Thursday, June 26, 2025
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29 को नहीं होगा ट्रैक्टर से संसद मार्च, सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में किसानों ने रैली नहीं करने पर जताई सहमति

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नई दिल्ली, नए खेती कानूनों को वापसी के बाद किसान 29 को संसद कूच करेंगे या फिर घर वापसी, इसका फैसला शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की बैठक में हो गया है। घंटों चली महापंचायत में ट्रैक्टर रैली नहीं निकालने पर सहमति बनी है। ट्रैक्टर मार्च के घोषित कार्यक्रम को स्थगित किए जाने का आधिकारिक ऐलान मोर्चा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कर दिया जाएगा।

किसानों ने 29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद तक ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया था। आज सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बैठक हुई। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की मीटिंग में ट्रैक्टर से संसद मार्च को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। सूत्रों की मानें तो किसानों ने 29 नवंबर को ट्रैक्टर से संसद मार्च स्थगित कर दिया है।
गौरतलब है कि किसान नेता राकेश टिकैत ने लखनऊ की किसान महापंचायत से पहले ये कहा था कि 26 नवंबर तक के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अपने तय समय पर ही होंगे।

GST बढ़ने के बाद अब क्या-क्या महंगा हो सकता है? जानिए क्या है …

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बढ़ती महंगाई से आज आम जनता परेशान है, पिछले दिनों केंद्र सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाकर जनता को कुछ राहत जरूर दी है. लेकिन इस राहत के बाद अब जीएसटी (GST)की दरों में बढ़ोतरी को लेकर सरकार पूरी तैयारी कर रही है.बता दें कि जीएसटी काउंसिल (GST Council)की ओर से बनाया गया एक मंत्रियों का समूह इसपर अभी विचार भी कर रहा है.

दरअसल, जीएसटी फिटमेंट कमेटी ने माल और सेवा कर (GST)की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है. जिसपर चर्चा यह है कि, अभी जिन सामानों पर जीएसटी 5 फीसदी है उसे बढ़ाकर 7 फीसदी और 18 फीसदी वाली जीएसटी दर को बढ़ाकर उसे 20 फीसदी कर दिया जाए. आईए सबसे पहले आपको बताते है 5 फीसदी जीएसटी किन सामानों पर लगती है.

– 5 फीसदी जीएसटी जरूरी वस्तुओं पर लगता है
– अधिकतर वस्तुएं और सेवाएं 18 फीसदी जीएसटी के दायरे में आती हैं

जीएसटी की दरों में बढ़ोतरी से सरकार को 3 लाख करोड़ का रेवेन्यू मिलेगा और यह केंद्र और राज्यों में भी आधा-आधा बंटेगा. इस बढ़ोतरी से सरकार पेट्रोल डीजल में घटाई गई एक्साइज ड्यूटी की भरपाई कर सकती है. बता दें, जीएसटी के रेट स्ट्रक्चर और स्लैब रेशनलाइजेशन पर बदलाव को लेकर 27 नवंबर को कोई अहम फैसला हो सकता है. और इस बढ़ोतरी के साथ ही आपके बजट पर भी इसका पूरा असर पड़ेगा.

जीएसटी में होगा बड़ा बदलाव

27 नवंबर को मंत्री समूह की बैठक में जीएसटी स्लैब में बदलाव पर बड़ा फैसला आ सकता है. वहीं इस बैठक में मंत्री समूह का जो भी फैसला होगा, उसे जीएसटी काउंसिल की दिसंबर में संभावित बैठक में पेश भी किया जा सकता है. कोरोना के दौरान हर सेक्टर पर आर्थिक बोझ बढ़ा है. पिछले कुछ महीनों से लगातार लोग वापस पटरी पर लौटे हैं और फिर से कोविड के दौरान हुए नुकसान की भरपाई करने की कोशिशों में लगे हैं. ऐसे में जीएसटी की दर बढ़ने से इस आर्थिक बोझ का असर सीधे आपकी जेब पर पड़ेगा.

दरअसल 1 जनवरी से जीएसटी की दर बढ़ने से बाजार में थोक और रिटेल के लिए आने वाला कपड़ा, रेडीमेड और फुटवेयर भी महंगे दर पर मिलेगा. ऐसे में जहां व्यापार पर इसका असर पड़ेगा. वहीं छोटे व्यापारियों पर इसका और ज्यादा बोझ बढ़ेगा क्योंकि पहले से ही कपड़े महंगे हैं.

