Thursday, November 14, 2024
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घंटाघर में योग शिक्षकों और साधकों ने किया सामूहिक योगाभ्यास

देहरादून, उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर शुक्रवार को दून योग पीठ द्वारा देवभूमि उत्तराखंड को वैलनेस का बड़ा हब बनाने के शुभ संकल्प के साथ आचार्य बिपिन जोशी के पावन सानिध्य में दून की हृदय स्थली घंटाघर में योग शिक्षकों और योग साधकों ने सामूहिक योगाभ्यास किया, आचार्य डा. बिपिन जोशी ने सभी योग साधकों को उत्तराखंड की आन बान और शान की प्रतीक उत्तराखंडी टोपी पहनाई, घंटाघर में सफ़ाई अभियान चलाया गया और पर्यावरण मित्र कृष्णा देवी को उत्तराखंड की टोपी पहनाकर सम्मानित किया गया l आचार्य डा. बिपिन जोशी ने कहा देवभूमि उत्तराखंड को प्रकृति ने हिमालय, गंगा, यमुना जैसी दर्जनों पवित्र नदियां, चार धाम और जागेश्वर, बागेश्वर, आदि कैलाश जैसे हजारों आध्यत्मिक महत्व के स्थान, स्वास्थ्य अनुकूल वातावरण, पौष्टिक भोजन, जैविक खाद्य पदार्थ, फल, सब्जियां, जड़ी बूटी आदि पर्याप्त मात्रा में मुक्त हस्त से प्रदान की हैं, यदि राज्य के गांवों को योग आयुर्वेद ग्रामों के रूप में विकसित किया जाए तो उत्तराखंड को केरल की तर्ज पर वैलनेस का एक बड़ा हब बनाया जा सकता है, संपूर्ण विश्व को जीवन और राज्य को रोजगार मिल सकता है बस सही नियत और युद्ध स्तर पर प्रयासों की जरूरत के साथ साथ जनसहभागिता भी जरुरी है l
इस अवसर पर योगाचार्य अम्बिका उनियाल, योग शिक्षक विनय प्रकाश, सुनील देशवाल, अदिति उनियाल, सोनाली सैनी,ध्रुव पोखरियाल, हर्ष अग्रवाल, नव्या उनियाल, विकास गुणवंत, उदय शंकर आदि उपस्थित रहे साथ ही श्री टपकेश्वर महादेव, माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर टपकेश्वर, श्री धोलेश्वर महादेव मंदिर ग्राम धोलास मेंराज्य की सुख शांति और समृद्धि की मंगल भावना के साथ विशेष पूजा अर्चना की गई।

 

मूल निवास और भू-कानून के लिए एक हुआ हरिद्वार, 10 नवंबर को होगी स्वाभिमान महारैली

“संत समाज, व्यापारिक संगठन, किसान संगठनों का आंदोलन को मिला समर्थन”

