कोटद्वार, आशा कार्यकत्रियों ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर 24वें दिन भी बुधवार को तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वह पिछले कई दिनों से मांगों को लेकर आंदोलन कर रही है, लेकिन सरकार उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है।
बुधवार को धरना स्थल पर आयोजित सभा में अध्यक्ष प्रभा चौधरी ने कहा कि आगे की रणनीति बनाते हुए यह निर्णय लिया कि धरना लगातार जारी रहेगा और यदि जल्द ही हमारी मांगे नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज कर दिया जायेगा।
आशा कार्यकत्रियों ने प्रदेश सरकार से आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा देने, कोविड ड्यूटी के दौरान मृत आशा कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और चार लाख का अनुग्रह राशि देने, सेवा के दौरान दुर्घटना या किसी तरह बीमारी होने पर सुरक्षा के लिए नियम बनाए और न्यूनतम दस लाख रुपये का मुआवजा देने, देय मासिक राशि और सभी मदों का समय से भुगतान करने, आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने, सभी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति करने की मांग की।
प्रदर्शन करने वालों में अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, संगीता देवी, नीलम कुकरेती, रोशनी, शोभा बिष्ट, लक्ष्मी असवाल, अनीता रावत, उमा देवी, मीनाक्षी, ममता, सुमन, हेमलता रावत, लक्ष्मी जदली, गीता, कल्पना बिष्ट, यशोदा जखमोला, भागीरथी कंडारी, प्रमिला गुसांई, सुरभि, बबीता, मीना रावत, कल्पना काला, सरस्वती काला, कलावती, आशा ढौड़ियाल आदि शामिल थे।
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