GST बढ़ने से महंगी होंगी ये चीजे?

चर्चा है कि सोना और चांदी पर भी जीएसटी बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है, अगर यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है तो सोने और चांदी के भाव और भी बढ़ जाएंगे. कोरोना के बाद इन त्योहारों में मार्केट पूरी तरह से खुला था जिससे पिछले दिनों हुए नुकसान की कुछ प्रतिशत भरपाई तो जरूर हुई. ऐसे में सोने चांदी के दाम बढ़ने से खरीददारी पर असर पड़ने की पूरी संभावनाएं है.

अभी हाल ही में सरकार ने सिले-सिलाए यानी की रेडिमेट कपड़े और जूतों पर जीएसटी की दर को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है. और यह नया आदेश जनवरी 2022 से लागू भी होने वाला है. जिसके बाद कच्चा माल, रेडिमेड कपड़ों के अलावा जूते भी महंगे हो जाएंगे.

ऐसे समझिए पूरा गणित

– पहले ही कच्चे माल (कपड़े) पर 12 फीसदी जीएसटी निर्धारित है और रेडीमेड कपड़े पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है. यानी की फिलहाल कपड़ो पर 17 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है. लेकिन अब अगर 7 फीसदी जीएसटी बढ़ता है तो रॉ मटेरियल (कच्चे माल) पर 12 फीसदी और रेडीमेड पर 12 फीसदी यानी की कुल मिलाकर 24 फीसदी जीएसटी देना होगा.

– पेट्रोल-डीजल की कीमते बढ़ने का असर ट्रांसपोर्ट, सब्जियों समेत कई जगह पर पड़ा था. ठीक वैसे ही व्यापारियों को जीएसटी भुगतान के बाद ट्रांसपोर्ट का भी पूरा देना होगा. और आम लोगों तक पहुंचते पहुंचते यह कुछ फीसदी और महंगा हो जाएगा. जिसका आम आदमी पर सीधा असर पड़ेगा. यानी की आपकी जेब फिर ढीली होगी.

दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर बेहद खराब श्रेणी में पहुंची

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नई दिल्ली । सिस्टम ऑफ एयर चलिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुमानों के मुताबिक हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 प्रदूषकों के संतोषजनक से मध्यम स्तर की रिकॉर्डिंग के एक दिन बाद, दिल्ली-एनसीआर ने समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 380 दर्ज किया, जिसमें दोनों प्रदूषक फिर से बहुत खराब श्रेणी में आ गए।
दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय) द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार दिल्ली-एनसीटी पर हवा की गुणवत्ता 26 नवंबर को बहुत खराब श्रेणी में रहने की संभावना है। रात के दौरान ज्यादातर शांत या धीमी हवाएं प्रभावी फैलाव के लिए प्रतिकूल होती हैं। वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार होने की संभावना है, लेकिन 27 नवंबर और 28 नवंबर को बहुत खराब श्रेणी में रहने की संभावना है।
हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रहने की संभावना है। 27 नवंबर से 30 नवंबर तक धीरे-धीरे सुधार होने की संभावना है और पीएम2.5 प्रमुख प्रदूषक होगा।
प्रमुख सतही हवा दिल्ली के दक्षिणपूर्व-पूर्वी दिशा से 6 किमी प्रति घंटे की हवा की गति के साथ आने की संभावना है, मुख्य रूप से 27 नवंबर को सुबह साफ आसमान और कोहरा रहेगा। प्रमुख सतही हवा अलग-अलग दिशाओं से आने की संभावना है। दिल्ली में 6 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं। 28 नवंबर को मुख्य रूप से साफ आसमान और सुबह हल्का कोहरा रहेगा। 29 और 30 नवंबर के दौरान हवाएं अपेक्षाकृत तेज होने की संभावना है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने शुक्रवार की सुबह धुंध के साथ मुख्य रूप से साफ आसमान की भविष्यवाणी की।
दिन का अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।
गुरुवार को अधिकतम तापमान 27.8 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 11 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
सुबह 8.30 बजे सापेक्षिक आद्र्रता 95 प्रतिशत दर्ज की गई।

