“यूसीसी विधेयक पूरे देश को राह दिखायेगा, आधी आबादी को बराबरी का हक मिलेगा : मुख्यमंत्री धामी”
“समान नागरिकता कानून बनाने वाला भाजपा शासित उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बना”
यूसीसी विधेयक पारित होने के बाद सीएम को मिली बधाई, आतिशबाजी हुई और बंटी मिठाई
देहरादून, प्रदेश विधानसभा में चली लम्बी बहस के बाद बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक ध्वनिमत से पारित कर हो गया। जैसे ही बिल पारित हुआ सदन जय श्रीराम ,वंदे मातरम और भारतमाता की जय के नारों से गूंज उठा। प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा के पटल पर समान नागरिक संहिता बिल पेश किया था। लम्बी चर्चा के आज बुधवार 7 फरवरी की सांय सदन में विधेयक पारित हो गया, यूसीसी विधेयक पारित होने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने ढोल नगाड़े व आतिशबाजी व मिठाई बांट कर खुशी जताई। इसके साथ उत्तराखण्ड यूसीसी विधेयक बनाने वाला पहला राज्य बन गया।
आज दिन भर चली चर्चा के दौरान सायं यूसीसी विधेयक पर मुख्यमंत्री ने सदन में हुई सार्थक चर्चा पर जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक पूरे देश को राह दिखायेगा। समान अधिकारों की रक्षा करेगी। सामाजिक ढांचे को मजबूत बनाएगा।
अपने उद्बोधन में सीएम धामी ने विधेयक के मुख्य बिंदु विस्तार से सदन के सम्मुख पेश किए। उन्होंने कहा कि यूसीसी कानून में जरूरी संशोधन भी किये जाएंगे। मुख्यमंत्री ने आंदोलन के शहीदों को याद करते हुए कहा कि जो संकल्प लिया था वो आज पूरा हुआ। यह ऐतिहासिक पल देवभूमि को मिला। और एक इतिहास रचा। इसके लिए जनता बधाई की हकदार है। सभी के सहयोग से समरस व आदर्श समाज का निर्माण किया जाएगा। कई लोगों की जिंदगी में बदलाव आएगा।
सीएम ने कहा कि विश्व के कई देशों में समान नागरिक संहिता लागू है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन ने समान कानून नहीं बनाया, समाज को बांटा, छिन्न भिन्न किया। आजादी के बाद संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में यूसीसी के निर्माण को जगह दी गयी। सीएम धामी ने दल विशेष का उल्लेख न करते हुए कहा कि आजादी के बाद अंबेडकर के सिद्धांतों पर काम न होकर तुष्टिकरण की नीति बनाई। उन्होंने कहा कि 2022 को कहा था कि नई सरकार का गठन होते ही समान नागरिक संहिता बनाएंगे। पांच सदस्यीय ड्राफ्ट कमेटी बनाई। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने मांणा गांव से संवाद शुरू किया।
सीएम ने कहा कि असमानता की खाई को दूर किया जाएगा। यूसीसी सभी को बराबरी का अधिकार देगा महिला वर्ग के साथ हुए भेदभाव को दूर किया जाएगा। एक घण्टे से अधिक अवधि के सम्बोधन में सीएम ने पीएम मोदी के विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज रामयुग की शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट्स कमेटी ने 43 जनसंवाद के कार्यक्रम हुए। समिति को 32 लाख 32 हजार 961 सुझाव मिले। 10 प्रतिशत परिवारों ने अपने सुझाव दिए। कमेटी ने 2 फरवरी 2024 को सरकार को रिपोर्ट सौंपी। सीएम के सदन में वक्तव्य के बाद विधेयक को बहुमत से पारित किया गया। इससे पूर्व, बुधवार की सुबह 11 बजे से सांय तक सदन में पक्ष-विपक्ष के कई विधायकों ने गम्भीर तर्क पेश किए। कई विधायकों की शेरो-शायरी से सदन का माहौल हल्का भी हुआ। बुधवार को विस कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों ने यूसीसी विधेयक की कमियां गिनाई। प्रीतम सिंह, बेहड़, भुवन कापड़ी समेत कई विधायकों ने यूसीसी विधेयक को संविधान की कई धाराओं के उल्लंघन बताया। और कहा कि विधेयक में कुछ भी नया है।
