Sunday, May 19, 2024
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दून के डॉ. सुनील अग्रवाल ‘नेशनल चेंजमेकर’ की उपाधि से हुये सम्मानित

नई दिल्ली, गुरुग्राम के होटल रेडिसन में ग्लोबल हुमन राइट्स एवं पीस कॉन्सिल द्वारा इंटरनेशनल मल्टीडिसीप्लिनरी कॉन्फ्रेंस और डिजिटल एजुकेशन पर इंटरनेशनल वर्कशॉप का आयोजन किया गया |
इस अवसर पर विभिन्न देशों के शैक्षिक प्रतिनिधि मौजूद थे, कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ. सुनील अग्रवाल ने वर्तमान समय में शिक्षा की स्थिति डिजिटल एजुकेशन के सामने मौजूद चुनौतियों और शिक्षा को कैसे जन-जन तक पहुंचाया जाए पर अपने विचार रखे | कॉन्फ्रेंस में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों द्वारा वैश्विक स्तर पर शिक्षा के सामने मौजूद चुनौतियों पर भी अपने विचार रखें | विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को भी कार्यक्रम में सम्मानित किया गया | जिसमें दून के डॉ. सुनील अग्रवाल को ‘नेशनल चेंजमेकर’ की उपाधि से सम्मानित किया गया, उपस्थित गणमान्यों ने डॉ. सुनील अग्रवाल द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में में किए गए कार्यों की सराहना की | ग्लोबल ह्यूमन राइट्स काउंसिल फॉर पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से संस्था के चेयरमैन डॉक्टर सल्वाटोर मुकाया, थाईलैंड से डॉक्टर जेडी अप्पा , डॉक्टर रितु रंजन सिंह, डॉ विद्युत, डॉ अशोक महापात्र, डॉक्टर मोइनुद्दीन , डॉ किरण ने भी कार्यशाला में अपने विचार रखें |

 

 

डिजिटल एजुकेशन के साथ-साथ क्लासरूम एजुकेशन अवश्य चलनी चाहिए : डॉ. सुनील अग्रवाल

कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा के डिजिटल एजुकेशन वर्तमान समय की आवश्यकता है लेकिन अभी हमारा देश पूरी तरह से इसके लिए तैयार नहीं है, गांव में भी कनेक्टिविटी होनी आवश्यक है और डिजिटल एजुकेशन के साथ-साथ क्लासरूम एजुकेशन अवश्य चलनी चाहिए क्योंकि क्लासरूम शिक्षा का अभी कोई विकल्प नहीं है, उन्होंने कहा कि शिक्षा को सिर्फ डिग्री का माध्यम बनाने के बजाय रोजगार परक बनाया जाए और संबंधित लोगों की जिम्मेदारी फिक्स की जाए शिक्षा के लिए बहुत कुछ करना आवश्यक है और शिक्षा किसी भी शासन की प्राथमिकता में होना चाहिए | जब हम देश को विश्व गुरु बनाने की बात करते हैं तो उसके अनुसार ही हमारा आचरण भी होना चाहिए नई शिक्षा नीति की घोषणा को दो वर्ष हो चुके हैं लेकिन अभी तक इंप्लीमेंट नहीं हो पाई है | इसलिए कोई भी घोषणा पहले पूर्व निर्धारित होमवर्क के साथ होगी तभी नीतियां सार्थक होंगे, डॉ. अग्रवाल ने कहा आज वैश्विक स्थिति में शिक्षा ही एक ऐसा साधन है, जिससे विभिन्न देशों के मध्य जारी वैमनस्यता से बचा जा सकता है और संपूर्ण विश्व में सामंजस्य स्थापित कर शांति का माहौल बनाया जा सकता है |

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