Saturday, April 20, 2024
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नेशनल पार्क एवं सेंचुरी बढ़ने के बावजूद भी संकट में क्यों है वन्यजीव : रावत

हरिद्वार 8 अक्टूबर (कुलभूषण) देश में एक ओर संरक्षण क्षेत्रों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी ओर संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची लंबी होती जा रही है। आखिर यह विरोधाभास क्यों हैं? उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल आनंद सिंह रावत के इस मार्मिक प्रश्न से सभी स्तब्ध रह गए। श्री रावत ने यह प्रश्न गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के जंतु एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित ‘वन्य जीव सप्ताह समारोह’ के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उठाया।

उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में 100 से अधिक नेशनल पार्क और 550 से अधिक वाइल्डलाइफ सेंचुरी होने के बावजूद भी हमारे वन्यजीव सुरक्षित क्यों नहीं है। पक्षियों की स्थिति को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि आज हॉर्नबिल, बस्टर्ड, फ्लोरीकन, मोनाल, गिद्ध, गौरैया जैसी प्रजातियां तेजी से विलुप्ति की ओर बढ़ रही हैं। उन्होंने सभागार में उपस्थित युवा पीढ़ी से यह आह्वान किया कि वे आगे बढ़ें और वन्यजीवों के संरक्षण में जमीनी स्तर पर अपना योगदान दें। श्री रावत ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि यदि आज वन्यजीव संरक्षण को लेकर हम नहीं जागे तो वह दिन दूर नहीं, जब विभिन्न वन्यजीवों की भांति स्वयं मानव का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। श्री रावत ने कार्यक्रम के आयोजक प्रोफेसर दिनेश भट्ट को बधाई दी कि आज के समय में ऐसे कार्यक्रमों की बहुत अधिक आवश्यकता है तथा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय निरंतर इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है।

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने अपने संबोधन में छात्र-छात्राओं को प्राचीन गुरुकुल की शिक्षा व्यवस्था की महत्ता व अरण्य संस्कृति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल खंड में ऋषि परंपरा थी जहाँ ऋषि मुनि जंगलों में कुटिया बनाकर गुरुकुल चलाते थे। प्रोफ़ेसर त्रिपाठी ने उदाहरण दिया कि हमारे देश का नाम जिस भरत के नाम पर ‘भारत’ पड़ा है, वह ऋषि कण्व  के आश्रम में अपनी माता शकुंतला के साथ वन्यजीवों के बीच ही रहता था। उन्होंने मानव एवं वन्य जीव के सह-अस्तित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि भरत अपने बाल्यकाल में सिंह जैसे हिंसक प्राणी के दांत तक गिन लिया करता था परंतु आज वन्यजीव और मानव के बीच का यह सुंदर रिश्ता बुरी तरह नष्ट होता जा रहा है।

समाजसेवी एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सत्यप्रकाश त्यागी ने कहा कि तीन से चार दशक पूर्व गांव में पीपल और बरगद के पेड़ों पर जिन गिद्धों  की बड़ी संख्या पायी जाती थी, वह आज एकाएक गायब हो गए हैं। उन्होंने कहा कि आज के विद्यार्थियों के द्वारा गिद्ध को पहचानना मुश्किल हो गया है। श्री त्यागी ने कहा कि इस अज्ञानता के लिए यह बच्चे दोषी नहीं है। विकास की अंधी दौड़ में मानवीय क्रियाकलापों ने गिद्ध को हमारे परिवेश से विलुप्त कर दिया है। साथ ही उन्होंने अवगत कराया कि गिद्ध तो मात्र एक उदाहरण है, आज न जाने कितने पशु पक्षियों की प्रजाति विलुप्त ही ओर अग्रसर हो रही हैं और हम इस गंभीर बात से अनभिज्ञ हैं।

कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता एवं वन्य जीव संस्थान देहरादून के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉक्टर के. रमेश ने भागीरथी नदी बेसिन के संरक्षण पर अपना विशिष्ट व्याख्यान दिया। उन्होंने भागीरथी में बन रहे बांध एवं वन्यजीवों पर उसके प्रभाव पर चर्चा की। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर देवेंद्र मलिक ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों सहित सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सुनील कुमार ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि गुरुकुल विश्वविद्यालय वन्यजीव एवं प्रकृति संरक्षण को पूर्ण संकल्पबद्ध  है तथा भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन जारी रहेगा।

कार्यक्रम के संयोजक एवं अंतर्राष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने इस पांच दिवसीय कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट तथा संस्तुति अतिथियों एवं प्रतिभागियों के सामने प्रस्तुत की। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता हेतु यूकोस्ट देहरादून एवं विश्वविद्यालय प्रशासन का धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रोफेसर भट्ट ने बताया कि कार्यक्रम में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन  किया गया है जिसमे विजयी रहे प्रतिभागियों को अतिथियों के द्वारा पुरस्कार दिए गए।

निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम वर्ग में डीपीएस दौलतपुर की आद्या सक्सेना, ज्ञान गंगा अकैडमी से चक्षु एवं केंद्रीय विद्यालय रुड़की से शिवम ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्राप्त किए। चित्रकला प्रतियोगिता में स्वामी हरिहरानंद पब्लिक स्कूल की विधि विश्वकर्मा ने प्रथम, केंद्रीय विद्यालय से दुर्गा सैनी ने द्वितीय एवं डीपीएस दौलतपुर से इशिका शर्मा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। वाद-विवाद प्रतियोगिता में स्तव्य सिखौला एवं वृंदा ने संयुक्त रूप से प्रथम, स्वामी हरिहरानंद से समीक्षा ने द्वितीय तथा दिल्ली पब्लिक स्कूल से देवीशी  चौहान ने तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया। शॉर्ट वीडियो मेकिंग कंपटीशन में ग्राफिक एरा, देहरादून के आशीष ने प्रथम, जी बी पंत राष्ट्रीय संस्थान अल्मोड़ा की मेधा दुर्गापाल ने द्वितीय तथा दीप्ति ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी प्रतियोगिता में गुरुकुल कांगड़ी के शिवम वर्मा ने प्रथम, स्वामी हरिहरानंद पब्लिक स्कूल के वेदांश ने द्वितीय तथा यदुवंश मनी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। चित्रकला प्रतियोगिता में वरिष्ठ श्रेणी में डी ए वी कॉलेज मुजफ्फरनगर की प्रज्ञा एवं ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय देहरादून की स्वाति सिंह ने संयुक्त रूप से प्रथम पुरस्कार, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से आरुषि आनंद ने द्वितीय तथा नीरज कुमार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।  वन्य जीव फोटोग्राफी में वरिष्ठ श्रेणी में रेखा रावत एवं पारुल ने प्रथम, पर्यावरणीय संस्थान कुरुक्षेत्र के नवनीत शर्मा ने द्वितीय तथा सलीम अली सेंटर कोयंबटूर तमिलनाडु के आशुतोष सिंह ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

डॉक्टर नितिन कम्बोज ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच सञ्चालन डॉक्टर राकेश भूटानी  ने किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर एल पी पुरोहित, प्रोफेसर नमिता जोशी, प्रोफेसर संगीता विद्यालंकार, अधिवक्ता अजय वीर पुंडीर, वरिष्ठ पत्रकार लेखिका राधिका नागरथ, डॉक्टर संगीता मदान, संयुक्त कुलसचिव डॉक्टर श्वेतांक आर्य, डॉक्टर विनोद कुमार, डॉक्टर गगन, डॉक्टर मनोज, डॉक्टर पवन, आदेश त्यागी, हंसराज जोशी सहित विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाचार्य, अध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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