देहरादून, सुभारती ट्रस्ट के ट्रस्टी की शिकायत पर वर्ष 2012 में मनीष वर्मा, उनकी पत्नी व भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें आज पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा और उनकी पत्नी ने कोर्ट में सरेंडर कर लिया है, जबकि उसके भाई को कचहरी परिसर से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया । फिलहाल, तीनों को जेल भेज दिया गया |
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में शनिवार को मनीष वर्मा पत्नी के साथ सरेंडर के लिए ट्रायल कोर्ट में हाजिर हुए, जहां उन्होंने सरेंडर किया। शुक्रवार को आरटीपीसीआर रिपोर्ट न होने के कारण कोर्ट में सरेंडर नहीं कर पाए थे। बता दें कि धोखाधड़ी के एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने बीते 16 अगस्त को मनीष वर्मा उनकी पत्नी व भाई की जमानत रद कर दी थी।
कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया था। हालांकि, 18 अगस्त को जिला एंव सत्र न्यायालय ने उनकी जमानत मंजूर कर दी थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने जिला एंव सत्र न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दिए थे। सरेंडर करने नहीं आए मनीष के भाई को भी शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
दरअसल, 2012 में सुभारती ट्रस्ट के ट्रस्टी की शिकायत पर मनीष वर्मा, उनकी पत्नी व भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने ट्रस्ट को 100 बीघा जमीन बेचने का अनुबंध किया था, लेकिन मौके पर जमीन केवल 33 बीघा ही पाई गई। ऐसे में उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने करीब 67 बीघा जमीन के कागजात फर्जी दर्शाए थे।
2014 में इस मामले में आरोपपत्र भी दाखिल किया गया था। इस बीच वादी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुकदमे के जल्द विचारण की अपील की थी। आरोप है कि इस सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष यानी वर्मा परिवार कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ था। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिए थे कि अभियोजन वर्मा व उनकी पत्नी और भाई की जमानत निरस्तीकरण का प्रार्थनापत्र कोर्ट में प्रस्तुत करें। इन आदेशों के क्रम में ही एसीजेएम तृतीय की कोर्ट ने 16 अगस्त को आदेश पारित किए थे।
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