“प्रदेश में बनी फिल्म नीति पर हुई चर्चा, सरकार का किया स्वागत”
देहरादून, आंचालिक फिल्म एसोसिएशन ने राज्य की फिल्म नीति का स्वागत किया साथ ही नई नीति से फिल्मकारों को मिलने वाली सुविधाओं की भी चर्चा की। प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि नई फिल्म नीति से आंचालिक फिल्म कारों के लिए सैकड़ों द्वार खुल गए हैं और अब जरूरत है, इसका सही तरीके से लाभ लिया जाए |
निर्देशक अनुज जोशी ने नीति के पहलूओं पर गहन मंथन करने व फिल्मनीति का सही तरीक़े से इस्तेमाल पर जोर दिया, चर्चा के दौरान नाट्यकार व फ़िल्मकार डॉ. राकेश भट्ट को सम्मानित भी किया गया और उनके कार्यों व राष्ट्रपति से पुरस्कृत की सराहना की गई | इस मौके पर डॉ. भट्ट को सम्मान पत्र दे कर सम्मानित
किया गया | एसोसिएशन के महासचिव गम्भीर सिंह जायाड़ा ने कहा कि यूनियन से प्रदेश भर के फ़िल्मकारों, रंगकर्मियों और बाल कलाकारों को जोड़ने की बात पर जोर दिया |
आंचलिक फिल्म एसोसिएशन ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में अध्यक्ष चन्द्रवीर गायत्री गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रो. सम्पूर्ण सिंह रावत, साहित्यकार नंद किशोर हटवाल, अभिषेक मैन्डोला, डा. अमाज गोडियाल, अविक रावत, ढुंगा मागर, विनोद रतूड़ी, गोकुल पंवार, सतीश कपिश्वरी, प्रेम पंचोली, विजय शर्मा, वरिष्ठ कलाकार रजनी
शर्मा, अनामिका गायत्री, भूमिका बौड़ाई विकास चौपडियाल, रमेश, अनिमाल, विजय रुमणानी गोहित बिड़याल, जितेन्द्र ना जसपाल राणा आदि उपस्थित थे।
एक नजर डॉ. राकेश भट्ट के रंगमंचीय संसार पर :
उत्तराखण्ड़ के ग्राममंगोली, ऊखीमठ जनपद रुद्रप्रयाग में जन्में डॉ. राकेश भट्ट लोक रंगमंच, हिंदी रंगमंच, लोक गायन, फ़िल्म, डॉक्यूमेंट्री, दूरदर्शन मंच प्रस्तोता के क्षेत्र में 30 वर्ष से समय से जुड़े है, बचपन से ही रंगमंच के प्रति उनका समर्पित भाव रहा है, उन्होंने अधिक पूर्णकालिक नाटकों में अभिनय, निर्देशन, संगीत निर्देशन, कोरियोग्राफी, संगीत निर्माण व संयोजन के क्षेत्र में काफी काम किया है और शैलनट, विद्याधर श्रीकला, धाद लोक नाट्य, आदि महत्वपूर्ण संस्थाओं में कार्य करने के बाद वर्ष 2013 में उत्सव ग्रुप की स्थापना की | इसके बाद उनकी यह यात्रा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, रवींद्रालय, जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं में नाट्य प्रस्तुतियां, अभिनय, निर्देशन, संगीत निर्देशन आदि रूप में जारी रही |
उनके प्रमुख नाटक :
चक्रव्यूह- संगीत निर्देशन
चक्र- शकट व्यूह- निर्देशन व संगीत निर्माण
नंदा देवी राज जात 2000- निर्देशन
जीतू बगड़वाल- अभिनय व निर्देशन
नंदा की कथा- संगीत व नाट्य निर्देशन(250 बार मंचन)
यकुलु बटोही- निर्देशन
दुर्पदा की लाज- निर्देशन
बोल भभरिक बोल- निर्देशन
खाडू लापता- निर्देशन
पन्थया दादा- निर्देशन
(सभी लोक नाटक)
कथा शकार की- अभिनय
अंधायुग- (विदुर) अभिनय
अन्वेषक- निर्देशन, अभिनय
मैँ भी मान्यव हूँ- निर्देशन
बहुत बड़ा सवाल- निर्देशन
मृच्छकटिक- निर्देशन, अभिनय
(हिंदी नाटक)
जर्मनी के हाइडलबर्ग व हम्बर्ग विश्वविद्यालयों में उत्तराखंडी लोक संगीत, लोक नाट्यों पर प्रशिक्षण।
इसके अतिरिक- 10 वृत्त चित्र विभिन्न विषयों पर- दूरदर्शन, यू जी सी इत्यादि के लिए
20 से अधिक वृत्तचित्रों में वॉइस ओवर( स्वर प्रसारण)
सम्प्रति- रंगमंच व कला, प्राध्यापक
दून विश्वविद्यालय देहरादून
सम्मान :
रोटरी इंटरनेशनल क्लब द्वारा उत्कृष्ट रंगकर्मी
हिंदुस्तान अखबार समूह द्वारा-
उत्तराखंड स्प्रिट सम्मान
बद्री केदार समिति द्वारा- केदार रत्न सम्मान
पत्रकार चंद्रप्रकाश स्मृति सम्मान
ज्योतिर्मठ सनातन समिति द्वारा- राष्ट्रीय संस्कृति सम्मान
इंटरनेशनल लॉयन क्लब द्वारा- रंगकर्म हेतु “लॉयन हॉनर”
लिंगायत समिति बेंगलुरु से – रंगमंच के योगदान हेतु सम्मान
पत्रकार समिति रुद्रप्रयाग द्वारा रुद्र सम्मान
संगीत नाटक अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार
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