Saturday, April 20, 2024
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पहली बार गुजरात पहुंचे ब्रिटिश पीएम जॉनसन, साबरमती आश्रम में चलाया चरखा

भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने गुजरात के साबरमती आश्रम में चरखा चलाया और इस दौरान महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी दी. बोरिस जॉनसन उसी देश के प्रधानमंत्री हैं, जिसने भारत पर लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और जिस साबरमती आश्रम में उन्होंने ढेर सारी तस्वीरें खिंचवाई, वो साबरमती आश्रम स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विद्रोह का केन्द्र हुआ करता था. बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने अपनी भारत यात्रा के दौरान महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम का दौरा किया है. इसके अलावा वो वर्ष 1947 यानी भारत की आजादी के बाद गुजरात आने वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री भी बन गए हैं. महात्मा गांधी भी गुजराती थे और उनका जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. इसलिए बोरिस जॉनसन ने साबरमती आश्रम की Visitor’s Book में महात्मा गांधी के लिए एक खास संदेश भी लिखा. उन्होंने लिखा कि ‘महात्मा गांधी जैसे असाधारण इंसान के आश्रम में आना उनके लिए सौभाग्य की बात है और उन्होंने यहां आकर ये समझा कि कैसे गांधीजी ने सच्चाई के साधारण सिद्धांतों और अहिंसा का इस्तेमाल दुनिया को बेहतर बनाने के लिए किया.’ इसके अलावा उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा को हार पहनाते हुए एक ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि वो भी बाकी लोगों की तरह साबरमती आश्रम जाकर खुद को गौरांवित महसूस कर रहे हैं. इस समय जब दुनिया में तनाव बना हुआ है, तब शांति को लेकर गांधी जी के विचार इतिहास की दिशा को बदल सकते हैं. बोरिस जॉनसन उसी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं, जो एक समय महात्मा गांधी और उनके चरखे से काफी नफरत करता था. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री Winston Churchill (विंस्टन चर्चिल) ने एक बार गांधीजी को Half Naked Fakir बता दिया था. जिसका हिन्दी में अर्थ होता है, एक ऐसा फकीर, जिसके आधे शरीर पर वस्त्र नहीं है. असल में Winston Churchill ऐसा कह कर गांधी जी और उनके चरखे का मजाक उड़ा रहे थे. इसके अलावा विंस्टन चर्चिल ने 1943 में भारतीयों की तुलना से जानवरों से की थी. उस समय संयुक्त बंगाल में अकाल पड़ा हुआ था और विंस्टन चर्चिल ये कह रहे थे कि भारत के लिए कोई भी मदद नाकाफी होगी क्योंकि भारतीय खरगोश की तरह बच्चे पैदा करते हैं. लेकिन बोरिस जॉनसन आज इसी भारत में आकर अपने आप को भाग्यशाली और गौरवांवित महसूस कर रहे हैं. ये समय का चक्र है, जो ब्रिटेन को उसका असली चरित्र दिखा रहा है. बोरिस जॉनसन ने साबरमती आश्रम में जिस चरखे के साथ तस्वीर खिंचवाई, उसी चरखे से स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार काफी नफरत करती थी. वैसे इस चरखे की कहानी, गुजरात के साबरमती आश्रम से ही शुरू होती है. दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद महात्मा गांधी ने अपने पहले आश्रम की स्थापना 25 मई 1915 को थी और ये आश्रम अहमदाबाद के कोचराब में था और ये आश्रम क्षेत्रफल में भी ज्यादा बड़ा नहीं था, जिसकी वजह से महात्मा गांधी वहां पशुपालन और किसानी नहीं कर पा रहे थे.

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