देहरादून, अध्यापक दिवस की पूर्व संध्या पर स्व0 परमानन्द शास्त्री द्वारा 70 वर्ष पूर्व रचित पर्वतीय नारियों की वेदना और जीवन दर्शन पर आधारित नारी खण्ड काव्य का विमोचन किया गया। उत्तराखंड के एकमात्र बी0एस0 नेगी महिला पॉलीटैक्निक (ओएनजीसी परिसर) देहरादून में आयोजित इस समारोह में दून विश्व विद्यालय की प्रथम महिला कुलपति प्रो0 सुरेखा डंगवाल तथा श्रीदेव सुमन विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो0 पीताम्बर ध्यानी मुख्य अतिथि थे। समारोह में उत्तराखंड की प्रमुख महिला साहित्यकार तथा जानी मानी हस्तियों ने भाग लिया। पर्वतीय संस्कृति की ध्वजवाहक प्रसिद्ध संस्कृति कर्मी डा0 माधुरी बर्थवाल सहित श्रीमती कमला पंत तथा कथाकार श्रीमती सुधा जुगरान, डा0 नंद किशोर हटवाल तथा डा. शिवदयाल जोशी ने नारी पुस्तक पर बेजोड़ समीक्षा लिखी हैं।
नारी काव्य के प्रथम संस्करण की भूमिका प्रसिद्ध पर्यावरणविद पद्म विभूषण स्व0सुन्दर लाल बहुगुणा द्वारा वर्ष 1994 में लिखी गयी थी जिसमें उन्होंने काव्य को चिपको आन्दोलन के बीज रूप की संज्ञा दी और इसे लोक चेतना का सशक्त माध्यम बताया था।
उल्लेखनीय है कि “नारी” काव्य के रचयिता स्व0 परमानंद “शास्त्री” पंजाब विश्व विद्यालय, लाहौर (अब पाकिस्तान में) से स्वर्णपदक प्राप्त स्नातक थे जो अपने जीवनकाल में अपने साहित्य को प्रकाशित नहीं करवा सकें। तत्कालीन टिहरी रियासत के सुदूर घनशाली नैलचामी क्षेत्र में वर्ष 1921 में जन्में श्री शास्त्री जी एक आदर्श अध्यापक के रूप में विख्यात हुए और उच्च प्रतिष्ठाा प्राप्त शिष्यों के पूजनीय रहें जिनके अनुरोध पर उनकी इस कालजयी रचना “नारी” का प्रथम संस्कण 1994 में प्रकाशित हुआ था।
संस्कृत निष्ठ हिन्दी भाषा में रचित इस काव्य की प्रतियॉं हाथो हाथ बिक गई जिसे कई विद्धानों की सम्मतियों और समीक्षा के साथ द्वितीय संस्करण के रूप “समयसाक्ष्य” द्वारा मुद्रित किया गया हैं।
जहां आज के तालिबानी युग में महिलायें और बच्चे प्रताड़नाओं के साये में जी रहे है वही भारतीय संस्कृति में ”नारी“ हमेशा ही एक सम्मान जनक स्थान पाती रही है।
समीक्षकों द्वारा “नारी” काव्य को “समय से आगे की कविता”, नारी जीवन का प्रमाणिक दस्तावेज, या नारी का जीवन दर्शन आदि विशेषणों से संवारा गया है। कुछ समीक्षकों द्वारा इसे छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद की छायावाद की विधा के समकक्ष बताया गया है।
इस लोकार्पण समारोह में वक्ताओं, श्रोताओं और पाठकों के बीच इस गुमनाम काव्य के महत्व पर संवदेनशील चर्चा हुयी। जो काव्य जगत और हिन्दी साहित्य के गुमनाम रचनाकारों के लिये मील का पत्थर होगी।
समारोह में महिला पॉलीटेक्निक के चेयरमेन हर्षमणि व्यास,डा0 शिव दयाल जोशी, डा0 नन्द किशोर हटवाल, पूर्व दूरदर्शन निदेशक सुभाष थलेड़ी, डा0 गीता बलोदी तथा स्व0 इंद्रमणी बडोनी के सहयोगी श्री बालकृष्ण नौटियाल भी मौजूद रहें।
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