(हरीश पाण्डेय) अल्मोड़ा , जितना गहरा तालाब उतनी बड़ी मछली यह कहावत सटीक बैठती है उत्तराखंड की जीरो टोलरेंस वाली त्रिवेन्द्र सरकार में। 40 करोड़ की पेयजल योजना में किस तरह लीपापोती की गई है रूबरू कराते हैं जनता को। यह वाकया है जनपद अल्मोड़ा के विकास खण्ड धौलादेवी का जिस विकास खण्ड की 103 ग्राम सभा व तोको॔ के लिए शासन द्वारा जनता की हलक गीली करने के लिए 40 करोड़ की लागत से सरयू बेलक पम्पिग का निर्माण किया गया, बताते चलें कि क्षेत्र में यह योजना सबसे बड़ी योजनाओं में सम्मिलित है।और इस योजना ने भ्रष्टाचार की सभी हदें पार कर दी हैं, 40 करोड़ की इस योजना में शुरू से लेकर आखिरी तक लीपापोती को ही ज्यादा तवज्जो दी गई है। सरयू की जड़ में बनाया गया फिल्टर (आईवेल) जिसका कार्य पानी को शुद्ध कर पम्प तक पहुंचाने का था वह फिल्टर अपने कार्य में लाचार नजर आया जिस कारण कई महीनों तक क्षेत्रीय जनता को बिना फिल्टर के पानी सप्लाई किया गया। दो चार रोज की हुई वारिस ने यह खुलासा जगजाहिर किया, जब बिना फिल्टर के पानी में आए कचड़े ने पम्प को चौंक किया। तथा क्षेत्र में पानी की सप्लाई बंद हो गई। वर्षाकाल में भी क्षेत्रीय जनता पानी की बूंद के लिए तरस गई जिस कारण विपक्ष ही नहीं सत्ता दल के कार्यकर्ताओं को भी सरकार के खिलाफ नारेबाजी को मजबूर होना पड़ा। इस नारेबाजी को शान्त करने के लिए प्रशासन को बाजार क्षेत्रों में टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति सुचारू करनी पड़ी किन्तु ग्रामीणों की शुध के लिए टैंकर भी कहीं नजर नहीं आए। अगला कार्य उपभोक्ताओं को पानी वितरित करने का जिसमें मानकों का कोई ध्यान नहीं दिया गया है जिस कारण बाजारी क्षेत्र छोड़कर सभी ग्रामीण क्षेत्रों में टैंक से लेकर सभी सामग्री घटिया उपयोग की गई है जिस कारण गांव हो या तोक सभी लोग पानी की बूंद के लिए मोहताज हैं। जिसकी शिकायत कई स्थानीय जागरुक लोगों द्वारा मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल में भी की किन्तु कार्यदाई संस्था जल निगम के उच्च अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।
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