Saturday, May 10, 2025
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कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक : चुनावी राज्यों में मिली हार पर चर्चा

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नई दिल्ली, हाल में ही पांच राज्यों में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस ने कार्यसमिति की बैठक बुला ली है। उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड और पंजाब में मेहनत के बावजूद उसे हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक दिल्ली में सोनिया गांधी की अध्यक्षता में शुरू हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में चुनावी राज्यों में मिली हार पर चर्चा के साथ-साथ आगे की रणनीति पर भी चर्चा होगी। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद, प्रियंका गांधी, अजय माकन, राहुल गांधी, हरीश रावत, जयराम रमेश, मलिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा जैसे नेता शामिल हैं।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के नाराज गुट ने कांग्रेस में कई परिवर्तन की मांग रखी है। सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि कहीं ना कहीं जी-23 के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मुकुल वासनिक का नाम सामने किया है। दूसरी ओर अशोक गहलोत ने राहुल गांधी को एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग की है। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक से पहले सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी अकेले व्यक्ति हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरे दमखम से मुकाबला कर कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में चुनावी हार का ‘पोस्टमॉर्टम’ होगा और आगे की रणनीति तय की जाएगी।

जनता के मत पर सवाल के बजाय आत्ममन्थन करे कांग्रेस : मनवीर चौहान

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देहरादून, भाजपा ने कॉंग्रेस के मतदाताओं के निर्णय पर उंगली उठाने वाले बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि लगता है कॉंग्रेस हार नहीं पचा पा रही है तभी जनता पर ही मौके को खोने का अपमानजनक आरोप लगा रही है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने वोटरों की समझ पर ही सवाल खड़े कर सवा करोड़ प्रदेशवासियों का अपमान किया है जिसके लिए उन्हे सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। बेहतर होता उन्हें अपने प्रदेश सह प्रभारी से प्रेरणा लेकर अपनी कमी स्वीकारते हुए पद से इस्तीफा देते।
चौहान ने कहा कि कॉंग्रेस नेता जनता का आशीर्वाद नहीं मिलने पर अपनी कमियाँ स्वीकार करने के बजाय उनके निर्णय पर ही प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। उन्होने कहा कि हकीकत यह है कि प्रदेश के बुद्धिमान मतदाताओं ने सुरक्षा, स्मृद्धि और विकास के लिए भाजपा के पक्ष में अपने मत का सदुपयोग किया है। कॉंग्रेस की नीति व क्षमता पर लोगों को भरोशा नहीं था और इसी कारण कांग्रेस को लोगों ने विपक्ष में बिठाया।
कॉंग्रेस को उन्हे मिले वोटों पर जनता का आभार जताने के बजाय उनके निर्णय को ही कठघरे में खड़ा कर रही है यह कहीं से उचित नहीं है। कांग्रेस को जनता पर दोषारोपण के बजाय आत्म मंथन करना चाहिए।

कांग्रेस ऋषिकेश विधानसभा में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने को तैयार है : जयेन्द्र रमोला

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देहरादून, ऋषिकेश विधानसभा के विस्थापित क्षेत्र निर्मल आम बाग में कांग्रेस कांग्रेस द्वारा आभार व समीक्षा कार्यक्रम किया गया, जिसमें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय पर विचार विमर्श कर मंथन हुआ।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने कहा कि ऋषिकेश विधानसभा सहित उत्तराखंड की जनता द्वारा दिये गए जनादेश का विनम्रता पूर्वक सम्मान करते है। लोकतंत्र में जनता का मत सर्वोपरि है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर मेहनत की, जनता के मुद्दों पर संघर्ष किया, लेकिन हम अपनी मेहनत को वोट में तब्दील करने में कामयाब नहीं हुए। रमोला ने बैठक में सभी का आभार व्यक्त किया और भविष्य के लिए कांग्रेस को मजबूत करने का संकल्प लिया।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता विजेंद्र गुलियाल ने दिन रात एक कर मेहनत करने वाले अपने क्षेत्रवासियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह चुनाव मजबूती से लड़े हैं टिकट वितरण होने के कम समय में ही कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत की ओर कांग्रेस को मजबूती प्रदान करने में कसर नही छोड़ी। विस्थापित क्षेत्र के लोगों ने उन्हें हमेशा की तरह भरपूर प्यार दिया है।
कार्यक्रम में बिजेन्द्र गुलियाल, हरि सिंह भंडारी, गुड्डी पोखरियाल, मिली सजवाण, गंभीर गुलियाल, मनीष मैठाणी, धर्मेंद्र गुलियाल, आशीष रतूड़ी, अमित राय,शशी रावत, अंजना रमोला, गुड्डी राणा, जगदम्बा रतूड़ी, अनुष्का गुलियाल, बलवीर रावत, विजयपाल सजवाण, सत्वाल सिंह तड़ियाल, कुंवर सिंह तड़ियाल, गौरव जोशी, अनमोल तड़ियाल, अखिलेश पडियार, हिमांशु नौटियाल, लकी चौहान, प्रेम लाल मैठाणी, भगवान सिंह राणा आदि लोग उपस्थित रहे।

