूल्य का आधा हिस्सा मिटा देगी।

छत्तीसगढ़ उद्योग निकायों की ओर से वरिष्ठ वकील रवींद्र श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड-19 का प्रभाव निरंतर रूप से जारी है और कई लोग अभी भी आर्थिक रूप से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां एनडीएमए को बैंकों को बोझ सौंपने के बजाय बाहर आना चाहिए था। उन्होंने कहा कि स्थगन के संबंध में एक समाधान होना चाहिए और यह कि शक्ति बैंकों को नहीं छोड़ी जा सकती। इसके बजाय RBI को प्रक्रियाओं के समाधान के लिए प्रावधान करना चाहिए।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया था कि वे अगले आदेश तक एनपीए के रूप में खातों की घोषणा न करें। अक्टूबर में केंद्र ने फैसला किया कि वह कुछ श्रेणियों में 2 करोड़ रुपये तक के ऋण की अदायगी पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ करेगा। इस कदम ने व्यक्तिगत और एमएसएमई उधारकर्ताओं को मामूली राहत प्रदान की। ब्याज दरों पर ब्याज के संबंध में याचिकाएं 19 नवंबर को निस्तारित कर दी गईं क्योंकि याचिकाकर्ता सरकार द्वारा घोषित छूट से संतुष्ट थे।

COVID-19 महामारी के मद्देनजर 1 मार्च से 31 अगस्त के दौरान RBI की ऋण स्थगन योजना का लाभ उठाने के बाद उधारकर्ताओं द्वारा भुगतान नहीं किए गए EMI पर बैंकों द्वारा ब्याज पर शुल्क लगाने से संबंधित दलीलें दी गईं। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीश एससी पीठ छह महीने की ऋण स्थगन अवधि के दौरान ब्याज माफी की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर की गई दलीलों में छह महीने की मोहलत के दौरान लोन की छूट के साथ-साथ टर्म लोन की ईएमआई पर ब्याज माफी की भी मांग है।

क्या है लोन मोरेटोरियम

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 27 मार्च को लोन मोरेटोरियम योजना की घोषणा की थी, जिसने 1 मार्च, 2020 से 31 मई, 2020 के बीच की अवधि के लिए गिरते हुए ऋणों की किस्तों के भुगतान पर अस्थायी राहत देने की अनुमति दी थी। बाद में, स्थगन को इस साल 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था। COVID-19 महामारी की अगुवाई वाले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में खराब ऋण के रूप में वर्गीकृत किए बिना आर्थिक गिरावट के बीच ईएमआई का भुगतान करने के लिए उधारकर्ताओं को अधिक समय देने के लिए इस कदम का इरादा था। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मार्च में तीन महीने के लिए सावधि जमा की अदायगी के लिए स्थगन की घोषणा की थी, जिसे बाद में 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था। इसका उद्देश्य COVID-19 महामारी के दौरान उधारकर्ताओं को राहत प्रदान करना था।

ये दलीलें सामने आईं

– छत्तीसगढ़ उद्योग निकायों की ओर से वरिष्ठ वकील रवींद्र श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट ने ऋण स्थगन अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। ऋण स्थगन अवधि छह महीने तक चली और 31 अगस्त, 2020 को समाप्त हो गई थी।

– एनडीएमए को अनुभवजन्य आंकड़े एकत्र करने और एक व्यापक नीति बनाने की जरूरत है, न कि यह तर्क देते हुए कि पूर्ण छूट की आवश्यकता है। श्रीवास्तव ने कहा कि इसके लिए आंशिक माफी भी हो सकती है, लेकिन इसके लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) के तहत एक अंशांकित नीति की आवश्यकता है।

– यह ध्यान दिया जा सकता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मार्च में तीन महीने के लिए सावधि जमाओं के पुनर्भुगतान पर रोक की घोषणा की थी, बाद में इसे 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था। इस कदम का उद्देश्य कोविद -19 महामारी के दौरान उधारकर्ताओं को राहत प्रदान करना था।

जानिये इससे पहले अभी तक क्या हुआ

– SC ने 3 सितंबर को बैंकों को निर्देश दिया था कि वे अगले आदेश तक खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित न करें।

