हल्द्वानी, उत्तराखंड़ कांग्रेस ने सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 21 अक्टूबर को नैनीताल में “जन आक्रोश रैली” निकालेगी। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को हटाने की साजिश की जा रही है। भ्रष्टाचार तथा स्मार्ट मीटर के नाम पर अडानी की उत्तराखंड में एंट्री कराई जा रही है। बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। खनन की रखवाली निजी हाथों में सौंप दी गई है। जनहित इन के दर्जनों मामलों को लेकर कांग्रेस 21 अक्टूबर को नैनीताल कमिश्नरी का घेराव करेगी।
स्थानीय एक होटल में पत्रकारों से बातचीत में यशपाल आर्य ने कहा कि वर्तमान में भ्रष्टाचार चरम पर है, खनन में हैदराबाद की कंपनी वसूली कर रही है, स्मार्ट मीटर अडानी के नाम पर दिए जा रहे हैं। उत्तराखंड को बेचने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है। लेकिन कांग्रेस सरकार के जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर विरोध करने को तैयार है। रुद्रपुर, हल्द्वानी के बाद अब 21 अक्टूबर को नैनीताल कमिश्नरी का घेराव किया जाएगा। इसके बाद अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत और बागेश्वर में कांग्रेस सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक प्रर्दशन करेगी।
उन्होंने कहा कि आज राज्य की जनता को अतिक्रमण के नाम पर डराया जा रहा है। सरकार बाहर से लाकर लोगों को जमीनें सौंप रही है। गरीब लोगों को उजाड़ने की सरकार की मंशा पूरी नहीं होगी। कहा कि नैनीताल कमिश्नरी घेराव ऐतिहासिक होगा। हमने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को चेता दिया है कि प्रर्दशन में आ रहे लोगों को रोकने की भूल न करें। कहा कि 21 अक्टूबर को कांग्रेस नैनीताल कमिश्नरी का घेराव करेगी जहाँ बड़ी संख्या मे कांग्रेस जन सरकार को चेतावनी दी जाएगी। जन मुद्दों पर जनता के हितों पर कुठाराघात नही किया जाय। खनन पर बाहरी राज्यों की ताकते काबिज हो चुकी है। अधिकारियों के अधिकार इन लोगों के हाथों बेच दिए। प्री पेड़ मीटर लगाना गरीब लोगों के जेब पर सीधा हमला है। फोन की तरह पहले रिचार्ज नही होने पर लोगो के दुकान अंधेरे में डूब जाएंगे। जल जीवन मिशन योजना फैल हो चुकी है। सड़को पर गड्डो के जाल बिछ गए हैं।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में 5वीं अनुसूची की वापसी की मांग : आंदोलन की नई लहर, 22 दिसंबर को दिल्ली में मूल निवासियों की संसद का ऐलान
हल्द्वानी, उत्तराखंड़ के संपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र में 5वीं अनुसूची और जनजातीय दर्जा की वापसी की मांग को लेकर आज एक महत्वपूर्ण अधिवेशन का आयोजन हल्द्वानी नगर निगम सभागार में किया गया। इसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों, युवा नेताओं,प्रकारों ,साहित्यकारों और पहाड़ी समुदाय के सदस्यों ने एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई।
अधिवेशन में मुख्य वक्ता अजय सिंह रावत ने बताया गया कि सन 1972 से पहले उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र संविधान की 5वीं अनुसूची के अंतर्गत था, देश के ट्राइबल क्षेत्र में शेड्यूल्ड डिस्ट्रिक्ट एक्ट, 1874 , नॉन रेगुलेशन एरिया एवं बहिष्कृत क्षेत्र घोषित थे l इन्हीं इलाकों के मूलनिवासियों को आज़ादी के बाद ट्राइब स्टेटस और 5 वीं अनुसूचि या 6वीं अनुसूची घोषित किया l उत्तराखंड में यही ट्राइबल कानून लागू थे l लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र को 5वीं अनुसूचि लगाने के बजाय,1972 में यह कानून पहाड़ियों से छीन लिया l
इस दौरान उत्तराखंड युवा एकता मंच के संयोजक पीयूष जोशी ने कहा कि उत्तराखंड की समस्याओं का एकमात्र समाधान 5वि अनुसूची है पलायन आयोग की जगह सरकार को जल जंगल जमीन बचाने व पहाड़ खाली होने से चीन व नेपाल की नजरे हमारे पहाड़ी क्षेत्रों पर है व अक्साई चीन की तरह यहां विदेशी ताकतों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए एक मात्र समाधान पांचवीं अनुसूची है ।
कार्यक्रम के उत्तराखंड एकता मंच के निशांत रौथान ने कहा कि उत्तराखंड के 80% लोग मूल रूप से खस जनजाति से हैं । उन्होंने बताया कि हमारा ट्राइबल स्टेटस धीरे-धीरे छीना गया है और इसे वापस प्राप्त करने से ही उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों का समुचित विकास हो पायेगा l
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