पिथौरागढ़, भाव राग ताल नाट्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से शनिवार को ‘लंदन फोर्ट’ में संस्कृत नाटक ‘स्वपनवासवदत्ता’ के हिंदी रूपांतरण का मंचन किया गया, महाकवि भास द्वारा रचित स्वपनवासवदत्ता नाटक का हिन्दी अनुवाद भारत रत्न भार्गव द्वारा किया गया है | देर शाम हुए नाटक को देखने के लिए कड़ाके की ठण्ड के बावजूद बड़ी संख्या में दर्शक डटे रहे और अंत तक नाटक के जीवंत मंचन भाव विभोर होते रहे | गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में रंगमंच की संस्कृति न के बराबर होने के बावजूद कैलाश कुमार भाव राग ताल अकादमी के बैनर तले लगभग एक दशक से पिथौरागढ़ में थियेटर गतिविधियाँ संचालित कर रहे हैं | अकादमी द्वारा हर साल नाटकों का मंचन किया जाता है, देश के जाने-माने नाट्य दल अकादमी के लिए पिथौरागढ़ आकर नाटक करते हैं | अकादमी से प्रशिक्षित कई छात्र देश के विभिन्न प्रतिष्ठित नाट्य विद्यालयों में दाखिला पा चुके हैं |
नाटकों के अलावा अकादमी द्वारा स्थानीय लोक कलाओं व संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन तथा दस्तावेजीकरण का काम भी बखूबी किया जा रहा है, साल 2020 में अकादमी द्वारा उत्तराखण्ड के पारंपरिक लोकवाद्य कारीगरों पर बनी फिल्म को काफी सराहना भी मिली | भाव राग ताल नाट्य अकादमी, पिथौरागढ़ द्वारा अपने यू ट्यूब चैनल से उत्तराखण्ड के लोक वाद्य कारीगरों के जीवन पर बनायी गयी इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘लोक थात के प्रहरी’ को रिलीज किया गया |
स्वपनवासवदत्ता नाटक में कौशांबी का राजा उदयन अवंति नरेश प्रद्योत की पुत्री वासवदत्ता से प्रेम विवाह कर लेता है जिसके बाद वह प्रेम में लिप्त अपना राजश्री कर्तव्य भूलने लगता है।जिसके निवारण हेतु राज्य का मंत्री एक योजना बनाकर राजा का पुनः विवाह करवाता है तथा इस योजना में राजा की पहली रानी वासवदत्ता भी साथ मिलकर इस षडयंत्र को अंजाम देकर कौशांबी राज्य की रक्षा करता है |
‘स्वपनवासवदत्ता’ नाटक का निर्देशन एवं परिकल्पना भाव राग ताल नाट्य अकादमी के युवा निर्देशक कैलाश कुमार द्वारा किया गया और नाटक में संगीत धीरज कुमार लोहिया व नृत्य संरचना हेमंत गुरुजी द्वारा की गई |
नाटक के मुख्य किरदारों का अभिनय रोहित यादव, प्रीति रावत अनीता बिटालू, वेंकटेश नकुल, विकास भट्ट, दीपक मंडल, जितेन्द्र धामी, सपना, तनुजा, सौम्या ने किया. प्रकाश व्यवस्था दीपांशु जोशी एवम सहायक अक्षय पंत, मुकेश कुमार रहे. गौरतलब है कि भाव राग ताल नाट्य अकादमी सीमांत जिले में थियेटर की संस्कृति को मजबूत करने का काम कर रही है. अकादमी द्वारा कई सालों से शहर में थियेटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और समय-समय पर नाटकों का मंचन भी करवाया जाता है |
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