Saturday, April 20, 2024
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उत्तराखंड़ : रोडवेज को चपत लगाने में कर्मचारी आगे, सवा पांच सौ करोड़ के घाटे बाद भी हरिद्वार डिपो की बस पकड़ी गई बेटिकट

देहरादून, उत्तराखण्ड रोडवेज एक तरफ तो घाटे में है और दूसरी तरफ उसके ही कार्मिक बसों में बेटिकट यात्रा की मार मार कर डूबाने में लगे हैं, करीब सवा पांच सौ करोड़ के घाटे में चल रहे रोडवेज को चपत लगाने में कर्मचारी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। पिछले दिनों ऋषिकेश डिपो की दो और पर्वतीय डिपो की दो बसों के बेटिकट पकड़े जाने के मामले में जांच अभी लंबित ही है कि रविवार को हरिद्वार डिपो की एक बस बेटिकट पकड़ी गई।

हैरानी वाली बात ये है कि हरिद्वार डिपो में चार प्रवर्तन अधिकारी होने के बावजूद बस को चेक करने के लिए देहरादून से सहायक महाप्रबंधक ग्रामीण डिपो केपी सिंह के निर्देशन में प्रवर्तन टीम भेजनी पड़ी। बस में 19 यात्री बेटिकट मिले, जिन्हें परिचालक ने मशीन से जाली टिकट दिए थे। मंडल प्रबंधक संजय गुप्ता ने रिपोर्ट मिलने के बाद आरोपित चालक-परिचालक के निलम्बन की बात कही है।

कोरोना कर्फ्यू के कारण अंतर्राज्यीय बस संचालन करीब दो माह से बंद है। मौजूदा समय मे प्रदेश कर भीतरी मार्गों पर ही करीब डेढ़ सौ बस चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद बसें बेटिकट दौड़ाकर चालक-परिचालक निगम को चपत लगा रहे। रविवार को हरिद्वार डिपो की बस (यूके07पीए-1516) को प्रवर्तन टीम ने चिड़ियापुर से आते हुए श्यामपुर में चेक किया। बस में 47 यात्री थे, जिनमे 19 बेटिकट मिले। बस पर नियमित चालक लोकेंद्र कुमार और परिचालक अरुण कुमार तैनात थे, इस बस की लगातार बेटिकट चलने की शिकायत मिल रही थी। यात्रियों ने बताया कि परिचालक ने उनसे किराये का पूरा पैसा लिया और उन्हेंं मशीन से कोरा टिकट निकालकर दिया था।

परिचालक ने यात्रियों से कहा कि मशीन की स्याही खत्म हो गई, इसलिए प्रिंट नहीं आ रहा। टीम ने अपनी रिपोर्ट रोडवेज मुख्यालय और मंडल प्रबंधक को भेज दी है। रविवार होने की वजह से चालक-परिचालक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश नहीं हो सके। मंडल प्रबंधक ने सोमवार को कार्रवाई की बात कही है, नियमित परिचालक पहले भी बेकिटक मामले में पकड़ा जा चुका है। उसे निलंबित कर तबादला देहरादून से हरिद्वार किया गया था। इसके बावजूद वह बाज नहीं आया। इससे पहले उसने देहरादून-गुरुग्राम मार्ग पर बस बेटिकट पकड़े जाने पर प्रवर्तन टीम से टिकट मशीन छीन ली थी। इसी मामले में उसका निलंबन हुआ था।

वर्तमान में बस संचालन की सीमित संख्या के बावजूद मुख्यालय और डिपो में बैठे प्रवर्तन अधिकारी बसों की चेकिंग करने को बाहर नहीं निकल रहे। पिछले तीन सप्ताह में यह पांचवां मामला है, जब देहरादून से स्पेशल टीम भेजकर बेटिकट बस पकड़नी पड़ी। इससे पहले ऋषिकेश-गुप्तकाशी, ऋषिकेश-गोपेश्वर, देहरादून-आराकोट और देहरादून-पुरोला मार्ग पर पकड़ी गई बसों में भी देहरादून से टीम भेजी गई थी। आशंका है कि डिपो में बैठे प्रवर्तन अधिकारियों की मिलीभगत से चालक-परिचालक बेटिकट मामलों को बढ़ावा दे रहे। इसी क्रम में चेकिंग में लापरवाही पर दो रोज पहले मुख्यालय में बैठे प्रवर्तन अधीक्षक रामलाल पैन्यूली का तबादला नैनीताल किया जा चुका है। रोडवेज में प्रवर्तन के लिए डीजीएम स्तर के अधिकारी तैनात हैं।

वर्तमान में यह जिम्मेदारी सीपी कपूर के पास है। हैरानी वाली बात यह है कि पिछले दो माह में एक बार भी प्रवर्तन की समीक्षा नहीं की गई, जबकि रोडवेज के नियमानुसार हर प्रवर्तन अधिकारी को रोजाना 25 बसें चेक करना अनिवार्य है। यहां 25 तो दूर, अधिकारी एक बस भी चेक नहीं कर रहे। हरिद्वार डिपो में चार प्रवर्तन अधिकारी रघुवीर सिंह, भारतमनि तिवारी, प्रदीप गुप्ता और विनोद कुमार तैनात हैं, उसके बावजूद स्थानीय मार्ग पर बस बेटिकट दौड़ रही थी।

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