Tuesday, April 23, 2024
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छावला कांड के आरोपियों के बरी होने पर सब चिंतित : उत्तराखंड के सीएम से विपक्ष तक ने की बेटी के न्याय की लड़ाई लड़ने की पैरवी

देहरादून, दिल्ली के छावला इलाके में 10 साल पहले उत्तराखंड की बेटी के साथ दुष्कर्म और हत्या के तीनों आरोपियों के बरी होने पर प्रवासियों से लेकर राज्य तक रोष है। सोशल मीडिया पर लगातार तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। अब इस मामले का संज्ञान सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक ने लिया है। सीएम धामी ने कहा कि बेटी को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। तो पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हें।
बता दें कि वर्ष 2012 के दिल्ली के छावला इलाके में दरिंदों ने उत्तराखंड की 19 वर्षीय बेटी के अपहरण कर दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी थी। यह निर्भया जैसा मामला था। इन वहशी दरिंदों को जिला और उच्च न्यायालय ने सजा ए मौत की सजा सुनाई थी। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद जो फैसला सामने आया, उसने सभी को स्तब्ध कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है।
मीडिया रिपोर्र्ट्स के मुताबिक इस प्रकरण का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लिया है। उन्होंने यह केस देख रही वकील और केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू से भी बात की है। कहा कि पीड़ित बेटी को इंसाफ दिलाने के भी सब कुछ करेंगे।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुझाव दिया है कि उत्तराखंड की बेटी को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आरोपियों के बरी होने पर चिंता जताई हैं कहा कि दरिंदगी के जिम्मेदार आरोपियों को जिला न्यायालय और फिर उच्च न्यायालय ने सजा-ए-मौत दी थी, पर वो बरी हो गए हैं। यह निर्भया हत्याकांड जैसा केस था।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने छावला कांड में आरोपियों के बरी होने पर चिंताजनक बताया। कहा कि 2012 में दरिंदों ने सारी हदें पार कर दी थी। ऐसे जघन्य अपराधियों का छूटना समाज के लिए चिंता की बात है। कांग्रेस उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने दिल्ली सरकार से मामले को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में ले जाने की मांग की है। कहा कि वह प्रवासी संगठनों से बातचीत कर संयुक्त लड़ाई का प्रयास भी करेंगे।

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