सरकार का नया आदेश, कक्षा 6 से 12वीं तक शिक्षण कार्य को 4 घंटे के स्थान पर पूर्व की भांति निर्धारित समय अवधि अनुसार होगा संचालित

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देहरादून, उत्तराखंड़ शिक्षा विभाग ने कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं को 4 घंटे के स्थान पर पूर्व की भांति पठन-पाठन शिक्षण कार्य समयावधि के अनुसार संचालित किए जाने के संबंध में निर्देश जारी किए हैं। सचिव बीबीआरसी पुरुषोत्तम ने महानिदेशक विद्यालय शिक्षा को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि विभागीय प्रस्ताव के दृष्टिगत विचारों प्रांत छात्र हित को देखते हुए राज्य के सभी बोर्ड द्वारा संचालित बोर्डिंग एवं डे बोर्डिंग शिक्षण संस्थानों शासकीय अशासकीय निजी शिक्षण संस्थानों में कक्षा 6 से 12 तक की कक्षाओं में पठन-पाठन शिक्षण कार्य को 4 घंटे के स्थान पर पूर्व की भांति निर्धारित समय अवधि के अनुसार संचालित किया जाएगा।

मध्य प्रदेश में चलती ट्रेन में लगी आग, सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया

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मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित हेतमपुर रेलवे स्टेशन के पास एक चलती ट्रेन में आग(Udhampur-Durg Express Fire) लगने की ख़बर सामने आई है.

राहत की बात ये है कि सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, इस हादसे में किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना को लेकर ट्वीट किया है हालात पर लगातार हम नजर बनाए हुए हैं.

सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया बाहर

जानकारी के मुताबिक पूरा मामला मध्य प्रदेश के हेतमपुर रेलवे स्टेशन के पास का है. जहां से गुजर रही उधमपुर-दुर्ग एक्सप्रेस के दो एसी कोच में अचानक आग(Udhampur-Durg Express Fire) लग गई. एसी कोच A1 और A2 में आग लगने से अफरातफरी मच गई. हालांकि समय रहते सभी यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया गया. अभी तक आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है.

हादसे में कोई हताहत नहीं

नॉर्थ सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डॉ, शिवम शर्मा ने बताया कि इस हादसे में किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, सभी यात्रियों को ट्रेन से बाहर निकाल लिया गया. अब तक आग लगने के कारणों का पता नहीं चल सका है. मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम आग बुझाने में जुटी है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस ट्रेन को रोक दिया गया है, जबकि अन्य ट्रेन पूर्व निर्धारित समय के अनुसार चल रही हैं, मतलब कोई भी ट्रेन लेट नहीं है.

स्थिति पर हमारी नजर है- सीएम शिवराज

वहीं इसे लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh Chauhan) ने ट्वीट कर जानकारी दी कि दुर्ग-उधमपुर ट्रेन के दो एसी कोच में मुरैना-धौलपुर के पास आग लगने की ख़बर है. इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ, मौके पर रेलवे विभाग की टीम के साथ-साथ फॉरेसिक विभाग की टीम भी पहुंच रही है. स्थिति पर हम लगातार नजर बनाए हुए हैं.

 

बता दें कि इससे पहले अभी हाल ही में ताज एक्सप्रेस में आग लगने की घटना सामने आई थी, हालांकि वह आग इतनी भीषण नहीं थी.

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सेम मुखेम पहुंचे मुख्यमंत्री : देवी-देवताओं की डोलियों का लिया आशीर्वाद, क्षेत्र विकास के लिये की कई घोषणाएं

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टिहरी, प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी जनपद के प्रतापनगर के सेम-मुखेम स्थित गड़वागीसौड़ मैदान में आयोजित श्री सेम नागराजा त्रिवार्षिक मेला एवं जात्रा सेममुखेम में प्रतिभाग किया व देवी-देवताओं की डोलियों का आशीर्वाद लेते हुए सरकार की उपलब्धियां गिनाई व क्षेत्र के विकास के लिए कई घोषणाएं की। इस अवसर पर उन्होंने श्री सेमनागराजा को नमन करते हुए कहा कि जब से नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने है तब से चाहे धार्मिक मेले हो, धार्मिक स्थल हो या धार्मिक क्रिया कलाप हो इनको लेकर भारत का पूरे विश्व में वर्चस्व बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि जैसे लोग पहले योग करते थे किन्तु योग को स्वीकार नहीं करते थे। अब पूरी दुनिया योग को स्वीकार करती है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ही जाता है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की पूरी दुनिया में एक नई पहचान बन रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा हमारे राज्य में भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्य किए जा रहे है।

