किच्छा, उस पिता के हाथ क्यों नहीं कांपे उस मासूम की हत्या करते वक्त यह सवाल कौंध कौंध कर इंसानियत और मानसिकता पर सवाल खड़े कर रहा है जब उसने साढ़े तीन साल के अपने ही जिगर के टुकड़े की गला दबाकर जान ले ली और न पिता होने का दर्द ही जागा। क्या महज महंगे इलाज को आधार मानकर परिवार के मुखिया ने यह घटना कर दी और फिर उस निर्भयी पिता के आंखों में मासूम का स्वरवंदन भी उसकी इस काल भंगिमा को तोड़ न सकी |
क्षेत्र के ग्रामीण लोग इस घटना के बाद से स्तब्ध हैं | घटना बरेली के बहेड़ी क्षेत्र की सीमा से सटे सिरौलीकलां गांव की है, जहां एक ट्रक ड्राइवर पिता ने अपने साढ़े तीन साल के बेटे को पहले अगवा किया और फिर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। उसका शव बहेड़ी में एक खेत में फेंक आया। इसके बाद थाने पहुंचकर गुमशुदगी भी दर्ज करा दी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर घटना का खुलासा कर आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है।
सिरौलीकलां में शाबान ही हत्या की खबर जिसने भी सुनी वह सन्न रह गया। लोग इसे एक पिता की ओर से जल्दबाजी और बिना सोचे समझे उठाया गया कदम बता रहे हैं। उनका कहना था कि स्वास्थ्य संबंधित कई योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाने के बजाय एक पिता ने अपने ही बेटे को मौत दे दी। उनका यह भी कहना है कि गांव में कभी किसी गरीब परिवार को बीमारी या अन्य जरूरत के लिए पैसे की जरूरत होती है तो वे चंदा करके उसकी मदद करते रहे हैं। मो. तारिक ने किसी से अपना दुख साझा नहीं किया।
शाबान की मां आयशा बी का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि पति तारिक का बच्चों के प्रति सामान्य व्यवहार था। ऐसा हो जाएगा सोचा भी नहीं था। बेटे की मौत पर वह सदमे में है। शाबान का साढ़े तीन साल के बेटे की हीमोफीलिया बीमारी का इलाज चल रहा था।
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