– अक्टूबर में केंद्र ने कहा कि वह कुछ श्रेणियों में 2 करोड़ रुपये तक के ऋणों के पुनर्भुगतान पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ करेगा, एक ऐसा कदम जो व्यक्तिगत और एमएसएमई उधारकर्ताओं को राहत प्रदान करेगा।

– शीर्ष अदालत ने 19 नवंबर को उन याचिकाओं का निपटारा कर दिया था जिसमें याचिकाकर्ता चक्रवृद्धि ब्याज माफी से संतुष्ट हैं।

– आरबीआई की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट वी। गिरि ने 9 दिसंबर को दलील देते हुए कहा कि मोहलत की तारीख आगे बढ़ाई नहीं जाए।

– SC ने पहले कहा है कि “ब्याज पर ब्याज लेने में कोई योग्यता नहीं है”।

– आरबीआई ने 4 जून को कहा था कि अगर कर्ज देने की अवधि पूरी तरह खत्म हो जाती है तो कर्जदाताओं को 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

रुद्रपुर : कांग्रेस पर गजरे केन्द्रीय मंत्री निशंक, किसानों को बरगलाने का लगाया आरोप

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रुद्रपुर -केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए देश के किसानों को बरगलाने का आरोप लगाया।उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़े तीनों कानून को किसानों के हित में है।चूंकि कांग्रेस की राजनीतिक जमीन खिसक गई है,इसलिए वह इस मामले में राजनीति कर रही है।

मानव संसाधन मंत्री गुरुवार को रुद्रपुर के मोदी मैदान में किसान ट्रेक्टर रैली को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कृषि कानूनों के फायदे गिनाते हुए कहा कि यह कानून न सिर्फ किसानों को बिचौलियों से मुक्त करेगा बल्कि किसानों को देश के किसी भी राज्य में अपनी फसल को बेचकर अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देगा।उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर किसानों को बरगलाकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है,लेकिन किसान व जनता कांग्रेस की कथनी करनी में अंतर समझ चुकी है,इसलिए वो कांग्रेस के बहकावे में नही आएगी।

केबिनेट मंत्री निशंक ने कहा कि देश की आजादी के बाद से ही किसानों का शोषण हो रहा था लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद किसानों की दशा में सुधार आया है, प्रधानमंत्री देश के उत्थान के साथ साथ किसानों के हितों में निरन्तर कार्य कर रहे है।
उन्होंने कांग्रेस व भाजपा राज की तुलना करते हुए कहा कि पांच साल में कांग्रेस ने धान व गेंहू 3.74 करोड़ एमटी की खरीदारी की जबकि भाजपा ने 8 लाख करोड़ एमटी की खरीददारी की।भाजपा ने किसानों के हितों के लिए एक लाख करोड़ की परियोजना शुरू की है।
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत,केबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय,विधायक राजकुमार ठुकराल,दर्जा मंत्री सुरेश परिहार,भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा आदि मौजूद थे।

भाजपा की आभार रैली का कांग्रेसियों ने किया विरोध, फेंके संतरें दिखाये काले झंडे

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रुद्रपुर(उधम सिंह नगर)/भाजपा की आभार रैली का किसानों ने जमकर विरोध किया और रैली पर संतरे फेंके।काले झंडे लिए किसान रैली में शामिल ट्रैक्टरों पर चढ़ गए और जमकर भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की।
हुआ यूं कि किसान कृषि कानून बिलों के खिलाफ किसान महाराजा रणजीत सिंह पार्क में प्रदर्शन कर रहे थे कि इस बीच विधायक राजकुमार ठुकराल के नेतृत्व में ट्रैक्टरों का काफिला भाजपा की आभार रैली में शामिल होने के लिए पार्क के सामने से निकला।

विधायक के इस काफिले को देखकर किसान गुस्सा गए और उन्होंने काफिले पर संतरों से हमला कर दिया।इतना ही नही किसान पार्क से बाहर निकल आये ।हाथोंमें काले झंडे लिए किसान काफिले में शामिल ट्रैक्टरों पर चढ़ गए और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।किसानों के हाथों में किसान विरोधी निशंक वापिस जाओ जैसे पोस्टर थे।किसानों ने भाजपा के झंडे भी फाड़ दिए।