द कश्मीर फाइल्स की टीम से मिले पीएम मोदी, निर्देशक विवेक ने ट्वीट कर जताया आभार

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नई दिल्ली, 11 मार्च को रिलीज हुई फिल्म कश्मीर फाइल्स ने पहले ही दिन 3.55 करोड़ की अच्छी ओपनिंग की जिससे यह पता चलता है कि, यह फिल्म कितनी शानदार होगी। इस फिल्म को लोगों द्वारा बहुत अच्छे रिव्यूज भी मिल रहे हैं। विवेक अग्न‍िहोत्री के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म की एक्टर से लेकर फिल्म क्रिटीक भी कई तारीफ कर रहे है। इन सबके बीच प्रधानमंत्री मोदी को भी यह फिल्म काफी पसंद आई है। उन्होंने फिल्मी की टीम से मुलाकात कर सबको बधाई दी। द कश्मीर फाइल्स के प्रोड्यूसर अभ‍िषेक अग्रवाल ने पीएम मोदी के साथ टीम की तस्वीरें शेयर की है |

 

डायरेक्टर विवेक अग्न‍िहोत्री ने भी इन तस्वीरों को शेयर किया है और लिखा है कि, मैं बहुत खुश हूं क‍ि अभ‍िषेक ने भारत के इस चुनौती भरे सच को दिखाने की हिम्मत दिखाई. यूएसए में #TheKashmirFiles की स्क्रीन‍िंग से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के प्रति दुन‍िया के बदलते नजर‍िए में फायदेमंद साब‍ित हुआ’।
वहीं प्रोड्यूसर अभ‍िषेक अग्रवाल ने पीएम मोदी के साथ अपनी तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा कि, आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मिलना सुखद अनुभव रहा. #TheKashmirFiles के लिए उनका एप्रीस‍िएशन और अच्छे शब्द इसे और भी खास बनाता है. हमें इससे पहले किसी फिल्म को प्रोड्यूस करने में इतना गर्व महसूस नहीं हुआ. धन्यवाद मोदी जी…’। जानकारी के लिए बता दें कि, इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार, पल्लवी जोशी शामिल है।The Kashmir files Team Meet PM Narendra Modi, Users trolled Kapil Sharma kpg

सुविधा स्‍टोर में लगी भीषण आग, लाखों का हुआ नुकसान

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देहरादून, पटेलनगर के सुविधा डिपार्टमेंटल स्टोर में भीषण आग लग गई है। सुविधा डिपार्टमेंटल स्टोर के एक हिस्से को आग की तेज लपटों ने घेर लिया। अग्नि कांड की जानकारी तुरंत दमकल विभाग को दी गई और आग बुझाने के लिए दमकल की गाड़ियां पहुंच गई है, बाजार चौकी से पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंच गई है। फायर ब्रिगेड की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग को बुझाया। घटना में कोई जान माल का नुकसान नहीं हुआ।

मिली जानकारी के मुताबिक रविवार सुबह करीब 9:45 पर स्टोर की चौथी मंजिल पर आग लग गई और देखते पूरे स्टोर में आग की लपटें उठने लगीं। स्टोर में स्टाफ अपने काम पर लगा हुआ था, अचानक ऊपरी मंजिलों से धुंआ निकलने लगा।
स्टाफ ने सभी को सूचित किया और तुरंत बाहर निकल गए। आग की सूचना तुरंत फायर ब्रिगेड को दी गई। फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया।