हरिद्वार, मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास 1950 और मजबूत भू-कानून के लिए समूचा उत्तराखंड एक है। जल, जंगल, जमीन और गुड़, गन्ना और गंगा की संस्कृति को बचाने के लिए मूल निवासी एक हो गया है। यह इस आंदोलन की बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि आंदोलन को संत समाज, व्यापारिक संगठन, किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त हुआ है।
स्थानीय प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि आज भू-माफिया उत्तराखंड की जमीनों को खत्म कर रहा है। हमारे किसानों के सामने भूमिहीन का खतरा पैदा हो गया है। बाहरी लोग फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाकर नौकरियों पर डाका डाल रहे हैं। हमारे सभी तरह के संसाधनों को लूटा जा रहा है। आज कुछ लोग वोटबैंक के लिए पहाड़-मैदान को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उनके नापाक इरादे कभी कामयाब नहीं होंगे।
मोहित डिमरी ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तावित कॉरिडोर से हरिद्वार का व्यापारी सबसे अधिक प्रभावित होगा। व्यापारियों को विश्वास में लिए किसी भी तरह के प्रोजेक्ट पर काम न किया जाय। वह हरिद्वार के विकास और सौंदर्यीकरण के पक्ष में हैं, लेकिन इससे स्थानीय जनता और व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट नहीं होना चाहिए।
निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि आज राज्य निर्माण के 24 वर्षों बाद भी उत्तराखंड की अवधारणा साकार नहीं हो पाई। हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान खत्म हो रही है। गंगा की संस्कृति भी खतरे में है। इसे संरक्षित करने का जिम्मा हम सभी का है।
सैनी सभा हरिद्वार के अध्यक्ष सम्राट सैनी ने कहा कि हम सभी मूल निवासी अपने अधिकारों और अपने उत्तराखंड को बचाने के लिए एकसाथ लड़ेंगे। सरकार को मूल निवास 1950 और मजबूत भू-कानून हर हाल में लागू करना होगा।
जिला/शहर व्यापार मंडल हरिद्वार राजीव पाराशर, जिला महामंत्री संजीव नैय्यर ने कहा कि जमीन के कानून कड़े होने चाहिए और हर तरह के लाभ में पहला अधिकार मूल निवासियों को मिलना चाहिए। आज बाहर से आने वाले लोगों ने बेतहाशा जमीनें खरीद ली हैं। इसका खामियाजा हम सभी लोग भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा कि कॉरिडोर से व्यापारियों को सबसे अधिक नुकसान है। सरकार हरिद्वार का विकास करे, लेकिन व्यापारियों को न उजाड़े।
रोड धर्मशाला के अध्यक्ष सेवाराम जी और सिडकुल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर जोशी ने कहा कि आज पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन के लिए सरकार जिम्मेदार है। पहाड़ों में उद्योग स्थापित होते तो रोजगार के लिए लोगों को पलायन न करना पड़ता।
भारतीय किसान यूनियन के पद्म सिंह रोड, किसान मजदूर संगठन सोसायटी के मेहक सिंह एडवोकेट ने कहा कि खेती-किसानी बचाने का यह आंदोलन जरूर सफल होगा। हम सभी इस संघर्ष में साथ खड़े हैं।
संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा की राज्य बनने से लेकर अब तक जिस तरह से राज्य के मूल निवासी को ठगा जा रहा था उसे अब जनता समझ चुकी है। उत्तराखण्ड के मूल निवासी अब अपने अधिकारों को लेकर एकजुट हो गए है और हरिद्वार में होने वाली महारैली ऐतिहासिक होगी ।
सचिव प्रांजल नौडियाल ने कहा कि इस राज्य के संसाधनों में पहला अधिकार राज्य के मूल निवासियों का है और किसी भी हालत में इन अधिकारों में कुठाराघात बर्दाश्त नही किया जाएगा ।
पत्रकार वार्ता में पंडित कपिल शर्मा जौनसारी, मनीष थपलियाल, जिला/शहर व्यापार मंडल हरिद्वार के प्रदेश सचिव मनोज सिंघल, मुकेश भार्गव, नरेंद्र ग्रोवर, राजेश पुरी, शहर उपाध्यक्ष मनोज चौहान, अनुज गोयल, अरुण राघव, सुनील तलवार आदि मौजूद थे।

 

दुनिया को अलग नजरिये से देखती है ”नदी की आँखें”

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सायं उत्तराखंड के लेखक और सुपरिचित पर्वतारोही सुभाष तराण की पुस्तक, ‘नदी की आँखें’ के दूसरे संस्करण का लोकार्पण किया गया. लोकार्पण से पूर्व राहुल पाटिल की लघु वृत्त चित्र ‘शिनकुन वेस्ट – ऐन आर्टिफिशियली फेल्ड एक्सपीडिशन का प्रदर्शन भी किया गया।
फ़िल्म के प्रदर्शन व पुस्तक लोकार्पण के पश्चात पुस्तक पर एक बातचीत भी की गई. इसमें सामाजिक व पर्यावरण विचारक बिजू नेगी ने पर्वतारोहण से संबंधित तथा पुस्तक में संकलित कहानियों और लेखक के जीवन के विविध पक्षों पर गहन बातचीत की ।
पुस्तक में संकलित कहानियों के बारे में कहा गया कि यह जहां पाठकों को एक ओर पहाड़ के रोमांच से रूबरू कराती है वहीं हाशिये पर पड़े लोगों का वास्तविक पक्ष सहज रूप से निर्भीकता व ईमानदारी के साथ सामने रखती है। बहुत छोटी- छोटी घटनाओं पर आधारित सरल बोली -भाषा के साथ एक दूसरे से नितांत भिन्न आस्वाद की इन कहानियों में कहीं यह सामूहिकता का उत्सव मनाती दिखती है तो कहीं अपने अकेलेपन से जूझती हुई दिखाई देती है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागत किया और अंत में धन्यवाद दिया l
इस अवसर पर शिव प्रसाद जोशी, राजीव गुप्ता, डॉ. लालता प्रसाद ,सुंदर सिंह बिष्ट,सुरेन्द्र सिंह सजवान, शीशपाल सिंह गुसाईं, सुवर्ण रावत, हरिओम पाली, कांता घिल्डियाल, उमा भट्ट, विजय शंकर शुक्ला,और अनेक लेखक, साहित्यकार, घुमक्कड़, पाठकगण सहित युवा पाठक उपस्थित थे.

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