प्रदेश में चारधाम यात्र मार्ग का निर्माण एवं रेलवे लाइन निर्माण जैसे प्रमुख कार्य इसका उदाहरण है। कहा कि डबल इंजन की सरकार उत्तराखण्ड को देश का एक सर्वश्रेठ राज्य बनाने के लिए दृढ़ संकल्प है। उन्होंने कहा कि जब से मैने मुख्यमंत्री का पदभार संभाला है। मेरे द्वारा राज्य हित व जनहित में अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिए गये हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा मेरे लिए गये फैसलों पर टिप्पणी की जा रही है कि आखिर मेरे द्वारा लिए गये निर्णयों एवं घोषणाओं को पूरा करने के लिए धन कहां से आयेगा। उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के साथ -साथ प्रदेश का वित्त मंत्री भी हूँ। राज्य का वित्तीय आकलन करने के बाद ही मेरे द्वारा राज्य हित व जनहित में निर्णय लिए जाते हैं तथा घोषणाएं की जाती है।

 

उन्होंने कहा कि मैं जो घोषणाएं कर रहा हूँ उन्हें पूरा भी जरूर करूंगा। उन्होंने अपनी उपलब्धियों गिनाते हुए कहा कि उन्होंने प्रदेश की नयी खेल नीति, आयुष्मान कार्ड योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना, महिला स्वयं सहायता समूहों को सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराने , वर्तमान में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदन निशुल्क किए जाने, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय में वृद्धि किए के साथ ही अन्य उपलब्धियां गिनाई। इस अवसर पर सीएम ने श्री सेम नागराजा के त्रिवार्षिक मेले को राज्य स्तरीय मेला घोषित किये जाने, मड़वागीसौड़ से सेम नागराजा मंदिर तक रास्ते में टीन शेड का निर्माण, राइका गरवाण गांव के अधूरे भवन निर्माण के लिए अवशेष धनराशि अवमुक्त किए जाने, ग्रामसभा पडिया में मिनी स्टेडियम का अवशेष कार्य पूरा किए जाने, डोबरा- चांठी पुल से लम्बगांव तक मोटर मार्ग का डामरीकरण व चौड़ीकरण किए जाने, जाख से डोबरा पुल तक मोटर मार्ग का डामरीकरण व चौड़ीकरण किए जाने, माजफ इंटर कॉलेज को प्रान्तीयकरण किए जाने की प्रक्रिया में शामिल करने सेम-मुखेम जाने वाले मार्ग का निर्माण किए जाने। ओणेश्वर महादेव में पर्यटन विभाग का अतिथि गृह बनाए जाने, लम्बगांव- रैका-दिन्याली मोटर मार्ग का निर्माण किए जाने, लम्बगांव से जाखणी गांव 6 किमी मोटर मार्ग का निर्माण एवं लम्बगांव में सार्वजनिक शौचालय बनाये जाने घोषणा की। इस अवसर पर अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण. विधायक प्रताप नगर विजय सिंह पंवार, जिलाधिकारी इवा आशीष श्रीवास्तव, एसएसपी तृप्ति भट्ट, ब्लाक प्रमुख प्रतापनगर प्रदीप रमोला, जाखणीधार सुनीता देवी, जिलाध्यक्ष विनोद रतूड़ी सहित कई लोग मौजूद थे।

