Thursday, April 25, 2024
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ग्राफिक एरा के गेस्ट्रो सर्जन एवं गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस की टीम के प्रयासों से सफल हुई सर्जरी

‘चार साल के बच्चे के हृदय में लगा पेसमेकर बदला गया’

देहरादून, खाना निगलने में दिक्कत महसूस हो और तेजी से आपका वजन घट रहा हो, साथ ही उल्टी व गैस की समस्या होने लगे तो सतर्क हो जाएं। यह आहार नली की गंभीर समस्या हो सकती है, जिसे ‘एक्लेजिया कार्डिया’ कहते हैं। इसमें कई बार खाना पेट में जाने की बजाय आहार नली में ही अटक जाता है। वही इसका एकमात्र इलाज ऑपरेशन ही है।
शुक्रवार को ग्राफिक एरा अस्पताल में आयोजित पत्रकार वार्ता में डॉक्टरों ने बताया कि
एक जटिल मामले में नन्हें बच्चे का पेस मेकर बदल कर चिकित्सा क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही आहार नली की रूकावट का बिना चीर फाड़ इलाज करने की नई तकनीक पोयम के जरिए 20 लोगों को ठीक करने में कामयाबी हासिल की हैं।
ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने पत्रकारों से औपचारिक बातचीत में उत्तराखण्ड में पहली बार ये बड़ी कामयाबियां मिलने की जानकारी दी। ग्राफिक एरा के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. राज प्रताप सिंह ने बताया कि देहरादून के चार साल के बच्चे के हृदय में लगा पेसमेकर बदलने के एंडो कार्डियल के लिए राज्य में पहली बार हाईब्रिड टेक्निक इस्तेमाल की गई। पेट में टनल बनाकर ये तीसरी जगह पेसमेकर लगाया गया है। अब काफी सालों तक शरीर का विकास होने पर भी किसी बदलाव की जरूरत नहीं होगी। डा. राज ने बताया कि पहले दिल में छेद का आपरेशन होने के बाद करीब एक साल की उम्र में इस बच्चे को पेसमेकर लगा था। उसके बाद संक्रमण होने पर पेसमेकर बदला गया था। अब बच्चा चार साल का होने पर शरीर में वृद्धि के कारण पेसमेकर के तार छोटे पड़ने लगे और उन्हें टूटने से पहले बदलना उसकी जीवन रक्षा के लिए आवश्यक हो गया था। ऐसी स्थिति में ग्राफिक एरा अस्पताल में हाईब्रिड तकनीक से उसके कंधे के नीचे से पेट के नीचे तक एक टनल बनाकर पेसमेकर लगाया गया।

इसमें यह ध्यान रखा गया कि उम्र के साथ शरीर के विकास से पेसमेकर प्रभावित न हो। अगले 10 से 12 वर्षों तक यह पेसमेकर उसके सामान्य जीवन और विकास में उसका साथी रहेगा। यह आपरेशन करने वाली हृदय रोग विभाग की टीम में विशेषज्ञ डा. अखिलेश पाण्डेय, डा. राज प्रताप सिंह और डा. एसपी गौतम शामिल थे। बीते रोज इस बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह उत्तराखण्ड में ऐसा पहला और सफल आपरेशन है। अस्पताल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट के विशेषज्ञ डा. सचिन मुंजाल ने पोयम (Poem) तकनीक से आहार नली में रूकावट से पीड़ित 20 रोगियों का बिना किसी आपरेशन इलाज करने में सफलता हासिल की है। यह तकनीक भी उत्तराखण्ड के लिए नई है। ग्राफिक एरा अस्पताल के डायरेक्टर आपरेशन व प्रख्यात पल्मोलॉजी विशेषज्ञ डा. पुनीत त्यागी ने बताया कि दुनिया की एकदम नई तकनीकों से सुसज्जित आपरेशन थियेटर, एडवांस कैथ लैब, एडवांस कोरेनरी केयर यूनिट, बहुत कम रेडिएशन वाली 128 स्लाइस की सीटी स्कैन मशीन, जिससे कॉर्डियल एन्जियोग्राफी भी की जा सकती है और अत्याधुनिक तकनीक थ्री टेस्ला की एमआरआई मशीन के साथ जटिल मामलों में भी अस्पताल में बेहतरीन चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा रही है। डा. त्यागी ने बताया कि ग्राफिक एरा अस्पताल में कार्डियोलॉजी, नैफरोलॉजी, गैस्टोएण्डोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट जैसी सुविधाएं नई तकनीकों से जोड़ी गई हैं। आयुष्मान कार्ड धारकों को भी इनका लाभ मिल रहा है। इस अवसर पर ग्राफिक एरा एजुकेशनल सोसायटी के पदाधिकारी डा. सतीश घनशाला, बिग्रेडियर अश्वनी कपूर और निदेशक इन्फ्रा. डा. सुभाष गुप्ता व कई विशेषज्ञ मौजूद रहे।

 

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने दो दिवसीय कॉन्क्लेव और एक्सपो का किया आयोजन

देहरादून, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, उत्तराखंड चैप्टर ने दून में दो दिवसीय कॉन्क्लेव और एक्सपो का आयोजन किया। कॉन्क्लेव को कृषि विभाग, उत्तराखंड सरकार और नाबार्ड का समर्थन प्राप्त था। 27 और 28 अप्रैल को आयोजित इस कॉन्क्लेव की शुरुआत पीएचडीसीसीआई उत्तराखंड चैप्टर के अध्यक्ष हेमंत कोचर के स्वागत भाषण से हुई।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक वी. के. बिष्ट ने हमारे दैनिक जीवन में बाजरा के महत्व के बारे में बताते हुए श्री अन्न की बेहतर पहुंच के लिए किसानों के समूह बनाने पर जोर दिया।
निदेशक आईसीएआर वीपीकेएएस डॉ. लक्ष्मी कांत ने उत्पादकता में सुधार के लिए वैज्ञानिक तरीकों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए बात की।

माया ग्रुप ऑफ कॉलेज के निदेशक डॉ. प्रयाग जुयाल ने किसानों के लिए उन्नत कृषि तकनीकों पर जोर दिया।
आयुक्त एफडीए गणेश कंडवाल ने बोलते हुए कहा कि बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए हम सभी को अपने दैनिक आहार के रूप में बाजरा बनाना चाहिए।
डीन डॉल्फिन कॉलेज डॉ. संजय अग्रवाल ने अपने छात्रों की सफलता की कहानियां साझा की |

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