बताया जा रहा है कि आग चौथी मंजिल से लगते हुए नीचे की तरफ आई। स्टोर के बगल के मकान में छत से जब धुआं उठ रहा था तब आग लगने की सूचना पर हड़कंप मच गया। आग लगने के कारणों का पता नहीं लग पाया है ।

उत्तराखण्ड़ : धामी नहीं तो फिर कौन, राजनैतिक गलियारों में उठ रहे सवाल

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देहरादून, उत्तराखंड़ में विधान सभा चुनाव में भाजपा ने पूर्ण बहुमत पाते ही सत्तापाने की कांग्रेस की उम्मीद पर पानी फेर दिया, लेकिन प्रदेश के मुखिया के चुनाव हारने के बाद भाजपा सत्ता की कमान किसके हाथों में सौंपेगी, इस सवाल पर पार्टी में मथापच्ची जारी है, ऐसे में अब किसके सिर ताज चढ़ेगा इस प्रश्न पर भाजपा फंसती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर भाजपा ने चुनाव लड़ा। भाजपा के हलकों में चर्चाएं गर्म है कि पार्टी चुनाव हारने के बावजूद धामी को ही सत्ता की बागडोर सौंप सकती है। जबकि पश्चिम बंगाल का उदाहरण सामने जहां ममता को चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री बनी | लेकिन राजनैतिक गलियारों यह सवाल भी चर्चा में बना है आखिर कौन होगा राज्य मुखिया |

देखा जाय तो अंतिम समय में धामी को प्रदेश की कमान सौंपना और उनका पूरी मेहनत से राज्य भाजपा के लिये माहौल तैयार करने में वे सफल रहे और उन्होंने पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार किया। खटीमा विधानसभा सीट पर प्रचार की कमान उनकी पत्नी के हाथों में रही। हालांकि आखिरी समय में उन्होंने ताकत झोंकी लेकिन चुनाव नहीं जीत पाए।
मुख्यमंत्री के सवाल पर पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी का कहना है कि इस बारे में केंद्रीय नेतृत्व को निर्णय करना है और सरकार गठन को लेकर एक-दो दिन में स्थिति साफ हो जाएगी। यानी विधानमंडल दल की बैठक भाजपा जल्द बुला सकती है। उन्होंने भाजपा की जीत का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और सीएम पुष्कर सिंह धामी के काम को दिया।
सियासी हलकों में यह सवाल भी तैर रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने यदि धामी को कमान नहीं सौंपी तो फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पार्टी किसे बैठाएगी।
मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर विधायकों में से सतपाल महाराज और धन सिंह के नामों की चर्चा है। दोनों नाम पूर्व में भी चर्चा में रहे हैं, विधायकों से जुदा यदि पार्टी बाहर से मुख्यमंत्री के चेहरा तलाशती है तो उसके लिए तीन प्रमुख नामों की चर्चा शुरू हो गई है। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट के नाम लिए जा रहे हैं।

पेट्रोल 77 रुपये, डीजल 55 रुपये महंगा, श्रीलंका में एक और तेल कंपनी ने बढ़ाई कीमत

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नई दिल्ली । वैसे तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर हैं लेकिन पड़ोसी देश श्रीलंका में तेल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर हैं। हाल ही में भारत की प्रमुख तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की सहायक कंपनी लंका आईओसी ने ईंधन की कीमतें बढ़ायी थीं।
सरकारी तेल कंपनी ने बढ़ाई कीमतें : अब श्रीलंका की सरकारी तेल और गैस कंपनी सीलोन पेट्रोलियम ने भी पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा दिए हैं। सीलोन पेट्रोलियम ने पेट्रोल की कीमत में 77 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 55 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है।
ये है रेट लिस्ट: सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (सीपीसी) द्वारा कीमतों में बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल की कीमत 43.5 प्रतिशत बढक़र रिकॉर्ड 254 रुपये प्रति लीटर हो गई है, जबकि डीजल 45.5 प्रतिशत बढक़र 176 रुपये प्रति लीटर के भाव पर पहुंच गया है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की श्रीलंकाई सब्सिडरी ने पेट्रोल की कीमत में 50 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 75 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। इस बढ़ोतरी के बाद श्रीलंका में इंडियन ऑयल के पेट्रोल की कीमत 254 रुपये प्रति लीटर और डीजल के 214 रुपये प्रति लीटर है।
भारत में हाल: भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर हैं। देश की राजधानी दिल्ली में शनिवार को एक लीटर पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये बनी हुई है, जबकि डीजल की कीमत 86.67 रुपये है। पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद भारत में ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि पेट्रोल और डीजल के दाम 20 रुपये तक बढ़ सकते हैं।