कई नियम पहले से ही अस्तित्व में हैं। कांग्रेस ने विधेयक की कमियां गिनाते हुए इसे प्रवर समिति को सौंपने की मांग की। बुधवार को विधेयक पारित होने के बाद सदन में जय श्री राम व भारत माता की जय के नारे लगाए। मंगलवार से बुधवार तक यूसीसी पर चली चर्चा के दौरान स्पीकर ऋतु खंडूडी ने सभी विधायकों को बोलने का मौका भी दिया। और समय-समय पर टोका भी।
यूसीसी विधेयक के मुख्य बिन्दु :
शादी की उम्र :
बहुत से धर्म ऐसे है जहां अभी भी 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की शादी हो जाती है, सभी धर्मो की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित की गई है।
तलाक :
समान नागरिक संहिता में पति-पत्नी के लिए तलाक के कारण और आधार एक समान कर दिए गए हैं, अब पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी।
वसीयत :
समान नागरिक संहिता लागू होने से पूर्व मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे, जो अब सभी के लिए समान होंगे। कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है।
उत्तराधिकार :
अब लड़कों के समान लड़कियों को उत्तराधिकार में बराबर अधिकार प्रदान किया गया है। संहिता में सम्पति को सम्पदा के रूप में परिभाषित करते हुए इसमें सभी तरह की चल-अचल, पैतृक सम्पत्ति को शामिल किया गया है |
विवाह पंजीकरण
शादी के छह माह के भीतर अनिवार्य तौर पर सब रजिस्ट्रार के पास विवाह पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण नहीं कराने पर 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
बहु विवाह :
पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी यानि बहु विवाह पर सख्ती से रोक रहेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुविवाह करने की छूट है लेकिन अन्य धमों में एक पति-एक पत्नी का नियम बहुत कड़ाई से लागू है।
लिव इन रिलेशनशिप :
अब युवा वर्ग को लिव इन में रहने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, बता दें कि विवाहित पुरुष या महिला लिव इन में नहीं रह पाएंगे। इसके लिए जोड़ों को लिव इन में रहने की स्वघोषणा करनी पड़ेगी। लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को सम्पूर्ण अधिकार दिए गए हैं। राज्य का स्थायी निवासी, राज्य या केंद्र सरकार के स्थायी कर्मचारी, राज्य में संचालित सरकारी योजना के लाभार्थी पर लागू होगा। राज्य में न्यूनतम एक साल तक रहने वाले लोगों पर भी यह कानून लागू होगा।
यह कानून माताओं बहनों का आत्मबल बढ़ाएगा, जो किसी प्रथा, कुरीति की वजह से प्रताड़ित होती थीं : सीएम धामी
विधान सभा में सीएम धामी ने प्रेसवार्ता में कहा कि आज उत्तराखंड के लिए विशेष दिन है। मैं विधानसभा के सभी सदस्यों, जनता का आभार व्यक्त करता हूं। उनके समर्थन से ही हम आज ये कानून बना पाए हैं। मैं पीएम मोदी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं। ये कानून समानता का है। ये कानून हम किसी के खिलाफ नहीं लाए, बल्कि उन माताओं बहनों का आत्मबल बढ़ाएगा, जो किसी प्रथा, कुरीति की वजह से प्रताड़ित होती थीं। हमने 12 फरवरी 2022 को इसका संकल्प लिया था। इसे जनता के सामने रखा था।
सीएम धामी ने कहा कि करीब दो साल में आज सात फरवरी को हमने इसे सदन से पास करवाया। देश के अन्य राज्यों से भी हमारी अपेक्षा रहेगी कि वह इस दिशा में आगे बढ़ें।
सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों का बड़ा योगदान है। आंदोलनकारियों की सुविधा, पेंशन बढ़ाने से लेकर हमने आरक्षण देने का काम किया है।
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