ऐतिहासिक यात्रा को दोहराता हुआ “छत्रछाया” नामक गीत (हारूल) हुआ जारी

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देहरादून (चकराता), चालदा महाराज की ऐतिहासिक यात्रा को दोहराता हुआ इतिहास “छत्रछाया” नामक गीत (हारूल ) रविवार 21 नवंबर को आम जनमानस के लिए सार्वजनिक किया गया है, खत उप्पल गांव चालदा महाराज समिति द्वारा निर्मित और हिमाचल प्रदेश के ख्याति प्राप्त लोक गायक विक्की चौहान की सुरमई आवाज, राजीव नेगी के सशक्त संगीत निर्देशन और जानेमाने लोक कलाकार नंदलाल भारती के खोजी शब्दों के साथ यह हारूल गीत तैयार किया है, जिसमें कई ऐतिहासिक तथ्य व आध्यात्मिक दस्तावेजों का समावेश बहुत ही खूबसूरती के साथ किया गया है |

 

यह दर्शकों के लिए एक ऐतिहासिक दस्तावेज है , इस गीत का महाराज के प्रसाद स्वरूप आदान प्रदान करें गीत की मुख्य भूमिका में प्रस्तावक श्री वीरेंद्र रावत ग्राम टुगरा व अनुमोदन में समस्त उपल गांव चालदा महाराज समिति, मुख्य कलाकारों में विक्की चौहान के अतिरिक्त कातकू दास, अनूप चागटा, सचिन वर्मा व रिदम श्याम सिंह वर्मा एवं इस गीत को आमजन तक पहुंचाने के लिए युद्धवीर सिंह नेगी वॉइस सीरीज प्रोडक्शन सक्रिय रुप से समर्पित है और चालदा महाराज की इस यात्रा को सफल बनाते हैं |

 

 

पूर्व सैनिकों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से किया जाएगा: रावत

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रुद्रप्रयाग- पूर्व सैनिक संगठन जनपद ईकाई की बैठक में सैनिकों की समस्याओं के मुद्दे छाये रहे । एक स्वर मे पूर्व सैनिकों की समस्याओं के लिए एकजुट होकर मुखर होने की बात बैठक मे रखी गई
स्थानीय अलकनंदा बैडिगं प्वाइंट मे पूर्व सैनिक संगठन के जिलाध्यक्ष राय सिह रावत की अध्यक्षता मे संम्पन्न बैठक में जिले भर से आये पूर्व सैनिकों ने समस्याएं रखी व पूर्व
सैनिको के हितो सहित विभिन्न समस्याओ को लेकर चर्चाये हुई,। कै० हरिसिह राणा ने कहा कि कैंटीन मे हो रही समस्याओ के समाधान के लिए हमे अधिकारीयो से बात करनी होगी। तो वही कै०दलबीर सिह ने कहा कि तीनो ब्लाको से पूर्व सैनिको को संगठन मे जोड़ने के लिए तेजी से कार्य किया जाये।
सूबेदार कुँवर सिह बिष्ट ने कहा पूर्व सैनिक एक जुट होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाये,साथ ही आपस मे मिलकर अनुशासन के साथ रहे।

वही पूर्व सैनिक सत्यपाल नेगी ने कहा कि आज हर वर्ग के लोग संगठन बनाकर अपने लिए आवाज उठा रहे है,मगर हम पूर्व सैनिक राजनीतिक पार्टीयो व नेताओ के चक्कर मे बिखरते जा रहे है,हमे किसी पार्टी के साथ वोटर बनकर नही रहना होगा हम सबको खुद अपनी ताकत बनकर आगे आना होगा तभी सैनिको के हक अधिकार मिल पायेगे,उपनल,से लेकर राजनीति मे पूर्व सैनिको को भी आरक्षण के तहत सीटे मिलनी चाहिए।
संगठन के अध्यक्ष राय सिह रावत ने सभी के सुझावों पर गौर करते हुए अपनी बाते रखी ओर कहा कि सोल्जर बोल्ड,ईसीएचएस,कैन्टीन,उपनल आदि मे सैनिको एंव उनके बच्चो को आ रही दिक्कतों पर सम्बन्धित विभागों व सरकार को पत्र भेजा जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पूर्व सैनिक को अपने अपने गाँव आसपास के अन्य लोगों को भी संगठन की मजबूती पर जागरूक करना होगा।
आने वाले कुछ दिनों मे तीनो ब्लाको मे पूर्व सैनिको से सम्पर्क करके संगठन को मजबूत करने की मुहिम चलाई जायेगी।
सैनिक संगठन अध्यक्ष राय सिह रावत ने कहा कि किसी की भी कोई समस्याए है तो मुझे सूचित करे ताकि हम मिलकर उनके लिए कार्य कर सके।
बैठक मे सर्व सहमति से आवाज उठी कि स्टेशन कैंटीन रुद्रप्रयाग मे हो इसके लिए गढ़वाल रेजीमेंट सेंटर से लेकर सब-एरिया ओर आर्मी हेडक्वाटर को अवगत कराया जाये।
ECHS पॉलीक्लीनिक के लिए उपयुक्त जमीन की खोज की जाये।
सैनिक संगठन को मजबूत किया जाये साथ ही किसी भी राजनीतिक दल का प्रचार ना किया जाये।

