नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली सरकार नए बेड़े की खरीद के दौरान सभी एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को अपने वाहनों में इलेक्टि्रक वाहन (ईवी) शामिल करने के लिए अनिवार्य करने वाली मसौदा नीति पर जनता से प्राप्त सुझावों और टिप्पणियों की जांच करने के लिए समिति का गठन करेगी।सरकार ने इसी वर्ष आठ फरवरी को दिल्ली गजट में मसौदा नीति जारी की थी, जिसमें 60 दिनों के भीतर जनता से सुझाव और टिप्पणियां आमंत्रित की गई थीं।
नीति के प्रभावी होने के बाद एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके नए दोपहिया वाहनों में से 10 प्रतिशत और नए चार पहिया वाहनों में से पांच प्रतिशत पहले तीन महीनों में इलेक्टि्रक हों। साथ ही उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके नए दोपहिया वाहनों में से 50 प्रतिशत और नए चार पहिया वाहनों में से 25 प्रतिशत अगले वर्ष मार्च तक इलेक्टि्रक हों। एक अधिकारी ने कहा कि सुझावों और टिप्पणियों की समीक्षा करने वाली समिति की अध्यक्षता पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव कर सकते हैं। इसमें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, परिवहन विभाग, बिजली विभाग और बिजली विभाग से भी एक-एक सदस्य होगा।
इसके अलावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली का एक विशेषज्ञ और सोसाइटी आफ इंडियन आटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) का प्रतिनिधि भी होगा। दिल्ली सरकार राजधानी में वायु प्रदूषण कम करने के लिए ईवी की ओर बढ़ने के लिए प्रयास कर रही है। इसी के मद्देनजर अगस्त 2020 में दिल्ली इलेक्टि्रक वाहन नीति पेश की थी, जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक कुल वाहन बिक्री में ईवी हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
वर्ष 2016 में आइआइटी-कानपुर द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि परिवहन क्षेत्र में दिल्ली में पीएम 2.5 प्रदूषण का हिस्सा 28 राजधानी में कुल प्रदूषण भार का 41 प्रतिशत है। दिल्ली सरकार के मुताबिक दिल्ली की सड़कों पर करीब 1.33 करोड़ पंजीकृत वाहन हैं।
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