किसानों के इस रौद्र रूप को देखकर पुलिस प्रशासन के हाथ पैर फूल गए।बाद में तमाम कोशिशों के बाद प्रशासन ने किसानों को पार्क में वापिस भेजा
इससे पहले पार्क में आयोजित सभा मे आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एस एस कलेर ने कहा कि भाजपा किसानों को गुमराह कर रही है।देश भर के किसान इस कड़ाके की ठंड में आंदोलित है लेकिन सरकार किसानों की सुनवाई नही कर रही है।

किसानों, बेरोजगारों को मिले बैंकिंग सुविधा का लाभ: धन सिंह

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देहरादूनः सहकारिता, उच्च शिक्षा, दुग्ध विकास एवं प्रोटोकाॅल मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने आज सहकारी बैंकों के वित्तीय सेवाओं के वितरण और सार्वजनिक निक्षेप की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नाबार्ड के अधिकारियों एवं सहकारी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित योजनाओं की समीक्षा करते हुए डा. रावत ने कहा कि बैंकिंग सुविधाओं का लाभ किसानों एवं बेरोजगारों को प्राथमिकता के आधार मिलना चाहिए।

नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक में अधिकरियों ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष सहकारी बैंकों को रूपये 750 करोड़ का फसली ऋण, रूपये 450 करोड़ का अतिरिक्त ऋण सहित रूपये 350 करोड़ का मियादी ऋण आवंटित किया गया है। इसके अलावा नाबार्ड के अध्यक्ष गोविंद राजूलू चिंतला के प्रदेश भ्रमण के दौरान विभागीय मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने फसली ऋण को बढ़ाकर रूपये 1000 करोड़ करने का अनुरोध किया था। जिसके फलस्वरूप नाबार्ड ने फसली ऋण रूपये 750 करोड़ के सापेक्ष 50 करोड़, अतिरिक्त फसली ऋण रूपये 450 करोड़ के सापेक्ष 250 करोड़ जारी कर दिये हैं। इस प्रकार नाबार्ड ने सहकारी बैंकों को 300 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि प्रदान की है। नाबार्ड के अधिकारियों बताया कि राज्य सहाकरी बैंकों में ‘बिजनेस डेवलपमेंट एवं प्राॅडक्ट इनोवेशन’ सेल स्थापित करने के लिए मंजूरी दे दी गई है।

बैठक में स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता समूहों के बैंक लिंकेज बढ़ाने, केसीसी सेचुरेशन अभियान, राज्य सहकारी बैंकों को मोबाइल एवं इंटरनेट बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करने, नाबार्ड के माध्यम से अगले 03 वर्षों में 500 पैक्स कवर करने सहित अन्य महत्पवूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते हुए विभागीय मंत्री डाॅ. रावत द्वारा अधिकारियों को त्वरित निर्णय लेने और बैंकिंग सुविधाओं का लाभ किसानों, बेरोजगारों और आम आदमियों को पहुंचाने के लिए निर्देशित किया गया।
बैठक में उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत, सचिव सहकारिता आर मिनाक्षी संुदरम, क्षेत्रीय निदेशक आरबीआई राजेश कुमार, महाप्रबंधक नाबार्ड डा. ज्ञानेन्द्र मणि, निबंधक सहकारी समिति बी.एम मिश्र, निदेशक सहकारी प्रबंध संस्थान सहित सभी जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक उपस्थित रहे।

खास खबर : उत्तराखंड़ शासन ने राज्य के 5 आईपीएस अधिकारियों के किए स्थानांतरण

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देहरादून, उत्तराखंड़ शासन ने राज्य के पाँच आईपीएस अधिकारियों के स्थानांतरण कर दिये, जिसके अन्तर्गत अभिनव कुमार को प्रभारी अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन बनाया गया, नीरू गर्ग को पुलिस उप महानिरीक्षक गढ़वाल बनाया गया, अरुण मोहन जोशी को पुलिस उप महानिरीक्षक सतर्कता पीएसी एवं एटीसी बनाया गया, योगेंद्र सिंह रावत को एसएसपी देहरादून बनाया गया जबकि तृप्ति भट्ट को एसएसपी टिहरी बनाया गया |

देहरादून : गिरफ्तार हुआ करोड़ों की डकैती मामले में मुख्य आरोपी सुरेश जाटव उर्फ मिश्रा

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‘दून पुलिस की एसओजी की टीम ने मेरठ से किया गिरफ्तार’