बैठक मे पूर्व कै. हरिसिह राणा,कै.कुँवर सिह नेगी,कै.दलबीर सिह,प्रेम सिह,कुँवर सिह बिष्ट,विनोद सिह,दिनेश सिह,हरि सिह पँवार,राजेंद्र नेगी,राकेश सिह सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

किस दिन होगी देवस्थानम् एक्ट वापिसी की घोषणा, और क्या हैं मोदी के दौरे से इस घोषणा का संबंध ?

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(राजेन्द्र सिंह नेगी)

अब लगभग तय हो गया है कि पीएम मोदी ही लगाएंगे प्रदेश राजनीति के ज्वलंत मुद्दों में शुमार देवस्थानम् एक्ट विवाद पर विराम | दरअसल एक्ट को लेकर तीर्थ पुरोहित वर्ग के आंदोलन को शीघ्र समाप्त करने की इच्छुक धामी सरकार, मोदी की केदार यात्रा के दौरान ही बोर्ड भंग करने का मन बना चुकी है | ऐसे में हालिया कृषि कानून वापिसी के बाद अब चारधाम एक्ट वापिसी की घोषणा भी मोदी अपनी 3 दिसंबर को देहरादून में होने वाली रैली के दौरान करेंगे | चूंकि इस एक्ट को लेकर तीन-तीन मुख्यमंत्रियों की अहम् भूमिका रही है, इसलिए इसकी विवाद रहित वापिसी के लिए मोदी की मौजूदगी को भाजपा रणनीतिकारों ने अहम् माना |
लंबे समय से देवस्थानम् बोर्ड एक्ट के खिलाफ आंदोलनरत तीर्थ पुरोहित, पुजारी समाज एवं हक हकूकधारियों की मुराद आखिरकार पूरी होने वाली है | क्योंकि उत्तराखंड सरकार इस एक्ट को वापिस लेने जा रही है | हालांकि इसके संकेत धामी सरकार ने मोदी के केदारनाथ धाम दौरे से पहले उस समय दे ही दे दिये थे जब आंदोलनकारियों की टकराव वाली रणनीति के चलते पीएम के दौरे पर भी सवाल खड़े होने लगे थे | इस दौरान एक अवसर ऐसा भी आया कि पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत को केदार बाबा के दर्शन से रोककर कर उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराया |

शायद उसी दिन तय हो गया था कि इस एक्ट को लेकर असंतुष्ट पक्ष को समझाने का समय गुजर गया है | क्योंकि इससे पूर्व तीर्थ सिंह रावत के मुख्यमंत्रिकाल में भी वरिष्ठ भाजपा नेता मनोहरकान्त ध्यानी की अध्यक्षता में एक्ट के पहलुओं पर विचार करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गयी थी | लेकिन इस प्रक्रिया का हासिल भी सिफर ही निकला | अब सभी इस निष्कर्ष पर पहुँच गए कि कृषि सुधार कानून से नाराज किसानों की तरह असंतुष्ट तीर्थ पुरोहित समाज का मानना अब नामुमकिन सा है |
अब जब तय हो गया कि चार धाम एक्ट को वापिस लेने के अलावा कोई चारा नहीं, ऐसे में लाख टके का सवाल था कि इसकी घोषणा की रूपरेखा तय करना | क्योंकि इस एक्ट को पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र के कार्यकाल में लागू किया गया था और एक्ट को लेकर वह समय समय पर अपने भावनात्मक लगाव को सार्वजनिक भी कर चुके हैं | वहीं दूसरे पूर्व सीएम तीर्थ सिंह रावत ने एक कदम आगे बढ़कर बकायदा बोर्ड के सदस्यों को मनोनीत भी कर दिया था | ऐसे में सीएम पुष्कर धामी के लिए प्रदेश की राजनीति में अहम् बने इस एक्ट को वापिस लेने की घोषणा करना आसान नहीं है | लिहाजा सूत्रों का कहना है कि पार्टी और सरकार के रणनीतिकारों के अनुसार कानून वापिसी को विवादरहित और गरिमामय बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी को सुनिश्चित किया गया |