सामने आया यूक्रेन का घातक पिशाच! आसमान से बरपा रहा रूसी सेनाओं पर कहर

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रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच अब यूक्रेन का घातक पिशाच सामने आया है जो रूस की सेना का काल बन चुका है। यूक्रेन के सुरक्षा बल ने अपने वेरिफाइड फेसबुक अकाउंट से इसकी तस्वीर पोस्ट की है। इस तस्वीर में एक फाइटर पायलट को दिखाया गया है। इस तस्वीर का कैप्शन है- ‘हेलो, रूसी खलनायकों, मैं तुम्हारी आत्मा के लिए आ रहा हूं- कीव का पिशाच!’ यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। एक ही दिन में इस तस्वीर को एक फेसबुक पेज पर 7700 से अधिक बार शेयर किया गया है। असल में यूक्रेन में इस तरह की चर्चा चल रही है कि Ghost of Kyiv नाम के एक फाइटर पायलट ने 10 रूसी फाइटर जेट्स को मार गिराया है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई है और कई लोग इसे काल्पनिक कहानी भी कह रहे है। लेकिन इसी बीच यूक्रेन के सुरक्षा बल ने जब यह तस्वीर पोस्ट की तो फिर से यूक्रेन के ‘पिशाच’ की चर्चा होने लगी। अब तक रूस के आक्रमण का मजबूती से सामना कर रही यूक्रेन की सेना और आम लोगों के लिए यह ‘पिशाच’ साहस का प्रतीक भी बन गया है। यूक्रेन की पूरी वायु सेना के लिए भी इस प्रतीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

हालांकि, यूक्रेन के सुरक्षा बल ने जो तस्वीर पोस्ट की है उसमें पायलट का नाम या पहचान जाहिर नहीं की गई है। इसमें एक पायलट ऑक्सीजन मास्क लगाए हुए, डार्क वाइजर के साथ कॉकपिट में नजर आता है। वह MiG-29 जेट में बैठा मालूम पड़ता है। यूक्रेन दावा करता रहा है कि उसने रूस के कई एयरक्राफ्ट को मार गिराया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के वक्त रूस के पास करीब 1200 लड़ाकू जहाज थे। वहीं, यूक्रेन के पास सिर्फ 124 फाइटर एयरक्राफ्ट थे।

EPF ने ब्याज दरों में कर दी कटौती, जानें आम आदमी को कितना होगा नुकसान और कहां करें अब निवेश?

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EPF Interest Rate: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार (Modi Government) ने पांच राज्यों के चुनाव खत्म होते ही आम जनता को बड़ा झटका दिया है. सरकार ने देश के करीब 6 करोड़ नौकरीपेशा लोगों की जमापूंजी पर फिक्स्ड कमाई के सबसे बड़े जरिए में कटौती कर दी है. EPFO यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए EPF की ब्याज दर को 8.5 फीसदी से घटा कर 8.1 फीसदी कर दिया गया है.

40 सालों में है सबसे कम दर
आपको बता दें पिछले 40 सालों में ये सबसे कम ब्याज दर है. इससे पहले ईपीएफ पर सबसे कम ब्याज दर 8 फीसदी 1977-78 में थी. सरकार के इस कदम से पीएफ खातों पर ब्याज ले रहे ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स को अब कम ब्याज मिलेगा यानी उनकी कमाई कम होगी.

लगातार कई सालों से घट रही हैं ब्याज दरें
कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से वित्तीय संकट तो अभी आया है, लेकिन EPF की ब्याज दरें पिछले कुछ सालों से लगातार कम की जा रही हैं. वित्त वर्ष 2015-16 में EPF पर ब्याज दर 8.80 फीसदी थी. इसके बाद 2019-20 में घटते हुए ये 8.50 फीसदी हुई औऱ अब यानी 2021-22 में इसे 8.1 फीसदी कर दिया गया है.

