Saturday, April 27, 2024
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प्रगतिशील क्लब ने इंदु भूषण कोचगावे को दिया ’28वां बसंत श्री’ सम्मान

देहरादून, सामाजिक सरोकार से जुड़ी संस्था प्रगतिशील क्लब ने प्रत्येक वर्ष के भांति इस वर्ष भी 28वां बसंत श्री सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस बार का
28वां बसंत श्री सम्मान 83 वर्षीय सेवानिर्वित रेलवे विद्यालय के प्राचार्य इंदु भूषण कोचगावे को प्रदान किया गया |
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार ज्ञानेंद्र कुमार ने सॉल ओढ़ा कर इंदु भूषण कोचगावे का सम्मान किया। संस्था के महासचिव पीयूष भटनागर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और संस्था की गतिविधियों से सभी को अवगत कराया। बंसतश्री सम्मान के इस मौके पर डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, वाणीकांत पंकज, शिव मोहन सिंह, गोपालदत्त चौकियाल, रोहित कोचगवे, रोशन गैरोला, अधिवक्ता नरेंद्र सिंह नेगी, स्वप्निल सिन्हा सहित अन्य लोग मौजूद रहें। कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि अवकाश प्राप्त जनरल (भारतीय सेना) अश्वनी कुमार बक्शी ने अपने संबोधन में कहा कि संस्था सम्मान के सकारात्मक पक्ष के रूप में जिस प्रकार से समाज से जुड़े हुए ऐसे लोगों का चयन करती है वह अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो को लेकर अन्य के लिए प्रेरणा स्रोत बनते हैं।

इस दौरान कार्यक्रम की शुरुआत द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गई, कार्यक्रम में संस्था के साहित्यिक सचिव जगदीश बावला ने मंच का संचालन किया। प्रगतिशील क्लब के अध्यक्ष ए. के. सक्सेना ने अपने संबोधन में बताया की संस्था विगत 47 वर्षों से कई विषयों पर सामाजिक कार्य कर रही है, वही उन्होंने कहा कि संस्था समाज के किसी एक प्रसिद्ध साहित्यकार, रचनाकार, कलाकार, कवि, पत्रकार एवं समाजसेवी को प्रत्येक वर्ष सम्मानित करती है। ऐसे में इस वर्ष बसंत श्री सम्मान से सम्मानित इंदु भूषण कोचगाव ने कार्यक्रम के दौरान संस्था द्वारा किए जा रहे सामाजिक गतिविधियों की सराहना की ।

इंदु भूषण कोचगावे :

इंदु भूषण कोचगावे का जन्म वर्ष 30 जून 1939 को मुगलसराय में हुआ। आप रेलवे इंटर के प्रधानाचार्य पद से सेवानिर्वित हुए, उसके बाद 1999 से 2007 तक बीएड स्पेशल एजुकेशन के मुख्य समन्वयक रहें। इस अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने दिव्यांग जनों के लिए कई ऐतिहासिक कार्य किए। साथ ही उनकी तकरीबन 100 से अधिक दोहा संग्रह कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। वही उन्होंने विज्ञान परिचर्चा, सोच विचार और रत्नाकर जैसी कई प्रेरणादायक पुस्तके लिखें।

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