फिलहाल उम्मीद की जा रही है कि देवस्थानम् बोर्ड एक्ट वापिसी से भाजपा सरकार के लगभग समूचे कार्यकाल में जारी रहे इस विवाद का पटाक्षेप हो जाएगा | अब चूंकि विधानसभा चुनाव में बहुत कम समय बचा है और विरोध करने वाले अधिकांश लोग भाजपा के ही कोर वोटर हैं | लिहाजा एक्ट वापिसी से पार्टी को उम्मीद है कि इस मुद्दे पर वह ‘न नफा न नुकसान’ की स्थिति में आ जाएगी, जो पार्टी के लिए शुभ संकेत होगा |

जानें देवस्थानम बोर्ड के विवाद का क्या है पूरा मामला

उत्तराखंड सरकार के देवस्थानम बोर्ड का क्या है विवाद ?
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चारधाम समेत 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है।

देवस्थानम बोर्ड का पुरोहित क्यों कर रहे विरोध ?
अब तक मंदिरों के पुरोहित ही सारा प्रबंधन देखते थे। मंदिरों का चढ़ावा से लेकर दान सब उन्हें मिलता था। अब यह बोर्ड के हाथों में है।

देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुरोहितों का क्या कहना है ?
पुरोहितों का कहना है कि सरकार ने उनके हक को मार लिया है।
देवस्थानम बोर्ड कब बना था?
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने बनाया था।

देवस्थानम बोर्ड ऐक्ट कब बना था ?
5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम बोर्ड का विधेयक पास हुआ था।

देवस्थानम बोर्ड के विरोध में कब से चल रहा आंदोलन
देवस्थानम बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है।

क्यों नहीं सुलझ रहा देवस्थानम बोर्ड विवाद का मुद्दा ?
सरकार चाहती है कि इस मामले में बीच का कोई रास्ता निकाला जाए लेकिन पुरोहित चाहते हैं कि यह बोर्ड पूरी तरह से भंग किया जाए। फिलहाल विवाद को 30 अक्टूबर तक खत्म करने को कहा गया था लेकिन विवाद अब भी बना है।

उत्तराखंड सरकार के देवस्थानम बोर्ड का क्या है विवाद?
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चारधाम समेत 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है।

देवस्थानम बोर्ड का पुरोहित क्यों कर रहे विरोध ?
अब तक मंदिरों के पुरोहित ही सारा प्रबंधन देखते थे। मंदिरों का चढ़ावा से लेकर दान सब उन्हें मिलता था। अब यह बोर्ड के हाथों में है।

देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुरोहितों का क्या कहना है ?
पुरोहितों का कहना है कि सरकार ने उनके हक को मार लिया है।
देवस्थानम बोर्ड कब बना था?
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने बनाया था।

देवस्थानम बोर्ड ऐक्ट कब बना था ?
5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम बोर्ड का विधेयक पास हुआ था। देवस्थानम बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है।

क्यों नहीं सुलझ रहा देवस्थानम बोर्ड विवाद का मुद्दा ?
सरकार चाहती है कि इस मामले में बीच का कोई रास्ता निकाला जाए लेकिन पुरोहित चाहते हैं कि यह बोर्ड पूरी तरह से भंग किया जाए। फिलहाल विवाद को 30 अक्टूबर तक खत्म करने को कहा गया था लेकिन विवाद अब भी बना है।

उत्‍तराखंड सरकार ने कब अपने हाथ में लिया प्रबंधन ?
त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत एक बोर्ड का गठन कर चार धामों के अलावा 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया। सरकार का कहना था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या और इस क्षेत्र को पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मजबूत करने के उद्देश्य के मद्देनजर सरकार का नियंत्रण जरूरी है। सरकारी नियंत्रण में बोर्ड मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से करेगा। तब से लेकर अब तक तीर्थ पुरोहितों के अलावा एक बड़ा तबका सरकार के इस फैसले के विरोध में है। उसका कहना है कि सरकार इस बोर्ड की आड़ में उसके हकों को समाप्त करना चाह रही है। समय-समय पर वह धरना, प्रदर्शन और अनशन के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करते रहे हैं।