देहरादून, उत्तराखंड के देहरादून में करोड़ों की डकैती मामले में देहरादून पुलिस ने मुख्य आरोपी सुरेश जाटव उर्फ मिश्रा को पुलिस की एसओजी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है, देहरादून में अभिमन्यु क्रिकेट अकेडमी के मालिक आरपी ईश्वरन के घर 22 सितम्बर 2019 में हुई डकैती के मामले में एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने अंतिम नौवां आरोपी भी गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के पास से बड़ी मात्रा में लूटे गए जेवरात बरामद हुए हैं।

आरोपी मेरठ का हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ पहले से ही डकैती और लूट के 30 मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस बदमाश की कस्टडी रिमांड मांगेगी ताकि अन्य चीजें भी बरामद की जा सकें, आरोपी को मेरठ के टीपी नगर से गिरफ्तार किया है, आरोपी के खिलाफ दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 30 से ज्यादा मुक़दमे दर्ज हैं | पुलिस ने आरोपी से लाखों की कीमत के सोने चांदी के आभूषण बरामद किए हैं |
आरोपी इतना शातिर है कि इसका वास्तविक नाम और पता किसी को भी मालूम नहीं था | मुख्य आरोपी सुरेश जाटव जो कि अपना नाम बदलकर 1 साल से फरार चल रहा था उसको राजपुर पुलिस ने मेरठ से गिरफ्तार किया है |

 

पुलिस ने किया चौंकाने वाला खुलासा
एसएसपी देहरादून अरुण मोहन जोशी ने बताया कि 22 सितम्बर 2019 को देहरादून के मशहूर चार्टर्ड एकाउंटेंट आरपी ईश्वरन के घर डकै़ती की घटना को आरोपियों ने अंजाम दिया गया था, मामले में 8 आरोपी पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. घटना के बाद से यह मुख्य आरोपी सुरेश जाटव गायब चल रहा था, जो कि टीपी नगर मेरठ में अपने ही घर में तयखाना बनाकर पिछले एक साल से रह रहा था |

हनीवैल एवं सीड्स ने 15 से अधिक सरकारी स्कूलों का जीर्णोद्धार किया और उन्हें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को सौंपा

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– हनीवैल से प्राप्त निधि के साथ, सीड्स इंडिया ने देहरादून और हरिद्वार में राज्य सरकार के 15 सरकार स्कूलों का जीर्णोद्धार, मरम्मत और विस्तारण किया है

देहरादून,  हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम के हिस्से के तौर पर, एक प्रमुख फॉर्च्यून 100 टेक्नोलॉजी कंपनी, हनीवैल, और एक प्रमुख गैर-लाभकारी संस्थान, सस्टेनेबल एनवायरनमेंट और इकोलॉजिकल डिवेलपमेंट सोसाइटी (सीड्स) ने देहरादून और हरिद्वार में राज्य सरकार के 15 के स्कूलों का जीर्णोद्धार, मरम्मत और विस्तारण किया और उन्हें उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंप दिया। हनीवैल सेफ स्कूल एक अग्रणी स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम है, जो इस क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनी के कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सी.एस.आर.) प्रयासों का एक हिस्सा है।

 

हालाँकि, चल रही महामारी के दौरान स्कूल बंद रखे गए हैं, जिससे नियमित सी.एस.आर. आउटरीच कार्यक्रम बाधित हुआ है, हनीवैल और सीड्स ने छात्रों और शिक्षकों के स्कूल में वापस लौटने पर उनके लिए स्कूल के आधारभूत ढाँचे को सुरक्षित बनाने पर ध्यान दिया हैं।

 

सीड्स ने मरम्मत, विस्तारण और नवीनिकरण के जरिए स्कूल की इन इमारतों के ढाँचों को मजबूत करने के लिए आर्किटेक्ट्स और इंजीनियरों को काम पर लगाया था। पढ़ने-लिखने के वातावरण को ज्ञानवर्धक, आकर्षक, आरामदायक और विकलांगों के अनुकूल बनाने के लिए विशेषज्ञों को भी लाया गया था। जीर्णोद्धार की प्रक्रिया के जरिए एक ऐसा वातावरण बनाने पर ध्यान दिया जो न केवल सीखने को प्रोत्साहित करता है बल्कि बड़े पैमाने पर समाज के लोगों को आपस में जोड़ता है।