निवेश के मौके लगातार हो रहे कम
पिछले कुछ सालों की कटौती के ट्रेंड को भी देखें तो ये सबसे तीखा प्रहार है. आम आदमी औऱ खास तौर पर मिडिल क्लास के लिए निवेश के मौके लगातार कम हो रहे हैं. बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट की दरें बहुत कम कर दी हैं. शेयर बाजार में अनिश्चितता के कारण निवेश मुश्किल है, सोना खरीदना भी सबके बस की बात नहीं है और अब ईपीएफ पर भी ब्याज कम कर दिया गया है तो ऐसे में आम आदमी आखिर करे तो क्या करें? कहां निवेश करें? अपना पैसा कैसे बढ़ाए?

EPF की ब्याज दर कम होने से एक नौकरीपेशा व्यक्ति को कितना नुकसान होता है इसे एक उदाहरण के जरिए समझते हैं –

उदाहरण से समझिए ब्याज दरें बढ़ने पर कितना होगा नुकसान-
मान लीजिए आपके पीएफ फंड में फिलहाल 5 लाख रुपये हैं. इसमें हर साल आपकी सैलरी से 50 हजार रुपये कट कर पीएफ फंड में और जमा होते हैं तो 9 फीसदी की दर से बीस साल बाद आपका फंड 56 लाख रुपये हो जाता है, लेकिन अगर बाकी चीजें वैसी ही रहें और ब्याज दर घटकर 8 फीसदी हो जाए तो ये रकम बीस साल बाद 48 लाख रुपये होगी. यानी आपको सीधे-सीधे 8 लाख रुपये का घाटा होगा, लेकिन सच ये है कि हर साल कमाई बढ़ने पर PF में पैसे भी ज्यादा जमा होते हैं और Compound Interest के आधार पर ये नुकसान और भी बड़ा हो जाता है.

जानें क्यों हुई ब्याज दरों में कटौती?
कई जानकारों के मुताबिक, EPFO के हाथ भी बंधे हैं उन्हें अपने करोड़ों सब्सक्राइबर्स के हितों का ध्यान रखना होता है. दरअसल, EPFO जो भी पेंशन फंड इकट्ठा करता है वो उसे लोन पर चढ़ा देता है और थोड़ा सा हिस्सा शेयर बाजार में भी निवेश करता है. साल भर में डिविडेंड और ब्याज की कमाई को ही वो अपने सब्सक्राइबर्स में बांटता है, लेकिन इस बार कोविड के साथ-साथ यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण माहौल थोड़ा अनिश्चित है. ऐसे में उन्हें ये डर है कि जहां-जहां निवेश किया है उसमें रिटर्न शायद कम मिले. शायद इसी वजह से उन्होंने ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती की है.

खत्म हो रहा ऊंची ब्याज दरों का दौर
आपको बता दें भारत में अब ऊंची ब्याज दरों का दौर धीरे धीरे खत्म हो रहा है. चाहे वह EPF हो या या फिर बैक FD, हर चीज पर ब्याज लगातार कम हो रहा है. विकसित देशों में भी ऐसा ही होता है. अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देशों में ब्याज दर अधिकतम 1 या 2 फीसदी ही होती है. वहां, निवेश पर रिटर्न कम होने की वजह से ही अंतर्राष्ट्रीय निवेशक भारत जैसे कई एशियाई बाजारों में पैसे लगाते है क्योंकि यहां ब्याज दरें ऊंची है.

शेयर बाजार से मिल सकता है अच्छा रिटर्न
बता दें इससे शेयर बाजार को भी मदद मिलती है, लेकिन ऐसा कब तक चलेगा, ये कोई नहीं जानता… घूम फिर कर आम भारतीय निवेशक को अगर ज्यादा रिटर्न चाहिए तो उसे जोखिम उठाना पड़ेगा यानी सीधे इक्विटी या म्यूचुअल फंड में निवेश करना पड़ेगा. दुनिया के ज्यादातर आर्थिक एक्सपर्ट हमेशा से यही मानते रहे हैं कि महंगाई से निपटने के लिए लंबी अवधि में शेयर बाजार से ही अच्छा रिटर्न मिल सकता है, लेकिन इसके लिए बहुत संयम और अनुशासन की जरूरत है.

रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव: गेहूं 44 रुपये तो सरसों तेल 250 के पार, इन शहरों में जीना मुहाल, आपके यहां क्या है हाल

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रूस-यूक्रेन युद्ध के 17 दिन बाद भी खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। उधर रूस यूक्रेन के शहरों को भीषण बमबारी कर तबाह कर रहा है तो भारत में महंगाई बम आपके किचन के बजट को।हो सकता है आपके शहर में गेहूं 20-22 रुपये किलो मिल रहा हो, सरसों तेल 200 रुपये लीटर के नीचे हो, दालें सस्ती हों पर अपने ही देश में कई ऐसे शहर हैं, जहां शुक्रवार को गेहूं का फुटकर भाव 44 रुपये किलो पर पहुंच गया। यह हम नहीं बल्कि खुद केंद्र सरकार के आंकड़े कह रहे हैं।

उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए आवश्यक वस्तुओं के खुदरा भाव के आंकड़े आपको मायूस कर सकते हैं। शुक्रवार 11 मार्च को बरेली में सामान्य चावल 60 रुपये किलो था तो तुरा में 22 रुपये। राहुल गांधी केरल के जिस संसदीय क्षेत्र वायनाड से चुनकर आते हैं, वहां शुक्रवार को एक किलो गेहूं के लिए 44 रुपये चुकाने पड़े। हालांकि सबसे सस्ता गेहूं 17 रुपये मालदा में था। बगर गेहूं के आटे की बात करें तो देश में सबसे महंगा आटा 55 रुपये किलो देवनगिरि में तो सबसे सस्ता 21 रुपये पुरुलिया में है।
दालों का ये है हाल

चाल और रोटी के बाद आते हैं आम आदमी की सबसे बेसिक चीज दाल पर। देश में सबसे सस्ता चना दाल वाघई में 54 रुपये किलो है तो सबसे महंगा हल्द्वानी में 137 रुपये किलो। अगर अरहर दाल की बात करें तो सबसे महंगा 134 रुपये किलो बीकानेर में तो सबसे सस्ता 70 रुपये जगदलपुर में था। एर्नाकुलम में उड़द दाल सबसे महंगी है। यहं एक किलो उड़द दाल के लिए 137 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। वहीं, उड़द दाल का सबसे कम रेट 73 रुपये प्रति किलो रीवा में है। मूंग दाल हल्द्वानी में 128 तो होशंगाबाद में 84 रुपये है। मसूर दाल 134 रुपये तुमाकुरु में तो होशंगाबाद में 66 रुपये है।
खाद्य तेल के दाम में भी जमीन आसमान का अंतर

मूंगफली तेल का एक किलो का पैकेट लोहरदगा में 245 रुपये है तो वारंगल में 148 रुपये का। रामनापुरम में एक किलो सरसों तेल का पैकेट 260 रुपये में मिल रहा है तो सबसे सस्ता जबलपुर में 138 रुपये। वनस्पति सूरत में 92 रुपये है तो मैसूर में 229, सोय तेल साहिबगंज में 209 तो सूरत में 124 रुपये किलो। सूरजमुखी तेल 267 रुपये बीकानेर में तो 139 रुपये सूरत में जबकि, पाम तेल कटक में 177 रुपये तो 98 रुपये जबलपुर में है।
आलू-प्याज-टमाटर के भाव

अभी सब्जियों के तेवर नरम हैं। आलू 8 रुपये से 42 रुपये किलो तक मिल रहा है। शुक्रवार को बीकानेर में 42 रुपये किलो के रेट से आलू बिका तो पुरुलिया में मात्र 8 रुपये प्रति किलो। अगर प्याज की बात करें तो भोपाल में 18 रुपये तो आइजोल में 63 रुपये किलो है। टमाटर के भाव बेल्लारी में 7 रुपये तो सोहरा में 70 रुपये किलो है। बता दें आवश्यक वस्तुओं के दाम में अंतर उनकी क्वालिटी और ट्रांस्पोटेशन की वजह से है।

सीतारमण ने बढ़ती जिंस कीमतों पर चर्चा की

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक बैठक की और जिंस कीमतों में बढ़ोतरी के विश्व अर्थव्यवस्था पर असर सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

उन्होंने शुक्रवार को आईएमएफ कोटा की 16वीं आम समीक्षा और उभरते बाजारों तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की जरूरत पर भी चर्चा की। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, ”वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और क्रिस्टालिना जॉर्जीवा, दोनों ने कोविड-19 टीकों की घटती वैश्विक आपूर्ति पर चिंता जताई।

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने लोगों को 1.79 अरब खुराकें दीं। साथ ही जरूरतमंद देशों को 16.29 करोड़ खुराकें भेजीं।’ उन्होंने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के प्रभावित होने, जिंस कीमतों में तेजी और इसके विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी चर्चा की।