30 अक्टूबर तक क्‍यों नहीं सुलझा मामला ?
तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा इस बात पर है कि सरकार ने 2019 में जो देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी उसे वापस नहीं लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालने के बाद 11 सितंबर, 2021 को तीर्थ पुरोहितों को अपने आवास में बुलाकर आश्वस्त किया था कि 30 अक्टूबर तक इस मामले को सुलझा लिया जाएगा। पुरोहितों को इस बात पर भी रोष है कि मनोहर कांत ध्यानी ने कहा है कि बोर्ड को किसी कीमत पर भंग नहीं किया जाएगा। अगर पुरोहित समाज को इसके प्रावधानों से दिक्कत है तो उस पर विचार किया जा सकता है।

केदारनाथ धाम के पुरोहित ने क्‍यों लगाया आरोप?
बीते दिनों केदारनाथ धाम में पिछले 31 वर्षों से पूजा पाठ करवा रहे पुरोहित बृज बल्लभ बग्वाड़ी ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने पिछली सरकार के कामों को मटियामेट कर अरबों रुपये की बर्बादी की है।

कब-कब क्या हुआ ?
27 नवम्बर 2019 को उत्तराखंड चार धाम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी। 5 दिसंबर 2019 में सदन से विधेयक हुआ पास। 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी।24 फरवरी 2020 को देवस्थानम बोर्ड का सीईओ नियुक्त हुआ।24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड का पुरोहितों ने शुरू कर दिया विरोध। 11 सितंबर 2021 को पुष्कर धामी ने सीएम बनने के बाद संतों को बुलाकर विवाद खत्म करने का आश्वसन दिया था।30 अक्टूबर 2021 तक विवाद निपटाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन मुद्दा नहीं निपटा।

पश्चिमी सभ्यता के दौर में देश के युवाओं के बीच में संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देना वर्तमान समय की आवश्यकता : मुख्यमंत्री

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देहरादून, संविधान दिवस के अवसर पर विधानसभा भवन देहरादून में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के चित्र पर पुष्प चढ़ा कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए साथ ही राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने एवं दृढ़ संकल्पित होने के लिए सभी के द्वारा शपथ ली गई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संविधान दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि हम अपने संविधान को, अपने कर्तव्य को, अपने अधिकारों को ठीक से समझ सके साथ ही पश्चिमी सभ्यता के दौर में देश के युवाओं के बीच में संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देना वर्तमान समय की आवश्यकता है।संविधान दिवस : CM धामी और विधानसभा अध्यक्ष ने की बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर  को श्रद्धांजलि अर्पित | Khabar Uttarakhand News

इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ने कहा की आज संपूर्ण देश में संविधान दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है ऐसे समय में संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर का स्मरण सबसे अधिक प्रसांगिक हो जाता है। संविधान दिवस के दिन डॉ भीमराव अंबेडकर को श्रद्धाजंलि देने के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है।उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए हम सब लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज संविधान दिवस के अवसर पर हमें संकल्प लेने की आवश्यकता है कि हम इस राज्य को अपने कर्तव्य निष्ठा के बल पर संविधान के शक्तियों, अधिकार और कर्तव्यों का निर्वहन कर प्रगति के पथ पर आगे ले जाएं ।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिस्वरानंद, विधानसभा के प्रभारी सचिव मुकेश सिंघल, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल, आर एस राघव, आदित्य कोठारी, सीताराम भट्ट, सतेंद्र नेगी, रतन सिंह चौहान, सुभाष यादव, अनूप नौडियाल, सुशीला रावत, उषा पाल, बृज बिहारी गुप्ता, आदित्य चौहान, पार्षद शिव कुमार गौतम, हरीश तिवारी, विकास तेवतिया, सुमित पवार, गोपाल, अरुण बडोनी, लव कोहली सहित अन्य लोग उपस्थित थे |