 

इस अवसर पर उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री, त्रिवेंद्र सिंह रावतने कहा, “हमारे राज्य को बेहतरीन शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए जाना जाता है। मैं हनीवैल और सीड्स (ैम्म्क्ै) का अभिनंदन करता हूं जिन्होंने हमारे छात्रों और शिक्षकों के लिए एक सुरक्षित माहौल के निर्माण का बीड़ा उठाया है। वर्तमान की सुरक्षा सुनिश्चित करके ही भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सकता है! मैं हनीवैल सेफ स्कूल्स कार्यक्रम के माध्यम से सीड्स (ैम्म्क्ै) द्वारा शुरू की गई इस पहल की सराहना करता हूं, साथ ही मैं इस कार्यक्रम की प्रगति में हमारी ओर से निरंतर समर्थन का आश्वासन भी देता हूं।

 

हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम शुरू करने से पहले, सीड्स ने इन 100 स्कूलों पर एक आधार स्तर का सर्वेक्षण किया था, जिससे यह पता चला कि लगभग 40 प्रतिशत स्कूलों के भवनों को भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ से उत्पन्न होनेवाले संरचनात्मक खतरों का सामना करना पड़ता है। संरचनात्मक नवीनिकरण का उद्देश्य इन जोखिमों को कम करना होता है।

डॉ. मनु गुप्ता, सह-संस्थापक, सीड्स ने कहा, “सीड्स में हम शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा से उबरना, प्रतिक्रिया और तैयारियाँ करने के क्षेत्र में व्यापक हस्तक्षेप के जरिए हालातों के अनुसार ढल सकने वाले समुदायों के निर्माण पर जोर देते हैं। हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम के तहत, हम स्कूल में एक सुरक्षित, अनुकूल वातावरण का निर्माण करते हैं जो छात्रों को और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे वे भविष्य के परिवर्तन के सूत्रधार बन सकें।

 

डॉ. अक्षय बेलारे, अध्यक्ष, हनीवैल इंडिया, ने कहा, ’सुरक्षित और रक्षापूर्ण रहने और काम करने के स्थानों का निर्माण करने वाली एक प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी होने के नाते, हनीवैल को उत्तराखंड में हमारे द्वारा सेवा प्रदान किए गए समुदायों में स्कूलों के वातावरण को सुरक्षित बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का विस्तार करते हुए प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।’

हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम राष्ट्रीय स्कूल सुरक्षा नीति (एन.एस.एस.पी.) के दिशानिर्देश, 2016, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) के दिशानिर्देशों और आसियान स्कूल सुरक्षा पह का पालन करता है। ये ढाँचे स्कूल सुरक्षा की अनिवार्यता और बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण के निर्माण के महत्व को दर्शाते हैं। 2017 में दिल्ली में शुरू किए गए, हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम ने पहले ही दिल्ली और उत्तराखंड के 155 स्कूलों में 69,000 से अधिक छात्रों, 48,000 अभिभावकों और 4,500 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है।

कोरोना ब्रैकिंग : उत्तराखण्ड़ में आज 620 नए संक्रमित मिले, नौ की हुई मौत

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देहरादून, उत्तराखंड में आज भी कोरोना मामलों में कोई राहत की खबर नहीं ह, राज्य में आज 620 ने कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के साथ राज्य में आंकड़ा बढ़कर के 84689 हो गया है जबकि आज नौ लोगों की मौत हुई है | वही आज 676 विभिन्न अस्पतालों से मरीज डिस्चार्ज हुए हैं अब तक 6062 लोग अभी भी विभिन्न अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं ।
उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार आज अल्मोड़ा में 48 बागेश्वर में 22 चमोली में 34 चंपावत में 14 तथा आज भी सबसे अधिक 194 लोग देहरादून में इस संक्रमण का शिकार हुए इसके अलावा हरिद्वार में 36 नैनीताल में 127 तथा पौड़ी गढ़वाल में आज कोई भी संक्रमित मरीज नहीं मिला है वही पिथौरागढ़ में 20 रुद्रप्रयाग में अट्ठारह टिहरी गढ़वाल में 28 उधम सिंह नगर में 40 तथा उत्तरकाशी में आज 39 संक्रमित मरीज पाए गए |